Drishyam, ek chudai ki kahani-9

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

सिम्मी यह समझ नहीं पा रही थी की पहले जैसी नफरत के बदले सिम्मी के मन में कालिया के प्रति कुछ शारीरिक आकर्षण का भाव क्यों उठ रहा था। कहीं ना कहीं सिम्मी को ऐसा लगा की कालिया की चुदाई में वह अपने आप को अपने मन में पूरी तरह निर्दोष नहीं कह सकती थी।

अगर वह कालिया का लण्ड देखकर हँसी ना होती और अगर उसने कालिया का लण्ड देखने की जिज्ञासा ना दिखाई होती तो शायद कालिया की जबरदस्ती करने की हिम्मत ही नहीं होती। दूसरे अगर उसने अपनी जान की परवाह किये बिना कालिया का पुरजोर विरोध किया होता तो भी कालिया सिम्मी पर जबरदस्ती ना करता।

शायद सिम्मी को पता था की कालिया की उतनी हिम्मत नहीं होती की सिम्मी को जान से मार दे और शायद सिम्मी कहीं ना कहीं चाहती थी की कालिया उसपर जबरदस्ती करे।

सिम्मी ने सोचा की यह मानसिक गुत्थमगुत्थी में उलझने के बजाय चाचीजी की बात सुननी चाहिए। सिम्मी ने चाचीजी की और देख कर पूछा, “आप क्या कह रहे हैं चाचीजी? मैं क्या करूँ? मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा। आप जो कहेंगे, मैं वही करुँगी।”

चाचीजी ने दुनियादारी समझाते हुए सिम्मी से कहा, “बेटी हम औरतों की जिंदगी बड़ी ही विचित्र है। यहां सब सही हो ऐसा जरुरी नहीं। मैं समझती हूँ की जो हुआ उससे सिख ले कर, जो हुआ उसे भूल कर जिंदगी में तुम आगे बढ़ो। मैं मानती हूँ की कालिया को तुम पर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी। पर वह चाहता तो तुम्हें शारीरिक हानि पहुंचा सकता था। वह तो एक गुंडा है। वह तुम्हें मार भी सकता था। अच्छा यही है की तुम कालिया से दूर रहो और पढ़ाई पर ध्यान दो। और हाँ जो हुआ उसको किसी को बताने की जरुरत नहीं है…

अर्जुन को भी नहीं और चाचाजी को भी नहीं। मैं भी किसीको नहीं बताउंगी। पर अगर अब कालिया ने तुम्हारा पीछा किया और अगर वह तुम्हें और परेशान करता है तो फिर तुम मुझे कहना। उसे हम जरूर जेल भिजवाएंगे और उस हालत में तुम्हारी बदनामी भी नहीं होगी।” चाचीजी ने बड़ी ही सूझबूझ वाली सिख दी। सिम्मी ने चाचीजी को यह नहीं बताया की अर्जुन सब जानता था।

इस तरह कालिया से बदला लेने की कहानी शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गयी। कहते हैं ना, की बड़े बड़े घाव भी समय के जाते भर जाते हैं। समय के साथ साथ धीरे धीरे सिम्मी भी साधारण महसूस करने लगी। जैसे जैसे समय बीतता गया, सिम्मी को चुदाई का अनुभव कुछ रोमांचक सा लगने लगा। सिम्मी अपने आपको यह समझाने लागि की उसके चुदाई में कहीं ना कहीं सिम्मी का अपना भी कुछ हद तक दोष था।

सिम्मी ने कालिया के लण्ड को देख कर जो जिज्ञासा दिखाई और फिर कालिया के लण्ड को देखते हुए अपनी खिड़की के पास खड़े रहकर उसको चुनौती का मौका देना कालिया को चुदाई के लिए प्रेरित करने का मुख्य कारण था। सिम्मी को अब नफरत की जगह धीरे धीरे कालिया की और कुछ विचित्र सा शारीरिक आकर्षण होने लगा, जो उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था।

पहले जब सहेलियों के साथ सिम्मी की चुदाई के बारे में बात होती थी तब कई सहेलियां सिम्मी को कहती थीं की वह चाहती हैं की काश कोई तगड़ा मर्द उनको बेरहमी से चोदे। एक सहेली तो यहां तक कहती थी की काश कोई मर्द उसके हाथ पाँव बाँध कर उसे जबरदस्ती चोदे और वह कराहती रहे।

