पलक की चाहत-4

मैंने कहा,”अब मत रोक ! नहीं तो तेरा देह शोषण हो जायेगा मुझ से।”

वो बोली,” ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन मैं चाहती हूँ मेरी जो इच्छा है वो हर इच्छा पूरी हो तो प्लीज मान जा और अगर तुझे करना ही है तो मैं रोकूँगी नहीं।”

उसकी आँखों में अजीब सी कशिश और उदासी थी यह कहते हुए ! मैंने आज तक उसे कभी उदास नहीं होने दिया, उसकी हर इच्छा चाहे कितनी ही बेवकूफी भरी क्यों ना हो, मैंने पूरी की थी तो इस बात के लिए उसकी बात ना रखता ऐसा हो ही नहीं सकता था।

मैंने कहा,”तो रो क्यों रही है इतनी सी बात के लिए? बता क्या इच्छा है?”

वो बोली,” आई वान्ट यू टू मेक मी कम वंस इन दिस कण्डीशन, नो मोर क्लोथ रिमूविंग ! ( मैं चाहती हूँ कि तू मुझे इसी हालत में एक बार चरम-सुख दिलाए, बिना और कोई कपड़ा उतारे) ना तेरे ना मेरे !”

मैंने कहा,”ऐसा क्यों?”

तो बोली,” मेरी यही इच्छा है ! कैन यू डू इट (क्या तू कर सकता है) ?”

मैंने कहा,”अगर मैं यह नहीं कर सकता तो वो भी तेरे लिए, तो मैं कुछ नहीं कर सकता !”

और मैंने कपड़े के ऊपर से ही उसकी गीली हो चुकी चूत को चूम लिया, एक मदमस्त कर देने वाली गंध आ रही थी उसमें, मैंने उसकी चूत में एक बार तो मेरा चेहरा गड़ा ही दिया था।

फिर मैं थोड़ा ऊपर आया उसके पेट को उसकी शमीज से ढका और कपड़े के ऊपर से उसकी नाभि में मेरी जीभ चलाने लगा…

मेरी इस हरकत से वो मचल से गई..

थोड़ी देर तक मैं यही करता रहा और वो मचलती रही। इस बीच मेरे हाथ उसकी दोनों चिकनी टांगों पर फिसल रहे थे, मैं उसकी चिकनी टांगों पर से हाथ ही नहीं हटा पा रहा था। और फिर मैं थोड़ा और ऊपर आया और उसके वक्ष पर हाथ चलाने लगा और उसके बाद कपड़ों के ऊपर से ही मैंने उसके एक चुचूक को चूसना शुरू कर दिया…

मैं सिर्फ चुचूक को चूस रहा था और दूसरे हाथ से मैं उसके दूसरे चुचूक को सहला रहा था, नीचे मेरा लण्ड पलक की चूत से टकरा रहा था और वो चिल्ला रही थी- प्लीज सैंडी, सहन नहीं हो रहा ! कुछ कर ना ! प्लीज सैंडी, मैं पागल हो जाऊँगी प्लीज….

और मैंने उसका बायां चुचूक होंठों से चूसना शुरू कर दिया और दायें पर उंगलियाँ चलाने लगा .. नीचे से मेरा लण्ड उसकी चूत को धक्के लगा ही रहा था और पलक भी नीचे से अपनी चूत को उठा कर मेरे लण्ड का पूरा साथ दे रही थी।

मैं जानता था कि अब यह ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगी पर फिर भी थोड़ी देर मैं उसके चुचूक को ही चूसता रहा।

अब वो नीचे से और ज्यादा धक्के लगा रही थी, उसकी टांगों ने मेरी कमर को पूरी तरह से लपेट रखा था, वो अपने हाथों से मेरे सर को इस तरह से दबा रही थी कि मैं उसके चुचूक की बजाय उसके पूरे स्तन को मेरे मुँह में भर लूँ पर मेरा इरादा सिर्फ उसके चुचूक चूसने का ही था।

