मेरा नाम लव है.. मैं एक टीचर हूँ। मेरी उम्र 25 साल है.. कद 5’7” लंबा है.. मैं आज आप लोगों को एक मस्त स्टोरी बताने वाला हूँ।
हुआ यूँ कि मेरा एक दोस्त प्रभात.. काफ़ी दिन से अपनी एक आंटी को फँसाए हुए था.. और वो उस आंटी को चोदने के लिए जगह खोज रहा था।
एक दिन वो मुझसे बोला- यार लव.. कोई जुगाड़ कर यार। मैंने कहा- अगर रविवार को शाम के वक़्त वो आ सके.. तो मैं कमरे का जुगाड़ करवा सकता हूँ। मेरे मन में भी उसको चोदने की अभिलाषा थी और बाकी दिन तो मैं भी कोचिंग पढ़ने जाता हूँ। वो बोला- ठीक है उससे बात करके बताऊंगा।
अगले दिन उसने कहा- आंटी जी रविवार को 8 बजे करीब आ जाएंगी। मैं तैयार हो गया.. रविवार को 8 बजे वो लोग आ गए।
मैं कमरे से चला गया.. वो लोग चुदाई करते रहे.. करीब 15 मिनट बाद ही प्रशांत का फोन आया कि आ जाओ.. मेरा काम हो गया है। मैं आ गया और हम बैठ कर बातें करने लगे।
तभी वो आंटी बोली- मुझे अपनी ईमेल चैक करनी है।
मैंने अपना कम्प्यूटर ऑन कर दिया। वो सर्च करती रही.. मैं उसके बगल में चेयर डाल कर बैठा था। लेकिन उसको कंप्यूटर चलाना नहीं आता था। वो बोली- मैं तो मोबाइल में चलाती हूँ। मैं कुछ नहीं बोला.. फिर उसने कहा- आप मुझे कम्प्यूटर चलाना सिखा दो।
मैंने अपने हाथ में माउस लिया.. तभी उसने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया.. इस तरह से मैं उसे सिखाने लगा। इधर प्रशांत पीछे से मुझे इशारे करके कह रहा था- रहने दो।
मैं भी थोड़ा बोर हो रहा था.. क्योंकि उसको कुछ नहीं आता था.. लेकिन तभी मेरी नज़र उसके मम्मों की तरफ गई। मैंने देखा कि उसकी साड़ी का पल्लू नीचे था और ब्लाउज का एक बटन खुला था। उसके गोरे-गोरे मम्मों की झलक दिख रही थी। मेरा लण्ड फनफना उठा..
तभी वो जाने के लिए रेडी हो गई। लेकिन जाने के पहले वो मेरे सामने ही प्रशांत से लिपटने लगी। तब प्रशांत ने कहा- आप जाओ.. लव बाइक से छोड़ देगा।
मैंने उसको बाइक पर बैठाया.. रास्ते में पतली गलियाँ सूनी थीं.. वो अचानक से मुझसे लिपट गई.. बोली- मुझको देख कर आपका मन चंचल हो रहा था। मैंने महसूस किया है.. आप उस वक़्त मेरे बारे में कुछ सोच रहे थे ना? मैं चुप रहा।
तभी उसने फिर से कहा- बस बस.. यहीं रोक दो। मैंने बाइक रोकी.. वो उतर कर मुझसे मेरा मोबाईल नंबर माँगने लगी। मैंने नंबर दे दिया।
रात में एक बजे करीब उनका फोन आया वो बोली- क्या आप मुझसे मिलना चाहोगे? मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं.. लेकिन प्रशांत को बुरा लगेगा।
वो बोली- तो क्या आप दोनों एक साथ एंजाय नहीं कर सकते.. मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है.. आप उससे बात कर लो। मैंने साफ मना कर दिया- नहीं.. मैं अकेला ही मिलना चाहूँगा.. आप तो आज मज़ा ले गई हो! तो वो बोली- नहीं यार.. कुछ नहीं हो पाया। मैंने पूछा- क्यों?
वो बोली- प्रशांत का तो अन्दर ही नहीं जा पाया.. वो तो बाहर ही खल्लास हो गया.. मैं तो सूखी ही लौटी वहाँ से। प्रशांत कह रहा था कि कई दिन से नहीं किया था.. ज्यादा जोश की वजह से नहीं कर पाया। मैंने कहा- अरे.. ये तो गड़बड़ हो गई अगर मैं वहाँ होता.. तो ऐसा तो कभी ना होता। तो अचानक वो बोली- मैं कल आ सकती हूँ.. वही 8 बजे। मैंने कहा- हाँ बिल्कुल.. आपका स्वागत है।
अगले दिन शाम को 8 बजने के पहले ही वो आ गई। वो फ़िरोजी साड़ी पहने सजी-धजी एकदम मस्त लग रही थीं। वो 50 साल से कम नहीं थी.. लेकिन वो 35-36 साल की लग रही थी। मैंने गेट लगाया और लाइट ऑफ कर दी.. बस नाइट बल्ब जलता रहा।
वो साड़ी उतारने लगी.. मैंने उसको नंगा करने में हेल्प की.. वो ज़्यादा गोरी नहीं थी.. लेकिन बहुत सेक्सी लग रही थी.. उसका जिस्म बिपाशा बसु जैसा सांवला और गठीला था। मैंने उसको लेटाया और खुद ऊपर लेट गया और उसे चूमना चालू कर दिया।
उसके बड़े-बड़े चिकने मम्मों को मैंने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। वो मस्ती में आने लगी.. उसने मेरे लोवर में हाथ घुसा कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और सहलाने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने कहा- मैं कपड़े उतार दूँ। वो बोली- हाँ। तो मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए..
