Drishyam, ek chudai ki kahani-5

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हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

सिम्मी समझ गयी की जो होना है सो होगा ही, चिल्लाने से कुछ होने वाला नहीं है। सिम्मी चुप होकर वहीँ वैसे की वैसे खड़ी हो गयी। सिम्मी ने बिना बोले ही कालिया को अपनी रजामंदी का इजहार कर दिया। पहली बार सिम्मी किसी मर्द को अपना बदन सौंप रही थी। अबतक उसने ऐसे चुदाई के किस्से सखियों के साथ गपशप में सुने थे।

हंस कर सारी सखियाँ यही कहती थीं की अगर उनके साथ ऐसा कभी हो तो वह चुदाई करने वाले से पहले तो हो सके उतना विरोध करेगी। पर अगर उनकी कुछ नहीं चली तो फिर वह उस रेप को एन्जॉय करेगी। यह कभी सिम्मी ने सपने में भी सोचा नहीं था की कभी उसके अपने साथ भी ऐसा कुछ हो सकता था।

उसकी सपनों की रानी सिम्मी ने जब अपनी सहमति का इजहार किया तो कालिया का दिल जोर जोर से धड़कने लगा। उसने कभी सोचा भी नहीं था की सिम्मी का यह पुरजोश जवानी से उभरता हुआ बदन कभी उसका होगा।

कालिया ने सिम्मी की ब्रा का हुक खोल दिया। उसे यह देख कर अच्छा लगा की सिम्मी ने उसे रोकने की कोशिश जरूर की पर जैसे ही कालिया ने थोड़ी ताकत दिखाई तो सिम्मी ने उसे ब्रा खोलने दी।

ब्रा के खुलते ही सिम्मी के उन्मत्त बॉल बड़ी ही अकड़ से खड़े हों ऐसे कालिया की आँखों से सामने झूमने लगे। कालिया ने उन फुले हुए माँसल स्तनों को दोनों हाथों में पकड़ा और कालिया उनकी निप्पलोँ से खेलने लगा। काफी समय हो चुका था जबसे उसने किसी स्त्री के बॉल को छुआ था।

कालिया का लण्ड उसके पतलून में फुंफकार रहा था। कालिया ने सिम्मी का एक हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर पतलून के ऊपर रख दिया। सिम्मी भी डर की मारी कुछ भी विरोध ना करते हुए चुपचाप अपनी उँगलियों से कालिया के लण्ड को कालिया की पतलून के ऊपर से ही सहलाने लगी।

कालिया की उत्तेजना और उन्माद का कोई ठिकाना न था। उसने कभी उम्मीद नहीं की थी सिम्मी इतनी आसानी से उसके हाथ लग जायेगी। उसने सिम्मी को याद करके कितनी रातें पलंग पर मुठ मार कर अपना वीर्य निकालते हुए बितायी थी।

सिम्मी को अपना लण्ड सैहलाते देख कालिया का रहा सहा डर जाता रहा और उसका आत्मविश्वास एकदम बढ़ गया। उसने सिम्मी को कहा, “चलो जल्दी करो अपने कपडे निकालती हो या मैं फाड़ कर तुम्हें नंगी कर दूँ?”

कालिया के कहने पर भी सिम्मी चुपचाप बूत की तरह खड़ी रही। कालिया समझ गया की सिम्मी अभी भी झिझक रही है। उसने ज्यादा वक्त न गंवाते हुए एक हाथ से सिम्मी क घाघरे का नाडा ढूंढ निकाला और उसे खिंच कर खोल दिया। सिम्मी का घाघरा निचे गिर पड़ा। सिम्मी सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में खड़ी थी।

कालिया ने गरजते हुए सख्त आवाज में कहा, “अपने आप निकालोगी या मैं फाड़ दूँ इसे?”

सिम्मी ने कालिया की और एक नजर देखा। कालिया एकदम क्रूरता से एक हाथ ऊपर किये तैयार था की बस अभी या तो उसे एक थप्पड़ रसीद करेगा या फिर उसकी पेंटी के चीथड़े बना देगा।

डरते हुए सिम्मी ने धीरे से अपनी पैंटी की इलास्टिक को दोनों हाथों से चौड़ी कर उसे निचे खिसका कर टांगें उठा कर उसे निकाल दिया, और अपनी दो टांगों के बिच में अपनी लाज को दोनों हाथों से ढकने के कोशिष करते हुए निचे नजरें झुका कर खड़ी हो गयी। सिम्मी के दोनों हाथ अब अपनी लाज को ढकने की नाकाम कोशिश में लगे हुए थे।

