मेरठ वाली दीदी की चूत चुदाई का मजा

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मेरा नाम मोनू है, मैं एक सीधा साधा लड़का हूँ और अन्तर्वासना में यह मेरी पहली एडल्ट कहानी है जो कि एक सच्ची घटना है. पहले मैं आप सबको अपने बारे में थोड़ा सा बता दूं. मेरी हाइट 5 फीट 8 इंच, रंग गोरा, लंड 5.5 इंच लम्बा है.

यह बात उस समय की है, जब मैं बारहवीं कक्षा पास करके ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली से मेरठ आया था क्योंकि मेरे बारहवीं कक्षा में मार्क्स में बहुत कम आए थे इसलिए मुझे दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसी भी कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला इसलिए मैं मेरठ आ गया. यहीं मुझे एक कॉलेज में एडमिशन भी मिल गया.

अब क्योंकि रहने को कोई जगह नहीं थी, तो मैं अपने किसी जान पहचान वालों के घर में रहने लगा. जिनके घर में मैं रहने लगा था, मैं उन्हें बुआ बुलाता था. उनकी दो बहुत ही जवान और खूबसूरत लड़कियां थीं, जो शादी की उम्र में आ चुकी थीं. मैं उन्हें दीदी कह कर बुलाता था. बड़ी वाली का नाम नेहा और छोटी वाली का निशा था.

बुआ की दोनों लड़कियां घर में ही रहती थीं, उनकी पढ़ाई वगैरह सब कुछ खत्म हो चुकी थी. मुझे जब भी टाइम मिलता मैं उनके साथ बातें करते हुए बिताता. मैं उनके बारे में ज्यादा नहीं सोचता था. पर एक दिन नेहा दी मेरे लिए नाश्ता लेकर आई और जैसे ही वो नाश्ते की प्लेट रखने के लिए टेबल में झुकीं, मुझे उनकी दोनों चुचियां जोकि बहुत ही गोल, गोरी और रबर की तरह हिल रही थीं. मेरी तो नजर उनकी दोनों चुचियों से हट ही नहीं रही थीं. इतने में दीदी ने मुझे देख लिया और डांटा- क्या देख रहे हो?

मैं तो एकदम शर्म से लाल हो गया और अपनी नजरें नीचे झुका लीं. दो पल बाद मैंने दोबारा आँख उठा कर देखा तो दी वापस जा रही थीं. इस वक्त उनकी ठुमकती हुई गांड क्या मस्त लग रही थी. दोनों चूतड़ ऐसे हिल रहे थे कि मन करता था झपट कर दीदी की उस रसीली गांड को अपनी बांहों में भर लूँ और दीदी के साथ जी भर के खेलूँ. पर उस समय ऐसा नहीं हो सकता था.

आज की घटना से मेरा नजरिया बदल गया था, अब मैं हर वक़्त प्लान बनाने लगा कि कैसे उनकी चूत और गांड से खेला जाए. फिर एक दिन वो वक़्त आ ही गया. घर के सब लोग बाहर बाजार जाने वाले थे, मुझे जैसे ही पता चला कि नेहा दी नहीं जा रही हैं, सो मैंने भी जाने से मना कर दिया.

इसलिए अब मैं और नेहा दी घर में करीब 5 घंटे के लिए अकेले बचे थे. मेरी हिम्मत नहीं हो रही थे कि कैसे मैं दी को अपने पास बुलाऊं, पर दी ने मुझे आवाज दी- सुनो मोनू.. इधर आओ हम दोनों टीवी में मूवी देखते हैं. मैंने सोचा ये तो खुद ही काम बन गया, मैंने कहा- हाँ दीदी आता हूँ.

मैं उनके पास आ गया और हम दोनों मूवी देखने लगे. तभी मूवी में एक सीन आया जिसमें लड़का बिल्कुल मेरी तरह एक लड़की की चूचियों की ओर देख रहा था. यह देखते ही नेहा दी मेरी ओर देखने लगीं और मेरी तो आँखें शर्म से नीचे झुक गईं, तभी दीदी मुझसे पूछ बैठीं- अच्छा ये बताओ तुम उस दिन क्या देख रहे थे? मुझे भी ऐसे ही मौके की तलाश थी, मैंने भी फट से बोल दिया- नेहा दी, आप बहुत खूबसूरत हैं… मैं जब भी आपको देखता हूँ.. तो मुझे बहुत अच्छा लगता है.

