इक्कीसवीं वर्षगांठ-2

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प्रेषिका : शिप्रा

शिप्रा के रसोई में जाने के बाद मैं अपने बिस्तर पर लेट लेटे तीन वर्ष पहले अपनी अठारवीं वर्षगाँठ की वह घटना को याद करने लगा जब शिप्रा और मेरे यौन सम्बन्ध स्थापित हुए थे। आप सब भी उस घटना के बारे में जिज्ञासु होंगे इसलिए मैं उसका विवरण निम्नखित अनुच्छेदों में लिख रहा हूँ !

जिस दिन मेरी अठारवीं वर्षगाँठ थी, माँ ने मुझे एक पेन और घड़ी भेंट दी थी और पापा ने अपने स्कूटर की चाबी मेरे हाथ में थमा दी थी, लेकिन शिप्रा ने मुझे सिर्फ फूलों का एक गुलदस्ता ही भेंट में दिया जिसमे रखे कार्ड पर लिखा हुआ था “तुम्हारी लिए एक प्यारी सी भेंट है मेरे पास जो मैं तुम्हे रात को अकेले में ही दूँगी !”

क्योंकि घर में सिर्फ दो बेडरूम थे इसलिए माँ और पापा आगे वाले बेडरूम में सोते थे और मैं और शिप्रा पीछे वाले दूसरे बेडरूम में रहते थे। वर्षगाँठ वाली रात को शिप्रा से भेंट मिलने की आशा में जब मैं बेडरूम में सोने को गया तो मैंने उसे उसके बिस्तर पर सोते हुए देख कर थोड़ा निराश हो गया और लाईट बंद कर अपने बिस्तर पर लेट गया !

करीब आधे घंटे के बाद मैंने शिप्रा को उठ कर कमरे से बाहर जाते हुए देखा और पांच मिनट के बाद वह जब वापिस आई तो अपने बिस्तर के बजाय मेरे बिस्तर में आ कर लेट गई।

मैंने उसे पूछा- मेरे बिस्तर पर किसलिए आई?

तो उसने कहा- तुझे मेरी अठारवीं वर्षगाँठ की भेंट देने आई हूँ !

शिप्रा लेटते ही मेरे से चिपट कर मुझे चूमने लगी और मेरी जांघों पर अपना हाथ फेरने लगी ! जब मैंने उसे मना किया तो वो मेरा लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने उसे एक बार फिर मना किया और उसे अलग करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो मेरा हाथ उसके नग्न मम्मों को लगा, तब मैंने अपना हाथ उसके बदन पर फेरा तो उसे बिल्कुल नंगा पाया ! मैंने जब उससे पूछा कि उसका इरादा क्या है, तो उसने बताया कि उसका सम्पूर्ण नग्न बदन ही उसकी ओर से मेरे अठारवीं वर्षगाँठ की भेंट है !

इसके बाद उसने अपने हाथ बढ़ा कर मेरे पजामे का नाड़ा खोलने की चेष्टा करने लगी और मेरे रोकने पर उसने मेरे होंटों पर अपने होंट रख दिए, फिर उसने मेरे हाथों को झटक कर अलग कर दिया और मेरे पजामे का नाड़ा खोल कर उसे उतारने लगी। जब मैंने विरोध जताया तो उसने मेरा सिर पकड़ कर मेरा मुँह अपने मम्मों पर रख दिया और उन्हें चूसने को कहा।

उसके मम्मों पर लगी मोटी मोटी सख्त डोडियाँ बिल्कुल मेरे होंटों के पास देख कर मैं थोड़ा उत्तेजित हो गया था इसलिए मैं उनको अपने मुँह में डाल कर चूसने लगा! शिप्रा ने इसका फायदा उठाया और मम्में चूसाते हुए मेरा पजामा तथा जांघिया उतार दिया और मेरे लौड़े को मसल कर उससे खेलने लगी।

लगभग पांच मिनट उसके मम्में चूसने के बाद मैंने शिप्रा से कहा कि अगर माँ या पापा में से कोई आ गया तो बहुत मुश्किल हो जायेगी।

तब उसने बताया कि थोड़ी देर पहले जब वह बाहर गई थी तब वह माँ और पापा को ही देख कर आई थी और वह दोनों चुदाई करके सो गए थे !

