Search Results for "होता-हे-जो-वोह-हो-जाने-दो"

एक सुन्दर सत्य -2

लेखक- स्वीट राज और पिंकी सेन उधर मन्त्री का चमचा ऊपर…

संसर्ग : एक कविता

सभी गदराई हुई लड़कियों, भाभियों और आंटियों के गीले…

अंगूर का दाना-1

प्रेम गुरु की कलम से एक गहरी खाई जब बनती है तो अपन…

नवाजिश-ए-हुस्न-2

लेखक : अलवी साहब इतने में हम पहुँच गए और चारों को…

एक सुन्दर सत्य-5

आख़िरकार उसके लौड़े ने लावा उगल दिया, गर्म गर्म वीर्य …

अंगूर का दाना-6

प्रेम गुरु की कलम से प्रथम सम्भोग की तृप्ति और संतुष्ट…

एक थी वसुंधरा-4

“वसुंधरा! यह यह … मैं! कैसे … क्यों …??” सेंटर-टेब…

अंगूर का दाना-4

मैंने उसे बाजू से पकड़ कर उठाया और इस तरह अपने आप …

अंगूर का दाना-7

प्रेम गुरु की कलम से ‘अम्मा बापू का चूसती क्यों नहीं…

जंगल में गांड मंगल

इलाहबाद के होटल में एक ही रात में तीन बार मेरी गा…