किरायेदार-3

सुरेखा की तरफ देखती हुई नर्स बोली- तू भी अपनी चूत …

मेरी मुनिया उसका पप्पू-1

लेखक : जीत शर्मा दोस्तो ! यह कथा मेरी कहानियों की ए…

किरायेदार-6

लेखिका : उषा मस्तानी दो दिन बाद सुबह नल चलने की आव…

अंगूर का दाना-3

प्रेम गुरु की कलम से उस रात मुझे और अंगूर को नींद …

पड़ोसन दीदी-2

वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खीं…

किरायेदार-9

लेखिका : उषा मस्तानी रजनी उठी और उसने मुस्करा कर मु…

सुहागरात की सच्ची कहानी

दोस्तो, मैं अपनी सुहागरात की सच्ची कहानी ज्यों की त्य…

छुपाए नहीं छुपते-1

मेरे और सुगंधा के बीच प्रथम संभोग के बाद अगले दिन …

किरायेदार-7

मैं सोमवार रात को 10 बजे आया, सुरेखा और दिन की तर…

मेरी मुनिया उसका पप्पू-2

लेखक : जीत शर्मा वो अचानक बेड से उठा और कमरे से बा…