मेरे पूछने पर कि वह कैसे जानती है कि उन्होंने चुदाई की थी तो उसने बताया कि जब वह कमरे से बाहर गई थी तब बाथरूम में वह दोनों एक दूसरे को साफ़ कर रहे थे !

फिर शिप्रा ने मुझे बनियान भी उतारने को कहा और खुद मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी ! जब मैं बनियान उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया तब उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और उसमे उंगली करने को कहा।

कुछ देर मैं उंगली करता रहा फिर मैंने उसे कहा कि मैं भी उसे चूसना चाहता हूँ तो उसने पलट कर अपनी टांगें मेरे सिर की ओर कर दी और चौड़ी कर के अपनी चूत मेरे मुँह पर लगा दी।

जब मैं शिप्रा की चूत में जीभ डाल कर अंदर बाहर करने लगा तो वह उछलने लगी और उन्ह्ह… उन्ह्ह… की आवाजें निकालने लगी, इस डर से कि कहीं माँ या पापा सुन न ले मैंने धक्का मारा और अपना लौड़ा शिप्रा के मुँह में ठूंस दिया।

आवाज़ तो आनी बंद हो गई लेकिन लौड़ा गले में पहुँच जाने के कारण शिप्रा का दम फूलने लगा था और वह सांस के लिए छटपटाने लगी थी। मैंने तुरन्त लौड़ा बाहर निकला तो शिप्रा नाराज़ होते हुए कहा कि मुझे धक्का नहीं मारना चाहिए था, सांस घुटने से वह मर भी सकती थी !

मैंने उसे सॉरी कहा और उसे बताया कि वह बहुत जोर से आवाजें निकाल रही थी इसलिए उसे चुप कराने के लिए मैंने ऐसा किया था !

इस पर शिप्रा ने आश्वासन दिया कि अब वह आवाजें नहीं निकालेगी और अगले दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को चूसते रहे ! इस दस मिनट की चुसाई में शिप्रा ने दो बार पानी छोड़ा था जिसका स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं वह सारा पानी चाट गया ! इसी दौरान मेरा प्री-कम भी निकलना शुरू हो गया था जिसको शिप्रा बड़े मजे से पी गई थी !

शिप्रा बहुत गर्म हो चुकी थी इसलिए उसने उठ कर मेरे को सीधा लिटाया और मेरे उपर चढ़ कर अपनी चूत को लौड़े पर रख कर धीरे धीरे झटके मारती हुई नीचे बैठने लगी! थोड़ी देर में उसने पूरा लौड़ा अपनी चूत में फिट कर लिया और उपर नीचे उछल उछल कर हिलने लगी !

मैंने भी शिप्रा की चाल के अनुसार नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए ! पन्द्रह मिनट इस तरह हिलने के बाद शिप्रा हांफने लगी तब उसने मुझे ऊपर आने को कहा और खुद नीचे लेट गई !

मैंने उपर आ कर उसकी टाँगें चौड़ी करके अपने कन्धों पर रख लीं और अपने लौड़े को चूत के मुँह पर सेट कर अंदर धकेल दिया !

क्योंकि चूत अंदर से गीली होने के कारण उसमें बहुत फिसलन थी इसलिए मेरा लौड़ा एक ही धक्के में पूरा चूत के अंदर चला गया। फिर शिप्रा ने जब मुझे तेज़ धक्के देने को कहा तब मैं हिलने लगा और लौड़े को धीरे धीर चूत के अंदर बाहर करता रहा लेकिन जब उसने बहुत तेजी से करने को कहा तो मैंने जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिये।

मुझे तेज धक्के लगाते हुए पांच मिनट ही हुए थे तब शिप्रा थोड़ा ऐंठी, उसकी चूत सिकुड़ गई और उसमें से पानी बह निकला जिससे कमरे में पच.. पच.. के आवाज़ आने लगी !

