मेरा गुप्त जीवन-56

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जैसे ही मैं कॉलेज से वापस आया कम्मो मुझको मेरे कमरे में पानी का गिलास लेकर आ गई। पानी पीने के बाद मैंने पूछा- वो आज प्रेमा आंटी आई थी क्या? कम्मो बोली- हाँ आई तो थी और अपने साथ दो और औरतें भी लाई थी।

मैं बोला- अच्छा दो और औरतें? कौन थी वो? कम्मो बोली- उसी के मोहल्ले में रहती हैं और उनकी भी वही हालत है, बड़ी देर शादी के बाद भी बच्चा नहीं हो रहा है। मैं बोला- तो फिर तुमने क्या कहा? कम्मो ने कहा- मैंने उन दोनों का चेकअप किया है, एक को तो अंदरूनी बीमारी है और दूसरी ठीक है, उस पर कोशिश की जा सकती है। एक को तो मैंने दवाई बता दी है, वो पहले खाए, फिर मेरे पास आये और दूसरी तैयार है, आप बताओ क्या करना है?

मैं बोला- देखो कम्मो जी, यह आपने फैसला करना है कि कब किस को क्या देना है? कम्मो बोली- दूसरी सेठानी है और उम्र के हिसाब से 23-24 की है, 5 साल शादी को हो गए और उसका पति भी पैसे कमाने में लगा है। मैं बोला- और दिखने में कैसी है?

कम्मो चुप रही और फिर ज़ोर से हंस दी, कम्मो बोली- छोटे मालिक, यह तो प्रेमा से भी बढ़ कर है, अति सुंदर है और बहुत ही प्यारी सी है, इसको तो मैं ही चोद दूँ मुंह और जीभ से! उफ़ क्या ख़ूबसूरती है! मैं बोला- चल चल कम्मोम ऐसी ही डींगें मत मारो। प्रेमा से खूबसूरत तो कोई सेठानी हो ही नहीं सकती। कम्मो हंसते हुए बोली- आप तो प्रेमा के आशिक हो गए पक्के?

मैं बोला- फिर क्या फैसला किया तुमने डॉक्टर साहब? कम्मो बोली- मैं सोचती हूँ यह दूसरी सेठानी को भी हरा कर दो आप! मैं बोला- कब आ सकती है यह सेठानी? कम्मो बोली- वही टाइम है जो प्रेमा जी का था।

मैं बोला- अरे कम्मो डार्लिंग, मैं कॉलेज रोज़ रोज़ नहीं मिस कर सकता। कोई और टाइम नहीं है उसके पास? कम्मो बोली- वो तो तुमको अपने घर बुलाना चाहती है क्यूंकि उसका पति सुबह चला जाता है और फिर देर रात आता है, उसको दोपहर का टाइम भी सही है।

मैं बोला- किसी औरत के घर जाना तो खतरे से खाली नहीं है ना? और दोपहर को बहनें भी आ जाती हैं तो यहाँ भी नहीं हो सकता! कम्मो बोली- छोटे मालिक आप ऐसा करो इस सेठानी को सुबह के टाइम कल चोद देना और फिर कॉलेज चले जाना। मैं बोला- ठीक है जो तुम कहोगी वो तो मानना ही पड़ेगा। लेकिन पहले सब पूछताछ कर लेना उस से और अगर सही बैठे तभी हाँ करना।

कम्मो बोली- वो सब मैंने पूछ लिया है। मामला फिट है और आपके हथियार के लायक है. यह भी दूसरा संगेमरमर है। मैं बोला- सच्ची? कम्मो बोली- और वो प्रेमा जी भी साथ होंगी क्यूंकि उनका काम हुआ नहीं अभी तक! मैं बोला- दो दो गायों को हरा करना है इस साले सांड को? ठीक है तो तुम ऐसा करो वो छवि और सोनाली को फिर टाल दो, किसी और दिन बुला लेना उनको। ठीक है न?

