पूरे हुए सपने- 2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

कहानी का पिछ्ला भाग: पूरे हुए सपने-1 एक दिन हिम्मत कर के दोनों ने यासीन से पूछ ही लिया कि वो गाण्डू कैसे बना।

तो सुनिए यासीन की जुबानी :

हमारे यहाँ घर छोटे छोटे होते हैं और रहने वाले ज्यादा, हम कामुक भी ज्यादा होते हैं, छोटी उम्र से ही हमारे यहाँ चुदाई का खेल चलता है।

मेरी अम्मी ने रिश्ते में अपने फूफा से शादी की थी, उसकी पहली पत्नी म़र चुकी थी और मेरी अम्मी उनकी दूसरी बीवी थी। पहली बीवी से उनको आठ औलादें थीं, जिनमें से पांच लड़के थे और तीन लड़कियाँ, मेरी अम्मी ने जब उनसे शादी की तो उनकी उम्र कोई 45 साल थी जबकि अम्मी उनसे सिर्फ एक तिहाई उम्र की ही थी। मेरे पैदा होने के साल भर बाद ही मेरी बहन भी हुई। यानि मेरे अब्बा की दस संतानें हो चुकी थीं।

जब मेरी अम्मी 20 की हुईं तो अब्बा 50 के हो चुके थे, यकायक उनको लकवा मार गया। मेरी अम्मी आसपास के घरों में जाकर काम करने लगीं, मैं भी उनके साथ जाता।

एक घर के लोग बहुत अच्छे थे उनका नाम था अरोड़ा, उनका लड़का भी मेरी उम्र का ही था, मेरी अम्मी वहाँ काम करती और मैं उनके लड़के के साथ खेलता। उन्होंने मुझे उसी के साथ स्कूल भेजना शुरू कर दिया और उन लोगों की वजह से ही मैं पढ़ पाया और आज भी वे लोग ही मेरी फीस देते हैं।

उधर घर में अब्बा की मालिश करने कोई हकीम आते थे, वे अब्बा को नंगा कर के मालिश करते थे। वे अब्बा की गाण्ड में तेल लगते और फिर उनकी गाण्ड मारा करते थे।

एक दो बार मैंने देखा की उन्होंने मेरी अम्मी को भी चोदा बदले में कुछ पैसे दे कर गए थे। उधर मेरे बड़े भाई भी मेरी अम्मी को गन्दी नज़रों से देखते थे, मेरी सौतेली बहनों को वे अक्सर अपने लण्ड पकड़ा कर उनसे मुठ मरवाते, मुझे भी वे लण्ड चुसवाते फिर मेरी सौतेली बहनें मुझे घोड़ा बना देती और मेरे सौतेले भाई मेरी गाण्ड मारते।

अम्मी सब जानते हुए कुछ नहीं कर पाती। धीरे धीरे उन्होंने अरोरा जी से गुज़ारिश की कि मुझे उनके घर में ही रख ले ताकि मेरी गाण्ड-मारी रुक जाये।

मैं फिर वहीं रहने लगा मगर अम्मी की चुदाई हकीम और मेरे सौतेले भाई अब्बू के सामने ही करने लगे।

एक दिन वे घर छोड़ आईं अब हम दोनों अरोरा जी के यहाँ रहने लगे।

अब हम दोनों वहीं उनके घर के पीछे बने क्वार्टर में रहने लगे, अम्मी उनके घर के सारे काम करती जबकि मैं अपने दोस्त के साथ खेलता और उसी के साथ पढ़ता। अम्मी 37 के आसपास थीं, दिखने में ठीकठाक थीं, दुबली पतली थीं मगर गोरी थीं। इनके स्तन बड़े नहीं थे मगर सख्त थे कोई 34 के आसपास होंगे, गरीबी के कारण वे ब्रा नहीं पहनती थीं। उनकी कमर पर बिल्कुल भी चर्बी नहीं थी और उनकी गाण्ड अच्छी थी, मस्त आकार की, उनकी चूत पर बड़े बड़े झांट होते थे क्योंकि उन्हें उनको साफ़ करने की फुर्सत भी नहीं मिलती थी उनके पास साफ़ करने के साधन भी नहीं थे।

चूँकि हमारे पास एक ही कमरा था इसलिए उसी के कोने में वे नहा लेती थीं, मेरे सामने अम्मी नंगी हो कर नहा लेती थीं। मैं भी वहीं नहाता था। पर अब मेरे लण्ड में तनाव आना शुरू हो गया था।

