बुआ संग खेली होली-2

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लेखक: अमित कुमार

प्रेषक: टी पी एल

बुआ ने आगे से ब्रा को अपनी चूचियों पर निर्धारित कर अपने हाथ पीछे करके ब्रा के हुक बंद करने लगी लेकिन वह बंद होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब बुआ ने मेरी ओर देख कर मुझे उन्हें बंद करने के लिए कहा तो मैंने साफ़ मना कर दिया, तब वह मेरे नज़दीक आकर पूछने लगी कि क्या मैं उसकी चूचियों देखने एवं छूने का इच्छुक हूँ?

मैंने उसकी तरफ देख कर अपने सिर को हिला कर जब पुष्टि की, तब बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ब्रा के अंदर डाल दिया और एक चूची मेरी हाथों में दे दी। मैं पहले तो उसे एक सपना समझा लेकिन जब हाथों में बुआ के चूचुक का स्पर्श महसूस हुआ तब यकीन हुआ कि मैं सपने में नहीं यथार्थ में बुआ की चूचियों को पकड़े हुए था !

कुछ देर मैंने बुआ की चूचियों और चूचुक को दबाया, मसला और फिर थोड़ा अलग होकर उनकी ब्रा के हुक को बंद कर दिया ! उसके बाद बुआ ने कमीज़ पहनी और बाल संवार कर रसोई में खाना बनाने चली गई !

मैं भी उसके पीछे रसोई में चला गया और हम दोनों ने वहीं रखी एक मेज़ पर बैठ कर भोजन किया तथा उसके बाद हम बैठक में बैठ कर टीवी देखने लगे। जब टीवी पर कोई भी प्रोग्राम मुझे पसंद नहीं आया, मैं बोर होने लगा, तब मैं बुआ से कह कर बेडरूम में आ गया और अपने कपड़े उतार दिए, सिर्फ जांघिया पहने हुए सोने चला गया। मैं लगभग तीन घंटे सोया होऊँगा, क्योंकि जब मेरी नींद खुली तब मैंने घड़ी में देखा कि वह शाम के छह बजा रही थ।

जैसे ही मैंने करवट लेकर सीधा होना चाहा तो हो नहीं सका और जब सिर मोड़ा कर देखा तो पाया कि बैड पर मेरे पीछे बुआ सोई हुई थी। मैं धीरे से थोड़ा अलग हट कर उठा और मुड कर बुआ को देखा तो हैरान रह गया, बुआ बिल्कुल सीधा सिर्फ एक पैंटी पहने सो रही थी और उनकी चूचियाँ उनकी छाती पर किसी मीनार के गुम्बदों की तरह सिर ऊपर उठा कर खड़ी थी।

मैं कुछ देर तो बुआ को और उनकी चूचियों को देखता रहा लेकिन जब मैं अपने पर नियंत्रण नहीं रख सका तो अपने दोनों हाथों से उन चूचियों को सहलाने लगा, उन चूचियों के ऊपर चुचुकों को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में मसलने लगा।

मेरे ऐसा करने पर बुआ की नींद खुल गई और उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिए तथा आँखों से गुस्सा दिखा कर पूछने लगी कि मैं यह क्या कर रहा हूँ।

पहले तो मैं उनके प्रश्न से सकपका गया लेकिन जल्द ही अपने को संभाला और बोला- मैं तो अपनी परी को प्यार कर रहा था ! इस पर बुआ ने पूछा कि क्या परी को प्यार ऐसे करते है, तब मैंने झट से कह दिया कि अगर आप अनुमति दे तो मैं सही तरीके से प्यार कर देता हूँ।

तब बुआ ने उठ कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे सिर को चूमने लगी। बुआ के चूमने के कारण मेरा मुँह नीचे हो गया और उनकी चूचियों बिल्कुल मेरे होंठों के पास आ गई, मैं अपने आप को रोक नहीं सका तथा अपना मुँह खोल कर उनकी दाईं चूची को अपने होंठों के बीच में दबा कर चूसने लगा। मेरा ऐसा करना शायद बुआ को अच्छा लगा इसलिए उन्होंने मेरे चेहरे को अपने सीने में दबा लिया और मुझे चूचियों को चूसने की खुली छूट दे दी।

