बहना के संग होली

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दोस्तो, यह कहानी अन्य भाई बहन की चुदाई कहानी को आगे बढ़ाने का प्रयास है. इसलिए मेरी आपसे गुज़ारिश है कि पहले आप शुरू की कहानी होली का नया रंग बहना के संग पढ़ लें उसके बाद ही इस कहानी को पढ़ें.

अब तक आपने पढ़ा कि कैसे पंकज ने होली की मस्ती और नशे में अपनी बहन रूपा को अपनी पत्नी सोनाली के सामने ही चोद दिया था. उसके बाद तीनों एक साथ नंगे नहाए और वहाँ बाथरूम में भी पंकज ने रूपा बहन को एक बार और चोदा जिसमे सोनाली ने भी पूरा साथ दिया। अब आगे…

बाथरूम ने नहाते नहाते जब मैं रूपा को चोद रहा था, तब तक नहाने की वजह से हम सब का नशा उतर चुका था लेकिन फिर भी मेरी बीवी और रूपा को कोई आपत्ति नहीं थी और हम तीनों पूरे होश में चुदाई का लुत्फ़ उठा रहे थे। पहले मुझे लगा कि सोना (सोनाली) नशे में है इसलिए कुछ नहीं कह रही है लेकिन फिर जब रूपा को चोदने के बाद मैं उसे चोद रहा था तो वो रूपा के साथ मस्ती कर रही थी, उसको दोबारा चुदाई के लिए तैयार कर रही थी।

आखिर में जब वो झड़ने की कगार पर पहुंची तो रूपा को मुझे किस करने को कहा और मुझे उसकी चूचियां मसलने को। मैं अपनी बहन के मुख में जीभ डाल कर उसे किस कर रहा था और साथ में बाएँ हाथ से उसे अपनी बाहों में भर के उसकी बाईं चूची मसल रहा था जबकि दाईं चूची मेरी छाती से चिपकी हुई थी। दूसरे हाथ से मैं सोना की कमर पकड़ के उसे चोद रहा था। हम भाई बहन की ये वासना भरी स्थिति देखते हुए सोना जोर से झड़ने लगी।

बाथरूम से बाहर आकर भी किसी ने कपड़े नहीं पहने, सबने नंगे ही खाना खाया और फिर तीनों बेडरूम में ऐसे ही एक साथ लेट गए। मेरे एक तरफ रूपा और दूसरी तरफ सोना, दोनों मेरी तरफ करवट ले कर और मुझसे चिपक कर लेटी थीं।

मैंने कहा- आज जो भी हुआ वो कभी सोचा नहीं था. ना कि कभी ऐसा भी हो सकता है। दोनों ने एक साथ कहा- हम्म्म… “मज़ा तो बहुत आया लेकिन सोना, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा? और रूपा तुम्हें?” मैंने दोनों से एक साथ सवाल कर दिया।

पहले रूपा बोली- शुरू में अजीब लगा था लेकिन नशे में कुछ ज्यादा समझ नहीं आया और फिर बाद में मजा आने लगा। सोना ने भी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- शुरू में नशे और मस्ती में ये समझ ही नहीं आया कि तुम मेरे सामने अपनी बहन चोद रहे हो. लेकिन जैसे जैसे होश आता गया, मुझे बुरा लगने की बजाए और अच्छा लगने लगा। तुम अपनी सगी बहन चोद रहे हो, यह सोच सोच कर तो मैं इतनी गीली हो गई थी कि आज तक कभी नहीं हुई।

“हाँ, वो तो मैं समझ सकता हूँ, मैंने भी तुमको कभी इतनी जोर से झाड़ते नहीं देखा। लेकिन ये सब शुरू शराब के नशे से हुआ और बाद में चुदाई के मज़े में मैंने भी ध्यान नहीं दिया कि मैं बहनचोद बन गया हूँ। इसलिए अब जब सोचता हूँ तो लगता है कि कहीं हमने कुछ गलत तो नहीं कर लिया?”

रूपा- नहीं भैया, आप ऐसा ना सोचो, मैं तो बचपन से ही आपको बहुत चाहती थी और जब जवानी आई तो आप ही वो पहले मर्द थे जिसको मैं अपनी कल्पना में चोदा करती थी। मेरे ख्याल से कोई भी लड़की कभी ना कभी अपने भाई की ओर आकर्षित ज़रूर होती है. सोनाली- हम्म्म, वो तो है.

