मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-13

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सलोनी की पहली चुदाई के बारे में तो मुझे भी जानने की लालसा थी, पहली चुदाई के बारे में सुनने में तो बहुत मज़ा आता है।

सलोनी मुस्कुराई और उन तीनों के हाथों का मज़ा अपने बदन पर लेती हुई बोली- काफ़ी पहले मेरे पापा के एक दोस्त अक्सर घर पर आते थे, वे हमारे शहर में नहीं कहीं दूसरे शहर में रहते थे और मुझे बहुत प्यार करते थे, मेरे लिए काफ़ी सारी चीजें लाया करते थे और अक्सर मुझे अपनी गोद में बिठाते थे।

मुझे कुछ पता नहीं था, लगता था कि वे सामान्य प्यार कर रहे हैं मुझे… पर बाद में मुझे अहसास होने लगा कि उनकी नीयत अच्छी नहीं है, वे मेरे साथ छेड़खानी करते थे।

जावेद चचा तो अब सलोनी की चूत से चिपक से गये थे, वे उल्टे होकर लेट गये और उनकी दाढ़ी और होंठ सलोनी की चूत के ठीक ऊपर थे, अपने हाथों से उसकी चूत के होंठों को खोलते हुए उसकी चूत को चाट भी रहे थे और अपनी दाढ़ी से उसको छेड़ भी रहे थे।

इसके बाबजूद भी उनका ध्यान सलोनी के कहे हर एक शब्द पर था- कैसी छेड़खानी मेमसाब… क्या क्या करते थे वे आपके साथ? उस समय आप कितनी बड़ी थी?

सच में जावेद चचा काफ़ी समझदार थे और मेरा काम वे ही कर रहे थे, जो भी प्रश्न मेरे मन में आते, चचा सलोनी से तभी पूछ लेते थे… इसलिए मुझे वे अब अच्छे लगने लगे थे, चाहे वे मेरी जानू की चूत से खेल रहे थे।

मुझे तो मज़ा आ रहा था और जिस राज से मैं अन्जान था वह अब खुलने जा रहा था।

सलोनी – आह… अह… हां चचा, वे तो बहुत पहले से ही आते थे… जब मैं फ्रॉक और स्कर्ट पहनती थी। पर जब बड़ी हुई तो मुझे पता लगने लगा, उनके हाथ मेरे बदन के ऊपर हर जगह घूमते रहते थे, कभी मेरी जांघों को सहलाते तो कभी मेरी छाती को, कभी पेट को…

और चूमते भी थे गालों को, गर्दन को, और अगर कोई नहीं होता तो मेरे होंठों को भी चूमते थे।

मुझे भी यह सब अच्छा लगता था तो किसी से कुछ नहीं बताती थी। मुझे उनकी आदत सी हो गयी थी और पहली बार उन्ही अंकल के साथ सब कुछ किया था, इसलिये शायद मुझे अब भी ज्यादा उम्र के पुरुष अच्छे लगते हैं।

जावेद चचा- क्या कह रही हो मेमसाब? सच्ची? फिर तो आप मुझसे चुदवा लो… आपको बहुत मज़ा दूँगा। और चचा ने अपने लंड को सलोनी के बदन पर रगड़ा।

सलोनी- नहीं, कुछ नहीं, अभी तो आप जो कर रहे हो, करते करो!

अजीब है सलोनी भी… इसके मूड का कुछ पता ही नहीं चलता है।

जावेद चचा फ़िर डर से गये और सलोनी की चूत को वैसे ही चाटने लगे, साथ ही उसकी पहली चुदाई की घटना सुनने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सलोनी- तो अंकल जब भी आते थे मेरे बदन के अंगों के साथ छेड़छाड़ करते थे और उनकी कोई भी छेड़छाड़ मुझे अच्छी ही लगती थी। धीरे धीरे उनकी हरकतें बढ़ने लगी, वे अब मौका देखते, कोई आस पास होता तो सामान्य रहते पर कोई ना देख रहा हो या इधर उधर हो तो उनके हाथ जरूरत से ज्यादा आगे बढ़ जाते थे।

‘हां… वे मेरी हर खुशी का ख्याल रखते, मुझसे पूछते रहते कि अच्छा लग रहा है ना!’

