मेरी प्यारी श्यामा आंटी की चूत

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दोस्तो, आज मैं आपको एक बड़ी पुरानी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। अभी कुछ दिन पहले हमारे पड़ोस में रहने वाली श्यामा आंटी का निधन हो गया, वो 55 साल की थी और उन्हें कैंसर था।

जब मुझे पता चला तो मैं भी अपने परिवार के साथ उनके घर गया। वहीं पर मुझे दीपक भैया भी मिले। मैं जाकर उनके पास खड़ा हो गया, हम आपस में बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद वो बोले- यार, यहाँ तो गर्मी है, चल बाहर खड़े होते हैं। वो मुझे अपने साथ बाहर ले गए।

हम बाहर एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए, बाहर हवा चल रही थी और मौसम अच्छा था। ‘श्यामा आंटी बहुत अच्छी थी, पर यह नहीं पता था कि उनको कैंसर था’ दीपक भैया बोले। ‘हाँ, मुझे भी आज ही पता चला, कहाँ था कैंसर?’ मैंने पूछा। ‘गले में था’ दीपक भैया बोले। ‘गले में? मगर वो तो कोई पान सुपारी नहीं खाती थी, न ही कोई सिगरेट वगैरह, फिर गले का कैंसर कैसे हो गया?’ मैंने उत्सुकतावश पूछा।

उसके बाद दीपक भैया ने मुझे एक बात बताई, जिसे सुन कर मेरे भी होश उड़ गए और मेरी आँखों के सामने वो सारा मंजर साक्षात हो गया। बरसों पहले की वो सारी बातें मेरे सामने एक एक करके जीवंत हो उठी।

बात तब की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था, नई नई जवानी चढ़ी थी, सो आँखों में खुमार, दिल में प्यार लिए रोज़ कॉलेज जाता मगर मेरी जैसी साधारण सी शक्ल सूरत वाले से कहाँ कोई लड़की पटती। तो रोज़ मन मसोस कर घर आ जाता, दोस्त के नाते बहुत सी बात करती मगर कोई गर्ल फ्रेंड नहीं बन पा रही थी। मैं बड़ा निराश था।

हर किसी का जवानी में दिल करता है, कोई बॉयफ्रेंड हो, कोई गर्ल फ्रेंड हो, आप उसको प्यार करो, उसको होंठ चूसो, उसके बूब्स से खेलो, दबाओ, चूसो और फिर उसकी कुँवारी चूत के ताले को अपने कुँवारे लन्ड की चाबी से खोलो।

मगर सब के नसीब तो गर्लफ्रेंड नहीं होती, मेरे भी शायद नहीं थी, इसी कारण जब कोई सहेली नहीं मिली, तो अपने दाहिने हाथ को ही अपनी सहेली बना लिया, अपने कॉलेज की हर सुंदर लड़की, हर एक सुंदर प्रोफेसर को अपने ख़यालों में चोद डाला। यह एक आसान तरीका था, मगर मिठाई खाना और मिठाई खाने के बारे में सोचना दोनों बातों में बहुत अंतर है।

फिर एक दिन हमारे घर पर किट्टी पार्टी थी, वहाँ पर श्यामा आंटी भी आई थी। उस वक़्त तो वो शायद 40-42 साल की थी मगर इस उम्र में भी वो अपने आप को खूब मेनटेन करके रखती थी, स्लीवलेस ब्लाउज़, और ऊपर से डीप कट! खैर मैं तो अपने कमरे में बैठा था, शायद उन्होंने बाथरूम जाना होगा, जो मॉम के रूम के साथ था उसमें कोई और लेडी गई होगी, मॉम ने उन्हें मेरे बाथरूम में जाने का रास्ता दिखा दिया। मगर वो बाथरूम की बजाए मेरे रूम में ही आ गई।

अब गर्मी के कारण अपने रूम में तो मैं सिर्फ चड्डी में ही बैठा था। वो जब अचानक से दरवाजा खोल के अंदर आ गई, तो मैं तो हड़बड़ा गया, झट से उठ कर भागा और पैंट पहनने के लिए उठा ली। मगर वो बोली- ओह, डोंट वरी बॉय, मुझे पता है, बहुत गर्मी है, आराम से बैठो।

मुझे तो लगा था कि वो चली जाएँगी, मगर वो तो वहीं बैठ गई, अब पैंट तो मैंने पहन ली मगर ऊपर से मैं फिर भी नंगा ही था। मेरे बालों भरे सीने को देख कर बोली- वाह तुम्हारे सीना तो बहुत बालों से भरा है, जवान हो गए हो। ‘जी…’ मैं बस इतना कह सका।

