आंटी ने सेक्स सिखाया-3

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प्रेषक : अमन वर्मा

कब शाम हो गई पता ही नहीं चला। रात को मैं जब आंटी के कमरे में पहुँचा तो दंग रह गया। पूरे कमरे में खुशबू फ़ैली हुई थी। गुलाब की खुशबू वाला रूम फ्रेशनर छिड़का हुआ था। बिस्तर पर गुलाब के फ़ूल बिखरे पड़े थे और सफ़ेद रंग की चादर बिछी हुई थी।

मैंने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद किया और उनके पास गया। वो मुझे देखकर मुस्कुरा पड़ी। फिर मैं उन्हें बाहों में भर कर चूमने लगा। वो भी मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी। हम दोनों तुरंत ही गर्म हो गए। फिर मैंने उन्हें खड़ा किया और उनके कपड़े उतारने लगा। उन्होंने भी मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। अब मेरे जिस्म पर केवल एक अंडरवियर बचा था और आंटी के जिस्म पर ब्रा और पैंटी। आज आंटी ने सफ़ेद रंग की पैंटी और ब्रा पहनी थी।

मैं उनको बिस्तर तक ले गया और लिटा कर बेतहाशा चूमने लगा। आंटी भी मुझे प्यार कर रही थी। अब मैंने उनकी ब्रा खोल कर उनके कबूतरों को आजाद कर दिया और मुँह से चूसने लगा। उनके स्तन इतने कड़े कड़े थे कि मैं उन्हें पूरी ताकत से मसल रहा था। मैंने अपना सीना उनके वक्ष पर रख कर मसलना शुरु कर दिया। आंटी का हाथ मेरे लण्ड पर चला गया जो विकराल रूप में आ चुका था और उनके हाथ लगते ही एकदम से फुफकार उठा।

मैंने झट से उनकी पैंटी उतार दी और अपना अंडरवियर भी निकाल फेंका। उनकी चूत पर जैसे ही मेरी नजर गई तो वहाँ एक भी बाल नहीं था। मैंने हाथ से सहलाया तो एकदम चिकनी चूत थी। मैंने आंटी से पूछा तो उन्होंने बताया कि आज शाम को ही बाल हटाए हैं।

उनकी गुलाबी चूत पूरी गीली थी। मुझसे रहा ना गया। मैंने उन्हें चूम लिया। फिर उनके चूत के होंठों पर अपने होंठ टिका दिए और उन्हें चूसने लगा। उसके अंदर का पानी इतना नशीला था कि मुझ पर नशा छा गया। मैंने अपनी जीभ उसके अंदर डाल दी और इधर-उधर घुमाने लगा

आंटी ने मेरा सर अपनी जांघों के बीच दबा लिया और अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ लिया। मैं अपनी जीभ उसके अंदर घुमा रहा था, आंटी बेचैन हो रही थी। थोड़ी देर में वो मुझे ऊपर की ओर खींचने लगी। मैं फिर भी लगा हुआ था।

तभी वो बोली,”अब देर ना करो अमन …. अब डाल दो अंदर …”

पर मैं लगा हुआ था।

तभी आंटी ने अपने जिस्म को एक झटका दिया और फिर शांत हो गई।

उनकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया और मैं उसका स्वाद लेने लगा। मुझे वो एकदम नमकीन लगा। मैंने उनकी चूत का सारा पानी साफ़ कर दिया। फिर अपनी जीभ बाहर निकाल ली। उसके बाद आंटी के बगल में लेट कर उनको चूमने लगा। आंटी के स्तनों को धीरे-धीरे सहला रहा था और उनके चुचूकों को दांतों के बीच दबाने लगा। आंटी तुरंत ही गर्म हो उठी। फिर उन्होंने मेरे लण्ड को हाथ में लिया और सहलाने लगी। फिर झुक कर उसको चूम लिया। फिर उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

मैं पूरी तरह से बेचैन हो उठा। वो तेजी से लण्ड को मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी। थोड़ी देर में मेरे लण्ड ने पानी उगल दिया और ढेर सारा वीर्य उनके मुँह में चला गया। आंटी ने मेरे लण्ड को अपनी जीभ से ही साफ किया। उन्होंने मेरे किये अहसान का बदला चुका दिया। मैं निढाल सा उनके बगल में लेट गया। फिर वो भी बगल में लेट गई।

मैं उदास हो गया। आंटी ने मुझसे पूछा “क्या हुआ? क्या तुम खुश नहीं हो? इस तरह उदास क्यों हो गए?”

