इक्कीसवीं वर्षगांठ-3

प्रेषिका : शिप्रा सुबह आठ बजे जब पापा ऑफिस चले गए त…

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -2

‘क्या आप इस संडे को मिल सकते हैं?’ उसने एक पल भी ग…

इक्कीसवीं वर्षगांठ-2

प्रेषिका : शिप्रा शिप्रा के रसोई में जाने के बाद मैं…

चचेरी बहन का कमसिन बदन, चूत और गांड

मुंबई से मेरी चचेरी बहन पिंकी गरमियों की छुट्टियाँ…

माया मेम साब-3

प्रेषिका : स्लिमसीमा कहानी का दूसरा भाग : माया मेम…

डर से बना कुत्ता

तन्हा आवारा नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम जय है, मेरा लंड…

भाई की रखैल

अन्तर्वासना के पाठकों को आपकी अपनी अर्चना का नमस्कार …

यौनसुख से वंचित पाठिका से बने शारीरिक सम्बन्ध -5

मैंने उसके बालों में उंगली फेरते हुए कहा- मंजरी ज…

मैं, मेरी बीवी और चचेरे भाई का सपना हुआ सच -4

चूत में अंदर बाहर होता हुआ लण्ड बिल्कुल चिकना हो चु…

जेम्स की कल्पना -1

कहानी के बारे में – दो दम्पति अपने साथियों की अदला…