किरायेदार-5

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लेखिका : उषा मस्तानी

सपना ने मुझे आवाज़ लगाई- राकेश, कॉफी पिओगे?

मैंने हाँ कर दी।

दस मिनट बाद मैं नीचे कॉफी पीने आ गया, भाभी अकेली थीं, उन्होंने बताया कि बच्चों की कल छुट्टी है, भाईसाहब उन्हें पनवल बुआ के यहाँ ले गए हैं, कल रात को वापस आ जाएँगे।

कॉफी पीने के बाद भाभी ने टीवी चला दिया टीवी पर मूवी आ रही थी, बोली यहीं पलंग पर बैठो, बातें करते हुए देखेंगे।

भाभी सट कर बैठ गईं और मेरा हाथ पकड़ लिया। भाभी ने बातों बातों में बताया- शनिवार और इतवार की रात को होटल में देर तक पार्टी होती है इसलिए रजनी रात को होटल में ही रुकती है।

हम दोनों एक दूसरे को नॉन वेज चुटकले सुनाने लगे, बातें करते करते मेरे हाथ भाभी के ब्लाउज में घुस गए और मैं उनकी चूचियाँ दबाते हुए मूवी का मज़ा लेने लगा। भाभी भी मेरा लोड़ा सहला रही थीं।

थोड़ी देर बाद भाभी उठीं और उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी, अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थीं, मेरे को आँख मारते हुए बोलीं- दूध पीना है क्या?

मैं बोला- पिला दो !

उन्होंने अपना ब्लाउज उतार दिया, नंगी चूचियाँ बाहर आ गईं। भाभी की बड़ी बड़ी चूचियाँ मुझे चोदने के लिए उकसाने लगीं। भाभी ने एक अंगड़ाई लेते हुए अपनी दोनों चूचियाँ हिलाईं और आँख मारते हुए मुझसे बोलीं- कैसी लगीं?

मैंने कहा- भाभी, अब जल्दी से दूध पिलाओ, अब नहीं रहा जा रहा है।

भाभी आकर पलंग पर बैठ गईं, मैंने अपना मुँह उनकी निप्पल पर लगा दिया और चूसने लगा, मैंने दोनों निप्पल चूस चूस कर नुकीली कर दीं। उसके बाद उन्होंने मेरा पजामा खोल दिया और उसे उतरवा दिया, मेरा लोड़ा अब उनके हाथों में आ गया था।

मेरे लोड़े को सहलाते हुए बोली- आह, कितना साफ़ सुथरा लंड है।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना कुरता भी उतार दिया और उन्हें लेटा कर उनके स्तन दबाते हुए होंट चूसने लगा। भाभी भी मुझसे चिपक कर मेरे होंट चूसने लगीं। हम दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में घुसी हुईं थीं।

भाभी ने मुझे हटाया और अपना पेटीकोट उतार दिया, दूधिया रोशनी में उनकी गोरी गोरी मासल जाँघों के बीच में उनकी साफ़ सुथरी चूत चमक रही थी।

मेरे लोड़े को सहलाते हुए बोली- आह, उइ ! चूसने का मन कर रहा है।

मैं उनकी चूचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए बोला- भाभी चूसो न !

सपना भाभी ने मेरे सुपाड़े पर जीभ फिराई, लोड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगीं, मुझसे बोलीं- मेरी चूत भी चूसो न !

मैं अब 69 में लेट गया। सच, साफ़ सुथरा बदन हो तो सेक्स का मज़ा दुगना हो जाता है, भाभी की चूत चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।5 मिनट बाद भाभी हट गईं और दीवार से टिककर उन्होंने अपनी जांघें चौड़ी कर लीं और बोली- चोदो राकेश चोदो ! अब नहीं रहा जा रहा, आह तुमसे चुदने में मज़ा आ जाएगा।

भाभी की चिकनी चूत पर मैंने अपना लोड़ा लगा दिया, भाभी ने मुझे अपने में भींच लिया, मेरा लोड़ा उनकी चूत में अंदर तक घुस चुका था, मुँह एक दूसरे के मुँह में घुसा हुआ था, चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थी और चूत मेरे लंड के झटके खा रही थी।