कम्मो बोली- बिलकुल ठीक है। चलो मैं प्रेमा जी को फ़ोन पर बता दूँ सारी बात, आप खाना खाओ तब तक! रात को कम्मो ने मेरे लिए ख़ास खाना बनवाया था जिसमें बकरे का मीट और बकरे के पाये का शोरबा और साथ में किशमिश बादाम और केसर का दूध भी था।

अगले दिन सुबह ब्रेकफास्ट में उसने मेरे लिए देसी अण्डों का हलवा और साथ में शहद लगे परांठे परोसे। कम्मो बोली- यह सारे खाने के नुस्खे नवाब सिराजुदौल्ला के लिए थे जो अपने हरम में 100 बेगमों के साथ रहता था। मैं चौंक गया- सौ बेगमें एक साथ? उफ़ कितना मज़ा आता होगा उसको! रोज़ रात को कम से 50 बेगमों को तो हरा कर देते होंगे नवाब साहब।

कम्मो हँसते हुए बोली- आपको मालूम है नवाब साहिब के लिए ख़ास उल ख़ास नुस्खे हकीम लोग बनाते थे जिससे वो हमेशा ही जवान रहते थे। मैं बोला- अच्छा, कब आ रहा है दूसरा ताजमहल? कम्मो हंसने लगी- आ जायेगा, तब तक आप कमरे में आराम फरमा ले हज़ूरेआली। मैं बोला- जैसा हुक्म बड़ी बेगम का!

अभी मैं अपने कमरे में बैठा ही था कि कम्मो आ गई और कहने लगी चलिए दूसरा ताजमहल आ गया है। मैं झट से उठा और बैठक में आ गया, वहाँ प्रेमा जी तो बैठी ही थी साथ में उनके एक और ख़ूबसूरती का मुजस्मा बैठा था गुलाबी रंग की साड़ी ब्लाउज और गुलाबी ही रंग चेहरे का!

मन ही मन मैंने कहा- माशाल्लाह… क्या हुस्न है। चेहरे पर क्या चमक और दमक थी ब्यान नहीं की जा सकती। मैंने दोनों को नमस्ते की और वहीं बैठ गया। तब प्रेमा ने मेरा परिचय कराया अपने साथ बैठी स्त्री से, उनका नाम रानी था और वो सही माने में अपने नाम के ही अनुरूप था, बिल्कुल एक रानी की तरह लग रही थी। मैंने ध्यान से रानी को देखा वो शकल से तो सुंदर थी ही लेकिन शरीर से उससे ज्यादा सुन्दर लग रही थी।

कम्मो ने कहा- चलो सब अपने कमरे में वहीं यह बातें होंगी।

हम सब मेरे कमरे में पहुंचे, वहाँ कम्मो ने जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझको इशारा किया कि मैं शुरू करूँ अपना काम। मैंने झट से प्रेमा का हाथ पकड़ा और उसको उठा कर अपने गले से लगा लिया और फिर उसके लबों पर एक गर्म चुम्बन दे डाला।

प्रेमा भी मुझ से अँधाधुंध लिपट गई और बड़ी ही मस्ती से उसने मुझको चूमना शुरू कर दिया। रानी यह सब देख रही थी। तब मैंने प्रेमा की साड़ी पर हाथ डाला और धीरे से उसको उतारने लगा।

प्रेमा ने रानी की तरफ देखा और कहा- तुम भी शुरू हो जाओ रानी, कम्मो जी आप रानी की मदद कर दीजिए न! कम्मो उठी और रानी की साड़ी उतारने लगी, मैं अब तक प्रेमा की साड़ी और ब्लाउज उतार चुका था और अब मैं उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल रहा था। तभी प्रेमा ने मुझको कहा- तुम रानी के कपड़ों को उतारने में हेल्प करो न सोमू प्लीज।

मैं प्रेमा को छोड़ कर अब रानी के कपड़ों को उतार रहा था, अब तक उसका ब्लाउज उतार चुका और उसके मम्मे एक रेशमी ब्रा में कैद थे, ब्रा के उतारते ही वो बिलोरे जैसे गोल और ठोस मेरे हाथ में आ गए। मैंने झट से एक को अपने मुंह में ले लिया और निप्पल चूस रहा था, दूसरे हाथ से उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच रहा था।

एक ही झटके में ही रानी का पेटीकोट उतर गया और उसकी काले बालों के गुच्छे से ढकी चूत सामने आ गई। मैं नीचे बैठ गया और अपना मुंह रानी की चूत में डाल दिया और उसकी खुशबू से भरी चूत का आनन्द लेने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

रानी की आँखें बंद थी और वो इस सारे कार्यक्रम का बहुत ही आनन्द ले रही थी। मैंने उठ कर रानी को छाती से लगा लिया जहाँ उसके मम्मे एकदम मेरी सख्त छाती में दब गए।

