किरायेदार-6

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लेखिका : उषा मस्तानी

दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। सुरेखा नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी।

सुरेखा अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने सुरेखा को अभी तक नहीं बताया था कि मैं रोज़ उसे नहाते हुए देखता हूँ। उसको नहाते हुए देखने का अलग मज़ा था।

थोड़ी देर में सुरेखा नंगी होने लगी। आज उसने अपनी पैंटी भी पहले ही उतार दी थी। नंगी होकर सुरेखा नहाने लगी, रोज़ की तरह चूचियाँ हिल रही थीं, जाँघों पर साबुन लगते समय चूत पूरी चमक रही थी।

नहाने के बाद सुरेखा अपने कमरे में चली गई।

आठ बजे रोज़ की तरह नाश्ता लेकर मुझसे मिलने आई और मेरी बाँहों में चिपक गई। मैंने उसका एक चुम्बन ले लिया।

सुरेखा बोली- अरुण 2-10 की शिफ्ट में हैं, 15 दिन ये रात को 1 बजे आएँगे। रात में आपसे बातें करुँगी इतना कहकर वो चली गई।

रात को 10 बजे खाना खिलाने के बाद सुरेखा मेरे पास आकर बैठ गई, उसने बिना ब्रा-पैंटी के मैक्सी पहन रखी थी। मैंने उसे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी मैक्सी के सारे बटनों को खोलकर मैं उसकी चूचियाँ सहलाने लगा।

सुरेखा बोली- चूत में खुजली बढ़ गई है।

मैंने उसके होंटों पे होंट लगाते हुए कहा- खुजली तो बढ़ेगी ही ! दवा तो तुम्हारी मेरे पास रखी है।

मैंने पलंग के नीचे से दवा निकाल ली और बोला- अपनी चूत रानी को खोलो, क्रीम लगा देता हूँ।

उसने अपनी मैक्सी उतार दी, अब वो पूरी नंगी थी और जाँघों को चौड़ा करके मेरी गोद में बैठ गई, मैं अपनी उंगली से उसकी चूत में क्रीम की मालिश करने लगा।

सुरेखा बोली- मामाजी के घर में खुजली कम हो गई थी लेकिन कल रात को ये चढ़ गए और चोदने लगे। 20 दिन से नहीं नहाए हैं, कुछ कहती हूँ तो मारने लगते हैं। मेरे पीछे सस्ती रंडी भी चोद आते हैं, बड़ी दुखी हूँ, बहुत गंदे रहते हैं।

सुरेखा अपनी कहानी बताने लगी, बोली- मैंने घर से भाग कर शादी की थी, तब मैं 21 साल की थी। पापा की पोस्टिंग अहमदनगर में थी। अरुण अहमदनगर में मेरे पड़ोस में किराए पर रहने वाली आंटी के भांजे थे, इनसे दो साल से मेरे सम्बन्ध चल रहे थे। इन्होंने मुझे ये बता रखा था कि ये एक कम्पनी में मैनेजर हैं। हर शनिवार और रविवार को आंटी के घर आते थे। पापा ने अपने एक दोस्त के बेटे से मेरी शादी तय कर दी थी, तुम्हारी तरह बहुत सुंदर और एम बी ए लड़का था, मुझे भी पसंद था। लेकिन मैंने अरुण के साथ सेक्स कर लिया था। मेरे मन में यह बात बैठी हुई थी कि जिसके साथ सेक्स कर लो, वो ही पति होता है। पापा मम्मी राजी नहीं थे, मैं इनके साथ भाग गई और इनसे शादी कर ली, माँ बाप ने नाता तोड़ लिया। मुझे धीरे धीरे इनकी असलियत पता लगने लगी ये दसवीं फ़ेल थे और बहुत दारु पीते थे। जिस कम्पनी में मुझे ये मैनेजर बताते थे, उसमें ये मजदूर थे। अब मैं क्या कर सकती थी। मैं बी लिब पास हूँ।

उसकी आँखों से आंसू आ गए थे।

” अगर मेरी शादी माँ बाप की पसंद से हो जाती तो मैं आज शायद बहुत खुश होती।”

