दीदी की पड़ोसन को चोद डाला

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

नमस्कार दोस्तो, मैं राज रोहतक (हरियाणा) से फिर एक बार अपनी एक और हकीकत लेकर आप सबके सामने हाजिर हूँ. शायद आप मुझ भूल गए हो, तो मैं आपको फिर से अपने बारे कुछ में बता देना चाहता हूँ.

मैं छह फीट का एक लम्बा तगड़ा लड़का हूँ. मैं रोहतक के पास के ही एक गांव से हूँ. आज मैं जो अपनी बात आपसे शेयर करने जा रहा हूँ, वो घटना फरवरी महीने की ही है.

अन्तर्वासना की कहानियों को मैं चार साल से पढ़ रहा हूँ और मैं समझता हूँ कि अपनी बात शेयर करने की इससे अच्छी साइट नहीं है. आपने मेरी पिछली कहानियां पढ़ीं और सराहा उसके लिए आपका दिल से धन्यवाद. आगे बढ़ने से पहले मैं आप से फिर से विनती करता हूँ कि कृपया किसी का नाम पता ना मांगें क्योंकि मैं दोस्ती में किसी के साथ धोखा नहीं करता हूँ.

मेरी एक बहन की शादी दिल्ली के बवाना के पास के गांव में हुई है तो मैं हर दो तीन महीनों में वहां जाता रहता हूँ. उनकी ससुराल में बहन के सास ससुर और मेरे जीजा तथा एक मेरी बहन की ननद का लड़का हैं तीन साल का.

मेरी बहन के पड़ोस में एक खूबसूरत मगर हाइट में थोड़ी छोटी महिला रहती थी. वो मेरी बहन के घर खूब आती रहती थी. उसका नाम सुनीता (काल्पनिक) है.

सुनीता के घर में वो, उसका पति उसका ससुर और एक बेबी जो लगभग दो साल की होगा.. यही चार आदमी थे. सुनीता का पति एक प्राइवेट नौकरी करता था, जो एक दिन रात को घर में रहता था और अगले दिन की रात में नौकरी पर रहता था.

मैं पिछली फरवरी में अपनी बहन की ससुराल गया, तो सुनीता वहीं बैठी थी. मैंने सबको नमस्ते की और वहीं बैठ गया. फिर सबका हालचाल पूछा.

सुनीता मुझे बड़ी हसरत से देखने लगी थी. थोड़ी देर में सुनीता अपने घर जाने लगी. जब वो मुड़ी तो मेरी निगाह उस पर चली गई.. क्या गांड थी साली की, एकदम मुर्गी की तरह उठी हुई. मेरा तो मन हुआ था कि बस इसे अभी ही पटक कर इसके ऊपर चढ़ जाऊं. मगर ये संभव नहीं था. वो चली गई. मैंने चाय पानी पी और टीवी देखने लगा.

शाम को वो फिर आ गयी और मेरी बहन के पास जाकर बैठ गई. मैं भी उन दोनों के पास जाकर बैठ गया. मैं तो बस सुनीता को देखने लगा. क्या मस्त उठी हुई चुची थी. मेरा लंड टाइट होने लगा. वो तो शुक्र है कि मैंने जींस की पैंट पहन रखी थी. वो भी कनखियों से मुझे देख लेती थी.

कुछ देर बाद जब मुझे लंड को सम्भालना मुश्किल हो गया तो मैंने अपनी बहन को बोला- मुझे नहाने जाना है, गर्म पानी का क्या है? इस पर बहन ने कहा- हां तो नहा ले न … बाथरूम में ही गर्म पानी है. तभी सुनीता बोली- ठंड लग जाएगी, इस टाइम मत नहाओ. मैं बोला- कुछ नहीं होगा … मेरी सुस्ती दूर हो जाएगी.

इस पर वो कुछ नहीं बोली. मैं उठ कर मुड़ा, तो उसने मेरी जींस की पैंट में परेशान लंड देख लिया.

अब नहाना तो मेरा एक बहाना था, बस उसे देखकर मुठ मारनी थी. मैं बाथरूम में घुस गया और गरम पानी बाल्टी में डालकर कपड़े उतार कर अपने लंड महाराज को आजाद कर दिया. इसके बाद मैं जल्दी से कोई सुराख देखने लगा ताकि सुनीता को देखकर मुठ मार सकूं.

