दीदी की गर्म चूत की चुदाई

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दोस्तो.. मैं आपका संचित.. फिर से हाजिर हूँ.. अपनी एक नई कहानी के साथ.. मैं तलवाड़ा, होशियारपुर(पंजाब) का रहने वाला हूँ.. बात उस समय की है जब मैं MCA कर रहा था और ये घटना मेरी पिछली कहानी शिवानी की सील तोड़ चुदाई में शिवानी को चोदने के थोड़े दिनों के बाद की है..

मैं एक दिन कॉलेज़ नहीं गया था और घर में ही पोर्न फिल्म देख रहा था। तभी अचानक डोर-बेल बजी।

मैंने सोचा कोई पड़ोसी होगा इसलिए मैं मूवी को पॉज़ करके डोर खोलने चला गया.. डोर खोला तो देखा कि मेरी मौसी की लड़की हमारे घर आई थी।

मौसी की लड़की की चूत की सील तोड़ी इस कहानी में मैंने आपको बताया था की मेरी मौसी की दो लड़कियाँ है जिनमें से बड़ी की शादी हो चुकी है.. और वो शादी के बाद पहली बार घूमने आई थी। जीजा जी को बाजार में कुछ काम था तो दीदी मम्मी से मिलने आ गई।

वैसे दीदी मुझसे भी खुल कर बात करती थी। शादी से पहले तो वो साधारण ही लगती थी.. पर आज तो वो कमाल की लग रही थी.. पीले रंग के सूट सलवार में वो एक मस्त माल लग रही थीं।

दीदी घर पर आई तो मैं बहुत खुश हुआ.. मैंने दीदी को नमस्ते की.. दीदी ने मुझसे पूछा- मौसी और सब लोग कहाँ हैं? मैंने कहा- दीदी.. घर में आज और कोई नहीं है। मम्मा-पापा बुआ के घर गए है.. तो दीदी बोली- और क्या चल रहा है आजकल फिर..? मैंने कहा- दीदी कुछ नहीं.. बस इम्तिहान आने वाले हैं.. तो पढ़ रहा हूँ।

लेकिन बातों-बातों में मैं भूल गया कि अन्दर लैपटॉप पर पॉर्न मूवी चलती छोड़ आया हूँ। जैसे ही दीदी ने कमरे में प्रवेश किया और मेरा लैपटॉप देखा तो मैं डर गया.. दीदी ने पूछा- तो ये पढ़ाई कर रहा है तू?

मैंने बहाना बनाया कि यह मेरी नहीं है मेरे दोस्त की है.. पढ़ाई कर के बोर हो रहा था.. तो सोचा की कोई मूवी देख लूँ.. पर मुझे नहीं पता था कि इसमें ये सब है। दीदी ने मुझे शक भरी नजरों से देखा और बोलीं- ज्यादा तेज मत बन.. फिर मैंने बात बदलते हुए कहा- दीदी आप पानी पियोगी?

तो दीदी ने बोला- हाँ.. पिला दे.. और ए.सी. की कूलिंग थोड़ा बढ़ा दे।

मैं रसोई से पानी ले कर आ गया और देखा कि.. दीदी ने अपना दुपट्टा अलग रखा हुआ था और उनके मम्मे सूट से बाहर आते नजर आ रहे थे। मैं बोला- दीदी, पानी पी लो। मेरे हाथ अभी भी काँप रहे थे और मैंने पूरा गिलास दीदी के ऊपर ही गिरा दिया। दीदी गुस्से में बोली- यह तूने क्या किया?

मैं ‘सॉरी..सॉरी..’ करता रहा। दीदी बोली- चल कोई बात नहीं..

फिर उन्होने जीजू को फोन किया और कहा- मैं मौसी के साथ कहीं जा रही हूँ.. संचित मुझे शाम को छोड़ जाएगा.. इतना कह कर उन्होंने फोन काट दिया। लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया कि दीदी के मन में क्या चल रहा था।

फिर अचानक दीदी बोलीं- अब इधर आ.. उन्होंने अपने हाथ ऊपर करके कहा- मेरी कमीज ऊपर खींच। मैंने कहा- दीदी ये क्या बोल रही हो आप? वो गुस्से से बोलीं- जल्दी कर.. जो कहा है..

मैं कांप रहा था.. मैंने दीदी की कमीज को ऊपर खींच दिया और वो ब्रा में मेरे सामने आ गई थीं। मैं निगाहें नीचे करके चोरी-चोरी से उनके मम्मे देख रहा था।

फिर उन्होंने मुझे अपनी सलवार का नाड़ा खोलने को कहा। इस बार मैंने कुछ नहीं बोला और उनका नाड़ा खींच दिया.. और दीदी के बोलने पर उनकी सलवार भी उतार दी। अब वो केवल गुलाबी ब्रा और गुलाबी पैन्टी में मेरे सामने थीं।

मैं दीदी का नंगा बदन देख पागल सा हो रहा था.. पर डर के मारे चुपचाप गर्दन नीचे करके खड़ा था। तभी दीदी बोली- खड़ा क्या है..? जा मेरे कपड़े सूखने के लिए डाल आ..

मैंने वैसे ही किया.. और जब वापिस आया तब भी दीदी मेरे सामने वैसे ही बैठी थीं, वो बोलीं- कैसी लग रही हूँ मैं? मैंने कहा- दीदी क्या बोल रही हो आप?? दीदी बोलीं- बता न.. कैसी लग रही हूँ..? मेरा डर थोड़ा कम हुआ.. मैंने कहा- अच्छी लग रही हो। दीदी अपने दूध दबाते हुए बोलीं- कितनी अच्छी? मैंने कहा- बहुत अच्छी.. दीदी..

