मेरा गुप्त जीवन-107

कपड़े पहन कर हम वहाँ से निकले लेकिन मैंने जाने से …

भाभी की जमकर चूत और गाण्ड मारी -1

हाय दोस्तो.. कैसे हैं आप सब लोग..! मेरा नाम वंश है…

चूत शृंगार-6

“क्या मालूम मेमसाब सोती है कि देखती है। वैसे देखती…

चूत शृंगार-5

मैंने कहा- सिर्फ हाथ रख कर कसम खाई है ना ! कोई जुब…

चूत शृंगार-3

वो समझ रहा था कि कमल मेरा पति है, मैंने भी नहीं ब…

प्यासी बहू को खुश किया

यह कहानी मेरे खास दोस्त फ़रहान की है। यह सारी बात म…

चूत शृंगार-1

जाने क्या सोच कर मेरे माता-पिता ने मेरा नाम कमला र…

मेरे दोस्त की बहन पूजा की चुदास

हैलो दोस्तो… मेरा नाम राहुल है.. मैं ठाणे (मुंबई) …

चूत शृंगार-8

“तुमने गलत नहीं समझा, मैंने चोदू ही बताया था। मैं…

प्रगति की आत्मकथा -4

प्रेषिका : शोभा मुरली उसने बलराम के सुपारे पर थोड़ी…