मेरी प्यारी भाभी सुनयना की चूत

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प्रेषक : दिलखुश

मैं सुरेन्द्र वर्मा, २१ साल पठानकोट का रहने वाला, ५’ ९”, अच्छी सुगठित काया, सात इन्च का लण्ड, अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटा हूं और प्यार से मुझे सब छोटू कहते हैं।

मेरी भाभी सुनयना वर्मा, २४ साल, मेरे बड़े भाई की बीवी, स्तनाकार ३४, कमर २४ और कुल्हे ३६, खूब सुन्दर हैं और मुझ से काफ़ी खुली हुई हैं। मेरे भाई नरेन्द्र वर्मा दुबई में नौकरी करते हैं, २८ साल के हैं और कुछ बेचैन से रहते हैं। तीन बहनें हैं, तीनों शादीशुदा पर उनमें से एक विधवा है जो यहीं घर पर रहती है और अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है, उसका नाम रवीन्द्र है।

हमारा एक मध्यम श्रेणी का परिवार है, मां बाप और पांच भाई बहन, पापा सरकारी नौकरी से सेवानिवृत हुए हैं और घर पर ही रहते हैं लेकिन आजकल चारों धाम की यात्रा पर गए हुए हैं। घर पर मैं, मेरी भाभी और रवीन्द्र ही हैं। बहन अकसर कालेज़ में रहती है। मेरी भाभी की शादी को तीन साल हो गए पर उन्हें मां ना बन पाने का गम है, इसलिए हम दोनों में समझौता है कि जब तक वो गर्भवती ना हो जाएं, मैं उनसे सेक्स कर सकता हूं।

भाई अभी तक यहीं थे, पांच दिन पहले ही दुबई वापिस गए हैं और मेरे लिए मैदान खुला छोड़ गए हैं। रवीन्द्र के कालेज़ जाने के बाद मैं अक्सर भाभी से छेड़खानी और चुदाई किया करता हूं।

बात कुछ यूं हुई कि एक दिन भैया और भाभी काफ़ी मूड में थे और आपस में गुफ़्तगू कर रहे थे। मैं भी बैठा था। भाभी बोली कि आप चले जाते हो दुबई, यहां मेरा मन नहीं लगता, बताओ मैं क्या करूं?

तो भैया बोले- अरे ! ये छोटू है ना तुम्हारा मन लगाने के लिए, इसको सब अधिकार है तुम्हारे साथ यह कुछ भी कर सकता है।

भाभी बोली- वो सब भी?

भैया बोले- बाहर वालों से तो घर वाला अच्छा है।

भैया जब चले गए तो एक दिन रवीन्द्र कालेज़ जा चुकी थी, तो मैंने भाभी से कहा- आज बहुत मन हो रहा है कि आपके साथ कोई पिक्चर देखी जाए। भाभी बोली- कौन सी देखनी है?

मैंने कहा- ” ख्वाहिश ” देखें?

हम दोनों पिक्चर देखने चले गए। उस फ़िल्म में कई किस सीन थे, मन हुआ कि भाभी को चूम लूं पर हिम्मत ना कर सका। पिक्चर खत्म होते होते मैं इतना गर्म हो गयाकि मैंने भाभी की चूची दबा दी। जिससे वो चोंक गई और बोली- इस लिए पिक्चर देखना चाहते थे !

मैंने कहा- हां भाभी !

हंसी मज़ाक हो रहा था और फ़िल्म खत्म होने पर हम लोग घर आ गए। इतने में रवीन्द्र के आने का समय भी हो गया था, इस लिए हम दोनों चुप हो गए। दूसरे दिन सुबह सुबह ही रवीन्द्र को कहीं जाना था और वो तैयार होकर चली गई। सुबह का सुहाना मौका देखकर मैने पीछे से जाकर भाभी को चूम लिया। पर मेरे चूमने से नाराज़ ना होकर बोली- देखो छोटू ! आओ हम तुम एक समझौता कर लें ! तुम जब चाहो मुझको चोद सकते हो पर इन इक्कीस दिनों में मैं गर्भवती होना चाहती हूं।

मैंने हामी भर दी और इस तरह शुरू हुआ अपना सेक्स का सफ़र !

