Search Results for "होता-हे-जो-वोह-हो-जाने-दो"
मेरा गुप्त जीवन -74
उर्मि की चूत चुदास कुछ दिन बाद उर्मि मुझको कॉलेज मे…
एक भाई की वासना -20
सम्पादक – जूजा जी हजरात आपने अभी तक पढ़ा.. जाहिरा क…
मेरी बिगड़ी हुई चाल
कोमल की कोमल चूत की तरफ से आपको नमस्ते। मैं आपको ब…
मेरी कजन की ख्वाहिश
मेरी पिचली स्टोरी सबने पढ़ी है, आप सब का मुझे जवाब …
मेरा गुप्त जीवन-43
रात भर हम जागते, चोदते और सोते रहे। यही क्रम काफी …
एक ही बाग़ के फूल-1
दोस्तो, कैसे हो आप सब लोग! आपने मेरी पिछली कहानी द…
मेरा गुप्त जीवन -45
कम्मो काफ़ी देर चोदती रही मुझको… और जब उस का मन भर …
एक ही बाग़ के फूल-2
मेरी नज़र अब आंटी की चूत पे गयी जहाँ उसके हल्के बाल…
उसका मेरा रिश्ता-2
प्रेषिका : निशा भागवत मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटा…
एक ही बाग़ के फूल-5
छाया ने कहा- जब कभी कभी मैं सोई रहती हूँ तब ऐसा ल…