मैंने उस लड़के का नाम पूछा लेकिन सुरेखा ने मुझे नाम नहीं बताया। सुरेखा की आँखों से आंसू बहने लगे।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके आँसू पोंछे और होटों से होंट चिपका कर एक गहरा चुम्बन लिया। सुरेखा ने मेरे हाथ अपने स्तनों पर रख लिए और मेरे हाथ के ऊपर अपने हाथ रख दिए 10 मिनट तक हम एक दूसरे की आँखों में देखते हुए ऐसे ही लेटे रहे, इसके बाद सुरेखा ने मेरी उंगली अपनी चूत में घुसवा ली और बोली- मालिश करिए ना ! आपसे मालिश करवाना अच्छा लगता है।

11 बज़ गए थे, सुरेखा ने मेरा पजामा खोल कर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे हाथ उसकी चूत और जाँघों पर चल रहे थे। सुरेखा पूरे मन से लोड़ा चूस रही थी। थोड़ी देर बाद उसे उठाकर मैंने बिस्तर पर लेटा दिया नंगी सुरेखा किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी, उसकी चूचियाँ दबाते हुए लंड चूचियों के बीच घुसा दिया थोड़ी देर की, इस चुदाई के बाद ढेर सा वीर्य उसके बदन पर गिर गया था।

5 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे उसके बाद उसने उठकर अपना बदन साफ़ किया और मुझसे चिपक कर एक पप्पी ली और अपनी मैक्सी पहन कर अपने कमरे में चली गई।

अगले दिन शाम को भाभी और मैं गप्पें मार रहे थे, रजनी संतरे लेकर अंदर आई और मेरे पास बैठ गई।

भाभी बोलीं- रजनी, राकेश जी का संतरे खाने का मन कर रहा है।

रजनी बोली- शादी कर लें, बीवी रोज़ संतरे खिलाएगी।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं बोला- आपके पास इतने अच्छे संतरे हैं, दो मुझे भी खिला दो।

भाभी मुस्कराते हुए बोली- खिला दे ! ये तुझे बदले में केला खिला देंगे।

रजनी एकदम से गरम हो गई और बोली- भाभी, मुझे ये सब बिल्कुल नहीं पसंद है आप सबके सामने एसा मजाक मत करा करो।

मुझे लगा रजनी पर लाइन मारना ठीक नहीं है। रजनी वहाँ से चली गई।

भाभी झेंपते हुए बोलीं- सुरेखा तो इस से भी तेज है, एक बार पिछले किराएदार ने उसके चूतडों पर अकेले में हाथ फेर दिया था तो सुरेखा ने दो थप्पड़ जड़ दिए थे। मैंने छुपकर यह देख लिया था किसी को बताना नहीं।

मैं सोच में पड़ गया कि अगर सुरेखा इतनी तेज है तो मेरे से उसने इतने आराम से कैसे संबंध बना लिए।

थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से उठकर चला आया। हमारे और रजनी के बीच नमस्ते होती रही लेकिन कभी ज्यादा बात नहीं हुई।

रोज़ रात को 10-11 बजे सुरेखा मेरे कमरे में आ जाती और पूरी नंगी होकर मेरी गोद में बैठ जाती। मुझसे अपनी चूत में क्रीम लगवाती और जाने से पहले मेरा लोड़ा कम से कम एक बार जरूर चूसती। मेरी रातें सुरेखा के साथ मजेदार कट रही थीं। 10 दिन में उसकी खुजली गायब हो गई थी। इस बीच मैंने उसकी चूत में लोड़ा एक भी दिन नहीं डाला था। सुरेखा ने मुझसे बहुत कहा था कि मैं उसकी चूत चोदूँ, उसके पति तो हर दूसरे दिन उसे चोद ही रहे थे लेकिन मैंने एसा नहीं किया।

शनिवार को मैंने वादा किया कि सोमवार को उसकी चूत चोदूंगा।

सोमवार से उसके पति की रात की 10-6 शिफ्ट आ गई थी। रात की शिफ्ट में 8 बजे वो जाते थे और सुबह 8 बजे आते थे।

मैं सोमवार रात को 10 बजे आया, सुरेखा और दिन की तरह 11 बजे आकर मेरी गोद में नंगी बैठ गई और मुझसे चिपकते हुए बोली- आज तो चोदोगे न?

कहानी जारी रहेगी।

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