अगले दस मिनट तक मैं उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसता रहा और बुआ भी कभी मेरा सिर, कभी माथा और कभी गालों को चूमती रही। जैसे ही मैं बुआ से अलग हुआ तब उन्होंने मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। इधर मेरा अर्धनग्न शरीर बुआ के अर्धनग्न शरीर पर लेटा था और उधर नीचे मेरे जांघिये में मेरा लौड़ा उत्तेजित हो कर बुआ की जांघों में घुसने की कोशिश कर रहा था।

जब बुआ को उनकी जांघों पर मेरे लौड़े की चुभन महसूस हुई तो उन्होंने नीचे दोनों के शरीर के बीच में हाथ डाल कर मेरे लौड़े को पकड़ कर साइड में कर दिया और मुझे फिर अपने से चिपका लिया! मेरा लौड़ा बेचारा हम दोनों के शरीर के बीच में फंस कर रह गया और अत्यंत उत्तेजना के कारण उसमें से धीरे धीरे पूर्व-वीर्य का रिसाव होने लगा। दस मिनट तक मुझे अपने ऊपर ऐसे लिटाये रखने के बाद बुआ ने अपनी बाजुओं को थोड़ा ढीला किया और झट से मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये तथा मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मेरा चुम्बन लेने लगी।

मैं तो उत्तेजित था ही इसलिए बुआ का साथ देने लगा और उनकी जीभ और होंठों को चूसने लगा। यह सिलसला करीब पन्द्रह मिनट तक चला और जब बुआ तथा मेरी सांसें फूलने लगी तब हम अलग हुए !

इसके बाद मैं बुआ के ऊपर से हट कर उनकी बाईं ओर लेट गया और एक हाथ से उनकी चूचियों को दबाने लगा। जब दूसरा हाथ मैंने बुआ की जांघों की ओर बढ़ाया तो उनने मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे ऐसा करने से रोक दिया।

जब मैंने पिछले एक घंटे से कमरे में छाई चुप्पी को तोड़ते हुए बुआ से पूछा ही लिया कि वहाँ हाथ क्यों नहीं लगाऊँ तो उन्होंने बोला कि अभी नहीं, रात हो जाने दो !

उनके मुँह से इतना सुनते ही और रात में होने वाले रोमांच की आशा से मेरा दिल उछाल मारने लगा और मैं बुआ से चिपक गया तथा अपने दोनों हाथ से बुआ की चूचियों पकड़ ली।

तब बुआ ने कहा- चाय का समय हो गया है, उठना चाहिए !

और मुझ से अलग हो कर वह उठ कर बाथरूम में चली गई। मैं कुछ देर तो उसी तरह बैड पर लेटा रहा और रात को होने वाली क्रिया के बारे सोच कर रोमांचित होता रहा ! फिर मैं भी उठ कर बाथरूम में गया तो देखा कि बुआ ने अपनी पैंटी उतार कर एक तरफ रख दी थी और चूत को अच्छी तरह से रगड़ कर धो रही थी। मैंने जब पैंटी को हाथ लगा तो उसे बुरी तरह गीला पाया तो समझ गया कि जब मैं बुआ की चूचियों को चूस रहा था तब बुआ का पानी छूट गया होगा। पैंटी मेरे हाथ में देख कर बुआ थोड़ा मुस्कराई और फिर उंगली से मेरी तरफ नीचे की ओर इशारा किया। जब मैंने नीचे की ओर अपने गीले जांघिये को देखा तो मैं भी अपनी मुस्कराहट रोक नहीं सका। उसके बाद मैंने भी अपना जांघिया उतार कर बुआ की पैंटी से मधुर मिलन के लिए उसके ऊपर ही रख कर अपने लौड़े को धोने लगा।

बुआ उसी तरह बिना कपड़ों के रसोई में चाय बनाने चली गई और मैं साफ़ जांघिया पहन कर टीवी देखने के लिए बैठक में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद नंगी बुआ चाय लेकर आई और उसे मेज़ पर रख कर बैडरूम में जा कर नाइटी पहन कर वापिस बैठक में मेरे पास आ कर बैठ गई। जब हम चाय पीते हुए बातें कर रहे थे तब मैंने बुआ से पूछा कि वह कपड़े उतार कर मेरे साथ क्यों सोई थी, तो उन्होंने बताया कि बिजली चली गई थी और उन्हें बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए कपड़े उतार दिए थे। जब बिजली आई तो बैडरूम में चल रहे पंखे के नीचे अपना पसीना सुखाने के लिए मेरे पास लेट गई और वहीं उसकी आँख लग गई। जब मैंने बुआ से रात के बारे में कुछ बात करने की चेष्टा की तो उन्होंने डांट दिया कि मैं चुपचाप जा कर पढूं !