मैं उठा और टी शर्ट पहनने के लिए उठाई, मगर वो उठ कर मेरे पास आई और मेरे सीने के बालों में हाथ फिरा कर बोली- मुझे मर्दों का बालों भरा सीना बहुत पसंद है, अगर वो मर्द हो तो, क्या तुम हो? उसकी आँखों में शरारत साफ झलक रही थी। ‘जी…’ मैंने फिर कहा। ‘लगता तो नहीं?’ वो बोली।

अब इसका मैं क्या जवाब देता कि मैं मर्द हूँ या नहीं? कभी चेक तो मैंने भी नहीं किया था। उसके बाद उसने मुझसे बाथरूम पूछा, मैंने उसे बता दिया, वो बाथरूम गई और थोड़ी देर बाद पार्टी में शामिल हो गई।

कुछ दिन बाद माँ ने बताया कि श्यामा आंटी पूछ रही थी कि उन्होंने पास ही एक गाँव में जाना है, क्या मैं उनकी गाड़ी ड्राइव करके उन्हें ले सकता हूँ। श्यामा आंटी किसी एन जी ओ के साथ काम करती और अक्सर लोक भलाई के काम करती रहती थी, आए दिन अखबारों में उनकी तस्वीरें और लेख छपते रहते थे। शहर की एक जानी मानी हस्ती थी वो ! मगर हमारे साथ घर जैसे थी।

मैंने हाँ कह दी, मगर दिल में मैं सोच रहा था कि श्यामा आंटी ने मुझे यह ऑफर क्यों दी? गाड़ी तो वो खुद भी चला लेती थी। शनिवार का दिन था, मैं सुबह ही उनके बताए वक़्त पर उनके घर पहुँच गया, वो गाड़ी में पीछे बैठ गई और मैं गाड़ी ले कर उनके बताए रास्ते पर चल पड़ा।

शहर से बाहर आ कर उन्होंने गाड़ी रुकवाई और मुझे पैसे देकर कोल्ड ड्रिंक और नमकीन लाने को कहा। जब मैं सामान लेकर वापिस आया तो देखा श्यामा आंटी तो आगे की सीट पे बैठी हैं। मैं भी आकर बैठ गया, गाड़ी चलाई, आंटी ने दो गिलासों में कोलड ड्रिंक डाली मुझे भी दी और खुद भी पी।

जब हम गाँव में पहुंचे तो उन्होंने गाँव के सरपंच से मिलकर अपना काम किया और मैंने भी उनके काम में उनको सहयोग किया। दोपहर को हम फ्री होकर वापिस चल पड़े। जब घर पहुँचे तो उन्होंने मुझे अंदर बुलाया, ए सी ऑन किया और मुझे ड्राइंग रूम बैठा कर अंदर चली गई।

5 मिनट बाद जब वापिस आई, तो उन्होंने साड़ी की जगह खुली सी नाईटी पहन रखी थी, एक हाथ में बीयर की बॉटल और दूसरे हाथ में दो गिलास। गिलास टेबल पर रखे तो मैंने उनके नाईटी के गले के निगाह मारी! दो खूबसूरत गोरे गोरे गोल मटोल बूब्स… मैं बड़ा शरीफ बच्चा बन के बैठा था।

आंटी ने दो गिलासों में बीयर डाल कर एक गिलास मेरी तरफ बढ़ाया। ‘जी आंटी, मैं नहीं पीता!’ मैंने कहा, जबकि बीयर तो मैं पसंद करता था और पीता भी था। वो बोली- ये नाटक न किसी और को दिखाना, चल पकड़!

मैंने गिलास पकड़ लिया और वो मेरे सामने ही सोफ़े पर लेट गई, नमकीन की प्लेट उन्होंने अपनी छाती पे रख ली और वहीं से उठा उठा के खाने लगी। ‘अरे नमकीन तो ले ले!’ वो बोली।अब मैं उनकी छाती पर पड़ी प्लेट से नमकीन कैसे उठाऊँ तो मैंने वैसे ही शुक्रिया कर दिया।

