रिम्पी और उसका परिवार-2

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प्रेषक : रुबीन ग्रीन

फिर उसी दिन शाम के समय फिर से उसकी चूचियों को मसल दिया।

उसने कहा- छोड़िये ! दर्द हो रहा है।

मैंने छोड़ दिया पर उस दिन खेल-खेल 8-9 बार उसकी चूचियों और गाँड को मसल दिया, उसने कुछ नहीं बोला।

दूसरे दिन शाम को टीवी पर ब्लू फिल्म देखते हुए मैंने उससे पूछा- यह देखने के बाद तुम्हारा मन नहीं करता है?

उसने पूछा- क्या?

मैंने बोला- जो मूवी में हो रहा है।

वो शर्मा गई और बोली नहीं।

तो मैं पहली बार जानबूझ कर उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला- क्यों ! तुम भी तो बड़ी हो गई हो और तुम्हारी ये तो काफी बड़ी हो गई हैं।

उसने अपनी चूचियो को छुड़ाते हुए कहा- यह क्या कर रहे हैं?

मैंने कहा- क्या तुम्हें मेरा पकड़ना अच्छा नहीं लगा?

और मैंने फिर से एक बार उसकी चूचियों को पकड़ लिया।

और धीरे-धीरे मसलने लगा। इस बार वो कुछ नहीं बोली। फिर यह रोज़ का क्रम हो गया। वो आती, मैं चॉकलेट देने के लिए गोदी में उठाता और उसकी चूत और चूचियों को मसलता और फिर फिल्म देखते समय उसकी चूचियों को मसलते रहता था।

होली के पहले दिन उसने बोला- मैं कल आपको रंग दूंगी।

मैंने होली में उसके साथ मस्ती करने की योजना बनाई। होली के दिन मैंने अपने फ्लैट का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया, बाहर वो और दूसरे बच्चे होली खेल रहे थे। वो सभी बार-बार मुझे दरवाजा खोलने को बोल रहे थे पर मैंने दरवाजा नहीं खोला।

तब उसने खोलने को कहा, तब मैंने कहा- सिर्फ एक अन्दर आएगा और मुझे रंग नहीं लगाएगा।

सब मान गए और मैंने दरवाज़ा खोला और रिम्पी अन्दर आई और मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया। वो मुझे रंग लगाने लगी, मैं न लगाने का नाटक करने लगा, उसने ज़बरदस्ती मुझे पूरे शरीर पर अंडरवीयर को छोड़ कर रंग लगा दिया और हँसने लगी।

तब मैं गुस्सा दिखाते हुए बोला- ठीक है, अब मैं तुम्हें रंग लगाऊँगा।

वो बोली- ओके !

मैं उसे बाथरूम में ले गया और फिर बाल्टी में रंग घोल कर अपने हाथों से पहले उसके चेहरे पर फिर उसके शरीर पर लगाने लगा। इसी क्रम में मैंने अपना हाथ उसकी टीशर्ट में घुसा दिया और उसकी चूचियों पर रंग लगाने लगा।

वो बोली- यह क्या कर रहे हैं?

मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर उठाते हुए चूचियों को नंगा कर दिया और बोला- तुम्हें रंग लगा रहा हूँ।

और उसकी चूचियों को मसलता रहा। मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया और पजामे से निकलने लगा।

वो अपने को छुड़ाने की ऊपरी कोशिश करने लगी पर मैंने उसे न छोड़ा और अपने होंठ उसकी चूचियों पर लगा दिए और उन्हें चूसने लगा।

और उसका एक हाथ पकर कर अपने पजामे पर रख दिया, वो भी गर्म हो गई थी और मेरे लंड को पकड़ कर मसलने लगी,

मेरा एक हाथ अब उसकी चूत पर चलने लगा था। करीब दस मिनट तक हम यह करते रहे और उसके बाद वो अलग हो गई और जाने लगी, बोली- कोई मुझे खोजता आ जायेगा।

मैंने फिर उसे पकड़ लिया और बोला- प्लीज़ थोड़ी देर !

पर वो जाने लगी।

तब मैं अपना लंड पजामे में से निकाल उसे दिखाते हुए बोला- देखो, यह तड़प रहा है, प्लीज़, इसे ठंडा कर दो न ! प्लीज़ !

और मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने अपने लंड को पकड़ा दिया पहले तो वो शरमाई फिर लंड पकड़ लिया और ऊपर-नीचे करने लगी, मैं फिर से उसकी चूचियों को मसलने लगा और पुछा- कैसा लग रहा है? और ये किससे सीखा?