यह सुनकर उसके पुरे बदन में उस समय एक ध्रुजारी सी फ़ैल जाती थी। वह सोच भी नहीं सकती थी की कोई लड़की कैसे ऐसा जुल्म और यातना को सहते हुए भी एन्जॉय कर सकती है। पर कालिया से बेरहमी से चुदाई का अनुभव सिम्मी को उतना बुरा नहीं लगा जितना की लगना चाहिए था। बल्कि उसे वह अनुभव अब कुछ समय के बाद एक मीठी याद के रूप में याद आने लगा।

सिम्मी को बाहरी तौर पर यह भले ही मंजूर ना हो। पर उसे मन ही मन कबुल करना ही पड़ा की उस चुदाई के समय दर्द से पीड़ित होने के बावजूद भी सिम्मी कालिया की चुदाई को एन्जॉय कर रही थी।

कई बार रात को सिम्मी को सपनों में चुदाई की वही सारी घटना आती थी जिसे वह भूल जाना चाहती थी। पहले पहल तो सिम्मी को वह सपने डरावने लगते थे पर जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे सिम्मी के जहन में उस घटना को याद करके कुछ अजीब सा रोमांच होने लगा। सिम्मी ने अपने आप को कई बार इसके लिए कोसा भी। पर हाय रे मन! वह कहाँ किसी के नियत्रण में रहता है?

कालिया तो डर के मारे उस दोपहर के बाद एक हफ्ते तक चाचाजी की दूकान पर गया ही नहीं। सप्लायर से उसे कई फ़ोन आ रहे थे। पर कालिया उन फोनों को अटेंड ही नहीं करता था। एक हफ्ते तक घर में दुबक कर बैठ कालिया पुलिस का इंतजार करता रहा।

एक हफ्ते के बाद जब कुछ हुआ ही नहीं, तब उसने सप्लायर को फ़ोन किया। उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ की कहीं किसी को भी कोई चीज़ की खबर ही नहीं थी। सब कुछ एकदम सामान्य तरीके से चल रहा था। बल्कि सब सप्लायर और ग्राहक चिंतित थे की कालिया आ क्यों नहीं रहा? कहीं कालिया बीमार तो नहीं।

कालिया की जान में तब जान आयी। उसका का आत्मविश्वास कुछ हद तक लौट आया। वह समझ गया की बदनामी के डर के मारे शायद सिम्मी ने किसी को उसके साथ हुए चुदाई के बारे में बताया ही नहीं होगा, वरना पुलिस महकमें में सिम्मी के चाचाजी अच्छी खासी जान पहचान थी वह कालिया जानता था। साथ ही साथ में कालिया को अपने किये कराये पर भी अफ़सोस होने लगा। अगर सिम्मी पुलिस में गयी होती तो शायद उसे जिंदगी भर जेल की पुलिस की मार खाने और चक्की पीसने की नौबत जरूर आती।

कालिया के शातिर दिमाग ने यह तय किया की अगर पुलिस में शिकायत नहीं गयी तो वह प्रायश्चित करने का नाटक करेगा और उसे मौक़ा मिला तो सिम्मी से माफ़ी भी मांग लेगा।

सिम्मी को चोदने का उसका जो अनुभव था वह उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा रोमांचक अनुभव लगा। उसको चोदने के लिए उस दिन तक इतनी चिकनी, इतनी कड़क, इतनी खूबसूरत और इतनी मासूम लड़की नहीं मिली थी। सबसे बड़ी बात यह थी की हालांकि उसने चुदाई किया था पर सिम्मी ने उसे चुदाई का वह सुख दिया था जो उसे किसी भी औरत से उस दिन तक नहीं मिला था और वह सुख अब दुबारा और कई बार मिले उसकी उसको चाहत थी।

कालिया ने सिम्मी को फांसने का अब एक बड़ा ही शातिर प्लान बनाया। कालिया ने देखा की यह गुजराती लोग डर या धमकी से ज्यादा प्यार से पसीज जाते हैं। कालिया ने तय किया की अब जबरदस्ती नहीं प्यार से वह सिम्मी को फाँसेगा।

इधर समय के बीतने के साथ साथ सिम्मी भी सामान्य बर्ताव करने लगी थी। अब सिम्मी को कालिया से हुई चुदाई धीरे धीरे मीठी यादगार बनती जा रही थी। कहीं ना कहीं सिम्मी के मन के कोई कोने में ऐसा था की काश कालिया दुबारा सिम्मी को इसी तरह रगड़े।