साथ ही साथ वो चिल्लाती जा रही थी- संदीप प्लीज ! अब नहीं सहन हो रहा, प्लीज जल्दी कुछ कर ! अगर ऐसे नहीं हो सकता तो उतार दे मेरे पूरे कपड़े और चोद दे मुझे ! पर अब और तड़पा मत मुझे, और नहीं सहन कर सकती यार…

मैंने उसके चुचूक से मुँह हटाया और पलक के चेहरे की तरफ देखा तो उसकी पलकों के किनारे भीगे हुए थे।

यह देख कर मैं और रुक नहीं सकता था मैंने उसको चुचूक को छोड़ा और मेरे होंठों को सीधे उसकी चूत पर लगा दिया, इसके लिए मैंने पलक की पैंटी नहीं उतारी पर उसे हाथों से खींच कर एक तरफ कर दिया था।

मैंने अपने होंठों से उसकी चिकनी बिना बालों वाली गीली चूत को चूसना शुरू कर दिया और एक उंगली से उसके दाने को हल्के से सहलाना शुरू कर दिया…

उसने अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत में और जोर से दबा लिया, और मेरे सीने को उसकी टांगों में जकड़ लिया था, मैंने इस तरह से उसे थोड़ी ही देर चूसा होगा कि उसका बदन अकड़ने लगा और वो झड़ने लगी.. उसके मुँह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी सिवाय आनन्द से भरी आह के…

वो काफी देर तक झटके मार मार कर झड़ती रही और मैं उसे चूसता रहा..

जब वो पूरी तरह से झड़ कर पस्त हो गई तो उसने मुझे ढीला छोड़ा…

मैं हटा तो मैंने देखा वो पूरी तरह से पस्त हो चुकी थी, पसीने में लथपथ और वो जरा भी हिल नहीं रही थी थकावट के कारण !

मुझे लगा कि वो अब सो ही जायेगी।

मैं अभी तक बाकी ही था लेकिन उसकी ऐसी हालत देख कर उसे कुछ भी कहना मुझे ठीक नहीं लगा तो मैं उठ कर बाथरूम जाने लगा मैंने सोचा वहाँ मुठ मार लूँगा और इस प्यारी सी गधी को अभी सोने दूँगा लेकिन मैं जैसे ही जाने लगा तो वो बोली- रुक यहाँ आ मेरे बगल में लेट।

मैंने कहा- ठीक है !

और मैं उसके बगल में जाकर लेट गया, वो बोली- कम्बल भी ओढ़ ले ! ठण्ड लग रही है अब मुझे।

मैं उसके बगल में कम्बल ओढ़ कर लेटा तो वो मेरे कंधे पर सर रख कर मुझ से चिपक कर लेट गई और उसने मेरे लोअर में हाथ डाल कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया, फिर बोली,”तू बाथरूम मत जा, प्लीज मुझे थोड़ा सा वक्त दे दे प्लीज !”

गजब की सुंदर और प्यारी लग रही थी वो और फिर मेरा भी मन नहीं किया उसे छोड़ कर जाने का तो मैंने भी मुठ मारने का इरादा छोड़ कर उसे और पास लेकर कर उसकी बाँहों को सहलाने लगा।

पिछली पूरी रात भर दफ्तर में काम किया था तो नींद पूरी हुई नहीं थी तो कब मुझे भी नींद लग गई मुझे पता ही नहीं चला…

मेरी नींद लगभग एक घंटे बाद खुली और उसका कारण यह था कि पलक मेरे लोअर को नीचे कर के मेरे लण्ड को चूस रही थी, इसे महसूस करके मेरा हाथ उसके सर को सहलाने लगा…

जब उसने देखा कि मैं जाग गया हूँ तो वो मुझ से बोली- पंलग के बीच में आ जा ना…!