रूपा- क्योंकि सबसे पहले आप ही थे जिसको मैं इतना पास से देख पाती थी। और याद है वो एक बार जब आप बाथरूम से नहा के आ रहे थे और मैं जा रही थी तब आपका टॉवेल खुल गया था। वो पहली बार था जब मैंने कोई जवान लंड देखा था। उस दिन पहली बार मैंने बाथरूम में अपनी चूत में उंगली डाल के अपनी मुनिया को शांत किया था। वो तो ये समाज के नियम कानूनों की वजह से आगे कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई और इसी वजह से आज जब आज आपने अपना लंड मेरी चूत में डाला तो मैंने शुरू में थोड़ा मना भी किया लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि मैं ऐसा नहीं चाहती थी।

पंकज- चलो अच्छा हुआ तुमने ये सब बता दिया अब मैं बिना किसी अपराधबोध (गिल्टी फीलिंग) के तुम्हारे साथ मज़े कर पाऊंगा। और सोना, तुम बहुत हाँ में हाँ मिला रहीं थीं। तुम्हारी भी कोई ऐसी तमन्ना थी क्या अपने भाई के साथ? सोनाली- हाँ, लेकिन यहाँ तो आग दोनों तरफ बराबर लगी थी।

रूपा- क्या बात है भाभी, फिर क्या आप पहले ही चुदवा चुकी हो अपने भाई से? सोनाली- अरे न…हीं! रूपा- अब समझ आया आपको हमारी चुदाई देख कर बुरा क्यों नहीं लगा। क्या बात है भैया, भाभी तो पहले से ही भाईचोद हैं. ऐसा कहते कहते रूपा बहुत उत्तेजित हो गई और मुझसे और जोर से चिपकते हुए उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर 2-3 झटके मुठ भी मार दी।

सोनाली- अरे यार बात तो सुन लो। ऐसा कुछ नहीं हुआ था हमारे बीच। रूपा- दोनों तरफ आग बराबर लगी हो फिर भी हवनकुंड में घी ना गिरे, ऐसा कैसे हो सकता है? सोनाली- बताती हूँ बाबा पूरी कहानी बताती हूँ:

एक बार मैं रात को पानी पीने किचन में गई तो देखा सचिन के कमरे से हल्की लाइट आ रही थी। धीरे से खिड़की का दरवाज़ा हटा कर देखा तो सचिन कंप्यूटर के सामने नंगा बैठा ब्लू फिल्म देख रहा था और साथ में मुठ मार रहा था। उसका लंड देखा तो मैं देखती ही रह गई। फिर वो थोड़ी देर बाद झड़ गया और सो गया। उस रात मुझे नींद ही नहीं आई, सारी रात आँखों के सामने उसका लंड घूमता रहा और मैं अपनी चूत में उंगली करती रही।

उसके बाद मैंने कई रातें इस चक्कर में बिना सोए बिता दीं कि शायद फिर कुछ वैसा ही देखने को मिल जाए लेकिन कभी टाइमिंग सही नहीं बैठी। एक दिन मेरे दिमाग में आईडिया आया कि एक तरीका है जिस से मैं रोज़ वो मस्त लंड देख सकती थी। फिर एक दिन जब घर पर मैं अकेली थी तो बड़ी मेहनत से मैंने बाथरूम के दरवाज़े में ऐसा छेद किया जो आसानी से किसी को समझ ना आये।

उसके बाद जब भी सचिन नहाने जाता, मैं मौका देख के उस छेद से उसको नंगा देख लिया करती थी। लेकिन हमेशा वो लटका हुआ लंड ही देखने को मिलता था। कुछ महीने ऐसे ही बीत गए फिर एक दिन जब मैंने छेद से देखा तो सचिन ने अपना लंड हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते वो तन के खड़ा हो गया। लेकिन सचिन मुठ मारने के जगह उससे खेल रहा था बस। उस दिन के बाद से वो रोज़ नहाते वक़्त अपने लंड से खेलता और कभी कभी मुठ भी मारता।

मेरे दिन मज़े में कट रहे थे। जब घर में कोई और ना होता तो मैं नंगी हो कर जाती और उसको देखते देखते अपनी चूत और चूचों के साथ खेल कर झड़ भी जाती थी। लेकिन एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि पहले तो सचिन कभी अपने लंड से नहीं खेलता था फिर अचानक अब रोज़ ऐसा क्यों करने लगा? मुझे शक हुआ कि कहीं इसे पता तो नहीं कि मैं उसे देखती हूँ। पर अगर ऐसा ही था तो मतलब वो इस छेद के बारे में जानता था और वो भी इसका इस्तेमाल करता होगा।

उसके बाद जब मैं नहाने गई तो मैंने ध्यान देना शुरू किया। मेरी नज़र उस छेद पर ही टिकी थी। थोड़ी देर बाद सच में उस छेद से जो थोडा लाइट आ रहा था वो बंद हो गया। मतलब कोई मुझे देख रहा था। लेकिन कौन था ये नहीं कहा जा सकता था। अगले दिन मैं बाथरूम में आ कर नंगी हुई और शावर चालू करके तुरंत मैंने अन्दर से बाहर की तरफ देखना शुरू किया। थोड़ी देर बाद देखा सचिन आया दरवाज़े के पास आकर बैठ गया। मैं तुरंत खड़ी हो गई और नहाने लगी। लेकिन मेरे दिमाग में ये ख्याल भी था कि मेरा भाई मुझे नंगी नहाते हुए देख रहा था और इसलिए मैं ना केवल बाहर से नहा रही थी बल्कि अन्दर से भी बहुत गीली हो गई थी। आखिर मैंने भी चूत में ऊँगली करके खुद को शांत किया।