अरोरा जी कोई 45 के आसपास थे, मोटे थे उनका पेट भी निकला हुआ था। उनके पास खूब पैसे थे, कारें थीं, उनकी पत्नी 40 के आसपास थीं और वे भी मोटी थीं, उनका कद भी ज्यादा बड़ा नहीं था, कोई 5 फुट होंगी। उनके स्तन बहुत बड़े थे ऐसा लगता था जैसे दो बड़े बड़े तरबूज हों। मैंने कई बार नहाने के वक्त उनके स्तन देखे थे। उनके चुचूक काले थे जबकि अम्मी के गुलाबी थे, उनका पेट बढ़ा हुआ था लेकिन वे अपनी चूत हमेशा साफ़ रखती थीं। दोनों जने अकेले और साथ साथ ब्लू फ़िल्में देखा करते थे, मैं और मेरा दोस्त भी चोरी छुपे ब्लू फ़िल्में देख लिया करते थे।

मैंने अब लण्ड को हिलाना भी शुरू कर दिया था। उधर मुझे धीरे धीरे पता चला कि अरोरा जी अम्मी को चोदा करते हैं, पर मैं यह सब अपनी आँखों से देखना चाहता था।

एक दिन रात को अम्मी मुझे सोया हुआ समझ कर उनके घर की तरफ चलीं, मैं भी चुपचाप पीछे-पीछे हो गया। अरोरा जी सिर्फ़ चड्डी पहने लेटे हुए थे। अम्मी के पहुँचते ही उन्होंने टीवी पर ब्लू फिल्म लगा दी और उनको गले लगा लिया- आ मेरी जान !

अम्मी भी उनसे चिपक गई। अरोराजी अम्मी को चूमने लगे और उनको दबाने मसलने लगे, उन्होंने दो मिनट में अम्मी के कपड़े उतार दिए, अम्मी अब मादरजात नंगी खड़ी थी। अरोराजी ने अपने चड्डी उतारी और अपना लण्ड अम्मी के मुँह में दे दिया, वे खुद लेटे हुए थे।

अम्मी उनके लण्ड को आराम से कुल्फी की तरह चूस रही थीं। थोड़ी देर में उनका लण्ड खड़ा हुआ, मुश्किल से 5 इंच का था ज्यादा मोटा भी नहीं था, अम्मी उनके लण्ड पर बैठ गईं और उनको चोदने लगीं।

वे अम्मी के मम्मे मसलने लगे, बोलने लगे- चोद रंडी, चोद अपने खसम को चोद रंडी ! आह्ह ऊह क्या गरम है तेरा भोसड़ा, !

अरोराजी बोल रहे थे, अम्मी भी गर्म थी- ओह्ह हाँ ! चोद रही हूँ मेरे खसम का लण्ड, अहह मज़ा आ रहा है आपको अपनी रंडी को चोदने में?

“हाँ रे तू है ही इतनी चोदु और गरम, ओह्ह्ह आह !” कह कर वे शायद 15-20 झटकों में झड़ गए।

अम्मी नीचे उतरीं और उनका गीला लण्ड चूस कर साफ़ करने लगीं।

थोड़ी ही देर में अरोरा आंटी भी आ गयीं- क्यूँ इसको इतनी रात में परेशान करते हो? होता जाता तो कुछ है नहीं ! फालतू में इसको और गर्म कर के प्यासी छोड़ देते हो।

“नहीं आंटीजी, साहब अच्छे खासे मर्द हैं, बहुत अच्छा चोदते हैं !’ अम्मी बोलीं।

“अरे तू तो साहब के एहसान तले दबी है इसलिए झूठ बोल रही है, मुझे तो लण्ड लिए अरसा हो गया है, मेरी चूत ने क्या बिगाड़ा है?” कह कर, वे रोने लगीं।

“अच्छा सुन, तुझे कोई अच्छा लण्ड मिले तो इसके भोसड़े को शांत करवा !” अरोराजी ने अम्मी से कहा।

“जी, मैं कोशिश करुँगी।” अम्मी बोलीं।

अम्मी आसपास की कई औरतों से बात करती रहती थीं, उनको किसी औरत ने कहा कि मोहल्ले में कोई छोटा मोटा डॉक्टर है वो एक नंबर का राण्डबाज़ है और उसका लण्ड भी ज़बरदस्त है। अरोराजी के घर से अगली गली में ही उसका क्लिनिक था, उसका नाम था डॉक्टर सुनील।

