मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-11

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सलोनी- मैं उन दिनों स्कूल के बाद कॉलेज में नई आई थी कि मेरी मुलाकात शमीम से हुई… बड़ा बांका और मजबूत दिखता था वह… और सुंदर भी था… उसे देखते ही मेरे दिल में अजीब सी बैचेनी होने लग गई थी।

मेरी ही एक सखी ने मुझे उससे मिलवाया और पहली ही मुलाकात में शमीम ने मुझे ‘आई लाइक यू…’ कह दिया। एक रोज मैं कॉलेज जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी, तभी वो आ गया और बाइक से मुझे कहीं घुमाने को कहने लगा।

मैंने कहा कि कोई जानने वाला भी मिल या देख सकता है… तो वह मुझको अपने एक दोस्त के कमरे पर ले गया, बोला- यहाँ तो कोई नहीं देखेगा ना? मैंने उस दिन स्कर्ट, टॉप पहना था, उसने मेरी बहुत तारीफ की- बहुत खूबसूरत लग रही हो! फिर उसने मुझसे किस मांगी… और मैं तो उसे मना ही नहीं कर पाई थी। तब उसने कहा कि अब क्लास तो छुट ही गई है, आज हम खूब सारी बातें करते हैं, शाम को छुट्टी के वक्त मैं तुम्हें तुम्हारे घर के पास छोड़ दूँगा। मैंने उसे कुछ नहीं कहा, मुझे तो उसके साथ अच्छा लग रहा था।

इधर मैंने ध्यान दिया कि जावेद चचा हाथ से सलोनी के पहले तलुए फ़िर घुटने और फिर उससे और ऊपर भी सहलाने लगे थे पर सलोनी कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी, वह शायद अपनी पुरानी यादों से बेचैन हो रही थी।

सलोनी- तुम दोनों वहाँ क्यों बैठे हो… मेरे समीप आकर यहाँ बैठो! सलोनी ने पप्पू और कलुआ को भी अपनी दोनों तरफ़ बिठा लिया और वे दोनों टोप के ऊपर से उसके पेट और मम्मों को सहलाने लगे।

सलोनी ने आहे कहना शुरू किया- तो मैंने भी उससे कहा हां, आज हम दोनों बहुत बातें करेंगे। वहाँ एक ही बिस्तर था, उस पर लेट गई। लेटने से मेरी स्कर्ट कुछ ऊपर हो गई। मैंने उस दिन लाल रंग की चड्डी पहनी हुई थी जो शमीम ने देख ली। वह मुझसे बोला- वाह सलोनी, तुम्हें भी लाल रंग पसन्द है… मैं भी लाल कच्छा ही पहनता हूँ! और मेरे कुछ भी बोलने से पहले ही उसने अपनी जींस उतार दी।

पहले तो मुझको काफ़ी शरम आई पर उसको देखना अच्छा लगा! उसने छोटा सा लाल रंग का फ्रेंची पहना रखा था। साथ ही मुझे हंसी आ गई क्योंकि उसके लंड का उभार फ्रेंची से साफ दिख रहा था।

सलोनी इस समय तीन अजनबी पुरुषों के साथ थी, जिनमें दो लड़के थे और एक आदमी बड़ी उम्र का था, इनसे सलोनी की जान पहचान अभी थोड़ी देर पहले ही हुई थी। सलोनी उनके साथ इतनी बेबाकी से ना केवल साथ थी बल्कि पूरी खुलकर अपने जवानी के राज की कहानी बता रही थी… और लंड जैसे शब्दों का प्रयोग कर र्ही थी।

सच है कि मेरी सलोनी जैसी कोई नहीं हो सकती… बहुत सेक्सी है मेरी बीवी! जावेद समझ चुका था कि सलोनी अब उसे कुछ नहीं कहेगी, वह सलोनी को गर्म करने के चक्कर में था और उसका हाथ सलोनी की जांघों में ऊपर तक फ़िरने लगा था।

ऊपर पप्पू और कलुआ बीच बीच में ‘फिर आगे क्या हुआ?’ बोल रहे थे जबकि उनके हाथ उनके मनपसन्द खिलौने से खेलने में रत थे। उनकी हरकतों से सलोनी का टॉप बिल्कुल अस्त व्यस्त होकर ऊपर को उठ गया था, उसने ब्रा भी नहीं पहन रखी थी तो दोनों लड़के उसके नंगे उरोजों मसल रहे थे।