यह सुन कर दीदी जोर जोर से हंसने लगीं और मुझसे पूछने लगीं- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने बोला- नहीं आज तक नहीं बनी.

यह बोलते अचानक ही मेरे हाथ दी की कमर के पीछे चले गए और मैं उनकी कमर को सहलाने लगा. दी कुछ नहीं बोलीं और चुपचाप आँखें बन्द किए हुए थीं. मेरी डर से हालत ख़राब थी पर मैंने सोचा अगर आज नहीं तो फिर कभी नहीं, इसलिए मैं धीरे धीरे अपने हाथों को दी के गले तक ले गया और उनके सर को पकड़ कर उनके होंठों अपने होंठों से लगा लिया. दी अब भी कुछ नहीं बोलीं, मेरी तो जैसे हिम्मत ही बढ़ गई.

मैं नेहा दी को जोर जोर से चूमने लगा, दी की सांसें जोर से चलने लगीं और बीच बीच में वो “मोनू आई लव यू..” बोल देती. जवाब में मैं भी उन्हें “आई लव यू टू..” बोल देता.

मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई थी क्योंकि नेहा दी का फिगर क्या बताऊँ… वो एकदम गोरी थी, उनका मांसल शरीर एकदम लचीला था, जब वो ठुमक कर चलती थीं, तो उनकी चुचियां और गांड ऐसे हिलते हैं कि कलेजा मुँह में आ जाता है. वो सीन कोई देख ले तो उन्हें वहीं पकड़ कर चोद दे.. और इस वक्त तो वो हसीना मेरी बांहों में थी.

मैं उनकी वो रसीली चुचियों को जोर से दबाने लगा, जिससे वो भी जोश में आ गईं और कहने लगीं- मोनू मुझे प्यार कर.. जी भर के मेरे बदन से खेल.. मुझे अपनी बीवी बना ले.. आह.. मुझे च..चोद डाल.. मेरी चूत को चोद के अपना बना ले प्लीज.. मेरे राजा..

बस फिर क्या था, अब मैं कहां रुकने वाला था. मैंने झट से उनके बदन से उनकी टी-शर्ट को अलग कर दिया और अपनी टी-शर्ट को भी उतार दिया. अपने बदन से उनके बदन को चिपका लिया. एक हाथ से मैं उनकी चुचियां दबाता दूसरे से उनकी लोअर को निकालने लगा. कुछ ही देर में जिसको मैं चोदने के ख्वाब सोचता था, वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी.

मैंने दीदी के गले से चूमते हुए उनके सारे बदन को अपने थूक से भिगोते हुए उनकी चूत पर अपने मुँह को लगा दिया. फिर उनकी चूत के ऊपर अपनी जीभ रख दी. नेहा दीदी तो जैसे तड़प गईं. ऐसा लगता था कि उनके साथ आज से पहले कभी ना हुआ हो.

दीदी दोनों टांगों से मेरे सर को अपनी चूत के ऊपर दबाने लगीं और चिल्लाने लगीं- आह.. चाट ले राजा पूरी चूत को घुसा दे अपनी जीभ को अन्दर.. पी ले सारा रस मेरी जवानी का.. आह..

मैंने भी आज अपनी पोर्न मूवीज का पाया हुआ ज्ञान आज दीदी के साथ चुदाई में लगा दिया. मैं दीदी की चूत को अपनी थूक से भिगो कर जोरों से चाटने लगा. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.

तभी दीदी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- मेरा होने वाला है.. आह.. और जोर से चूस ले.. मैं भी चूत का चबूतरा बनाने में लगा था. दीदी मादक सिस्कारियां लेते हुए चिल्ला रही थीं- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… मोनू और जोर से और जोर से..