मैंने हताश होकर चाय पी और अपनी मेज़ पर जाकर पढ़ने बैठ गया। रात साढ़े नौ बजे बुआ मेरे पास आई और प्यार से मेरे बालों में हाथ फेरती हुई मुझे खाना खाने के लिए कहा। तब मैंने किताबें बंद कर उसके साथ रसोई में जाकर खाना खाया और फिर उसी तरह सिर्फ जांघिया पहने हुए बैड पर जा कर लेट गया !

करीब आधे घंटे के बाद बुआ रसोई का काम समाप्त करके कमरे में आई और मेरे पास लेट गई। जब मैं कुछ देर तक आँखें बंद किए लेटा रहा तो बुआ से रहा नहीं गया और उसने मेरी ओर करवट लेकर मुझे अपने साथ चिपका लिया। उनकी ठोस चूचियाँ मेरे बदन में चुभ रही थी और उसकी जाँघों की गर्माहट मेरी टांगों को जला रही थी। इस हालत में मेरा लौड़ा क़ुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया और जांघिये का तम्बू बना दिया। मैं अभी उस खड़े लौड़े को छुपाने या बिठाने का सोच ही रहा था कि बुआ ने मेरे जांघिये को नीचे सरका कर उस हिलती मीनार को हवा में लहराने के लिए आज़ाद कर दिया।

बुआ के ऐसा करने से मुझे उनकी इच्छा का संकेत मिल गया और मैंने भी उनकी ओर करवट लेकर उनकी नाइटी ऊपर करी और उनकी चूचियों पर टूट पड़ा। तब बुआ भी मेरे लौड़े को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी और उसके ऊपर की त्वचा को पीछे खींच कर सुपारे को बाहर निकाल दिया। बुआ की इस हरकत के कारण मेरे लौड़ा तन कर लोहे की रॉड जैसा हो गया, तब बुआ उठ बैठी और झुक कर उन्होंने मेरे लौड़े को बहुत गौर से देखा और अपने हाथ से उसकी मोटाई और लम्बाई को नापने की कोशिश करने लगी। उन्होंने कहा कि यह तो बहुत पतला और छोटा सा होता था, लेकिन अब तो यह काफी मोटा भी हो गया था और मुझसे उसकी लम्बाई तथा मोटाई के बारे में पूछा !

जब मैंने उन्हें बताया कि मेरा लौड़ा साढ़े सात इंच लंबा और दो इंच मोटा है तब उन्होंने आकस्मात ही झुक कर मेरे लौड़े के सुपारे को चूम लिया ! फिर बुआ ने मेरी टांगों को चौड़ा कर मेरे टट्टों को पकड़ लिया और मेरी ओर देखते हुए मुस्करा कर कहा- ये भी काफी बड़े हैं, लगता है कि इनमें काफी रस होगा !

बुआ का इस तरह मेरे लौड़े और टट्टों को पकड़ कर उनकी तारीफ़ करना सुन कर मुझे बुआ की कल वाली आँखों की चमक का मतलब कुछ कुछ समझ आ गया और उ्नकी आगे क्या करने की मंशा है इसका भी कुछ कुछ अंदेशा हो गया। तब मैंने बुआ से नाइटी उतारने को कहा तो उन्होंने झट से जवाब दिया कि उन्होंने तो मुझे उतारने के लिए कभी मना ही नहीं किया। बुआ की यह बात सुन कर मैंने आगे बढ़ कर उनकी नाइटी ऊँची करके उतार दी। बुआ ने ब्रा एवं पैंटी नहीं पहनी हुई थी इसलिए नाइटी उतारते ही वे मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो गई थी !

फिर मैंने झुक कर बुआ के माथे, आँख॥न, नाक, कान, गालों को चूमा और अपने होंठ उनके होंटों पर रख दिए !