यह तो जावेद चचा की नजर अभी तक वहाँ नहीं पड़ी थी शायद वरना अब तक सलोनी की चूचियों की हालत और ख़राब हो चुकी होती। जावेद अपने हाथों को सलोनी की चूत तक पहुँचाना चाहता थे और सलोनी की चिकनी टांगों पर उनके हाथ फ़िसल रहे थे। और सलोनी भी अपने सेक्सी बदन पर तीन गैर मर्दों के हाथों का भरपूर मजा ले रही थी और सबको अपनी सेक्स कहानी भी सेक्सी आवाज में मज़े के साथ सुना रही थी।

सलोनी- उसका उभार देखकर मुझे हंसी आई और मैंने पूछ लिया कि मेरी कच्छी देख कर आपका यह क्यों खड़ा हो गया? वो हंस कर बोला- अरे ये तो ऐसा ही है, अभी खड़ा नहीं है। उसकी बात से मैं चौंक गई क्योंकि उसका तो बहुत बड़ा लग रहा था।

वह झूठ नहीं बोल रहा है, यह बात साबित करने के लिए उसने अपनी फ्रेंची भी निकाल दी और उसका लंड वाकयी टाइट नहीं था, फिर भी बहुत बड़ा दिख रहा था। उसने बताया कि जब उसका लंड खड़ा होता है तो इससे भी काफ़ी बड़ा होता है। फ़िर उसने पूछा- तुम देखना चाहती हो कि कितना बड़ा हो जाता है?

और उत्सुकता के कारण मैं उससे उस मुलाकात में ही खुल गई। उसने कहा कि लंड टाइट करने के लिए उसको मुझे हाथ में लेना होगा, मैंने ले लिय और फिर जल्दी टाइट करने के लिए उसने मेरी स्कर्ट और कच्छी भी उतरवा दी।

मैंने अपनी चूत पूरी साफ़ कर रखी थी क्योंकि मुझे अपनी चूत साफ करने की आदत शुरू से थी… जिसको देखकर वह बहुत खुश हुआ और मेरी चूत को हाथ से सहलाने लगा।

इतना सुनते ही जावेद चाचा बहुत गर्म हो गये, सलोनी की चूत को अपने हाथ से पकड़ कर बोले- वाह मेमसाब, फिर तो आपकी चूत बहुत प्यारी होगी? मुझे भी चिकनी चूत चाटने में बहुत मजा आता है… क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ?

सलोनी ने नशीली आँखों से चचा को देखा, बोली- चचाजान सिर्फ़ चाटना… और कुछ नहीं! और जैसे ही चचा उसकी शॉर्टस को उतारने लगे, सलोनी ने उनको रोका- नहीं चचा.. ऐसे ही ऊपर से… मैंने इसको उतारने को मना किया है ना…

पता नहीं सलोनी उनके साथ क्या खेल खेल रही थी, बेचारे चचा को इतना तड़फा रही थी। चचा बेचारा सलोनी की चूत देखने के लिये मरा जा रहा था पर सलोनी उसे बार बार मना कर रही थी।

तभी चचा ने अपना पज़ामा उतार दिया, वे नीचे से पूरे नंगे हो गये थे, उनका लन्ड काफ़ी बड़ा था… सलोनी के पाँव का तलुआ उनके लंड को स्पर्श कर रहा था जिसे वो हिला भी रही थी।

सलोनी को अपने पाँव से लंड हिलाने और खेलने में बहुत मज़ा आता है, इस वक्त वह अपना वही मनपसंद खेल खेल रही थी। जावेद चचा का हाथ शॉर्ट्स के ऊपर से ही सलोनी की चूत का पूरा जायजा ले रहा था।

पर मुझे इससे ज्यादा सलोनी और शमीम के बीच चल रही चुदाई में ज्यादा रुचि थी जिसका बखान सलोनी पूरे रस के साथ कर रही थी।

कहानी जारी रहेगी। कृपया अपने विचार नीचे कमेंट्स में ही लिखिए।

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