शायद अम्मी और अरोरा आंटी के बीच कुछ बात हुई और एक दिन वो आंटी को देखने घर आया। धीरे धीरे वो हर रोज़ आने लगा और मुझे शक होने लगा कि अब शायद आंटी उनसे चुदने लगी हैं। वो तभी घर आता था जब अंकल घर में नहीं होते थे। वैसे जब वो कमरे में जाता तो अम्मी कमरे के बाहर पहरेदारी करती थीं।

एक दिन अम्मी बाहर गई हुई थीं तो अरोरा आंटी ने मुझे बुलाया और कहा- यासीन बेटा, डॉक्टर मेरी जांच के लिए आएंगे, उनको डिस्टर्ब न हो इसलिए तू कमरे के बाहर रुकना और यदि कोई आये तो मुझे बता देना या फिर उनको रोक देना।

मैं दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया। सुनील अन्दर चले गए। मैं बाहर खड़ा था, थोड़ी देर में मैं दरवाज़े के छेद से देखने लगा। आंटी बिलकुल नंगी होकर बिस्तर पर लेटी थीं, सुनील भी नंगा था और आंटी के स्तन पर अपनी गाण्ड रख कर उसने आंटी के मुँह में अपना लण्ड दिया हुआ था, आंटी उसका लण्ड चूस रही थीं और वो आंटी के बोबे मसल रहा था।

सुनील जितना मोटा लण्ड मैंने आज तक नहीं देखा था कोई 8-9 इंच तो आराम से होगा और मोटाई भी गज़ब की थी।

थोड़ी देर चुसाई के बाद उसने आंटी की मोटी गाण्ड के नीचे तकिया रखा और अपना गीला लण्ड चूत के अन्दर सरकाने लगा।

“ओह मादरचोद ! चूत फट जाएगी, इतना मोटा है तेरा लण्ड मादरचोद !” आंटी बोलीं।

“चुप कर भोसड़ी की, इतना चौड़ा भोसड़ा है तेरा कि घोड़े-गधे का लण्ड खा जाये ! मेरे लण्ड की तो औकात ही क्या? चुदती जा रंडी।’ कह कर सुनील आंटी को घचाघच चोदने लगा। आंटी ओह्ह आह करने लगी..

सुनील ने फिर आंटी को घोड़ी बनाया और जोर जोर से चोदने लगा, आंटी के मोटे मोटे थन झूल रहे थे। सुनील के मोटे आंड आंटी की गाण्ड की घिसाई कर रहे थे।

“चोद मेरे घोड़े ! चोद मेरे सांड ! चोद मुझे अपनी रांड बना के, चोद चोदू ऊऊओ आआह !” आंटी बोल रही थीं।

सुनील ने स्पीड बढा दी अब फच-फच चोदने लगा। आंटी की गाण्ड भी साथ ही ऊपर नीचे हो रही थी।

सुनील ने अब आंटी की गाण्ड को थोड़ा थूक से गीला किया और अन्दर अपना लण्ड पेल दिया- साले तुम औरतो की गाण्ड क्यों मारते हो? लण्ड गाण्ड को फ़ाड़ने के लिए ही होते हैं रंडी !” कह कर बड़ी बेरहमी से सुनील आंटी की गाण्ड मरने लगा।

आंटी दर्द से रोने लगी- बस कर जान ! बस कर, अब पानी छोड़ दे, मेरी गाण्ड फट जाएगी।

मगर सुनील रुका नहीं उसने गाण्ड से निकल कर गन्दा लण्ड आंटी के मुँह में दे दिया, आंटी ने मुँह इधर-उधर किया तो ज़बरदस्ती मुँह में डाल दिया।

आंटी बेबसी से उसका विशाल लण्ड चूस रही थीं। उधर उत्तेजना से मेरा लण्ड निक्कर से बाहर आ गया मैं आगे से हिलाने लगा।

सुनील ने अब आंटी की गाण्ड को बिस्तर के कोने पर रखा और उनके पांव खुद के कंधे पर रख दिए। मुझे आंटी का फूला हुआ काला भोसड़ा दिख रहा था जो सुनील के लण्ड की मार से खुल गया था।

आंटी ने अपने दोनों हाथ से पाँव पकड़ कर खोल दिए थे और सुनील का लण्ड चोद रहा था उनका भोस।

“ओह्ह जान, ओह्ह रजा, आआआआअह मेरे मर्द ! ओह्ह लण्ड राजा मार मेरी ! जोर से निकाल दे मेरी चूत का रस।”

सुनील ने अब गाण्ड जोर से सिकोड़ी और बोला- ले सांड का ताक़तवर वीर्य ले रंडी, सीधा अपनी बच्चेदानी में ! ओह रांड ले भोसड़ी की ऊओ !