कालिया ने सिम्मी की ठुड्डी पकड़ कर हिलायी और बोला, “अब इसे क्या ढकना छोरी? अब तो तुम्हारा सील टूटने वाला है। अब चिल्लाने से कोई फायदा नहीं और खुद परेशान होने का भी कोई फ़ायदा नहीं। अब मैं जो करता हूँ उसे एन्जॉय करो और मेरा साथ दो। देखो तुम अभी नयी नवेली कली हो। हो सकता है तुम्हें कुछ खून निकलेगा। मगर डरो मत। कुछ ही देर में तुम एकदम बढ़िया हो जाओगी। यह चुदाई तुम जिंदगी भर याद रखोगी यह मेरा वादा है। अगर तुमने कुछ भी गड़बड़ करने की कोशिश की तो भगवान की सौगंध, मैं तुम्हें जान से मार दूंगा।”

सिम्मी छोटी थी पर थी बड़ी समझदार। वह समझ गयी थी की जो आदमी अपनी जिंदगी जोखिम में डाल कर इस हद तक जा सकता है वह खून भी कर सकता है। वह जानती थी की अगर वह कालिया से किसी तरह चुदवाकर भी जिंन्दा बच गयी तो फिर बादमें पुलिस से चुदाई की शिकायत कर सकती है। फिर तो कालिया जरूर जिंदगी भर के लिए जेल में चक्की पिसता रहेगा। इसलिए ‘जान है तो जहान है’ यह सोच कर सिम्मी ने बेहतर यही समझा की वह कालिया का साथ दे और उस को और गुस्सा ना दिलाये।

समय का तक़ाज़ा था की अभी चुपचाप इस चुदाई को बर्दाश्त किया जाए और जान बच गयी तो फिर जो कार्रवाई करनी है वह की जा सकती है। पहले तो अपनी जान बचाई जाए। यह सोच कर सिम्मी ने यह बेहतर समझा की कालिया को नाराज करने के बजाय खुश रखा जाए और इस हादसे से सलामत निकला जाए।

सिम्मी ने अपने दोनों हाथ जो उसकी लाज ढकने का प्रयास करने में प्रवृत्त थे उन्हें हटा लिए। कालिया सिम्मी की जवानी का खिलता हुआ रूप देख कर भौंचक्का सा रह गया। सिम्मी की खिली जवानी सिम्मी के अंगअंग से झलक रही थी। एक निहायत ही खूबसूरत और सुआकार औरत को नग्न देखना उसके कपडे में ढके हुए बदन से कहीं अधिक खूबसूरत लगता है।

सिम्मी का युवा बदन हर तरह से एक माहिर कलाकार के हाथ से बनी कोई अद्भुत सुंदरी की नग्न मूरत के सामान कालिया के सामने आत्म समर्पण करने के लिए प्रस्तुत था।सिम्मी का कामणगारा कमनीय रूप मदहोश करने वाला था।

कालिया ने सिम्मी को खिंच कर अपने आहोश में ले लिया और उसके सारे बदन पर अपने मोटे तगड़े हाथ फिराने लगा। कालिया के हाथ सिम्मी की पीठ, उसके कूल्हे और उसकी जाँघों को सहलाते दबाते हुए थक नहीं रहे थे।

सिम्मी कालिया के खुरदरे हाथों को अपने नग्न बदन पर महसूस कर एक अजीब उत्तेजना भरी कम्पन महसूस कर रही थी। उसके मन में कालिया के प्रति जो नफरत के भाव थे उसकी जगह उसे एक मादक दिलोदिमाग घुमा देने वाला एहसास हो रहा था।

सिम्मिने कालिया के हट्टेकट्टे बदन से जब अपना बदन सटा हुआ पाया तो उसकी साँसे फूलने लगीं। वह अपने आप पर नियंत्रण नहीं कर पा रही थी। सिम्मी का यह पहला मौक़ा था जब एक मर्द उसको लड़की से औरत बनाने के लिए तैयार था। मर्दाना बदन की भूख उसको अपने आपे से बाहर कर रही थी।

कालिया के पसीने की गंध उसके नाक में जाकर उसके बदन में एक अजीब सा रोमांच पैदा कर रही थी। अब ना चाहते हुए भी वह चाहने लगी थी की कालिया का भरा हुआ हट्टाकट्टा बदन उसके नाजुक बदन को बेदर्दी से रगड़े। पर दूसरी तरफ एक डर था और उसकी जनाना लाज उसे कुछ भी करने से रोक रही थी।

कालिया की बाहें बार बार सीम्मीकी भरी हुई चूँचियों को छू रहीं थीं। कालिया के बदन में यह महसूस करके एक बिजली की तरह करंट दौड़ने लगता था।