“आंटी, मैं तो कुछ करने के पहले ही खलास हो गया !”

“ओह ! तो तुम इसलिए उदास हो ! तो क्या हुआ?”

“अब मैं आपका साथ कैसे दूंगा?”

“अरे पगले, ऐसे थोड़े ना घबराते हैं! मैं भी तो झड़ गई ना !”

“हाँ !”

“तो क्या हुआ? हम फिर से तैयार हो जायेंगे ना !”

“हाँ लेकिन?”

“लेकिन क्या? यह तो अच्छी बात है ! अब दुबारा काफी देर तक हम नहीं झड़ेंगे।”

“सच में आंटी !?”

“हाँ …. ऐसे ही होता है पगले ! अब हम काफी देर तक एक दूसरे का साथ दे पाएंगे।”

“पर यह तो सो गया आंटी?”

“मेरे हाथ लगते ही जग जायेगा !”

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरु कर दिया। आंटी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं किसी आज्ञाकारी छात्र की तरह उसे चूसने लगा। यह अनुभव मेरे लिए बेहद रोमांचकारी था। मेरा लण्ड तुरंत ही खड़ा हो गया। मैं बड़े मजे से उनके जीभ को चूस रहा रहा था और उनके बड़े बड़े स्तनों को सहला रहा था। आंटी भी तुरत ही जोश में आ गई और मुझे बेतहाशा चूमने लगी। अब कमरे का माहौल एक बार फिर वासनामय हो गया। फिर आंटी ने झुक कर मेरे लण्ड को मुँह में भरा और जीभ फेरने लगी। दो मिनट में ही वो फुफकार उठा। उन्होंने अपने मुँह से मेरा लण्ड बाहर निकाला और खुद ही मेरा लण्ड अपने चूत की ओर खींचने लगी।

मैंने उन्हें बिस्तर पर पीठ के बल सीधा लिटा दिया और उनकी दोनों जांघो के बीच अपने लिए जगह बनाई। मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत पट सटाया तो वो अपनी कमर ऊपर की ओर उचका दी। मैं समझ गया कि वो अब मेरे लण्ड को लेने के लिए बेकरार है। मैंने अपने लण्ड को उनके स्वर्ग के द्वार पर रगड़ा और योनि मुख पर टिका दिया। मेरा लण्ड फुफकार रहा था।

अब आंटी से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो सीत्कार भर उठी और बोली, “प्लीज़ अब देर ना करो…… डाल दो जल्दी से अमन !”

मैंने अब अपने लण्ड को उनकी चूत के होंठों पर रखा और थोड़ा सा रगड़ा। मेरा लण्ड उनकी योनि रस से भीग गया। अब मैंने भी देर करना उचित ना समझा और अंदर की ओर एक धक्का लगाया। चूत इतनी गीली थी कि मेरे लण्ड आसानी से अंदर जाने लगा।

अभी मेरा लण्ड आधा भी अंदर नहीं गया था कि आंटी अपने जिस्म को ऐंठने लगी। वो आह ओह्ह कर रही थी।

मुझे बड़ा अजीब सा लगा क्योंकि मुझे लग रहा था कि कुछ गड़बड़ हो गई।

मैंने आंटी से पूछा कि उन्हें दर्द हो रहा है क्या?

उन्होंने कहा- तुम लगे रहो, क्योंकि यह तो होगा ही।

मैंने फिर एक जोर का धक्का मार दिया और आंटी के मुख से चीख निकल पड़ी। मेरा लण्ड आधा अंदर चला गया। मैंने फिर थोड़ा रुक कर धक्का मारा और मेरा लण्ड थोड़ा और अंदर चला गया।

अब आंटी कराह उठी और बोली,”थोड़ा धीरे धीरे डालो ना, बहुत साल हो गए हैं, मैंने अंदर नहीं लिया।”