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को उस छेद से अपनी जवानी के जलवे दिखने लगे। कभी कभी मैं बड़ी कामुक अदा से नहाती तो कभी अपने नंगे शरीर से खेलती रहती। और वो भी यही सब करता था। लेकिन कभी ना उसकी हिम्मत हुई कि इस से आगे कुछ करे और ना मेरी हिम्मत हुई। समाज के ये सब जो कायदे हमें शुरू से सिखा दिए जाते हैं इसकी वजह से एक सीमा के बाद आगे बढ़ना मुश्किल लगता है। एक डर बैठा होता है दिल में कि अगर कुछ किया तो पता नहीं क्या होगा. और इस से पहले कि हम दोनों में से कोई इस डर से मुक्ति पाने की कगार पर आता, मेरी शादी हो गई और मैं यहाँ आ गई।

रूपा- वाह भाभी! वाह! क्या दिमाग पाया है। ये आईडिया मुझे क्यों नहीं आया। मैं बेकार कल्पना में ही भैया के लंड के बारे में सोच सोच के जैसे तैसे खुद को संतुष्ट किया करती थी।

सोनाली- अरे, लेकिन दिमाग से क्या होता है। किस्मत तो तुम्हारी ज्यादा अच्छी निकली ना। मुझे तो बस देखने को मिलता था, तुम्हें तो चोदने को मिल गया। और शायद तुम कल्पना में ज्यादा रहीं इसलिए तुम्हारे अन्दर दबी हुई भावनाएं ज्यादा थीं इसीलिए शायद आज तुमने कायदों को ताक पर रख दिया. मुझे कुछ हद तक संतुष्टि मिल जाया करती थी इसलिए कभी ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाई.

सोनाली की शक्ल देख कर मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने बोल दिया- यार तुम फिकर ना करो, तुमने हम दोनों भाई बहन की चुदाई में मदद की है तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि हम तुमको तुम्हारे भाई से चुदवाने में मदद करें। सोनाली की तो जैसे लाटरी लग गई हो, वो तुरंत ख़ुशी से उठ कर बैठ गई और और कहने लगी- वाओ, सच! मगर कैसे? और सचिन मुझे चोदना चाहेगा या नहीं? पंकज- अरे बाबा इतना टेंशन ना लो। देखो तुमने खुद बोला ना कि समाज के डर से तुम्हारी हिम्मत नहीं हुई लेकिन अब तो तुम अकेली नहीं हो ना। हम भी तुम्हारे साथ हैं। जैसे आज तुमने हमें चुदाई के लिए प्रोत्साहित किया वैसे हम भी तुम दोनों भाई बहन की चुदाई के लिए सही माहोल बनाने में मदद करेंगे। तुम वो सब चिंता अभी से ना करो, कुछ ना कुछ प्लान तो बन ही जाएगा।

रूपा- हाँ भाभी, हम आपको आपके भाई से ज़रूर चुदवाएंगे लेकिन अभी तो आप हम दोनों भाई बहन की चुदाई की चीअर लीडर बनो। इतना कह कर रूपा भी उठ कर बैठ गई और मेरा लौड़ा, जो उसने अब तक सहला सहला के कड़क कर दिया था उसको, अपनी चूत पर सेट करने लगी। सोनाली भी ख़ुशी में हम दोनों को प्रोत्साहित करने लगी।

सोनाली- हाँ हाँ क्यों नहीं मेरे भेनचोद पति की चुदक्कड़ बहन, जितना चुदवाना है चुदवा। अपने भाई के लंड पर बैठ कर घुड़सवारी कर। और पंकज तुम भी चलाओ अपना लंड इसकी चूत में जैसे इंजन में पिस्टन चलता है। बुझा दो इसकी चूत की आग अपने लंड के पानी से।

सोनाली की बातें हमारी उत्तेजना और बढ़ा रही थीं और मेरी बहन मेरा लंड अपनी चूत में लिए उसके ऊपर उछल रही थी। मैं भी नीचे से उसका साथ दे रहा था और साथ ही दोनों हाथों से उसके चूचे भी मसल रहा था। इस तरह हम तीनों ने मिल कर रात भर चुदाई की। एक बार तो वो दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरी की चूत का दाना चूस रहीं थीं और मैं बारी बारे दोनों की चूत चोद रहा था। दोनों ने मिल कर कई बार मेरा लंड भी चूसा और एक बार तो दोनों में होड़ लगी थी कि मैं किसके मुँह में झडूंगा।

ऐसे ही मस्ती करते करते वो रात तो निकल गई और फिर अगले दिन से हम रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में व्यस्त हो गए। रूपा अब हम दोनों के साथ ही सोने लगी थी और हम सब मिल कर सेक्स किया करते थे।

दोस्तो, आपको यह भाई बहन की चुदाई कहानी कैसी लगी आप मुझे बता सकते हैं. अगर आपने पसंद किया तो मैं और आगे भी लिखने की कोशिश कर सकता हूँ.

आपका क्षत्रपति [email protected]

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