सिम्मी का इस तरह अचानक नरम पड़ते हुए देख कर कालिया का डर और चिंता कुछ कम हुई। उसे लगा की शायद सिम्मी अब चिल्लायेगी तो नहीं।

कालिया कुछ रिलैक्स्ड महसूस कर रहा था। उसने यह देखा की सिम्मी पहले की तरह सिम्मी के बदन को प्यार से सेहला रहे उसके हाथ घृणा से हटा नहीं रही थी और ना ही उससे कतरा रही थी। बल्कि सिम्मी ने तो अपनी चूँचियाँ कालिया के बदन से सटाकर रखी हुई थीं, वह शायद कालिया को लज्जा से कामुक इशारा कर रही थी की कालिया सिम्मी के विरोध पर ज्यादा ध्यान ना दे और जो करना है वह करे।

कालिया का मन यह देख कर नाचने लगा। उसने तो अपने मन में यह सोच रखा था की उसको देखते ही सिम्मी हंगामा खड़ा कर देगी और चिल्ला चिल्ला कर सब को बुला कर उसे पकड़वा देगी। हिम्मत इकट्ठी कर कुछ घबराते हुए कालिये ने सिम्मी की दोनों चूँचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उन्हें उठा उठा कर खिंच खिंच कर प्यार से सहलाने लगा।

सिम्मी क दोनों स्तन पुरे भरे हुए फुले थे जैसे उसमें दूध का भण्डार भरा हो। सिम्मी का नवयौवन उसके चरम पर था और वह उसके दोनों स्तनों में साफ़ दिख रहा था।

कालिया को अपने स्तनों से खेलता हुआ पाकर सिम्मी के बदन में कम्पन होने लगी। सिम्मी की चूत फड़फड़ाने लगी और अपना स्त्री रस छोड़ने लगी। कालिया के लण्ड के लिए सिम्मी तड़पने लगी। सिम्मी को उस समय सिर्फ अपनी चूत की फड़फड़ाहट ही महसूस हो रही थी। सारी दुनिया का ज्ञान उस समय उसके लिए कोई मायना नहीं रखता था।

जब कालिया ने सिम्मी के नंगे स्तन और कमसिन पेट, नाभि और कमर का कामुक घुमाव के निचे थोड़ी सी उभरी हुई एब्डोमेन के निचे दो पाँवों की गुफा में छिपी हुई सिम्मी की मदहोश कर देने वाली चूत को देखा तो वह अपने आप पर नियत्रण रख नहीं पाया। पता नहीं कितनी रातें उसने इन्हीं स्तनों और इस चूत की कल्पना करके मुठ मार के बितायी थीं। आज उसे पूरी उम्मीद थी की उसे सिम्मी के पुरे गदराये बदन का भरपूर आनंद मिलेगा।

कालिया ने झुक कर सिम्मी के पुरे बदन को चूमना शुरू किया। अपनी उंगलियां सिम्मी के होंठों पर रख कर उसे सख्ती से देख कर बिलकुल आवाज ना करने की तीखे शब्दों में चेतावनी दी। सिम्मी को शायद उसकी जरुरत ही नहीं थी। एक तो कालिया के डर के मारे वैसे ही उसकी आवाज बंद हो गयी थी।

दूसरे वह अब नहीं चाहती थी की किसी और को पता चले और उसकी बदनामी हो। तीसरी और सबसे ज्यादा जरुरी बात तो यह थी की सिम्मी के दिमाग और मन के बिच में बड़ा जंग चल रहा था। दिमाग मना कर रहा था पर दिल कालिया से चुदवाने के लिये तड़प रहा था। और उस जंग में दिल जित रहा था।

सिम्मी ने तय किया की अब जो भी हो उसके पास कालिया से चुदवाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था। अगर उसने कुछ हंगामा किया तो कालिया की विकराल आँखें देख उसे यकीन हो गया था की कालिया उसे मार भी सकता है। और जब चुदवाना ही है तो फिर हंगामा क्यों करना? क्यों ना उसे एन्जॉय करना?