कुछ ही मिनट में दीदी ढेर हो गईं, पर लगता था आज वो रुकने वाली नहीं थीं. उन्होंने चूत से रस छोड़ने के बाद एक पल की देर नहीं की और तुरंत अगले पल मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया. अब दीदी मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह जोर जोर से चूसने लगीं. आह.. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो बिना मेरे सारा माल पिये नहीं रुकेंगी.

मैं भी 5 मिनट में उनके मुँह में झड़ गया और उन्होंने मेरा सारा माल पी लिया. अब उन्होंने मुझे बिस्तर में धक्का दिया और मेरे ऊपर आ गईं. दीदी मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगीं और फिर मेरे मुरझाए हुए लंड को दोबारा से चूसने लगीं. मेरा लंड दोबारा से धीरे धीरे खड़ा होने लगा.

अब मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया था. मैंने उन्हें पकड़ कर नीचे लेटा दिया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया. दीदी जोर से बोलने लगीं- आह जल्दी से डाल दे अन्दर.. मेरे राजा फाड़ दे इस चूत को.. बना ले मुझे अपनी रांड..

उनकी बातें सुन कर मेरे अन्दर और जोश भर गया. मैंने लंड में थूक लगाया और उनकी चूत में रख कर आराम से अपने लंड को अन्दर करने लगा. ओह ऐसा लग रहा था जैसे मैं धीरे धीरे जन्नत में घुसता जा रहा हूँ.

उधर नेहा दीदी की आँखें जैसे ऊपर जाने लगीं, जैसे उन्हें दर्द और मजा दोनों एक साथ आ रहा था. उन्होंने अपनी दोनों टांगों से मेरे कमर को अपनी चूत में दबा दिया, जिससे मेरा लंड उनकी चूत में और गहराई तक चला गया और हम दोनों की आह निकल गई.

“आह ओह माय बेबी.. चोद दो मुझे मेरी बुझा दो प्यास मेरी..” मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी. उन्होंने तो अपनी टाँगें खोल लीं और बोलने लगीं- चोदो.. मुझे.. बेबी आह जानू आह.. ओह मेरी जान.. और चोदो मुझे और चोदो मेरा बेबी.. प्लीज हाँ ऐसे ही हाँ बुझा दो मेरी प्यास.. मैंने कहा- ह्म्म्म मेरी जान अब घूम जाओ.

फिर नेहा दीदी को मैंने डॉगी वाली पोजीशन में करके उनकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसेड़ दिया. दीदी के मुँह से फिर एक आह की आवाज निकल गई “आह ओह आह चोदो मुझे..”

मैं दीदी के ऊपर लदते हुए उन्हें जोर जोर से कुतिया की तरह चोदने लगा. वो जोर जोर से चिल्लाती जा रही थीं- आह.. चोद दे मुझे आज कुतिया की तरह बजा दे मेरी.. आज फाड़ दो मेरी चूत मेरे राजा..

मैंने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी, दीदी की झूलती चूचियों को अपनी दोनों मुठ्ठियों में भींच कर मैं जोर जोर से शॉट्स मारने लगा.

कमरे में हर धक्के की आवाज गूंज रही थी और ये कामुक आवाजें कमरे के माहौल को और ज्यादा सेक्सी बना रही थीं.

साथ ही नेहा दीदी की आवाज- आह ओह माय ओह बेबी चोद दो.. आह और आह आह मेरा होने वाला.. और जोर जोर से चोद..

इधर मेरा भी होने वाला था. मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और नेहा दी जोर जोर से झड़ने लगीं, जिस वजह से हर धक्के में चाप चप चाप की आवाज आने लगी. मुझसे भी नहीं रहा गया और मैं भी उनकी चूत में ही जोर से झड़ने लगा. ऐसा लगा जैसे आज पूरी नदी बह रही हो. उनकी चूत में अन्दर गर्म गर्म लावा में मेरा लंड तैर रहा था. आह मैं उनकी कमर पर ही चिपक गया.

इस चुदाई में मैं और नेहा दी बहुत थक गए थे, सो हम दोनों वहीं बेड में एक दूसरे की बांहों में चिपक कर लेट गए. बस आज के लिए इतना ही! मेरी एडल्ट कहानी पर अपने सुझाव और कुछ भी कमेन्ट, मुझे [email protected] पर भेजें.

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