मैं बिना कुछ कहे पलंग के बीच में खिसक गया। इसके बाद उसने मेरे हाथों को पकड़ कर मुझे ऊपर उठाया और मैं थोड़ा ऊपर उठ गया, मेरे ऊपर उठते ही उसने मेरी टीशर्ट बनियान के समेत निकाल दी।

वो अभी भी उसी काली शमीज और पैंटी में थी और अब मैं उसके सामने सिर्फ लोअर में था वो भी आधे लोअर में.. मुझे लगा यह अभी लोवर भी निकालेगी लेकिन उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था।

उसने मेरे लण्ड को फिर से मुँह में लिया और चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक पलक मेरे लण्ड को बिल्कुल ऐसे चुस्ती रही जैसे लोलीपॉप चूस रही हो, उसका इस तरह से लण्ड चूसना मुझे बहुत आनंद दे रहा था, वो मेरा लण्ड चूसती रही और मैं उसके सर को सहलाता रहा।

थोड़ी देर तक उसने इसी तरह से मेरा लण्ड चूसा और फिर मुँह निकाल कर वो मेरी नाभि को चूसने लगी… उसके नाखून मेरी पेट के दोनों तरफ के किनारों कमर पर बेल्ट से ऊपर की जगह हल्के से गड़ रहे थे और मैं तड़प रहा था आनंद के कारण।

उसके बाद पलक ने मेरे पेट को चूमते हुए मेरी कमर का एक किनारा दांतों में दबा कर चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक वो दायें किनारे को चूसती रही और उसके बाद वो मेरी कमर के बायें हिस्से को चूमने और चूसने लगी…

इससे पहले मेरे साथ ऐसा कभी किसी लड़की या औरत ने नहीं किया था तो मैं आनन्द के आसमान पर था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उसके बाद वो नीचे की तरफ खसकी और मेरे लण्ड के दोनों किनारों को जांघों की जुड़ने वाली जगह पर बारी बारी से चूमने लगी और हर बार वो हल्के से काट भी लेती थी… आनंद इतना ज्यादा था कि मुझे लगा कि मैं और नहीं रुक पाऊँगा और मेरे मुँह से भी अब सिसकारियाँ निकलने लगी थी…

जब पलक ने मेरी सिसकारियों को सुना तो उसने मेरे लण्ड की चमड़ी को खिंच कर पलटा और फिर से मेरे लण्ड को चूसने लगी।

अब मैं ज्यादा देर टिकने की हालत में नहीं था, मुझे लगा मैं छूटने वाला हूँ तो मैंने उसे कहा,”पलक, मैं छूटने वाला हूँ !”

मेरी बात सुन कर उसने अपना मुँह हटा लिया और और हाथों से लण्ड सहलाते हुए बोली,” इज़ इट ओके फ़ोर यू इफ़ आई डोन्ट ड्रिन्क इत ओर आई डोन्ट टेक इट ओन माई फ़ेस? ( अगर मैं इस ना पीऊँ और चेहरे पर भी ना लूँ तो तुझे कोई दिक्कत तो नहीं है?)

मैंने इशारे में हाँ कहा तो उसने बिस्तर पर ही पड़ा हुआ तौलिया मेरे लण्ड पर रखा मेरे बगल में लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगी और तेजी से मेरी मुठ मारने लगी.. मैंने उसके एक स्तन को कस कर पकड़ लिया और कुछ ही सेकंड में मैं चीख चीख कर झड़ने लगा… मेरे सारा वीर्य उछल कर तौलिए, मेरे लोअर और मुझ पर फ़ैल गया।

मैं जब तक झड़ते हुए झटके मारता रहा, वो मेरे होंठों को प्यार से चूमती रही और मेरे लण्ड को उसके हाथों में थामे रही।

उसके बाद मुझसे बोली,” डिड आई डू नाईसली?”(क्या मैंने अच्छे से किया)

मैंने कहा,”हाँ बहुत अच्छे से !”

जब मैं पूरी तरह से झड़ गया तो उसने मेरा लण्ड छोड़ा, तौलिया उठाया उससे अपना हाथ पौंछा, मेरी जांघों पर जो मेरा वीर्य गिर गया था उसे तौलिए से साफ़ किया और फिर मेरे माथे को चूम लिया।

मैं उसे देख ही रहा था, वो बोली- चल जल्दी तैयार हो जा ! हम लोग घाट पर घूमने जा रहे हैं और उसके बाद खाना खायेंगे और… !

वो कहते कहते रुक गई…

मैंने पूछा,”और क्या….?”

यह जानने के लिए अगले भाग का इन्तजार करिए…

अपनी राय मुझे बताइए।

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