कालिया सिम्मी के पुरे नंगे बदन के हर एक अंग को एक के बाद चूमता और चूसता गया। सबसे पहले उसने सिम्मी के काले घने बिखरे बालों को चूमना शुरू किया। बालों के बाद कालिया सिम्मी के कपोलों को चूमने और चाटने लगा। निचे आते ही सिम्मी के गले की प्यारी चिकनी त्वचा को चूमते हुए कालिया सिम्मी के कंधे और बाजुओं को चूमने लगा।

कालिया को इतने प्यार से पुरे बदन को चूमते हुए पाकर सिम्मी की सिहरन बंद नहीं हो रही थी। जब कालिया अपना मुंह और होंठ सिम्मी के दोनों पके हुए फल के सामान अल्लड़ स्तनों पर लाया तब ना चाहते हुए भी सिम्मी के मुंह से एक टीस निकल पड़ी। सिम्मी से तब अपनी आहें और कराहें थमी थम नहीं रही थीं।

हालांकि कालिया को सिम्मी की कराहट बड़ी प्यारी लग रही थी क्यूंकि वह दिखाती थी की सिम्मी भी कालिया के कामुक्कालाप एन्जॉय कर रही थी, पर साथ में उसको यह भी डर था की कहीं उस बहाने सिम्मी जोर से चीखना चिल्लाना शुरू ना कर दे। धीरे धीरे कालिया समझ गया की सिम्मी वास्तव में अब उससे चुदवाने के लिए तैयार थी और शायद वह चाहती भी थी की कालिया उसे चोदे।

कालिया सिम्मी के एक स्तन को चूसता और दूर स्तन को हाथ में दबाके उसकी निप्पलों को चूंटी भर कर खींचता। फिर दसूरे स्तन को चूसता और वैसे ही दूसरे स्तन की निप्प्लें खींचता। कई बार तो कालिया सिम्मी की निप्पलों को चूमता, चूसता और काट भी लेता। जब काटता तो सिम्मी हलकी से सिसकारी भर लेती।

सिम्मी की हलकी फुलकी सिसकारियों से कालिया को यकीन हो गया की सिम्मी चिल्लायेगी नहीं। धीरे धीरे पेट और नाभि के बाद कालिया सिम्मी की नाभि के निचे के सिम्मी की चूत के ऊपर के उभार को देखने लगा। वह सोचने लगा की भगवान् ने कितनी अजीब यह माया औरत को बनाया है। यह चार इंच के कट के पीछे सारी दुनिया दीवानी है।

ऐसा ही कुछ सोचते हुए कालिया ने खड़ी हुई नंगी सिम्मी की दोनों टांगें चौड़ी कीं और घुटनों के बल बैठ कर वह सिम्मी की चौड़ी की हुई दोनों टाँगों के बिच में घुस गया और सिम्मी के रिसते हुए स्त्री रस को अपनी जीभ से चाटने लगा। कालिया की जीभ सिम्मी की चूत के अंदर घुसते ही सिम्मी छटपटाने लगी।

उस रात तक किसी भी मर्द ने सिम्मी की चूत को जीभ से चाटा नहीं था। एक तो कालिया का पूरा सर सिम्मी की जाँघों के बिच में सिम्मी के पुरे बदन को छाटपटाहट देने के लिए काफी था उसके ऊपर कालिया की जीभ सिम्मी की चूत में कहर ढा रही थी। सिम्मी इतनी मचल रही थी की जैसे उसके दिमाग में उत्तेजना की कोई सुनामी सी तूफ़ान की तरह फ़ैल रही थी।

कालिया किसी भी औरत के छक्के छुड़ाने में माहिर लगता था। उसने कई औरतों को चोदा था जिससे उसे कैसे औरतों को पागल कर देना यह कला का अच्छा खासा अनुभव था। कालिया की जीभ भी उसके लण्ड की तरह लम्बी और खुरदरी थी जो सिम्मी की चूत में ऐसी गजब की हलचल मचा रही थी की सिम्मी के लिए चुप रहना असंभव सा था। वह खड़ी खड़ी छटपटा रही थी और सिसकारियां निकाल कर अपनी उत्तेजना जाहिर कर रही थी। . ‘

अचानक ही कालिया ने अपनी दो उंगलियां सिम्मी की चूत में डाल कर उसकी चूत को उँगलियों से ही चोदना चालु कर दिया। सिम्मी एकदम ही उछल पड़ी। उसके पुरे बदन में बिजली की चमक जैसी तेज लहर दौड़ने लगी। सिम्मी की चूत में ऐसी तेज चमक होने लगी जिससे उसके पुरे बदन पर एक तेज झनझनाहट सी फ़ैल गयी।

सिम्मी अपने बदन पर ही काबू नहीं पा रही थी। उसका पूरा बदन एक के बाद एक ऐसे उत्तेजित कामुक लहरों से मचल रहा था। अब उसके लिए खड़े खड़े इतनी उन्माद झेलना मुश्किल था। शायद कालिया सिम्मी के मन की बात समझ गया था। उसने इधर उधर देखा तो एक गद्दा चद्दर और एक तकिया देखा। शायद सिम्मी के चाचा कभी कभी दोपहर को दूकान बंद करके यहां आराम कर लेते थे।

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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