मुझे सुराख नहीं दिखा, पर एक रोशनदान था, जिसमें से सुनीता अच्छे से दिख सकती थी. रोशनदान थोड़ी ऊंचाई पर था, पर एक प्लास्टिक का छोटा स्टूल था, जिस पर चढ़ कर देखा तो वो आसानी से दिख रही थी.

अब मैंने फटाफट पानी अपने शरीर पर डाला और साबुन लगाने लगा. लंड पर साबुन लगाकर मैं स्टूल पर खड़ा होकर सुनीता को देखकर मुठ मारने लगा. वाह क्या चुची थीं … क्या गांड का इलाका था. बस उसे देखकर लंड हिलाता रहा. कुछ देर में लंड ने पानी छोड़ दिया. दोस्तो, किसी शादीशुदा औरत को देखकर मुठ मारने में भी बहुत आनन्द आता है.

मैं नहा धोकर बाहर आ गया, तो देखा कि सुनीता भी घर जा रही थी. वो जैसे ही मुड़ी, मेरी बहन भी रसोई में चली गई. मैं यूं ही खड़े रह कर सुनीता की गांड देखने लगा. वो चली गई सुनीता का घर बहन के घर के बिल्कुल सामने था, दोनों घरों के बीच में एक छह फुट की पतली गली थी. मजेदार बात तो यह थी कि सुनीता का बेडरूम ऊपर वाला कमरा था, जिसका दरवाजा भी दीदी के घर के सामने था.

मैं रात को खाना खाकर ऊपर बने कमरे में सोने चला गया. अब जिसके घर के सामने मस्त माल हो, तो नींद किसे आए. रात को आठ बजे सुनीता भी ऊपर सोने के लिए अपने बच्चे को लेकर चढ़ गई, मैं खिड़की में खड़ा था, उसने एक बार मेरी तरफ देखा और अन्दर चली गई. उसने अपनी खिड़की का दरवाजा बंद कर लिया.

मैंने जान लिया कि आज ये अकेली है और मैं समय खराब कर रहा हूँ. लेकिन क्या करूँ? ऐसे ही सोचते सोचते लंड को पैंट से बाहर निकाल हिलाने लगा. मेरा मन कर रहा था कि अभी उसके पास चला जाऊँ और खूब चोदूँ.

मैंने फिर से खिड़की को खोल लिया था और उसी के कमरे की तरफ बड़ी आशा भरी निगाहों से देखता हुआ लंड हिला रहा था. इस वक्त अँधेरा सा हो गया था. सिर्फ मेरे कमरे की बत्ती जल रही थी.

थोड़ी देर में उसका दरवाजा खुला. शायद वो पेशाब करने जा रही थी. अब उसे देख कर मैंने लंड हिलाने की स्पीड बढ़ा दी. उसने मुझे देख कर हाथ हिलाया कि क्या हुआ, मैंने गर्दन हिलायी- कुछ नहीं. वो मुझे लंड हिलाते हुए देख रही थी. मेरा लंड तो उसे नहीं दिख रहा होगा, पर मेरा हाथ सड़का मारने के कारण आगे पीछे हो रहा था. जिससे उसे कुछ समझ आ गया होगा.

अब इस वक्त लंड पूरे उफान पर था, तो मेरा डर भी गायब हो गया था. वो समझ चुकी थी कि मैं उसको देख कर लंड की मुठ मार रहा था. इस पर हल्के से मुस्कुरा दी. उसको मुस्कुराते देखा तो मैंने इशारा किया कि तुम्हारे पास आ जाऊँ.

इस पर उसने मुझे चांटा दिखाया और वापस कमरे में चली गई. मैं डर गया लेकिन मुठ मारने में लगा रहा. मुठ मारकर मैं अन्दर जाकर लेट गया. माल निकल गया तो सोचने की समझ वापस आ गई. अब मैं कल के बारे में सोच कर डर रहा था. फिर मैं ये सोचते हुए सो गया कि जो होगा सो देखा जाएगा.