एक एक गिलास पीने के बाद आंटी बोली- एक एक और बना! अब बीयर का मूड तो मेरा भी बन चुका था, मैंने आंटी के हाथ से गिलास पकड़ा और दोनों फिर से भर दिये। मगर इस सब के दौरान जो बात काबिले गौर थी वो यह कि आंटी नाईटी उनके टखनों से करीब 6-7 इंच ऊंची थी जिस वजह से उनके टखनों के ऊपर की थोड़ी थोड़ी टाँगें दिख रही थी, गोरी चिकनी, बिना किसी बाल के। और आंटी इस चीज़ को बड़ी अच्छी तरह से देख चुकी थी कि मैं बार बार उनकी टाँगें ही ताड़ रहा हूँ। मगर फिर भी उन्होंने अपनी टाँगें नहीं ढकी, न ही मुझको टोका, वो मुझसे ऐसे बात कर रही थी, जैसे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता अगर मैं उनके बदन को घूर रहा हूँ।

बीयर पीते पीते आंटी ने मेरे कॉलेज और घर बाहर की बहुत सी बातें पूछी- तेरी कोई गर्ल फ्रेंड है? उन्होंने पूछा। ‘जी नहीं, कोई नहीं!’ मैंने बड़े दुखी मन से जवाब दिया। ‘क्यों?’ अब उनके इस सवाल का भी मेरे पास कोई जवाब नहीं था। बातें चलती रही, बीयर एक एक करके तीन बोतलें खाली हो गई। आंटी भी पूरी मस्ती में आ गई थी और मैं तो था ही मस्ती में।

‘सुन, मेरा एक काम करेगा?’ आंटी ने पूछा। मैं बोला- जो भी आप कहो, मैं वो सब करूँगा। ‘तो इधर आ…’ कह कर आंटी सोफ़े से उठा खड़ी हुई, मैं उनके सामने जा खड़ा हुआ। मुझे ऊपर से नीचे तक देखने के बाद आंटी उठ कर बैठ गई और अपनी नाईटी अपनी जांघों तक ऊपर सरका कर बोली- तू इतनी देर से वहाँ बैठा मेरी टाँगें घूर रहा है, ये ले और इधर बैठ और अब आराम से ताड़। कहने को तो आंटी ने कह दिया मगर उनकी गोरी, चर्बी वाली, गुदाज़ टाँगें देख कर मैं तो हिल गया। बहुत ही खूबसूरत टाँगें थी।

आंटी ने मेरी बाजू नीचे को खींची और मुझे फर्श पे ही बैठा दिया, मैं बेवकूफ सा बना उनकी टाँगों को देख रहा था- सुन, कभी कुछ किया है तूने या वैसे ही डफ़्फ़र बन के ज़िंदगी बिता रहा है?’ वो बोली। मैं चुप रहा क्योंकि सिर्फ मुट्ठ मारने के मैंने और किया भी क्या था।

आंटी ने अपना एक पांव उठाया और मेरे सिर ऊपर से ले जाकर मेरे कंधे पर रखा और अपने पांव से मेरे सिर की अपने पास खींचा और ऊपर से अपनी नाईटी भी अपने पेट तक ऊपर उठा दी। उनकी गोरी गुलाबी चूत मेरे सामने थी। शायद शेव की थी या वीट लगाई थी, मगर बिल्कुल साफ चूत!

‘इसे चाट…’ कह कर आंटी अपनी टांग से ही मेरा सिर खींच कर अपनी चूत से लगा दिया। गोरी चूत में गुलाबी रंग की दरार और उस दरार में से बाहर निकला हुआ थोड़ा सा मांस। अब यह तो मेरे लिए सुनहरी मौका था, मैंने श्यामा आंटी की चूत की दरार से बाहर निकले हुए उस मांस के टुकड़े को पहले चूमा और फिर अपने होंठ उससे सटा दिये।

दो चार बार और उसके चुम्बन लेकर मैंने अपना मुँह खोला और उस मांस के टुकड़े को अपने मुँह में ले लिया और अपनी जीभ को आंटी की चूत की दरार में फेरा। आंटी के मुँह से ‘इस्स’ करके आवाज़ निकली, मैंने अपने आपको एडजस्ट किया और अपना मुँह पूरी तरह आंटी की चूत से जोड़ लिया। आंटी को मज़ा आया तो उन्होंने अपनी दोनों जांघें भींच ली और मेरे सर के बाल पकड़ लिये, मगर इस हालत में मुझे बड़ी दिक्कत हो रही थी। एक तो मुझे सांस ठीक से नहीं आ रहा था और ऊपर से जब भी आंटी को मज़ा आता वो मेरे सर के बाल खींच देती।

मैंने कहा- आंटी इस एक्शन में मुझे ठीक नहीं लग रहा, क्यों न हम पोज चेंज कर लें। वो बोली- अरे मेरे राजा, जो तुझे ठीक लगता है, वैसे कर ले, पर आज खा जा मेरी इस दुश्मन को, यह मुझे बहुत तंग करती है।