मैं धीरे से अंदर की ओर धकेलने लगा। तभी मैंने जोश में आकर एक जोर का धक्का मार दिया और वो उबल पड़ी। वो कराह कर बोली,”अब बस करो…. अब नहीं जायेगा…. मेरी चूत फट जाएगी…..।”

मैं थोड़ा रुक गया और फिर एक बार अपनी सांसों को खींचा और पूरी ताकत से जोर का धक्का मारा…… आंटी बुरी तरह से चीख उठी।

गनीमत थी कि आंटी ऊपरी मंजिल पर रहती थी और वहाँ कोई नहीं होता था ! नहीं तो आंटी की इस चीख से सबको पता चल जाता।

उनकी आँखों में आंसू आ गए। मैंने उन्हें सॉरी बोला। मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरा समां गया था। पर आंटी लगातार कराह रही थी, उनके मुँह से ओह्ह्ह….. आह….. उई माँ….. आह….. लगातार निकल रहा था।

उन्होंने मुझे थोड़ा रुकने को कहा। मैं रुक गया और उनके स्तनों को मुँह में भर लिया और चुभलाने लगा। दूसरे हाथ से मैं उनके दूसरे स्तन को मसल रहा था। थोड़ी देर में वो अपने चूतडों को ऊपर की ओर उछालने लगी और बोली- धक्के मार !

मैंने अपना लण्ड खींच कर बाहर किया और एक जोरदार धक्का मारा।

उई माँ…… मार डाला रे….. माँ….. मर गई रे…… ओह्ह…… मैं फिर एक जोर का धक्का मरे तो वो बिलबिला उठी और बोली …… छोड़ बो मुझे…… ओह्ह…… उईइ…… मा……मैं मर गई रे……बहुत दर्द हो रहा है…… प्लीज़ छोड़ हो…।

मैं वासना के मारे अँधा हो गया था और बहरा भी। मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था मुझे तो बस उन्हें चोदना था। मैंने उनकी एक ना सुनी और धक्के मरता चला गया। मैं ताबड़-तोड़ धक्के मार रहा था। थोड़ी देर बाद आंटी ने मेरा साथ देना सुरु कर दिया और मेरे धक्के का जबाब देने लगी। मैं जैसे ही धक्का मरता तो वो पलट कर अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछल देती जिससे मेरा मजा दुगुना हो जाता। अब तो मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मैं दीवानों की तरह उनकी चुदाई किये जा रहा था और आंटी भी खुल कर मेरा साथ दे रही थी।

आंटी मुझे उकसा रही थी,”हाँ मेरे राजा…… इसी तरह …… और जोर जोर से ……… फाड़ दे……फाड़ दे आज इस चूत को …. बहुत खुजली मची है इसमें….”

“घबराओ मत आंटी… आज मैं इसकी खुजली मिटा दूंगा……” मुझे पूरा मजा आ रहा था। ऐसा आनंद मुझे कभी नहीं मिला था। मैं तो आनंद के सागर में गोते लगा रहा था। मुझे लग रहा था कि ये पल कभी खत्म ना हों और मैं ऐसे ही आनंद लेता रहूँ।

मैंने झुक कर आंटी को चूम लिया,”आंटी आज आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी……ओह्ह आंटी… आप कितनी अच्छी हो। अगर आप ना होती तो मैं इस जन्नत के मजे को तो कभी जान भी नहीं पाता…… आई लव यू आंटी…… बहुत मजा आ रहा है आंटी……ऐसा मजा कभी नहीं आया था मुझे…… आपकी चूत तो स्वर्ग है आंटी……।”

“तो इसमें समां जाओ ना मेरे लाल…… स्वर्ग के मजे ले लो…… जन्नत की सैर कर लो आज…… यह तो तुम्हारे लिए ही है…… इसमें समां जाओ आज….. आपनी प्यास बुझा लो आज !”

मैं लगातार धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था और मेरा लण्ड उनकी बच्चेदानी से टकरा रहा था और आंटी के मुख से अजीब अजीब आवाजें आ रही थी। उनकी सीत्कारों से पूरा कमरा भर गया था,”आई लव यू मेरे राजा…… आज मैंने खुद को तुम्हारे हवाले कर दिया है…… फाड़ डाल मेरी चूत को……कीमा बना दे इसका…… बहुत सालों से इसकी प्यास नहीं बुझी……आज बुझा इसकी प्यास…. आह्ह्ह्ह….”