मेरा खड़ा लण्ड देख कर वो मुस्कुरा उठी बोली- वाउ यार.. यह तो बहुत मजेदार है.. मैंने कहा- मुँह में नहीं लोगी? वो बोली- हाँ क्यों नहीं..
उसने मुझे लिटा दिया और मेरे लण्ड को मुँह में भर के चूसने लगी, उसके खुले बालों में मैं हाथ फेरने लगा। तभी उसने मेरी तरफ देखा.. उसकी आँखें एकदम लाल हो उठी थीं।
एक पल को वो मुझे एकटक देखती रही.. साथ में मेरे लण्ड को सहलाती रही.. फिर मैंने कन्डोम दिया.. तो उसने कन्डोम को लण्ड में लगा दिया।
फिर वो उठी और मेरे दोनों तरफ अपनी टाँगे डाल करके लण्ड को चूत में घिसने लगी और सिसकारने लगी। इधर मेरी हालत खराब हो रही थी.. मैं चाह रहा था कि वो अन्दर घुसा ले। तभी उसने लण्ड को अपनी चूत के अन्दर कर लिया।
गीली चूत में लण्ड सटाक से अन्दर घुस गया.. तो वो ‘आआ.. सीसिसीई..’ करने लगी। उसने मेरे सीने में दोनों हाथ रख दिए और लौड़े पर उचकने लगी, मुझे चुदाई में मज़ा आने लगा था.. मैं उसकी पीठ और चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा।
वो झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी। वो जितना उचकती.. उतना ही होंठ चूसती। थोड़ी देर बाद वो बोली- यार अब मैं थक गई हूँ.. आप ऊपर आ जाओ।
मैंने उसको नीचे लिटा कर उसकी चूत में अपना लौड़ा घुसाता चला गया.. मैंने एक ही बार में पूरा लण्ड अन्दर कर दिया। वो ‘आ अहह अहहा अहहा आहा असीसीसिस सीसीसी सीसिस अहहहह’ करने लगी।
मैं लगातार चोदने लगा.. वो मुझसे बोली- यार बहुत मज़ा आ रहा है.. आह.. आ आ.. मज़ा आ रहा है.. चोदो चोदो.. मैं यह सुन कर और तेजी से चोदने लगा।
अचानक से वो अकड़ने लगी.. मैं समझ गया की वो झड़ने वाली है। तभी वो मुझको ज़ोर से पकड़ कर मुझसे लिपटने लगी.. मैं बिना रुके लगातार चोदने में लगा हुआ था। वो अंत पकड़ने लगी.. मुझे देखने लगी और ‘बस बस.. आ आ..’ कहती रही।
मेरा भी तभी निकल गया.. मैं लिपट गया.. वो भी मुझसे लिपट गई। अभी उसके ऊपर ही लेटा रहा..
वो कान में बोली- यार मज़ा आ गया.. कितना मस्त चोदते हो तुम.. मज़ा आ गया यार.. कितना अच्छा चोदा आपने.. लगा पहली बार चुदवाया हो.. थोड़ी देर बाद हम अलग हुए.. मैं हाँफ़ रहा था।
कुछ देर में मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया मैंने उससे कहा- अब तुम नीचे लेटो ना.. लेकिन वो बोली- नहीं.. अब नहीं.. मैं लेट हो गई हूँ.. काफ़ी टाइम लग गया.. कल करूँगी। इतना कह कर वो जाने के लिए तैयार होने लगी।
मैंने कहा- जाने से पहले एक पप्पी तो दे दो मेरी जान। वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई.. किस दिया। मैंने लौड़े की तरफ इशारा किया और कहा- मुझे नहीं.. इसे..
तो उसने हँस कर मेरे लण्ड को किस किया.. बोली- बहुत मेहनती है ये.. कितनी मेहनत की आज.. और लंड को मुँह में ले कर कुछ देर चूसा। फिर वो चली गई..
रात में उसका फोन आया.. बोली- यार.. सच में बहुत मज़ा आया.. अब तक मैं जैसी चुदाई चाहती थी.. वैसी हुई.. मैं अब से प्रभात के साथ सेक्स नहीं करूँगी।
मैंने उससे कई बार कहा कि गांड मारने दो.. लेकिन वो गांड नहीं मरवाती थी.. लेकिन जितना है वो ही बहुत है।
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