तो उसने कहा- अच्छा लग रहा है ! फिल्म में ऐसे ही करते हैं न !

करीब पांच मिनट में मेरा पानी निकल गया और फिर वो हाथ धोकर चली गई।

अब मैं समझ गया कि अब यह चुदवाने को तैयार है। और मैं उसके अकेले होने का मौका खोजने लगा पर हमारा रोज वाला काम चालू था। वो शाम को आती मैं अब उसे बड़ी चॉकलेट देता।

हम बी ऍफ़ देखते, मैं उसकी चूचियाँ और चूत मसलता और वो मेरे लंड से खेलते हुए मेरा वीर्य निकाल देती। जब मैं उसे चुदवाने को कहता तो वो “डर लगता है” और “दर्द होगा” कह कर मना कर देती थी।

मैं भी समझता था कि पहली बार जब यह चुदेगी तो दो दिनों तक ठीक से चल नहीं पाएगी और सबको पता चल जायेगा। इसलिए मैं इसके दो दिन अकेले रहने का इंतज़ार कर रहा था।

और एक दिन ऊपर वाले ने मेरी सुन ली, उसकी मम्मी मेरे पास आई और बोली- हम तीन दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं और रिम्पी अकेले रहेगी, उसका ख्याल रखना।

मैंने कहा- ठीक है।

रात में आठ बजे मैं और रिम्पी ने उन्हें ट्रेन पर बैठा कर लौटे। रास्ते में ही मैंने रिम्पी को चुदवाने को तैयार कर लिया। इसके लिए मैंने पांच कंडोम और दो एक्स्ट्रा पॉवर कैप्सूल और दो दर्द की गोलियाँ भी ले ली। हमने रात बारह बजे मिलने का कार्यक्रम बनाया ताकि बिल्डिंग के सभी ल़ोग सो जाये।

घर पहुँच कर हमने अपने-अपने फ़्लैट के दरवाजे बंद कर लिये ओर सभी के सोने का इन्तजार करने लगे। करीब रात के बारह बजे उसके फ़्लैट की बत्ती जल-बुझ कर सिगनल देने लगी तो मैंने अपने फ़्लैट को खोला ओर वो अपने फ़्लैट को बन्द कर मेरे फ़्लैट में आ गई।

मैंने उसे अन्दर करके दरवाजा बन्द कर लिया और पकड़ कर अपने कमरे में ले गया।

मैंने कमरे में सेंट छिड़का हुआ था जिस कारण कमरे में मादक खुशबू थी। मैं उससे लिपट गया और उसे लेकर बिस्तर पर लेट गया। वो भी मुझसे लिपट कर मुझसे अपना शरीर रगड़ने लगी।

आग़ दोनों ओर लगी थी। मैं तो अपनी आग बुझा लेता था पर उसका यह पहला मौका था, वो जल रही थी। मैंने भी सोचा कि इसे थोड़ा तड़पाया जाए !

फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और फिर स्कर्ट भी उतार दी।

मैं सिर्फ अपने बोक्सर में था और वो सिर्फ़ पिन्क पैन्टी और छोटी लड़कियों के पहनने वाली शमीज़ में थी। हम दोनों लिपटे हुए थे, उसका एक हाथ मेरे लंड मसल रहा था।

मैंने उसकी शमीज़ ऊपर कर निकाल दी और अपना मुँह उसकी चूचियों पर लगा दिया और चूसने लगा।

वो सिसकारने लगी।

मेरा एक हाथ उसकी दूसरी चूची को मसलने लगा और एक हाथ उसकी पैन्टी में घुस गया, उसकी चूत को मसलने लगा।

वह भी अपना हाथ मेरे पैन्ट में घुसा कर मेरे लंड को मसलने लगी।

कुछ ही मिन्टों में मेरी पैन्ट अरर उसकी पैन्टी उतर गई, हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गये।

वो मुझे और मैं उसे देख रहा था। फिर हम दोनों 69 की अवस्था में लेट गये और मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगा दिया और जीभ उसकी चूत में घुसा कर चूत चाटने लगा।

वो सिसकारियाँ लेने लगी, मुझे कस के भींच लिया और मेरे लण्ड को कस कर मसलने लगी और अपने होठों पर रगड़ने लगी पर मुँह में नहीं लिया।

इधर उसकी चूत से पानी रिसने लगा था और दो मिनट में वो झड़ ग़ई और मुझे भींच लिया।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

कहानी आगे जारी रहेगी।

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