हालांकि भाई के सामने इसके बारे में बात करने वह बचती थी। अर्जुन ने सिम्मी को बताया की कालिया कुछ देर तक गायब जरूर रहा था, पर अब फिर से काम पर लग गया था और चाचाजी की दूकान पर माल सामान भी लाने लग गया था।

अर्जुन ने दीदी को यह भी बताया की उस दिन के बाद से कालिया कुछ डरा डरा हुआ लगता था और उसके अंदर पहले जैसी हेकड़ी नजर नहीं आ रही थी।

अर्जुन ने दीदी से एक बार यह भी पूछा की क्या वह कालिया को दूकान आने से मना करे? क्या दीदी कालिया से बदला लेना नहीं चाहती? तब सिम्मी ने उसे कुछ भी करने से मना कर दिया। सिम्मी ने अर्जुन से कहा की जो हुआ उसे वह भूल चुकी थी। सिम्मी ने अर्जुन को भी कालिया को दुश्मनी की नजर से ना देखने की हिदायत दी।

सिम्मी ने अर्जुन को कालिया से सामान्य पहले की तरह ही बर्ताव करने को कहा। बल्कि सिम्मी ने अर्जुन को कहा की सिम्मी खुद कालिया को समझाने की कोशिश करेगी की वह गुंडा गर्दी छोड़ दे और अच्छे रास्ते पर चलने लगे। यह बात अर्जुन की समझ में नहीं आयी। अचानक दीदी के मन में गांधीगिरी के भाव उसकी समझ से बाहर थे।

अर्जुन को लगा की कहीं ना कहीं दीदी के मन में कालिया के प्रति पहले जैसी नफरत नहीं रही थी। कहीं दीदी को कालिया की और आकर्षण तो नहीं हो रहा था? यह सवाल बार बार अर्जुन के मन में उठ रहा था।

अर्जुन के मन में यह अफ़सोस तो था ही की उसे कालिया से हुई दीदी की चुदाई को देखने का मौक़ा नहीं मिला। अब दीदी का यह ह्रदय परिवर्तन देख कर अर्जुन कुछ हद तक खुश भी हुआ।

उस के मन में आस जगी की अगर वाकई में दीदी कालिया को माफ़ कर चुकी थी और अगर कहीं ना कहीं दीदी को वह चुदाई पसंद आयी थी तो शायद उसे कालिया से दीदी की चुदाई दोबारा देखने का मौक़ा मिले।

अगर ऐसा कुछ हो सकता है तो फिर अर्जुन भी सोचने लगा की यदि वह दीदी और कालिया में मेल करा दे और अगर दीदी कालिया से फिर से बात करने लगे तो पता नहीं, शायद कुछ बात बने। अर्जुन के लिए यह जरुरी था की अब उसका काम “शायद और अगर” को हटाना था ताकि उसे कालिया से दीदी की चुदाई देखने का मौक़ा मिले।

उधर कालिया के मन में यह गुत्थी चल रही थी की आखिर सिम्मी के मन में क्या है? क्यों उसने किसी को रेप के बारे में नहीं बताया? कालिया ने सोचा की सिम्मी के मन की बात जानने का एक ही तरिका है और वह है सिम्मी के भाई अर्जुन को साधना। कालिया ने अर्जुन को साधने का तय किया और कुछ ना कुछ बहाना करके कालिया अर्जुन के करीब आने की, उससे बात करने की कोशिश करने लगा।

अर्जुन भी कालिया को दीदी के करीब लाना चाहता था। सो बात को आगे बढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगा। धीरे धीरे अर्जुन की कालिया से फिर मुलाकातें होने लगीं।

शाम को जब जब भी मौका मिलता तो अर्जुन और सिम्मी भाई बहन बात करते। सिम्मी भाई को बताती की उसकी सहेलियों के साथ क्या क्या बातचीत हुई। कभी कबार जैसे अचानक ही सिम्मी अर्जुन को कालिया के बारे में भी पूछ लेती। अर्जुन बताता की कालिया क्या कर रहा था और उसकी कालिया से क्या बात हुई।

अर्जुन ने दीदी को बताया की कालिया कुछ ना कुछ मौक़ा ढूंढ कर अर्जुन से लड़कियों के बारे में ही बात करता रहता था। जब अर्जुन कालिया के बारे में बात कर रहा था तब एक बार शायद गलती से सिम्मी ने अर्जुन से पूछ लिया की क्या कालिया सिम्मी के बारे में भी कुछ बोल रहा था? दीदी का यह सवाल सुनकर अर्जुन को लगा की दीदी कालिया के बारे में कुछ कुछ ढीली पड़ती जा रही थी।