सुबह उठकर मैं खेतों की तरफ चला गया. दो घंटे बाद मैं वापस आया तो देखा सुनीता दीदी के पास बैठी थी. उसे देख कर मेरी गांड फटकर हाथ में आ गई. मैंने जल्दी से कहा- दीदी, मुझे घर जाना है, मेरा खाना लगा दे.

मेरी दीदी बोली- कोई बात हो गई क्या घर पर … जो इतनी जल्दी जाने की कह रहा है? मैंने कहा- नहीं कोई बात नहीं हुई … बस काम है मुझे. दीदी बोली- ठीक है तुम जब तक नहा लो, तब तक रोटी बना देती हूँ.

दीदी उठकर रसोई में चली गई, तो सुनीता भी उठकर जाने को हो गई.

मैं नहाने जाने लगा तो सुनीता बोली- क्या हुआ.. जो इतनी जल्दी जा रहे हो और रात को क्या इशारा कर रहे थे? इतना सुनते ही मैं सुन्न हो गया. फिर वो बोली- मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी … डर मत और ज्यादा आशिक मत बन … सारी हेकड़ी निकल जाएगी. मैं चुप रहा, वो फिर हंसी और बोली- बस हो गया … इतना ही दम था?

इतना सुनते ही मेरा डर गायब हो गया. मैंने चारों तरफ देखा और पीछे से उसका सिर पकड़कर होंठ चूम लिए. वो बस खड़ी की खड़ी रह गई. फिर वो शर्मा गई. उधर मैंने दीदी को कह दिया कि मैं आज नहीं जाऊंगा. सुनीता मेरी इस बात पर मुस्कुरा दी और गांड हिलाते हुए अपने घर चली गई.

कुछ देर बाद मैंने भी खाना खा लिया और मेरी दीदी के सास ससुर के पास बने आगे वाले कमरे में चला गया.

शाम को सुनीता फिर से आई और मुझे देखते हुए दीदी को बोली कि मेरे वो आज भी नहीं आएंगे, घर में सब्जी ही नहीं है. ये आते तो बाजार से ले आते. तुम आज मुझे थोड़ी सब्जी दे देना. दीदी ने ‘ठीक है..’ कहा और सुनीता को सब्जी लाकर दे दी. वो सब्जी लेकर मेरी तरफ आंख मारकर चली गई.

मैंने भी सोच लिया कि बेटा कुछ भी हो इसे आज पक्का चोदना है. मैं रात का इन्तजार करने लगा. रात को मैंने खाना खाया और ऊपर चला गया. मैंने देखा तो सुनीता आज पहले ही ऊपर थी और उसने अपने कमरे का दरवाजा खुला रखा था. वो अपने बच्चे को सुला रही थी. उसने मेरी ओर देखा. मैंने बारह बजे आने का इशारा किया, तो वो मुस्कुरा उठी और दरवाजा बंद कर लिया.

मैंने फोन में बारह बजे का अलार्म सैट किया और रिंग वाइब्रेशन पर सैट करके सो गया.

बारह बजे अलार्म की वाइब्रेशन हुई. मैंने उठ कर फोन स्विच ऑफ़ किया और धीरे धीरे आगे वाले बाथरूम की छत पर उतरा. वहां से गली में उतर कर मुझे सुनीता के घर की दीवार फांदकर अन्दर जाना था.

मैं बाथरूम की छत से नीचे बाहर की दीवार पर खड़ा हुआ. दीवार बस सात फीट ऊंची थी, तो कोई ज्यादा दिक्कत नहीं हुई.

मैं गली में खड़ा था. अब मैं इधर उधर देखने लगा, सब शांत था.

मैंने सुनीता के घर के बाहर वाली ग्रिल पकड़ी और दीवार पर चढ़ कर उसके घर में आ गया और सीढ़ियों से धीरे धीरे ऊपर चढ़ गया. फिर चारों ओर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है. कहीं कोई नहीं था सब सुनसान पड़ा था. मैंने जैसे ही सुनीता के बेडरूम के दरवाजे को हाथ लगाया, तो वो खुला था और सुनीता सो रही थी.

मैंने अन्दर जाकर उसके गाल पर किस की, तो उसने आंख खोली और मुस्कुरा दी. मैंने कहा- इस साइड आ जाओ, नहीं तो बच्चा उठ जाएगा.