कह कर वो झड़ गया। उधर मेरा पानी छूट ही रहा था कि मेरी नज़र ऊपर उठी, मैं दंग रह गया, अम्मी सामने खड़ी थी..

अम्मी को देख मेरे पसीने छूट गए, मैंने जैसे तैसे लण्ड निक्कर में ठूंसा और भाग लिया। कमरे पर जाकर मैं चद्दर ओढ़ कर सो गया।

अम्मी रात में आई मेरी बहन को खाना खिलाया और फिर सो गई।

सुबह जैसे ही मैं उठा अम्मी पास आई और बोलीं- कब से कर रहा है तू यह यासीन?

मैं कुछ नहीं बोला।

“देख मुझे सब पता है कि वहाँ रहते तो तुझे वो साले मादरचोद गाण्डू बना कर ही छोड़ते, मैं तो खुश हूँ कि तू सामान्य मर्द है, तू डर मत ! मर्द लोग ऐसा ही करते हैं। मैं तेरी अम्मी हूँ रे ! तेरी मदद करुँगी, मुझे तुझे मर्द बनाना है गाण्डू नहीं।” अम्मी बोलीं और मुझे गले लगा लिया।

अगले दिन शायद अम्मी ने अरोरा आंटी से कुछ बात की।

“अब तू आंटी के घर ही सो जाया कर बेटा !” वे बोलीं।

मैं अब वहीं अपने दोस्त के साथ पढ़ता फिर रात को आंटी के कमरे में सोने जाता जबकि अम्मी अंकल के कमरे में जाती थीं।

एक-दो रात तो मैं नीचे ही सोया फिर तीसरे दिन आंटी बोलीं- यासीन, तू इधर ही सो जाया कर मेरे साथ, मुझसे क्या शर्म?

और मुझे उपर बुला लिया। आंटी सोते वक़्त सिर्फ गाऊन पहना करती थीं, जिसमे से उनके चुचूक और गाण्ड के उभार साफ़ दिखाई देते थे।

मैं जैसे ही ऊपर गया, आंटी बोलीं- यासीन, मुझे तेरी माँ ने सब बता दिया है कि तू उस दिन क्या देख रहा था और क्या कर रहा था, पर इस उम्र में यह सब होता है बेटा !

वे बोलीं- देख, तेरे अंकल सही हैं, मगर पूरे मर्द नहीं हैं।

कह कर वे रोने लगीं…

मैंने उस दिन शर्ट और निक्कर पहना हुआ था, चड्डी कैसी होती है मुझे पता ही नहीं था। आंटी ने मुझे बिस्तर पर बुला कर गले लगा लिया- अच्छा, तू मुझसे कुछ छुपायेगा तो नहीं न? मैं तेरी अम्मी से भी बढ़ कर हूँ। उन्होंने कहा।

मैंने कहा- जी नहीं।

“अच्छा, तो अब यह बता कि तूने कभी किसी के साथ वो काम किया है जो सुनील अंकल मेरे साथ कर रहे थे?”

“नहीं आंटी, आज तक नहीं किया।” मैं बोला।

बातों बातों में मैंने आंटी को सब बता दिया कि किस तरह मेरे सौतेले भाई और हकीम मेरी गाण्ड मारा करते थे लेकिन मैं खुद कभी किसी को चोद नहीं पाया था। और यह भी बता दिया कि उस दिन सुनील अंकल का चोदन देख कर मेरे भीतर भी चुदाई की इच्छा हुई थी।

उनको अम्मी ने यह भी बता दिया था कि मैं कहीं गाण्डू नहीं बन जाऊँ, इसलिए मेरे लिए चूत का चोदन भी ज़रूरी था।

