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वो सात दिन कैसे बीते-6

‘हम एनल सेक्स कर सकते हैं… अगर तुम चाहो।’ मैंने खु…

यौन वासना के वशीभूत परपुरुष सहवास

लेखिका : अर्पिता चौहान संपादिका एवम् प्रेषक: टी पी ए…

गोवा में मुठ मारने का झूठ

दोस्तो, मैं नीलेश अपनी पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ…

वो सात दिन कैसे बीते-8

अगले दिन शुक्रवार था और आज भी उसकी क्लास थी जिससे व…

जिस्मानी रिश्तों की चाह-43

सम्पादक जूजा मैंने आपी को यकीन दिलाया कि मैं सिर्फ़ …

कांच का टूटना अधूरा शुभ होता है

नमस्कार दोस्तो.. मैं आपके लिए परिचित तो नहीं हूँ.. …

गाँव की मस्तीखोर भाभियाँ-1

नमस्ते दोस्तो.. जलगाँव ब्वॉय का आप सभी को प्यार भरा प्…

गाँव की मस्तीखोर भाभियाँ-2

पिछले भाग से आगे.. भाभी बोलीं- जरा मेरे देवर का प…

जिन्दगी के दो हसीन तोहफे-1

कैसे हो दोस्तो, मैं आपका दोस्त राज एक बार फिर से आप…

भाभी की चूत की गर्मी को मिली ठण्ड

हेल्लो दोस्तो, मैं दीपक, सोनीपत जिले (हरियाणा) से आ…