रानी के होटों को चूमते हुए मैं उसको बेड की तरफ ले आया, वहाँ मैं थोड़ा रुक गया और उसको खड़ा करके मैं प्रेमा को भी अपनी तरफ ले आया और दोनों को एक साथ खड़ा करके उनका शारीरिक मिलान करने लगा।

दोनों ही बेहद खूबसूरत थीं, उनके शरीर संगेमरमर के बने हुए लग रहे थे और दोनों का कद और शरीर की गठन एक समान लग रही थी, यहाँ तक मम्मों और चूतड़ों का साइज भी एक समान लग रहा था।

मैंने रानी की चूत में ऊँगली डाली तो वो बेहद गीली और रसीली हो चुकी थी। मैंने उसके लबों को चूमते हुए उसको लिटा दिया और खुद उसकी बिलोरी टांगों के बीच बैठ गया।

मेरा मस्त खड़ा लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसकी खुली आँखों में देखता रहा कि वो इशारा करे तो मैं लंड को धक्का मारूं। उसने भी मेरी आँखों में आँखें डाल कर आँख आँख से ही हामी भर दी और मैंने अपना लौड़ा पूरा ही उसकी चूत में डाल दिया।

वो एकदम से गर्म लोहे की छड़ी की तरह मेरे लंड के अंदर जाते ही रानी बिदक गई, उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और तभी मैंने पूरा लौड़ा निकाल कर ज़ोर से फिर डाला उसकी चूत में! उसके मुंह से हल्की सी हाय निकल गई। अभी तक मैं बहुत ही धीरे चोद रहा था, अब मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी।

उधर देखा तो प्रेमा को कम्मो ने पूरा संभाल रखा था, वो उसकी चूत में मुंह डाल कर उसकी चूत को चूस रही थी और प्रेमा एकदम आनन्द से उछल रही थी। इधर रानी की चूत में कुछ कुछ होने लगा और मेरा लंड एकदम समझ गया और उसने धक्के फिर तेज़ शुरू कर दिए। और तभी रानी की चूत से कंपकपाहट उठी और उसकी चूत से एक तेज़ धार पानी की निकली जो मुझको भिगो कर चली गई और रानी की दोनों संगेमरमर जैसी जांघें मेरे चारों और लिपट गई और मुझको जकड़ लिया।

मैं रुक गया और उसके गोल गुदाज़ मम्मों में सर डाल कर उनकी रेशमी जैसी चमड़ी से मुंह रगड़ने लगा, रानी ने अपनी टांगें खोली तो मैंने एकदम उसको पलट दिया और घोड़ी बना दिया और फिर लंड को उसकी चूत में तेज़ और धीरे अंदर बाहर करने लगा, उसके गोल नितम्बों को दोनों हाथों में पकड़ कर ताबड़तोड़ लंड परेड चालू कर दी।

और जैसे कि मुझको उम्मीद थी वो बहुत जल्दी स्खलित हो गई, बिस्तर पर ढेर हो गई।

कम्मो यह सब खेल देख रही थी, वो उठ कर आई और रानी को सीधे लिटा और मैं उसकी टांगों में बैठ कर हल्के हल्के धक्के मारने लगा। रानी जो छूटने के बाद ढीली पड़ गई थी, अब फिर फड़क उठी और चूत को उठा उठा कर मेरे लंड का स्वागत करने लगी।

दस मिन्ट तेज़ और धीरे चुदाई को मिक्स करते हुए मैंने आखिर में फुल स्पीड से चोदना शुरू कर दिया। कम्मो और प्रेमा इस चुदाई का आखिरी राउंड देख रही थी, कम्मो रानी के मम्मों को चूस रही थी और प्रेमा उसकी गांड में ऊँगली डाल रही थी।

फिर रानी एकदम से अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे पेट के साथ चिपक गई और फिर एक हल्की चीख मार कर छूट गई। उसकी चूत अपने आप खुल और बंद हो रही थी और मेरे लंड को निचोड़ने की कोशिश कर रही थी। कम्मो के इशारे को देखते हुए मैंने फिर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में मेरा फव्वारा पूरी फ़ोर्स से छूट गया।

मैं थोड़ी देर लंड को अंदर डाले हुए ही रानी के ऊपर लेटा रहा और फिर धीरे से लंड को निकाल लिया चूत से! कम्मो ने फ़ौरन ही रानी की टांगों को हवा में लहरा दिया और कमर के नीचे एक मोटा तकिया रख दिया। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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