आंटी ने भी सब कुछ मुझे बता दिया कि किस तरह अंकल उनकी प्यास पूरी नहीं कर पाते, कैसे अम्मी उनकी चूत में केले, मोमबत्ती वगैरह डाल कर उन्हें संतुष्ट करतीं हैं, साथ ही यह भी कि अम्मी की वजह से अरोरा अंकल की नूनी थोड़ा बहुत काम करने लगी है इसलिए उन्हें अच्छा लगता है, मगर उन्हें इस बात का भी अफ़सोस था कि मेरी अम्मी की चूत संतुष्ट नहीं हो पाती।

“मगर तेरी माँ बड़ी स्वामीभक्त है बेटा, वे तेरे अंकल के अलावा किसी से नहीं चुदतीं ! पर मेरी इच्छा है कि उसे भी कोई अच्छा लण्ड मिले जो उसकी ठंडी चूत को गर्म कर सके।” सुनील अंकल तो तैयार थे मगर तुम्हारी अम्मी ने उन्हें भी मना कर दिया, पर उसकी बड़ी इच्छा है तुझे पूरा मर्द बनाने की ! क्या पता तुझे मादरचोद बना दे।

कह कर आंटी हंसने लगीं।

बातों बातों में आंटी ने मेरे शर्ट के बटन खोल कर उसको हटा दिया और निक्कर के ऊपर से मेरे लण्ड को दबाने लगीं।

“ले अब आगे से हाथ हटा, मैं भी देखूं तेरा मर्द-अंग कैसा है?”मैंने हाथ हटाया और आंटी ने निक्कर की चेन खोल कर उसको मेरी गाण्ड से नीचे सरका दिया, मेरा लण्ड तना हुआ था और मेरे पेट और और नाभि को छू रहा था। उन्होंने उसको देखा, सहलाया और बोलीं- यासीन लण्ड तो तेरा पूरा काबिल है, पक्का मुसलमान लण्ड है तेरा, पूरा चोदू, अब तुझे चोदन सिखाना है, वो मैं सिखा दूंगी।

कह कर उन्होंने अपने मोटे होंट मेरे सुपाडरे पर और मूत के छेद पर लगा दिए। मेरा नंगा सुपारा उनके होटों और चूसन-चुम्बन से फूल गया था।

वे हाथ से मुझे मुठिया भी रहीं थीं और बीच बीच में मेरे आंड को भी सहला दबा रही थीं। मैं गर्म था पर मारे शर्म के कुछ बोल नहीं पा रहा था। मेरी सांस फूल गई थी और मेरे मुँह से ऊऊऊ अआः की आवाजें निकल रही थीं।

उस वक़्त तक मेरा वीर्य ठीक से बन नहीं पाता था लेकिन उत्तेजना के बाद कुछ द्रव्य सा निकलता था जो जल्दी ही निकल गया।

“मैंने सुनील अंकल से तेरे अंकल के लण्ड के लिए कुछ तेल और दवाइयाँ ली हैं, वो तुझे दूंगी ताकि तू जल्दी ही पूरा मर्द बन जाये।” आंटी बोलीं,”अब रोज़ सुबह मैं ही तुझे नहलाऊँगी और सुबह शाम तेरे लण्ड की मालिश करुँगी।”

मगर आंटी को घर के और भी काम रहते थे इसलिए उन्होंने अम्मी के ज़रिये एक मालिश वाला आदमी और औरत रख लिए, आदमी का नाम था कालू और औरत का रुखसार, आदमी कोई 55 साल का था, रुखसार उसके साथ ही रहती थी शायद उसकी रखैल बन कर वो कोई 30 बरस की होगी। काली थी मगर उसका जिस्म बड़ा सख्त था..

अब रोज़ सुबह कालू आता वो अपनी लुंगी को छोड़ सारे कपड़े उतार देता। मुझे बड़ी शर्म भी आती क्यूंकि वो मुझे घर के चौगान में खाट पर नंगा कर के लिटा देता, पहले वो मुझे उल्टा लिटाता और पूरे बदन की मालिश करता मगर उसका ख़ास ध्यान मेरी गाण्ड पर रहता। ख़ास तौर पर उसके छेद पर वो खूब तेल लगता और उसको हल्का हल्का चोदता भी ! एक दिन अरोरा आंटी बोलीं- कालू इसको गाण्डू नहीं, मर्द बनाना है तू इसकी गाण्ड की इतनी क्यों तेल मालिश करता है लण्ड पर ज्यादा जोर दे।