इसके अगले पांच मिनट के बाद शिप्रा की चूत एक बार फिर पहले से भी ज्यादा जोर से सिकुड़ी तथा मेरे लौड़े को जकड़ लिया। इस बार चूत की जकड़ से मेरे लौड़े को ज़बरदस्त रगड़ लगने लगी और मेरे लौड़े का सुपारा फूलने लगा।

तभी शिप्रा आवाज़ निकालती हुई बहुत ही जोर से अकड़ी और उसकी चूत ने मेरे लौड़े को जकड़ कर उसे अंदर खींचना शुरू कर दिया।

तब मेरे लौड़े से और उसकी चूत में से रस बहने लगा ! देखते ही देखते शिप्रा की चूत रस से लबालब भर गई और वो रस बाहर रिसने लगा !

कहीं चादर खराब ना हो जाये इसलिए हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया, फिर हम दोनों बैडरूम में आकर शिप्रा के बिस्तर में एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और बातें करने लगे !

बातों हो बातों में मैंने शिप्रा से पूछ लिया कि क्या वह पहले भी कभी चुदी थी तो उसने बताया कि वह तो पिछले एक वर्ष से कभी कभी अपने एक दोस्त से चुद लेती थी, लेकिन वह हमेशा मेरे अठारह वर्ष का होने कि इंतज़ार कर रही थी जिससे वह घर में ही अपनी इच्छा अनुसार जब चाहे तब मुझ से चुद सके और अपनी प्यास बुझाने के लिए उसे किसी दोस्त के पास नहीं जाना पड़े !

फिर उसने बताया कि मैंने उसकी चुदाई उसके दोस्त से ज्यादा अच्छी तरह से की थी क्योंकि उसके कई कारण थे !

पहला कारण था कि मेरा लौड़ा उसके दोस्त से ज्यादा लम्बा, मोटा और लोहे जैसा सख्त था, दूसरा कारण था कि मैंने उसकी चुदाई अपने लौड़े को चूत की गहराई तक घुसा कर की, तीसरा कारण था कि मैंने उसकी चुसाई बहुत ही प्यार से की और ना तो दर्द किया और ना ही कोई तकलीफ होने दी, चौथा कारण था कि जब दोनों चरम-सीमा पर थे तब एक साथ ही रस का स्खलन हुआ जिससे उसकी चूत को पूर्ण आनन्द और संतोष मिला !

इसके बाद हम दोनों ने उठ कर कपड़े पहने और एक दूसरे को चुम्बन किया और अपने अपने बिस्तर पर जा कर सो गए !

चुदाई का यह सिलसिला हम दोनों के बीच शिप्रा की शादी तक हर सप्ताह में दो या तीन बार होता था !

यहाँ तक के शादी के दिन भी शिप्रा ने विदा होने से एक घंटा पहले मुझे बाथरूम में बुला कर चूत मरवाई और मेरे लौड़े को चूम कर अपनी मांग पर रख कर मुझे वचन दिया कि वह जब भी घर आया करेगी तब वह मुझ से ज़रूर चुदा करेगी !

शादी के बाद शिप्रा दो ही बार सिर्फ दो या तीन दिनों के लिए घर आई थी लेकिन उन दिनों में भी उसने अपना वचन निभाया और मुझे भरपूर यौन क्रीड़ा का आनन्द एवं संतोष दिया !

यहाँ तक तो अतीत की बात थी, अब क्योंकि वह इस बार कुछ अधिक दिनों के लिए रहने आई थी, इसलिए मुझे उससे कुछ ज्यादा आनन्द एवं संतोष की आशा थी !

वर्तमान में उसने मुझे वह आनन्द एवं संतोष कैसे दिया, मैं उसका विवरण अगले भाग में कर रहा हूँ !

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