वो बेड के एक ओर आ गई. अब वो लेट गई थी. मैं भी उसके ऊपर लेट गया और हमारे होंठ जुड़ गए. फिर मैंने चुम्मी लेने लेने के साथ उसकी चुची दबाने लगा. कुछ देर में चुदास बढ़ गई और मैंने उठ कर उसके सारे कपड़े उतार दिए. हाय क्या मस्त माल लग रही थी. साली की गांड बड़ी मस्त थी. मेरा तो उस पर हाथ फेरते ही बस उसकी गांड मारने का मन हो गया.

मैं भी झट से नंगा हो गया. मेरा फनफनाता लंड देख कर वो शर्मा गयी. मैंने उसे हाथ में लेने को कहा. मगर वो लेट गयी. मैं उसे ऊपर से चूमते चूमते उसकी चुत तक आ गया. उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे. मैं सुनीता की चुत चाटने लगा. उसकी सांसें तेज हो रही थीं. मैंने थोड़ी देर चुत चाटी, फिर मैं ऊपर की ओर चूमने लगा. उसकी चुची चूसने लगा.

अब सुनीता पूरी गर्म हो गयी थी. वो चुत में लंड लेने के लिए उतावली होने लगी, पर मैं उसको अभी और गर्म करना चाहता था. मैं बारी बारी से चुचे चूसते हुए निप्पल काटने लगा. वो पागल हो गई और लंड़ को पकड़ने लगी. पहले उसने मेरा लंड पकड़ने से मना कर दिया था और अब साली लंड हिलाने लगी थी. मैं उसकी हालत समझ गया. सब जानते हैं कि गांव की औरतें लंड चुत बोलते हुए कितना शर्माती हैं.

अब मैं चित लेट गया और उसे अपने ऊपर आने को कहा. वो चुदासी सी झट से ऊपर आ गई और लंड को चुत पर सैट करके बैठ गयी. लंड चूत में घुस गया और मैं अब हल्के हल्के से नीचे से झटके लगाने लगा. लंड पूरा घुसते ही, वो मेरे ऊपर पूरी तरह से लेट गयी थी. मैं नीचे से झटके लगाने लगा और उसके होंठ चुसकने लगा.

कुछ ही देर में मैं नीचे से जोर से चूतड़ उठा उठा कर सुनीता की चूत में झटके मारने लगा. वो मस्त कामुक आवाजें निकालने लगी- आह … आह … आह … ऐसे ही डालो … मजा आ रहा है. वो भी अपनी गांड उठा कर लंड पर झटके लगाने लगी. वो मेरे सीने पर अपने हाथ रख कर चूत चुदवाते हुए कहने लगी- आह राज और जोर से करो.. और करो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… गयी मैं तो!

मैं भी उसके मम्मों को दबा कर जोर जोर से गांड उठाते हुए चूत चुदाई करते जा रहा था. कुछ ही देर में वो झड़ गई और उसकी चूत की मलाई की गर्मी से मेरा लंड भी पिघल गया. मैंने उसकी चुत में पिचकारी छोड़ दी. झड़ने के बाद वो मेरे ऊपर ऐसे ही निढाल पड़ी हांफ रही थी. मैं उसके बालों को सहला रहा था.

हम दोनों ज्यादा बात नहीं कर रहे थे. क्योंकि नीचे सुनीता का ससुर था, आवाज सुनकर वो जाग सकता था.

फिर वो खड़ी हुई और पेशाब करने बाथरूम में चली गई. इसके बाद दुबारा चुदाई का सिलसिला चालू हो गया. उसे मैंने सुबह चार बजे तक चार बार चोदा. उसने मेरे वहां से जाते समय मुझसे बस एक ही बात कही- बस धोखा मत देना. मैंने पूछा- मतलब? वो बोली- इस बारे में किसी से कहना मत!

फिर दो दिन बाद में अपने घर आ गया. इन दो दिनों में मुझे कोई मौका नहीं मिला. अब अगली बाद वहां जाऊँगा तो आगे की चुदाई की कहानी आप सब को अच्छे से बताऊंगा. तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी. मुझे मेल करें. [email protected] मेरा सूत्र है कि जिन्दगी का आनन्द लो.. पर ईमानदारी के साथ.

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000