बुआ ने भी मेरी इस हरकत का जवाब दिया और मेरी चुम्बन को स्वीकार किया और मेरे होंटों को कस कर चूम लिया तथा मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया। उनकी चूचियों को पकड़े पकड़े ही मैंने उनकी ठोड़ी, गर्दन तथा वक्ष को चूमा और फिर उनकी चूचियों के चुचुकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

मेरा ऐसे करने पर बुआ बेड पर लेट गई और धीमी आवाज़ में आह… आह… करने लगी और अपने पेड़ू के बालों में उँगलियाँ फेरने लगी। लगभग पांच मिनट के बाद मैंने बुआ के पेट और कमर को चूमा और उनकी नाभि में अपनी जीभ घुमाई जिससे बुआ को गुदगुदी हुई और वह हँसने लगी। अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए मैं आगे बढ़ा और बुआ की झांटों के बालों को चूमता हुआ उसकी जाँघों के अंदर की ओर से चूमा और बुआ की टांगों को चौड़ा करके उनकी चूत की फांकों को चूमने लगा।

चूत पर मेरे होंठ लगते ही बुआ सिहर उठी और उनकी चूत फूलने लगी तथा उसकी फांकें फूल की पत्तियों की तरह खुल गई और उसका भग-शिश्न मेरे होंटों को छूने लगा। मैंने उस भग-शिश्न को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया तब बुआ ने काफी ऊंचे स्वर में आह… आह… की आवाजें निकालने लगी तथा देखते ही देखते वह अकड़ गई और उसकी चूत ने थोड़ा सा पानी निकाला।

मैंने उस पानी को चखा तो मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा, तब मैंने उसके भग-शिश्न पर थोड़ी जोर से जीभ से सहलाया तो बुआ ने फिर ऊँचे स्वर में आआह्ह्ह्ह… की और मेरी प्यास बुझाने के लिए चूत ने फिर पानी की धारा छोड़ दी! इसके बाद जैसे ही मैं अलग हुआ तब बुआ ने मुझे पकड़ लिया और कहा कि अब मुझे उनकी प्यास भी बुझानी चाहिए !

मेरे पूछने पर कि कैसे तो उसने कहा वह उस समय वह बहुत गर्म थी और उसे ठंडा करने के लिए जैसे वह कहती है मैं वैसे ही करूँ! मैंने अनुमान लगा लिया कि अब वह भी वही चाहती थी जो मैं चाहता था, इसलिए मैं तुरंत तैयार हो गया।

बुआ ने मुझे खड़ा करके खुद नीचे बैठ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। चूसते चूसते उन्होंने मेरा पूरा लौड़े को अपने मुँह के अंदर गले तक उतार लिया और अपने सिर को आगे पीछे करना शुरू कर मुँह की चुदाई करने लगी। मुझे उनका ऐसा करना बहुत अच्छा लगा, इससे मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मेरे लौड़े में से रस की धारें निकली और बुआ के गले में उतरने लगी ! छह में से पांच धारें तो बुआ के गले में उतर गई लेकिन आखिरी धार बाहर उसके मुँह और बदन पर गिरी।

बुआ ने उस बिखरे हुए रस को हाथ से अपने चेहरे, वक्ष और चूचियों पर मल लिया। इसके बाद बुआ बेड पर लेट गई और टाँगें चौड़ी करके मुझे बीच में बिठा लिया और मेरे लौड़े को मसलने लगी। लगभग बीस मिनट तक मसलने के बाद जैसे ही मेरा लौड़ा तना, उन्होंने उसे पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और मुझे धक्का मारने को कहा।

मैंने जैसे ही धक्का लगाया लौड़ा अंदर न जाकर एक तरफ़ को फिसल गया, तब बुआ ने कहा कि मेरा लौड़ा मोटा है और क्योंकि आज तक उसकी चुदाई नहीं हुई इसलिए उसकी कुवारीं चूत बिल्कुल सिकुड़ी हुई है और लौड़े को अंदर जाने का रास्ता नहीं दे रही !

फिर बुआ ने अपनी टांगों को और चौड़ा किया जिससे उनकी चूत का मुँह और खुल जाए और उन्होंने एक बार फिर मेरे लौड़े को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर मुझे फिर से धक्का देने को कहा।

मैंने जैसे ही धक्का दिया तो मेरे लौड़े का सुपारा बुआ की चूत के अंदर चला गया और इस के साथ ही बुआ बहुत ही जोर से चिल्लाई हाआ आआआ आईईई… मार डाला ! और जोर जोर से चिल्लाने लगी!वह बार बार मुझे कहने लगी कि मैंने तो उसकी चूत ज़रूर फाड़ दी होगी। मैं थोड़ी देर तक बुआ के सामान्य होने का इंतजार किया और फिर इससे पहले बुआ मुझे कुछ कहे, मैंने एक और धक्का लगाया तथा आधा लौड़ा उनकी चूत के अंदर कर दिया।

बुआ एक बार फिर बहुत ही जोर से चिल्लाई हाआ आआआ आई ईई….. मर गई, अबे क्या अपना लौड़ा घुसेड़ रहा है या कोई मूसल घुसा रहा है?