और आंटी उठ कर खड़ी हुई और अपनी नाईटी उन्होंने पूरी उतार कर ही फेंक दी। ‘अरे वाह!’ मेरे मुँह से निकला, क्या दमदार हुस्न था आंटी का! गोल, मजबूत जांघें, थोड़ा सा बाहर निकला पेट और ऊपर दो विशाल गोल, बेशक थोड़े लटके हुये, मगर क्या कमाल के बूब्स थे। ‘आंटी आप गजब की सेक्सी औरत हो!’ मैंने कहा। ‘अबे चल, अब कहाँ, जैसे मैं पहले थी, अब कहाँ रह गई, मेरा तो बदन देखने लायक था, जवानी में बहुत मेहनत की है मैंने, बहुत फिट रखती थी मैं खुद को!’ वो बड़े गर्व के साथ बोली।

मैंने भी अपने कपड़े खोल दिये और सिर्फ चड्डी रहने दी। मैंने आंटी को नीचे कालीन पे ही लिटा दिया और खुद उनसे उल्टी दिशा में लेटा। मैंने उनकी दोनों जांघें खोली और अपने हाथ की उँगलियों से उनकी चूत की फाँकें पूरी तरह से खोल कर अपना सारा मुँह उनकी चूत से लगा कर अंदर उनकी चूत के सुराख को अपनी जीभ से चाटा।

मेरी यह अदा आंटी को बहुत पसंद आई, उन्होंने अपनी दूसरी मेरे सर के ऊपर रख कर मेरे सर को फिर से अपनी टाँगो में भींच लिया, और मेरी चड्डी उतार कर मेरे तने हुये लन्ड को कैद से आज़ाद किया। उन्होंने लन्ड को हाथ में पकड़ा, चमड़ी पीछे हटा कर गुलाबी सुपाड़े को बाहर निकाला और अपनी जीभ से ऐसे चाटा जैसे कोई छोटी बच्ची आईस क्रीम को चाटती है और उसके बाद मेरा लन्ड उन्होंने ने मुँह में ले लिया और क्या चूसा। मुझे लन्ड चुसवाने में बहुत मज़ा आया।

करीब 5-6 मिनट आंटी ने अपनी चूत चटवाई और उसके बाद वो झड़ गई और क्या झड़ी। मेरे सर को तो जैसे वो अपनी जाघों में दबा कर ही तोड़ देना चाहती हो और मेरे लन्ड को जैसे चबा ही डाला हो। अपने जिस्म को बड़ी ज़ोर ज़ोर से झटके दिया और मेरे को तो जैसे वो खा जाने की हद तक गई। और जो ‘ऊह, आह, उफ़्फ़’ और पता नहीं क्या क्या वो बोली, वो सब अलग।

जब वो झड़ने के बाद शांत हो कर लेट गई तो मैंने भी फटाफट अपने कपड़े उतारे और अपना लन्ड श्यामा आंटी की चूत पे सेट किया। वो बोली- यह क्या कर रहे हो? मैंने कहा- मैं भी गरम हो चुका हूँ मैं भी आपसे सेक्स करना चाहता हूँ। वो बोली- अबे चल, रंडी समझ रखा है, जो कोई भी आएगा और श्यामा पे चढ़ जाएगा। मैं तो हक्का बक्का रह गया- मगर अभी जो आपने मेरे साथ किया, वो क्या था? मैंने पूछा। ‘अरे वो मेरी मर्ज़ी थी, तेरी नहीं थी तो मत करता!’

मैं तो बहुत शर्मिंदा हुआ, मैं वापिस अपने कपड़े पहनने लगा तो वो हंस कर बोली- अबे चिरकुट, इतने से ही डर गया। जब आए तो अपना काम निपटा के जाओ, अधूरा मत छोड़ के जाओ! कह कर आंटी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया।

मैं खुश हो गया, उसके बाद मैंने आंटी से भरपूर सेक्स किया। मैंने आंटी को दो बार चोदा और आगे भी इस तरह की चुदाई की बात पक्की कर आया। श्यामा आंटी ही वो औरत थी, जिसने मुझे एक लड़के से पूर्ण मर्द बनाया, मुझे औरत को चोदने के उसको अपने लन्ड से खुश रखने के गुप्त गुर भी बताए।

और आज मेरी प्यारी श्यामा आंटी, मेरी दोस्त, मेरी गुरु इस दुनिया को अलविदा कह गई थी। उस महान आत्मा को शत शत नमन! [email protected]

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