स्पोकन इंग्लिश-1

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मेरा नाम तुषार है। मैं सूरत का रहने वाला हूँ।, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, अन्तर्वासना की हर कहानी मैंने पढ़ी है।

अब मैं अपनी एक सच्ची कहानी आपके सामने रखने जा रहा हूँ।

बात उस समय की है जब पढ़ाई ख़त्म करके मैंने अपना बिज़नेस शुरू किया। मेरी इंग्लिश थोड़ी कमजोर थी तो मैंने स्पोकन इंग्लिश की क्लास शुरू की।

मेरे क्लास में एक मान्या नामकी लड़की से परिचय हुआ। मैं उसे पहली ही नजर में ही अपना दिल दे बैठा था पर उसको कहने से डर रहा था क्योंकि अगर उसे मेरी बात पसंद नहीं आई और मुझसे दोस्ती का भी रिश्ता नहीं रखा तो?

वो हमेशा मेरे साथ ही बैठती थी। एक दिन क्लास से छूट कर मैंने उसे उसके घर तक छोड़ देने को कहा तो उसने तुरंत हाँ कर दी। और मैंने उसे उसके घरके पास छोड़ दिया। उसके बाद यह सिलसिला हर रोज का होगया और हमारी दोस्ती और नजदीकियाँ बढ़ने लगी। आखिर वो दिन आ ही गया जिससे मैं डरता था, हमारी क्लास का आखिरी दिन।

क्लास से छूट कर सबने एक दूसरे को अलविदा कहा। मान्या उस दिन थोड़ी नर्वस लग रही थी, रोज की तरह मैंने उसको अपनी कार में बैठा लिया।

रास्ते में मैंने उसको कहा- मान्या, अब हम रोज नहीं मिल पायेंगे। अपना मोबाइल नंबर मुझे दे दो, कभी कभी तुम्हें फ़ोन कर लिया करुँगा।

वो कुछ नहीं बोली।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

वो अचानक बोली- तुषार, क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करते?

मुझे अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ, मैंने फिर से पूछा- क्या कहा तुमने?

मैंने तुरंत अपनी कार सड़क पर एक किनारे खड़ी कर दी। वो चुप रही।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। पर तुमसे कहने से डरता था।

फिर हमने एक दूसरे से अपने प्यार का इजहार किया। उसके कहने पर मैंने कार गार्डन की ओर ली। बहुत देर तक हमने गार्डन में बैठ कर बातचीत की। तभी उसके मोबाइल पर उसके घर से फ़ोन आया और हम तुरंत गार्डन से निकले और मैंने उसको उसके घर के पास छोड़ दिया।

अब हमारी बातें फ़ोन पर होने लगी और एस.ऍम.एस भी करने लगे।

कुछ महीने ऐसे ही चलता रहा और हफ्ते में हम एक दो बार मिल लिया करते थे।

कभी कभी मैं उसको गंदे एस.ऍम.एस भी कर दिया करता था और अक्सर फ़ोन पर सेक्स की बातें होने लगी थी।

एक बुधवार को हमने मिलने का प्लान बनाया। हम लोग गार्डन गए पर ठण्ड के कारण मान्या ने कार में ही बैठे रहने को कहा और हम गार्डन की पार्किंग में ही कार में बैठे बैठे बातें करने लगे। बातें कुछ रोमांटिक होने लगी, मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसकी जांघ पर रखा पर उसने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया।

मेरा एक हाथ उसके बालों में घूम रहा था। रोमांटिक बात करते करते हम एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि हमें पता ही नहीं चला। और आखिर में मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। वो भी मुझे पूरा सहयोग दे रही थी।

अब मैं धीरे धीरे उसके चूचे दबाने लगा, उससे वो ज्यादा गरम हो गई और उसके मुख सा सीत्कारें निकलने लगी।

उसकी ऐसी कामुक आवाजें सुनकर मुझे भी और नशा चढ़ने लगा। कार में होने के कारण हमें थोड़ी तकलीफ हो रही थी पर सेक्स की आग दोनों ओर लगी थी।

मैं धीरे से अपना एक हाथ उसकी सलवार पर ले गया और सलवार के ऊपर से ही चूत पर रगड़ने लगा। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा। तब मैं धीरे से अपना हाथ सलवार के नाड़े के पास ले गया और उसे ख़ोलना चाहा। पर इस बार उसने थोड़ा विरोध जताया। पर मेरे थोड़ा जोर देने पर उसने अपना हाथ हटा लिया और मैंने सलवार का नाड़ा खोल दिया।

मान्या ने कहा- अन्दर थोड़ा गन्दा है।

मैं समझा नहीं उसकी बात को और चड्डी का ऊपर से चूत सहलाने लगा। उसकी चड्डी पूरी गीली हो चुकी थी।

मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी थी। वैसे मैं बता दूँ कि इससे पहले भी मैं सेक्स कर चुका था। मैंने उसकी चड्डी के अंदर हाथ डाल ही दिया। उसकी चूत पर बहुत बाल थे। तब मैं समझा कि वो ऐसा क्यों बोली थी कि अंदर गन्दा है। उसने अपनी झाँट की शेविंग नहीं की थी।

मैंने उंगली से निशाना लगाते हुए चूत के छेद पर उंगली दबा दी। उसके मुख से उई की आवाज निकली और एक बार फिर से वो झड़ गई।

उस दिन का खेल हमने वहीं ख़त्म किया, कपड़े ठीक किये और वहाँ से निकल गए।

कहानी जारी रहेगी।

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प्रकाशित : 22 मई 2013

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