बुआ दर्द के मारे तड़पने लगी और जोर जोर से रोने लगी तथा मुझे गालियाँ भी देने लगी। उसे चुप कराने के लिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगा ! तभी मुझे अपने लौड़े पर गीलापन महसूस हुआ और जब मैंने हाथ लगा कर देखा तो मुझे अपने हाथ पर खून लगा नज़र आया, तभी मैं समझ गया कि आज बुआ की मुनिया का सील-तोड़ उदघाटन हो गया था!

कुछ देर के बाद जब बुआ शांत हो गई तब मैंने लौड़े को चूत के अन्दर करने के लिए आहिस्ता आहिस्ता जोर लगाया लेकिन मेरा लौड़ा बिल्कुल ही नहीं सरका। तब मुझसे और नहीं रुका गया और मैंने एक जोर का धक्का लगा कर पूरा का पूरा लौड़ा चूत के अन्दर जड़ तक घुसेड़ दिया !

इस बार बुआ तिलमिला कर बहुत ही जोर से चिल्लाई हाह आह आआ आआई ईई… मार डाला, उई ईईई ईईईइ… माँआआ… मर गई ! बुआ दर्द से तड़पने लगी और फिर से रोने लगी और उनके आंसू आँखों से बह कर उसके गालों को धोने लगे।कुछ देर के लिए मैं फिर उनके ऊपर लेट गया और वह सुबकते सुबकते बड़बड़ाती रही कि आज तो तूने मेरी चूत का सत्यानास कर दिया होगा, उसे फाड़ कर उसके चीथड़े कर दिए होंगे!

मैं आँखें बंद किये चुपचाप बुआ के ऊपर लेटा रहा और उनके दर्द के कम होने की इंतज़ार करने लगा। पांच मिनट के बाद पूछने पर उन्होंने कहा कि अब वे ठीक हैं और उन्हें दर्द भी नहीं है तथा अब मैं उसे जम के चोद सकता हूँ तब मैंने धक्के मारने शुरू कर दिये। पहले धीरे धीरे धक्के दिए, फिर तेज़ी से धक्के दिए और उसके पांच मिनट के बाद तो बहुत ही तेज़ी से झटके दिए। इस दौरान बुआ हर दो से तीन मिनट के बाद इधर अकड़ कर आआह्ह्ह्ह… आआह्ह्ह्ह… हाआ आआ ईई… हा आआह आआईईई…. उई ईईइ…उईइ….की आवाजें निकालती और उधर उनकी चूत भी पानी छोड़ देती।

जब बुआ की चूत में पाँचवी बार अंदरूनी खिंचावट शुरू होने वाली थी, तब उन्होंने मुझे कहा कि मैं बहुत ही जोर से धक्के मारूँ ! तब मैंने सुपारे को अंदर ही छोड़ते हुए बाकी के लौड़े को बाहर निकल कर बहुत तेज़ी से जोरदार धक्के देने लगा और लौड़े को चूत के इतना अंदर तक डाला कि उसका सुपारा बच्चेदानी के अन्दर घुस गया। मेरे सातवें धक्के पर बुआ बहुत ही जोर से चिल्लाई और अकड़ गई, उनकी चूत सिकुड़ गई और मेरा लौड़ा उनकी बच्चेदानी में फंस गया !

मैं लौड़े को बाहर नहीं खींच पाया, तभी मेरे लौड़े में भी हलचल हुई और उसमें से ज़बरदस्त पिचकारी छूटी तथा छह बार तेज धारें निकली और मैंने बुआ के साथ उसकी चूत के अंदर भी होली खेल ली !