“अरे बीबीजी आप समझती नहीं, अगर मुझे काम दिया है तो भरोसा कीजिये। लण्ड की सारी ताकत गाण्ड से आती है, यहाँ दबाव डालने से नुन्नी पर जोर बढ़ता है इसलिए गाण्ड को खोलना ज़रूरी है, धीरे धीरे इसका लण्ड भी खुलता जायेगा और गाण्ड की ताक़त भी लण्ड में चली जाएगी।”

उसकी मालिश बड़ी अजीब होती, फिर वो मुझे सीधा कर देता और मुझे मेरा खड़ा लण्ड देख कर शर्म आती क्योंकि अक्सर अरोरा आंटी मेरी मालिश देख रही होतीं। वो मेरे पाँव और जांघ की मालिश करता फिर उनको ऊपर कर के मेरे सीने से दबाता ऐसे जैसे चुदते वक़्त औरत हो जाती है, मेरी गाण्ड भी ऊँची हो कर खुल जाती। एक हाथ से मेरे पाँव दबा कर वो गाण्ड पर दूसरे हाथ से दबाव डालता, मुझे लगता था शायद वो इस मुद्रा में कल्पना करता था कि मेरी गाण्ड खुली हुई है और उसका लण्ड लेने के लिए तयार है।

पर आंटी यही मानती कि वो मुझे मर्द बना रहा है।

सबसे आखिर में वो मुझे बिस्तर के कोने पर उकडू बिठा देता, अब रुखसार भी आ जाती वो मेरे पीछे बैठ जाती और पीछे से मेरी गाण्ड के छेद को सहलाती या यों कहूँ कि हल्के-हल्के चोदती। दूसरे हाथ को वो पीछे से आगे लेकर मेरे दोनों अन्डकोशों को सहलाती। उधर कालू नीचे ज़मीन पर बैठ कर मेरे लण्ड को खींचता और उसके सुपाड़े पर एक हाथ से दबाव डालता और दूसरे से पूरा लण्ड मुठियाता।

मेरा पानी निकल जाता।

सुबह एक बार और शाम को एक बार मेरा पानी निकलता। फिर दोनों मुझे नहलाते।

बाथरूम में दोनों नंगे हो जाते थे, रुखसार अच्छी कामुक स्त्री थी, काली मगर उसके स्तन शानदार थे। मैंने इतने अच्छे स्तन कभी नहीं देखे थे एकदम गोल और फूले हुए। कोई 40 के होंगे लेकिन लटके हुए बिल्कुल नहीं थे. उसके काले चुचूक छोटे छोटे और बाहर निकले हुए थे।

उसकी कमर एकदम पतली थी, बाहर की तरफ निकली हुई काली मोटी गाण्ड और बिना झांटों वाली चूत जिसमें से उसके अन्दर के काले होंट बाहर फूल कर निकले हुए दीखते थे, मैंने इतनी कामुक औरत आज तक नहीं देखी थी।

कालू मोटा था और उसका औजार छोटा था, कोई साढ़े चार इंच होगा मगर उसकी मोटाई ज़बरदस्त थी, ऐसे लगता था जैसे छोटा गधा हो।

एकदम काला था उसका लण्ड मगर सुपारा इतना मोटा कि औरत मुँह में ले ही नहीं पाए, होंट ही फट जाएँ। उसके आंड भी मोटे थे। शायद रुखसार उसके झांट साफ़ रखती थी। बाथरूम में नहाने के बहाने रुखसार कालू के औजार पर गरम पानी डालती और मेरी गाण्ड पर भी। और कभी जब आंटी इधर उधर होती तो कालू अपने लण्ड का मुँह मेरी छोटी गाण्ड पर रख देता और थोड़ा अन्दर सरकाता, रुखसार उसको पूरा सहयोग करती।

दोनों ने मुझे साफ़ कह रखा था कि अगर यह बात आंटी को बताई तो वे मेरे लण्ड की कोई ऐसी नस दबा देंगे कि मैं हिजड़ा बन जाऊँगा। अब कालू अपने लण्ड से मेरी गाण्ड मारने लगा। वो मुझे चोदता और रुखसार उसकी गाण्ड और आंड चाटती। कुल मिला कर मैं गाण्डू बन ही गया। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000