Search Results for "होता-हे-जो-वोह-हो-जाने-दो"
जिस्म की जरूरत-18
मैंने अब उसकी आखिरी झिझक को दूर करना ही उचित समझा…
तृप्ति की वासना तृप्ति-1
लेखक : संजय शर्मा उर्फ़ संजू सम्पादक एवं प्रेषक : सिद्ध…
ये दिल … एक पंछी-2
प्रेषिका : निशा भागवत “ओह्ह्ह ! मैं तो गई…” “प्लीज नि…
जिस्म की जरूरत-16
अपनी असफलता से दुखी होकर मैंने वंदना की आँखों में…
खामोश शर्मिन्दगी
बहुत देर से रेलवे आरक्षण की लम्बी कतार में खड़े रहने…
जिस्म की जरूरत -20
नमस्ते दोस्तो, उम्मीद है कि मेरी पिछली कहानियों ने आ…
जेम्स की कल्पना -6
कल्पना को अपने आसपास खाली-सा लग रहा था। वह भी कुछ …
जन्मदिन का उपहार
प्रेषक : मुकेश कुमार दोस्तो, आज मैं अपनी सच्ची कहानी…
प्रणव की दास्तान
प्रेषक : सचिन शर्मा यह मेरे दो दोस्तों की कहानी है, …
जिस्म की जरूरत-14
थोड़ी देर हम सब यूँ ही एक दूसरे के साथ हंसी मजाक क…