लौड़े में से इतना रस निकला की बुआ की चूत पूरी तरह भर गई तथा वह चूत में से बाहर भी निकलने लगा ! कुछ देर के बाद बुआ की चूत जैसे ही ढीली हुई, मेरा लौड़ा उस में से बाहर निकल आया।

मैं बहुत थक गया था इसलिए मैं उसी तरह बुआ के उपर ही लुढ़क गया। दस मिनट तक हम वैसे ही लेटे रहे और उसके बाद जब बुआ उठी तथा चादर पर खून को देखा तो झट से अपनी चूत पर हाथ लगा कर देखने लगी। जब उन्होंने अपने हाथ पर भी खून देखा तो बदहवास हो गई और मुझे कोसते हुए बोली- देख तेरे इस मूसल ने मेरी चूत का क्या हाल कर दिया है, इसे फाड़ कर इसके चीथड़े कर दिये हैं ! इतना खून बह रहा है अब अगर यह बंद नहीं हुआ तो क्या करुँगी, कैसे बंद करूँ इसे?

तब मैंने बुआ को समझाया- यह तो बस थोड़ी देर में ही बंद हो जायेगा इसके लिए आप बाथरूम में जाकर चूत को ठण्डे पानी से अच्छी तरह धो लो !

जब बुआ मेरी बात नहीं मानी तो मैं उन्हें गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया और उनकी चूत को मल मल कर ठण्डे पानी से धोया और बीच बीच में प्यार से चाट भी लिया !

कुछ देर के बाद जब बुआ ने बार बार हाथ लगा कर तसल्ली कर ली कि चूत से खून नहीं निकल रहा तब वह बाथरूम से बाहर आई और मुझे तथा मेरे लौड़े को कस कर चूमा और मुझसे बोली- तुमने मेरे जीवन की पहली चुदाई में ही मुझे बहुत ही आनन्द और संतुष्टि दी है ! मेरे मन को इस बात की जीवन भर तसल्ली रहेगी कि मेरी चूत मेरे भतीजे ने ही फाड़ी है किसी बाहर वाले गैर ने नहीं ! इसके बाद मैंने और बुआ ने बिस्तर की चादर बदली, बुआ ने नाइटी तथा मैंने लुंगी पहनी और हम एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

रात को दो बजे मैं गहरी नींद में था जब मैंने अपने बदन में हलचल को महसूस किया और पाया कि बुआ का एक हाथ मेरे सीने पर था और उनका दूसरा हाथ मेरी लुंगी से बाहर निकाले हुए लौड़े पर था तथा वे मेरे लौड़े को मसल व हिला रही थी। देखते ही देखते मेरा लौड़ा तन गया तब बुआ उठी और पलटी होकर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी तथा अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी। मुझ से भी रहा नहीं गया और मैं भी उनकी चूत को चूसने लगा।

लगभग दस मिनट के बाद जब मेरा लौड़ा लोहे की रॉड जैसा हो गया तब बुआ मुझ से अलग होकर उठी और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे तने हुए लौड़े को अपनी रस भरी चूत में डाल कर उछल उछल कर चुदाई करने लगी। मैं भी उसी जोश से नीचे से उछल कर धक्के लगाने लगा।

बीस मिनट के बाद बुआ और मैं दोनों चिल्ला उठे और हमने एक साथ अपना अपना रस छोड़ दिया !

बुआ निढाल हो कर मेरे ऊपर लेट गई और मेरा लौड़ा उनकी चूत में फंसा ही रह गया, हम दोनों इसी हालत में सोते रहे।

सुबह पांच बजे जब मेरी नींद खुली और बुआ को अपने ऊपर लेटे हुए पाया तो मेरे लौड़े ने बुआ की चूत के अंदर ही हरकत शुरू कर दी और वह तन गया। मुझे जोश चढ़ गया और मैं बुआ की चूचियाँ आहिस्ते से दबाने लगा, चूचुकों को उँगलियों से मसलने लगा।मेरी इस हरकत से बुआ की नींद खुल गई और उनकी चूत में भी कंपन शुरू हो गया। उन्होंने मेरे होंटों पर अपने होंट रख दिए और मुझे चूमने लगी, मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी।

मैंने भी उसी तरह उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और घुमा कर चूमने लगा! मेरे द्वारा उनके चूचुक को उँगलियों से मसलने और चूमने से बुआ को भी जोश आ गया और अंत में उन्होंने मुझसे पूछ ही लिया कि क्या मेरा मन भी उसकी चुदाई करने का है तो मैंने झट हाँ कह दी।

बुआ खुश हो गई और तुरंत अपने को अलग कर के नीचे लेट गई और मुझे ऊपर चढ़ कर तेज़ी से चोदने को कहने लगी। जब मैं उनके ऊपर आया तब उन्होंने अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और धक्का देने को कहा।

मैंने जोश में आकर जोर का धक्का लगा दिया और पूरा लौड़ा एक ही झटके में बुआ की चूत में घुसेड दिया।

बुआ चिल्ला उठी, लेकिन इससे पहले वे कुछ कहें, मैं तेज धक्के लगाने लगा। बुआ की चूत तेज़ी से सिकुड़ने और मेरे लौड़े को जकड़ने लगी, जिससे मेरे लौड़े पर जबरदस्त रगड़ लगने लगी और दस मिनट में ही बुआ ने शोर मचाते हुए अपना पानी छोड़ दिया !