पहले कपड़ों के ऊपर से सहलाने वाले हाथ शर्ट के अन्दर मेरे नंगे पेट पर आने लगे, फ़िर वे हाथ को ऊपर मेरे नंगी चूचियों तक घुमाने लगे।

बाद में वे मेरे निप्पल जो तब बहुत छोटे थे, उनको भी उंगलियों से सहलाने लगे और नीचे कभी स्कर्ट के ऊपर से तो कभी स्कर्ट के अन्दर से मेरी नंगी टांगों और फिर ऊपर नंगी जांघों को सहलाते हुये जांघों के जोड़ तक पहुंच जाते थे। और कई बार तो पैन्टी के ऊपर से मेरी चूत को भी सहला देते थे।

ऐसे ही एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रही थी, उस दिन भी मैंने फ्रॉक और पैंटी पहनी थी बस… गर्मी के दिन थे, अंकल आइसक्रीम लेकर मेरे कमरे में आ गए। मुझे स्ट्रॉबरी बहुत पसंद है, उनको पता था तो वे वही लाए थे।

मैं उल्टी लेटी पढ़ रही थी, वे मेरे पास आ कर बैठ गये और अपने हाथ से मुझे आइसक्रीम खिलाने लगे। और स्वयम् भी खा रहे थे।

उन्होंने मेरे फ्रॉक ऊपर सरका दी और ठण्डे ठण्डे हाथ मेरी कमर और जांघों पर लगाते तो मुझे अच्छा लग रहा था। और तभी जाने कैसे काफी सारी आइसक्रीम मेरी पीठ पर गिर गई।

मैं हड़बड़ा कर उठ कर बैठी तो आइसक्रीम बह कर मेरी कच्छी के अन्दर तक चली गई, मैं कम्पकपाने लगी- अह… यह क्या कर दिया अंकल?

वो वैसे ही मुझे झुका कर बोले- रुक, मैं साफ करता हूँ! और किसी कपड़े से पौंछने के बजाये अपनी जीभ से चाटने लगे।

मुझे गुदगुदी हो रही थी पर फिर भी मैंने मना नहीं किया क्योंकि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मेरे बदन के इस अंग को वे पहली बार ही चाट रहे थे।

और तभी मेरी पीठ को चाटते हुये अंकल मेरी पैंटी नीचे करने लगे, मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूँ?

और अब अंकल मेरे कूल्हे चाटने लगे, मेरी पैंटी भी आधे से ज्यादा नीचे तक हो गई थी, पहली बार अंकल मेरे नंगे चूतड़ देख रहे थे। उनकी साँसें और आवाज ही बदल सी गई थी।

तभी किसी के आने की आहट हुई… और मैं एकदम बाथरूम में चली गई। घर में इससे ज्यादा क्या हो सकता था।

उन्हीं दिनों मेरी परीक्षा का केन्द्र उनके शहर में बना, मेरे सारे एग्जाम वहीं होने थे तो पापा मुझे उनके घर छोड़ आए।

इस बार की परीक्षा मेरे लिये बिल्कुल अलग थी, मुझे नहीं पता था कि अंकल ने सब कुछ पहले ही सोचा हुआ है पर उस एक महीने ने मेरे जीवन को पूरी तरह बदल दिया।

पहले दिन अंकल के पहुँची तो पता चला कि अंकल बिल्कुल अकेले हैं। उन्होंने पापा से तो कह दिया कि सब शाम तक आ जाएँगे पर उस पूरे महीने कोई नहीं आया घर में, हम दोनों अकेले घर में रहे।

मुझे आज भी याद है उस घर की पहली रात!

पता नहीं मैं कैसे सुन रहा था सलोनी की एक एक बात… मेरी हालत खराब थी ही पर वे तीनों भी जैसे सब कुछ भूल गये थे, उनके हाथ सलोनी के अंगों पर तो थे लेकिन तीनों सलोनी की कहानी में खो गये थे कि क्या होगा आगे?

कहानी जारी रहेगी।

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