लगभग 20 मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई चली उसके बाद मुझे लगा कि शायद मेरे लण्ड से पानी बाहर आ जायेगा…

मैंने आंटी को बताया,”आंटी, अब मैं झड़ जाऊंगा…”

“नहीं…. अभी नहीं…… अभी रुक…..।”

“क्या करूँ? कैसे रुकूँ?”

“धक्का मत लगा और अपने अंदर रोकने की कोशिश कर !”

मैं अब रुक कर अपने आप को सँभालने की कोशिश करने लगा। तभी आंटी बोली,”लगता है कि तुम थक गए हो !”

“नहीं आंटी, अभी नहीं थका हूँ।”

“चलो थोड़ी अवस्था बदलते हैं।”

“कैसे?”

“मुझे करवट लेने दे !”

आंटी मेरा लण्ड अपनी चूत में लिए ही करवट में लेट गई और मैं भी करवट में लेट गया। हम दोनों बिस्तर पर 90 डिग्री के कोण पर लेटे थे। उसके बाद मैं फिर से धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर तक धक्के मारने के बाद मैं फिर 2 मिनट के लिए रुक गया उसके बाद फिर से ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा….

“ऊह मेरे राजा…..जल्दी कर…… जोर जोर से…… जल्दी जल्दी… धक्के मार….. और तेज……”

हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे। सर्दियों की इतनी ठण्डी रात में भी हम बिना कपड़ों के पसीने से भीगे थे। मैं पूरी गति से लगा हुआ था। मेरी सांसें उखड़ रही थी। मैं उन पर काबू नहीं कर पा रहा था।

“ओह आंटी, अब मैं काबू नहीं कर पा रहा हूँ! प्लीज़ कुछ कीजिये !”

“बस अब तेज तेज धक्के मार……आह …… ओह… मेरे राजा…… मेरा तो हो गया…… अब मैं जाने वाली हूँ…… जल्दी कर… तेज तेज धक्के मार……..जल्दी…… ओह्ह्ह……मैं गई…..”

और फिर आंटी ने मुझे कस कर जकड़ लिया फिर उनका बदन अचानक से एक जोर का झटका खाया और फिर झटके लगने लगे…।

फिर आंटी शांत हो गई… आंटी झड़ चुकी थी। उनके चूत से ढेर सारा प्रेमरस निकल पड़ा और मेरे लण्ड को प्रेम रस में भिगो कर रख दिया।

मैं भी अब स्खलन के करीब पहुँच चुका था। मैंने तेज तेज धक्के लगाए और मैंने भी अपना सारा वीर्य उनकी मुनिया में गिरा दिया। मैं उनके ऊपर ही निढाल हो गया…… मैं अपनी तेज सांसों पर काबू करने की कोशिश कर रहा था। आंटी भी बुरी तरह से हांफ रही थी। जैसे जैसे वो हांफ रही थी उनके स्तन भी तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैं उनके स्तनों को मुँह में लेकर धीरे धीरे चूस रहा था। काफी देर के बाद हमारी सांसें सामान्य हुई…… अभी तक मेरा लण्ड उनकी चूत में ही था।

फिर कुछ देर बाद हम अलग हुए और आंटी बाथरूम चली गई और फिर वापस आकर सोफे पर बैठ गई। मैं भी उठा और बाथरूम जाकर अपने लण्ड को साफ़ करके आ गया। फिर हम दोनों सो गए। उस रात मैं इतनी गहरी नींद सोया कि पता ही नहीं चला कि कब सुबह हो गई। सुबह जब आंटी ने मुझे चाय देने के लिए जगाया तो मैंने आंटी को खींच कर बेड पर गिरा दिया। फिर एक बार कमरे का माहौल गर्म हो उठा और हम दोनों एक दूसरे में समां गए।

उसके बाद जब तक मम्मी नहीं आई हम दोनों का यह खेल चलता रहा।

मम्मी के आने के बाद भी बहुत कुछ हुआ…… आगे की कहानी फिर बाद में भेजूंगा…।

पहले मेरी इस आपबीती पर अपनी राय जरूर भेजिएगा।

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