हम दोनों नहा धो कर कमरे में आ गये और मैंने भाभी को किस करना शुरू किया। चूमते हुए ही मैं उनके ब्लाऊज़ में हाथ डाल कर उनके मम्मे दबाने लगा और धीरे धीरे ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगा। जैसे जैसे बटन खुलते जा रहे थे, भाभी के चेहरे पर चमक आ रही थी। पूरा ब्लाऊज़ उतार कर मैंने उनकी ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब भाभी मेरे सामने अपने ३४ डी के बूब्स लेकर खड़ी थी और हंस कर मुझे देख रही थी, कह रही थी- छोटू ! ये सब कहां से सीखा?

मैंने मुस्कुरा कर कहा- सब आप लोगों को करते देख कर अन्दाज़ा लगाया और सीख लिया। मैं उनकी चूचियां चूसने लगा और वो आह ! उफ़्फ़ ऽऽऽ आह ओहऽऽ करने लगी। अब मेरा हाथ उनके पेटिकोट पर था और मैंने उसका इज़ारबंद खोल दिया। इज़ारबंद खुलते ही पेटिकोट नीचे गिर गया और भाभी एकदम नंगी हो गई।

अब उनकी बारी थी। वो मेरी टीशर्ट उतार कर मेरे जिस्म को चूमने लगी। मुझे उनके जिस्म से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी और मैं मस्त हो रहा था। भाभी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरे लण्ड को बाहर निकाल लिया और उसे सहला कर खड़ा करने लगी और फ़िर अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं उनकी चूचियां दबा रहा था और वो मेरा लौड़ा चूस रही थी। चूसते चूसते थोड़ा सा प्री-कम भी निकला जो उन्होंने चाट लिया।

अब मैं उनकी चूत को चाटने लगा। पहले धीरे धीरे फ़िर तेज़ी से अपनी जीभ चूत के अन्दर बाहर करने लगा।

भाभी आनन्दित हो रही थी और धीरे धीरे बोल रही थी- करे जाओ ! मज़ा आ रहा है !

इस आनन्द को उठाते हुए करीब एक घण्टा बीत गया था और दोनों तरफ़ से कोई कमी नहीं आ रही थी, कभी वो मुझे कस कर गले लगाती और कभी मैं उनको गले लगाता। एक दूसरे को चूमते चाटते काफ़ी समय हो गया तो भाभी बोली-अब कर डालो छोटू ! नहीं तो रवीन्द्र आ जाएगी।

हम दोनों बिस्तर पर चले गए और भाभी को पलंग पर लिटा कर मैं उनकी जांघें सहलाने लगा। भाभी ने आनन्दित होकर अपनी टांगें फ़ैला ली जिससे उनकी चूत अब साफ़ दिखने लगी थी। मेरे लण्ड का भी बुरा हाल था। मैंने भाभी की बुर्रररररर पर अपना लण्ड रख कर धक्का लगा दिया और अपना आधा लण्ड अन्दर कर दिया। एक दो धक्कों के बाद पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया। भाभी जोर से चीखी। मैंने उनका मुंह बंद कर दिया और झटके मारता रहा। वो मेरे बदन को चूमती, मैं उनकी चूची को चूमता, इस तरह करते करते मैंने अपना पूरा माल भाभी की बुर में डाल दिया। वो बुरी तरह से मुझ से चिपक गयी। इस तरह हम करीब आधा घण्टा पड़े रहे फ़िर रवीन्द्र के आने का समय हो गया था इस लिए एक दूसरे को किस करके अलग हो गए।

अब एक चिन्ता मन में थी कि अगर रवीन्द्र को पता चल गया इस बात का तो क्या होगा। अभी २१ दिन चुदाई करनी है और अगले पूरे हफ़्ते उसकी छुट्टी है। मैंने भाभी को आग्रह किया कि इस जाल में रव्विन्द्र को भी फ़ंसाना पड़ेगा, नहीं तो हम दोनों को मंहगा पड़ेगा। हम यह सब सोच ही रहे थे कि रवीन्द्र आ गयी।

भाभी ने धीरे से कहा- यह तुम मुझ पर छोड़ दो, दो तीन ब्लू फ़िल्मों की सी डी लाकर मुझे दे दो, मैं उसे पटा लूंगी।

मैंने कहा- ठीक है ! मैं ले आऊंगा।

मैंने चार सी डी लाकर भाभी को दे दी और खाना खा कर घर से निकल गया और सारा दिन बाहर रह कर भाभी का जादू देखने को बेताब रहा। शाम हुए घर आया। भाभी ने हंस कर स्वागत किया तो तबीयत मस्त हो गई।

क्या मैं रवीन्द्र को भी चोद लूंगा ??

अगले भाग में……

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