‘तेरी उन पोर्न एक्ट्रेस से भी ज्यादा अच्छी लग रही हूँ क्या मैं..?’ मैंने हिम्मत करके बोल दिया- हाँ दीदी.. वो सब तो आपके सामने कुछ भी नहीं हैं..। क्योंकि अब तक मैं उन्हें अपने जिस्म की कामुक नुमाइश करते देख कर समझ गया था कि दीदी क्या चाहती थीं।

दीदी अपनी चूत खुजाते हुए बोलीं- तो मुझे प्यार नहीं करेगा? इतना सुनते ही मैं उन पर टूट पड़ा.. मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर टिका दिए और उन्हें चूसने लगा। वो बोली- आराम से कर ना.. मैंने कहा- आप चुप रहो.. बस चुप..

मैंने उन्हें उल्टा लिटा दिया और चूसने चाटने लगा।,वो सिसकारियाँ भरने लगी थीं.. गर्म होने लगी थीं.. वो कामुक होकर ‘आह.. आह..’ कर रही थीं और कह रही थीं- आह.. आह.. मजा आ गया.. आराम से कर.. क्या कच्चा खा जाएगा मुझे तू..?

फिर मैंने उनकी ब्रा को खोला और मम्मे चूसने लगा.. वो पागल सी हो गईं। मैं उन्हें चूसता रहा.. कई बार मैंने निप्पल पर काट भी दिया.. दर्द के मारे वो मेरे बाल नोंच रही थीं। अब बारी दीदी की फुद्दी के दीदार करने की थी.. मैंने उनके मम्मे चूसते-चूसते अपना एक हाथ उनकी पैन्टी में डाल दिया.. चूत पर एक भी बाल नहीं था.. एकदम मुलायम..और चिकनी चूत थी।

फिर मैंने उनकी पैन्टी निकाली और उनकी गुलाबी चूत को देखा तो मैं पागल हो गयाम, चूत गीली हो रही थी.. मैंने अपने होंठ उस पर रख दिए और पागलों की तरह चाटने लगा।

वो पागल सी हो गईं और मेरे कपड़े उतारने लगीं.. फिर अंडरवियर से मेरे लंड को निकाल कर चूसने लगीं। मैं उनकी फुद्दी चाटता और कभी अपनी उंगली उनकी फुद्दी में घुसेड़ देता.. तो वो चीख पड़ती थीं। अब वो बोलीं- अब नहीं रहा जाता.. कुछ कर.. डाल दे मेरे अन्दर अपना लंड संचू…

लेकिन मैंने पहले उन्हें मेरा लंड चूसने को बोला.. और उनके मुँह में लौड़ा घुसेड़ दिया। थोड़ी देर चूसने के बाद वो फिर बोलीं- अब डाल दो.. भैनचोद.. क्यों तरसा रहे हो..??

मैंने उन्हें झट से बिस्तर पर पटका और उनकी टाँगें खोल दीं। अब अपना लंड मैंने उनकी फुद्दी पर लगाया और एक झटका मार कर अपना खड़ा लंड अन्दर डाल दिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।

वो ‘आह.. आह.. आह.. आह..’ कर रही थीं। थोड़ी देर बाद दीदी बोलीं- संचू.. मैं झड़ने वाली हूँ.. थोड़ा और तेज करो.. थोड़ी देर में दीदी झड़ गईं.. पर अभी मैं झड़ने वाला नहीं था.. तो मैंने अपना चुदाई का काम चालू रखा।

काफी देर के बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया.. तो मैंने दीदी से बोला- दीदी मेरा छूटने वाला है। तो दीदी कामुकता से बोलीं- संचू भैनचोद.. चूत में अन्दर ही माल डाल दे.. मैंने सारा पानी उनकी चूत में ही गिरा दिया।

फिर मैं वैसे ही दीदी पर लेट गया। दीदी बोली- संचू.. बड़ा मज़ा आया आज.

वो मेरे लंड को फिर से सहलाने लगीं.. थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से अकड़ गया.. और मैं फिर से दीदी की चुदाई करने को तैयार हो उठा था। दीदी ने भी मेरा साथ दिया.. और अब की बार मैंने उन्हें घोड़ी बना कर उनकी फुद्दी मारी।

इस बार पहले से भी ज़्यादा मज़ा आया और दीदी ने मेरा सारा माल अपने मुँह में डलवाया और बड़े मजे से स्वाद लेते हुए पूरा माल पी गईं। उसके बाद मैंने दीदी को अपने लंड के ऊपर बिठाया और उन्हें चोदा, मैंने उस दिन दीदी को चार बार अलग-अलग तरीके से चोदा।

अब शाम हो गई थी.. दीदी तैयार हुई और जाने लगीं.. तो मैंने एक बार फिर उन्हें चोदने के लिए बोला। पहले दीदी ने मना कर दिया.. पर मेरे बोलने पर मान गईं। अबकी बार मैंने सिर्फ़ उनकी सलवार और पैन्टी ही खोली थी। इस बार की ठुकाई में भी दीदी दो बार झड़ गईं और मैंने भी अपना सारा माल उनके मुँह में ही झाड़ा।

फिर उन्होने अपने कपड़े पहने और हमने 10 मिनट तक एक-दूसरे को चूमा। उसके बाद दीदी चली गईं.. फिर तो मैंने दीदी की और भी बहुत बार चुदाई की.. लेकिन वो सब अगली बार लिखूँगा।

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