घर के सामने वाली

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नमस्कार, मेरा नाम मकसूद है, उम्र 22 साल है। मैं अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ।

मैं आज मेरे जीवन की सत्य घटना बताने जा रहा हूँ।

एक बार की बात है, तब मैं अपने गाँव में रहता था, हमारे घर के सामने एक शादीशुदा लड़की रहती थी.. उसका नाम आयशा है, वो बस शादी के बाद घर से अलग होकर अपने पति के साथ रहती थी लेकिन शादी के कुछ ही महीनों बाद उसका पति काम करने के लिए सउदी अरबिया चला गया.. वो अकेली रहने लगी थी..

जब वो नहाकर बालकोनी में खड़ी होती, तब मैं उसको बहुत देखता था तो मेरा लोड़ा उसको देखकर तुरंत खड़ा हो जाता था, कई बार तो मैं उसे देखकर मूठ भी मार लिया करता था, उसको चोदने की मेरी बहुत इच्छा होती थी.. धीरे धीरे वो भी मुझे देखने लगी.. मेरी बात बनने लगी।

एक रात की बात है, मैं अपने दोस्तों के साथ खा-पीकर आया था, तब अचानक ही भगवान ने मेरा साथ दिया, उसने अपनी बालकनी में खड़ी होअक्र मुझे आवाज लगाई। मैंने उसको देखा और उसने मुझे देखा, वो बोली- भाईजान, मेरे डिश में कुछ दिक्कत हो रही है, कोई भी चैनल साफ नहीं आ रहा.. क्या आप उसे देखकर सही कर दोगे?

मैंने कहा- भाभी जी, क्यों नहीं.. मुझे बताओ क्या हुआ?

तो उसने बोला- मेरे घर आ जाओ और देखकर ठीक करो ना, नहीं तो मेरा टाइम पास नहीं होगा..

तब मैं उसके घर गया और उसके टीवी में चैनल सर्च करके सही कर दिए..

मैं जाने लगा तो उसने कहा- आप चाय तो पीकर जायें.

वो चाय बनाने लगी, मैं टीवी देख रहा था.. कुछ समय बाद आयशा ने मुझे चाय लाकर दी.. मैं चाय पीते हुए उसको देख रहा था और वो मुझे देख रही थी.. कि पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और वो बिल्कुल भी कुछ नहीं बोली। शायद इसलिए कि उसको भी तो अपनी महीनों से अनचुदी चूत की प्यास मिटानी थी।

धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उसके कन्धे पर रख दिया तो वो बोलने लगी- भाईजान, ये क्या है, अगर किसी ने देख लिया तो क्या होगा.. मैंने कहा- मेरी रानी, ना कोई देखेगा, ना ही कुछ होगा.

वो बोली- नहीं नहीं ! आप जाओ.

मैं कहाँ मानने वाला था, हाथ में आया अंगूर ऐसे ही बिना खाए जाने दूँ !!

धीरे धीरे मैं उसके उरोजों पर हाथ लगाने लगा, बाद में कभी चूतड़ तो कभी उसके स्तन दोनों पर हाथ फेरने लगा.

अब उसको मजा आने लगा.. थोड़ी देर बाद मैं यों ही उसे चिढ़ाने के लिये बोला- भाभीजान, मैं तो जा रहा हूँ अपने घर पर.

और मैं उठ कर जाने लगा तो पीछे से उसने आवाज लगाई- क्या ऐसे ही जाओगे या कुछ लोगे.

मैंने बोला- क्या है आपके पास जो हमें खुश कर दे?

तो वो बोली- जरा रुको, मैं अभी आती हूँ !

वो बाहर का दरवाजा बंद करके आई और दूसरे कमरे में जाकर केवल मेक्सी पहनकर मेरे सामने आ गई।

मेरा लंड उसको देखकर और भी उत्तेजित हो गया, क्या लग रही थी ! उसके मम्मे उसकी मैक्सी के गले से भी बाहर दिख रहे थे..

आयशा मेरे पास आकर बैठ गई मुझे चूमने लगी.. थोड़ी देर तक हम दोनों किस करते रहे और मैं उसके मम्मे दबाता रहा..

फिर हम दोनों ने कपड़े उतारे और एक दूसरे से लिपट गए..

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैं उसकी मखमली चूत को देखकर पागल हो गया और उसकी चूत को चाटने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

थोड़ी देर बाद वो गीली हो गई और तब मैंने उसको बोला- तुम मेरा लोड़ा चूसो।

वो भी मेरा आठ इंच का लोड़ा देखकर बोली- क्या लंड है ! भगवान ने मेरी किस्मत कितनी अच्छी बनाई है कि मुझे तुम जैसे नौजवान का लंड देखने को मिला।

मैंने कहा- मेरी रानी, फालतू बातें छोड़ो और मेरा लंड अपने मुँह में लो.

उसने बोला- नहीं भाईजान, यह मेरे से नहीं होगा..

मैं बोला- अगर नहीं, तो मैं जा रहा हूँ.

उसने मुझे पकड़ा और बोली- कहाँ जा रहे हो? मैं ले रही तो हूँ !

फिर मैंने अपना लोड़ा उसके मुँह में दिया और मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा..

फिर वो बोली- मेरे राजा, अब नहीं रहा जा रहा, तीन महीनों से नहीं चुदी हूँ, मेरी इस चूत की प्यास मिटा दो ना !

मैं बोला- तो अभी लो आयशा जान !

वो लेट गई, मैंने अपना लोड़ा उसकी चूत में थोड़ा सा ही डाला तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी- आ… उ… आ.. उ… आहः फिर मैंने एक हल्का धक्का दिया, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मैं उसके मम्मे पीता रहा, कभी उनको दबाता रहा।

उसके मुँह से बस आ.. उ.. आ.. उ.. की आवाजे आ रही थी।

फ़िर वो बोलने लगी- आज इस मादरचोद चूत को फाड़ दो, इसकी प्यास बुझा दो, इसने मेरा जीना हराम कर रखा है।

मैं बोला- आज के बाद अगर आप को कभी भी यह परेशान करे तो आप मुझे मिस कॉल मार देना, मैं इसका इलाज कर दूँगा।

थोड़ी देर तक चुदाई चलती रही, फिर मेरा झड़ने लगा और मैंने मेरा पूरा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।

थोड़ी देर बाद हमने फिर से एक बार और चुदाई की.. बाद में मैं अपने घर चला गया और चुदाई का यह सिलसिला अभी तक जारी है..

अब बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी…

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