मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-15

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अंकल ने मेरी नाइटी उठा कर मेरी पैन्टी उतार दी, फिर मेरी ब्रा उतारने की कोशिश करने लगे। कमरे नाइट बल्ब जल रहा था, मैं उठकर… उनकी ओर पीठ करके बैठी सोचने लगी कि अपनी ब्रा कैसे निकालूँ?

वैसे मेरी नाईटी बिना बाजू की थी पर उसे ऊपर से पेट तक नीचे सरकाना पड़ता, तभी ब्रा निकल पाती।

मैंने अंकल की तरफ़ देखा तो वे बड़ी चालाकी से दूसरी तरफ़ देख रहे थे। मैं निश्चिन्त सी हो गई, मैंने नाइटी का आगे का लेस खोलकर उनको ढीला किया और अपने कंधो से दोनों स्टेप निकाले और नाइटी को नीचे पेट तक कर लिया।

फिर सलोनी की सिसकारने आवाज आई- आअह… हह आ… यह क्या करने लगा तू? मैं तो भूल ही गया था कि तीन गैर मर्द मेरी बीवी के अगल बगल बैठे हैं और उनकी हालत खराब हो रही है।

इतनी देर में पप्पू और कलुआ दोनों ने अपने लंड सलोनी को पकड़ा दिये, उनको वो सहलाने लगी और दोनों उसकी रसीली चूचियों को चूसने में लगे पड़े थे।

दोनों लड़के सलोनी की आँखों के सामने थे तो वह जावेद चचा को नहीं देख पाई और इसका फ़ायदा उठा कर वे चूत को चूसते चूसते उठ कर बैठ गये और सलोनी की दोनों टाँगें अपनी मुड़ी हुई टांगों पर रख कर आगे उसकी चूत के पास अपनी कमर को ले आए।

इससे उनका लंड ठीक सलोनी की चूत पर टिक गया, उसको वो रगड़ रहे थे।

सलोनी के चिल्लाने का कारण अब समझ आया। जावेद चचा – ओह्ह्ह कुछ नहीं, आप सुनाती रहो मेमसाब, आपकी कहानी से जोश में आ गया था… अब बाहर ही रगड़ूँगा! आहहह… अंदर नहीं!

इसका मतलब इस साले ने भी अपना लंड अन्दर तो घुसा ही दिया था, चाहे थोड़ा सा ही!

खैर मैं आगे की गाथा सुनने लगा।

सलोनी- आहहआ हाँ ऐसे ही बस! जबकि सलोनी ने अपने पैरों को थोड़ा सा और भी खोल दिया था।

सलोनी- और फिर मैंने अपनी ब्रेजियर पकड़ कर सर के ऊपर से निकाल दी… और जैसे ही मेरे हाथ ऊपर ही थे कि अंकल का हाथ मैंने अपनी नंगी पीठ पर महसूस किया।

वे मेरी ओर ही देख रहे थे, उनका हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था। वे बोले- ओह्ह… मुझे लगा ही था… देख कितने निशान पड़ गए हैं।

उनकी बात सुन सच में मैं घबरा गई- सच कह रहे हो अंकल? मुझे तो इस बात का पता ही नहीं था!

और उनका हाथ मेरी बाजू के नीचे बगल से होते हुए सीधे मेरी बाईं चूची पर आ गया। अंकल बोले- दिखा जरा आगे से… आगेभी होंगे निशान इन पर!

और उन्होंने मुझे घुमा लिया- हाँ यह देख!

और सच में जहाँ ब्रेजियर की एलास्टिक होती है, वहाँ कुछ हल्के से सिकुड़न जैसे निशान थे। मैं उनको देख कर घबरा सी गई। और अंकल एकदम उठ कर अपनी अलमारी तक गये और एक तेल की शीशी लाए और बोले- तू बिल्कुल चिन्ता मत कर… मैं हूँ ना तेरा सबसे प्यारा अंकल! मैं सब सही कर दूंगा… बल्कि तू पहले से भी ज्यादा सुन्दर हो जायेगी… ऐसा जादू है मेरे पास!

चल यहाँ उल्टा होकर लेट जा… पहले पीठ पर सही कर देता हूँ…

और अब उनकी बात ना मानने का प्रश्न ही कहाँ उठता था, जैसे जैसे उन्होंने कहा, मैं वैसे बिस्तर पर लेट गई।

उन्होंने नाइटी को कुछ और नीचे को कमर के बेल्ट जहाँ बांधते हैं वहाँ तक कर दिया और ठण्डा तेल मेरी पीठ पर लगा कर उन्होंने बहुत हल्के हाथ से मलना शुरू कर दिया। उनको सब पता था कि कब और कैसे क्या क्या करना चाहिए!

दस मिनट में ही मेरी आँखें बन्द होने लगी, उनके हाथ धीरे से नाइटी को और नीचे करके, जहाँ पैन्टी की इलास्टिक होती है, वहाँ पर चलने लगे- तूने तो सब जगह निशान बना लिये!

पर अब तू बिल्कुल चिंता मत कर, अभी बहुत हल्के हैं.. सब गायब हो जाएँगे… पर अब से रात में कभी ये कसे कपड़े ना पहना कर! बल्कि मैं तो कहता हूँ कि जब कहीं बाहर जाए, बस तभी ब्रा पैंटी पहना कर और घर में आते ही सब उतार दिया कर!

मुझे हंसी आ गई- क्या अंकल सब? तो क्या घर में नंगी रहा करूं?

‘हा हा हा हा.. जोर से हंसे अंकल- अरे तो क्या हुआ? घर में कोई नहीं है तो क्या परेशानी है? यहाँ तू जब तक है, ऐसा कर ही सकती है! बहुत मजा आता है नंगा रहने में घर में! चल अब सीधी हो… आगे भी तेल लगा कर निशान ठीक कर दूँ।

प… रररर अंकल… मैं कुछ कह ही नहीं पाई और अंकल ने मुझे सीधी कर दिया, मेरा हाथ नीचे गया जिससे अपनी नाईटी मैंने कुछ ऊपर को कर ली ताकि अंकल नीचे ना देख पायें।

अब मैं कमर तक पूरी नंगी अंकल के सामने लेटी थी, उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को देखा और मुस्कुराए- इतनी सुन्दर चूची हैं… इन पर निशान पड़ गए ना… तो तेरा पति तुझे अच्छी तरह प्यार ही नहीं करेगा। समझी पागल?

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और मैं शरमा गई।

उन्होंने मेरे दोनों स्तनों पर भी तेल लगा कर हल्के हाथ से मलना सहलाना शुरू किया और मुझे अज़ीब सी गुदगुदी होने लगी। सच कहूँ तो मेरी चूत में भी कुछ कुछ होने लगा था। आहहहा…

और शायद फिर से जावेद चचा जोश में आ गये थे। पता नहीं वे कर क्या रहे होंगे जिससे सलोनी इतनी जोर से सिसकार उठी थी… ऊपर ऊपर से ही या अन्दर डाल करभी मजा लेने लगे थे। जाने क्या हो रहा था?

कहानी जारी रहेगी।

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