मैं उनकी चुदाई उसी जोश से करता रहा और हर पांच मिनट के बाद बुआ का पानी निकालता रहा !

जब वे चौथी बार झड़ी तो बहुत ही जोर से चिल्ला कर अकड़ गई और उनकी चूत ने मेरे लौड़े को अंदर से तथा उसकी बाजुओं और टांगों ने मुझे बाहर से जकड़ लिया !

तब मेरे लौड़े में भी झनझनाहट हुई और मैंने बुआ की चूत के अंदर ही अपनी पिचकारी चला दी और उसे अपने रस से भर दिया ! अचानक ही उसकी की चूत भी बहुत जोर से सिकुड़ने लगी और मेरे लौड़े को निचोड़ कर उसका रस निगलने लगी !

लगभग पांच मिनट के बाद बुआ को जैसे राहत आई तब उन्होंने तथा उनकी चूत ने मुझे अपनी जकड़न से राहत दी और मैं सांस ले सका !

बुआ से अलग होने के लिए मुझे अपने लौड़े को खींच के बाहर निकलना पड़ा, उनकी चूत तो जैसे मेरे लौड़े को छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। अलग होने पर बुआ ने उठ कर मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूस व चाट चाट कर साफ कर दिया।

बुआ ने मुझे और लौड़े को कस के चूमा और एक बार फिर मुझे बताया कि उसकी जीवन की सब से अच्छी चुदाई आज ही दो बार हुई थी। उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की कि अब से जब भी मैं उसकी चुदाई करूँ तो उनको इसी तरह ही चोदूं और उन्होंने मेरे सारे बदन को चूम चूम कर गीला कर दिया !

पहले मैं बिस्तर से उठा और बुआ को गोदी में उठाया तथा बाथरूम में ले जाकर उनकी झाँघों, टांगों व चूत को रगड़ रगड़ कर साफ़ किया और उंगली मार कर चूत के अंदर से रस को भी निकाल दिया ताकि वह गर्भवती न हो जायें !

फिर बेडरूम में आकर बुआ के साथ मिल कर बिस्तर की चादर बदली और एक बार फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर, लौड़े को बुआ की चूत के बालों में छुपा कर और उनके मम्मों को अपनी छाती से चिपका कर लेट गए और सुबह होने का इंतज़ार करने लगे !

इस तरह मेरा और बुआ की चुदाई का प्रसंग शुरू हुआ और आज चार महीनों के बाद भी लगातार चल रहा है। हम सप्ताह के छह दिनों को तो रात को सोने से पहले और सुबह जागने के बाद ज़रूर चुदाई करते हैं लेकिन रविवार को तो हम दोपहर को भी चुदाई कर लेते हैं !मुझे और बुआ को उसकी माहवारी के दिनों में चुदाई न कर पाना बहुत ही अखरता था, लेकिन पिछले माह जब माहवारी के दिनों में भी मैंने कंडोम चढ़ा कर बुआ की चुदाई की तो वे बहुत ही खुश हुई !

अब तो महीने के हर दिन हम इस क्रिया का आनन्द लेते हैं और अपनी कामवासना को संतुष्ट करते हैं !

वे कहीं गर्भवती न हो जाएँ, इसके लिए बुआ अब नियमत रूप से गर्भ निरोधक गोलियाँ माला-डी खाती हैं और रोजाना मुझे से चुदती हैं।

अन्तर्वासना के पाठकों और प्रशंसकों से मेरा निवेदन है कि अमित कुमार के इस पहले प्रयास को पढ़ कर आप अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर भेजें और उनको प्रोत्साहन देकर उनका मनोबल बढ़ाएँ ताकि वह भविष्य में इससे भी अच्छी रचना आपके सामने पेश करे !

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