10 मिनट तक हमने जन्नत का मज़ा लिया। इसके बाद मेरा वीर्य भाभी की चूत में छूट गया। हम लोग 10 मिनट तक ऐसे ही चिपके रहे। भाभी ने उठकर तौलिये से मेरा लोड़ा साफ़ किया और हम बातें करने लगे।

12 बजे करीब मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया। सपना देखने में काली थी लेकिन चुदने में उसने सुरेखा से ज्यादा मज़ा दिया था। मुझे किरायेदार बनकर बड़ा मज़ा आ रहा था, दो दो औरतों की चूत मैं फतह कर चुका था।

सुरेखा घर पर नहीं थी, रविवार को मैं और सपना भाभी साथ साथ नीचे भाभी के बाथरूम में नहाने चले गए। भाभी का बाथरूम अच्छा बड़ा था, भाभी ने पहले मुझे नंगा कराया और मेरे हाथ पीछे करके नल से बाँध दिए। इसके बाद उन्होंने अपने कपड़े एक एक करके उतार दिए और मेरे सारे बदन पर अच्छी तरह से साबुन लगाने लगी, मेरे लोड़े को मुँह में ले लिया और शावर चला दिया। मेरा बड़ा मन कर रहा था कि भाभी की जवानी से खेलूं, लेकिन मैं मजबूर था, उह आह की आवाजें मेरे मुँह से निकल रहीं थीं। मेरा लोड़ा गरम हो रहा था।

भाभी ने अपने हाथों से पकड़ कर उसे चूचियों के ऊपर फिराया। मेरा रस जब निकलने को हो रहा था, भाभी हट गईं एक तेज धार मेरे वीर्य की निकली जो उनकी चूचियों पर जाकर गिरी।

इसके बाद भाभी ने मुझे खोल दिया अब मेरी बारी थी।

मैंने उनके हाथ अपनी तरह से नल से बाँध दिए और उनकी चूचियाँ कस कस कर दबाने लगा शावर खोलकर उनकी निप्पल नोच नोच कर कड़ी कर दीं और उनकी चूत के दाने को अपनी उँगलियों से रगड़ने लगा।

भाभी की सिसकारियाँ गूंजने लगीं, चूत से पानी बहने लगा।

10 मिनट बाद उन्हें मैंने खोल दिया हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए। मेरा लोड़ा उनकी चूत में घुस गया। 5 मिनट एक दूसरे से चिपक कर चुदाई का खेल खेलते हुए हम नहाए, उसके बाद अलग हो गए, कपड़े पहन कर भाभी और मैं 1 से 4 मूवी देखने बाहर चले गए।

रात को भाईसाहब और बच्चे आ गए। मैं 10 बजे सो गया, एक अच्छे रविवार का अंत हो गया।

अगले दिन सुबह बाहर कुछ खट पट हुई तो मुझे लगा सुरेखा आ गई है। मैंने झांककर देखा तो सुरेखा का पति अरुण था, बाहर निकल कर मैंने हाल चाल पूछे। अरुण के बदन से गन्दी बदबू आ रही थी और मुँह से दारु की दुर्गन्ध आ रही थी।

मुझे सुरेखा की किस्मत पर दुःख हुआ।

अरुण ने बताया- सुरेखा दो दिन बाद आएगी।

दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। सुरेखा नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी।

सुरेखा अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने सुरेखा को अभी तक नहीं बताया था कि मैं रोज़ उसे नहाते हुए देखता हूँ। उसको नहाते हुए देखने का अलग मज़ा था।

थोड़ी देर में सुरेखा नंगी होने लगी। आज उसने अपनी पैंटी भी पहले ही उतार दी थी। नंगी होकर सुरेखा नहाने लगी, रोज़ की तरह चूचियाँ हिल रही थीं, जाँघों पर साबुन लगते समय चूत पूरी चमक रही थी।

नहाने के बाद सुरेखा अपने कमरे में चली गई।

आठ बजे रोज़ की तरह नाश्ता लेकर मुझसे मिलने आई…

कहानी जारी रहेगी।

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