अर्जुन ने यह महसूस किया की कालिया कुछ ना कुछ बहाना करके सिम्मी के सामने आने की कोशिश में रहता था। वह फिर से अर्जुन के लिए कुछ ना कुछ महंगी गिफ्ट ले कर आने लगा। कालिया लड़कियों की बातें करने का बड़ा ही शौक़ीन था। अक्सर वह अर्जुन को लड़कियों के बारे में पूछता रहता था, जैसे “अर्जुन की कोई गर्ल फ्रेंड है क्या? अर्जुन को कैसी लडकियां ज्यादा पसंद है?” बगैरह बगैरह।

धीरे धीरे अर्जुन को भी उसकी बातों में रस आने लगा। वह भी कालिया के बार बार पूछने पर हिचकिचाते हुए किसी ना किसी लड़की के बारे में बात करता और ऐसे वह दोनों काफी समय अँधेरे में बात करते रहते।

एक बार उसने अर्जुन से पूछा की क्या उसे पता है की लडकियां साइकिल चलाना क्यों ज्यादा पसंद करतीं हैं? जब अर्जुन चुप रहा तो कालिया ने कहा, साइकिल चलाते चलाते जब साइकिल की सीट का बाहर निकला और ऊपर की और उठा हुआ छोर लड़कियों की जाँघों के बिच में उनकी चूत के साथ घिसता है तो लड़कियों को ऐसा आनंद मिलता है जैसे वह किसी मर्द के लण्ड के साथ अपनी चूत को घिस रहीं हों।

कालिया की बात सुनकर अर्जुन बेबाक सा उसे देखता रहता था। कुछ हद तक कालिया की बातमें उसे दम भी लगा क्यूंकि अर्जुन ने भी देखा था की लडकियां सीट पर काफी हिल हिल कर साइकिल चलाती रहती थीं।

बातें करते करते एक शाम मौक़ा देखकर कालिया ने फिर से अर्जुन के निक्कर की ज़िप खोल कर निक्कर में अपना हाथ डाला और अर्जुन के लण्ड को सहलाने लगा। कालिया का हाथ लगते ही अर्जुन का लण्ड खड़ा हो गया। धीरे धीरे उसको हिलाते हुए कालिया ने हिलाने की फुर्ती एकदम बढ़ादी और देखते ही देखते अर्जुन के लण्ड में से उसकी मलाई का फव्वारा फूट पड़ा।

अर्जुन का दिमाग इस अनुभव से एकदम घूमने लगा। दीदी के चुदाई के बाद यह पहली बार फिर से कालिया और अर्जुन के बिच में यह व्यवहार चालु हो गया।

कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। अर्जुन ने कालिया को यह जानने नहीं दिया की वह दीदी के चुदाई के बारे में जानता था। कालिया भी खुश था की अर्जुन को सिम्मी ने उसके रेप के बारे में नहीं बताया था। कालिया की समझ में यह आ गया की सिम्मी ने जो हुआ उसे स्वीकार कर लिया था। कहीं ना कहीं कालिया के मन में यह भी उम्मीद जगी की एक किरण जगी थी की शायद सिम्मी को कालिया ने की रफ़ चुदाई भा गयी हो।

एक शाम को कालिया ने अर्जुन से पूछा, “क्या तुम मेरा लण्ड हिला दोगे?” अर्जुन कुछ नहीं बोला तब कालिया ने अपनी पतलून में से अपना लण्ड बाहर निकाला।

कालिया का लण्ड तो जैसे एक लंबा मोटा सांप कालिया की जाँघों के बिच में दुबक कर बैठा हो और बिल में बाहर निकलते समय एकदम जिसे आजादी मिल गयी हो ऐसे फुंफकारा मारते हुए लंबा हो गया हो। कालिया ने अर्जुन का हाथ अपने लण्ड के ऊपर रखा। बरबस ही अर्जुन भी कालिया के लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर हिलाने लगा। इतने दिनों से अर्जुन के लण्ड को कालिया सेहला रहा था तो अब अर्जुन की बारी थी की वह कालिया के लण्ड को भी उसी तरह से आनंद दे।

कालिया ने अर्जुन को उसका लण्ड जोर जोर से हिलाकर उसकी मलाई निकालने को कहा। उस शाम कालिया की मलाई का फव्वारा देख कर अर्जुन का दिमाग ठनक गया। पता नहीं कितना माल था कालिया के अंडकोषों में?

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

[email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000