सामने वाली खिड़की में

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Samne Vali Khidki mein नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनिल वोहरा है। मैं 24 वर्ष का लड़का हूँ। मैं दिल्ली में पी. जी. में रहता हूँ।

वैसे तो मैं पंजाब से हूँ, मेरा कद 6 फुट है और मैं दिखने में बहुत ही स्मार्ट हूँ। मेरा लंड 8″ का है।

यह कहानी दो महीने पहले की ही है।

मैं अपने पी. जी. के बारे में बता दूँ, मेरा पी. जी. दिल्ली के जनकपुरी में है।

पी. जी. कोने वाले घर में है, जो मकान मेरे सामने दूसरी ओर है उसमें लड़कियों का पी. जी. है।

उस पी. जी. की लड़कियाँ इतनी बेशरम थी कि कभी भी परदा नहीं करती थी। वो वहीं खिड़की के सामने ही कपड़े बदलती और मेकअप वग़ैरा करती।

मैं भी उन्हें रोज़ रोज़ देखा करता था।

उनमें से एक तो बहुत खूबसूरत थी उसका फिगर 36″24″36″ था और एकदम दूध जैसी गोरी थी जैसे कोई अप्सरा हो।

क्यूँकि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी इसलिए मैं मूठ मार कर ही काम चलाता था।

एक दिन क्या हुआ कि उसने मुझे देख लिया जब वो कपड़े बदल रही थी, उसने जैसे ही मुझे देखा और परदा कर लिया।

मुझे लगा कि मैं तो अब गया और पी. जी. वाली आंटी को सब पता लग जाएगा।

और सोचने लगा के अब मैं उन्हें कभी नहीं देख पाऊँगा लेकिन जब मैं अगली शाम खिड़की से देखा तो देखता ही रह गया, आज फिर से परदा नहीं था।

शायद यह सब वो जान बूझ के कर रही हो।

वो दो लड़कियाँ आपस में स्मूच कर रही थी और एक दूसरे के कपड़े उतार रही थी और मम्मे दबा रही थी।

मैंने अपने मन में उन्हें चोदने की सोची और मैं भी अपनी खिड़की के सामने नंगा होकर कपड़े बदलने लगा।

उसने मुझे देख लिया, मैं भी यही चाहता था।

वो मुझे तिरछी नज़र से देखने लगी और ऐसे देखने लगा जैसे मैंने कुछ ना देखा हो।

वो सभी रोज रात को खाना खाने के बाद सैर पर जाती थी और मैं भी अब अपनी गली में सैर करने चल पड़ा और तिरछी नज़र से उसे देखने लगा।

वो भी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी।

मैंने उसकी सहेलियों की नज़र से बचते हुए हिम्मत की और उसे कहीं अकेले में बुलाया। उसने अपनी सहेलियों को कोई बहाना बनाया और आ गई मेरे पास।

मैंने उसका नाम पूछा उसका नाम सुनाक्षी वर्मा था।

हाय… जैसा नाम वैसी ही थी वो बहुत खूबसूरत, बड़ी बड़ी आँखें, बड़े बड़े मोम्मे… दिल कर रहा था कि वहीं पर उसे पकड़ लूँ लेकिन शर्मा रहा था।

मेरा लंड पैंट के अंदर ही खड़ा हो गया और मन में गंदे विचार आने लगे सुनाक्षी के प्रति।

मैंने उस से पूछा- तुम्हारा कोई बायफ़्रेण्ड है?

तो उसने शरमाते हुए ना में सर हिलाया।

इस पर मैंने तपाक से पूछ लिया- क्या तुम मेरी गर्लफ़्रेण्ड बनोगी?

तो वो मुस्कुराते हुए भाग गई।

मैं समझ गया ‘अनिल बाबू हंसी मतलब फ़ंसी।’

फिर तो जैसे हम रोज ही मिलने लगे।

एक दिन मैंने उसे कहा- मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ।

वो 15-20 सेकेंड के लिए चुप रही और मेरी ओर देखने लगी।

मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाया और उसके होठों पर होंठ रख दिए और उसके होंठों का रसपान करने लगा।

क्या मीठे होंठ थे उसके।

वो भी गर्म होने लगी और मेरा साथ देने लगी।

मैंने और हिम्मत करते हुए उसके गुलाबी टॉप में हाथ डाल दिया और उसके बड़े बड़े मोम्मों को दबाने लगा।

फिर उसने मुझसे छुड़वाया और कहने लगी- यह सब करने की सही जगह नहीं है।

मैंने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई और वो उठ कर चली गई।

मैं उसे दिल से चाहने लगा था, वो भी मुझसे बेइन्तेहा मोहब्बत करने लगी।

मैंने अपने दोस्त को मनाया और उसके कमरे में सुनाक्षी को भी बुला लिया।

वो लाल टॉप और काली मिनी स्कर्ट में आई।

उसके टॉप से उसके मम्मे बहुत ही बड़े लग रहे थे।

वो जैसे ही आई मैंने उसे दबोच लिया और उसके होंठों पर होंठ रख कर स्मूच करने लगा।

जल्दी जल्दी में मैंने दरवाजा बंद किया ही नहीं था।

वो हटी और कहनी लगी- अनिल, मैं तुम्हारी ही हूँ… पहली दरवाज़ा तो बंद कर लो।

मैं झट से उसे धक्का दिया और फटाफट दरवाज़ा बंद कर के आया, हमने फिर से स्मूच करनी शुरू कर दी।

मैंने उसके मोम्मों पर हाथ रख दिया उसकी चूत में जैसे बिजली का झटका सा लगा को सिहर उठी।

मैंने उसके लाल टॉप को उसके तन से जुदा कर दिया उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी मैं तो जैसे उसे देख कर पागल सा हो गया। उसे हर जगह चूमने लगा और एक झटके में उसके मोम्मों को उसकी ब्रा से आज़ाद कर दिया, उसके दो गोल गोल खरबूजे मेरी आँखों के सामने थे।

मैं उसके मोम्मों को चूसने लगा, उसने भी मेरी शर्ट उतार फेंकी।

फिर मैंने उसकी स्कर्ट में हाथ डाल दिया, उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी और प्यार का रस छोड़ रही थी।

मैंने उसकी पैंटी को उतार फेंका और उसकी स्कर्ट अभी तक उसकी कमर से लटकी हुई थी।

वो सिर्फ़ स्कर्ट में ही थी और उसका गोरा बदन काली स्कर्ट में मानो आग लगा रहा था।

मेरा एक हाथ उसके मोम्मे पर था और दूसरा हाथ उसकी फुद्दी पर था।

जैसे ही मैंने उसकी फुद्दी पर हाथ रखा, मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया, मैं निराश होने लगा।

उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया तो मैं फिर से गर्म हो गया।

मेरा लंड दोबारा सख़्त होने लगा, उसने मेरी पैंट का हुक खोला और मेरी पैंट उतार दी।

अब मेरा 8″ का फंफनता लंड उसकी आँखों के सामने था।

मैंने उसके शरीर से उसकी स्कर्ट भी जुदा कर दी और उसको पूरा नंगा कर दिया।

हमने फिर 15 मिनट तक स्मूच किया। अब वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी।

मैं समझ गया कि अब यह पूरी तरह से गर्म हो चुकी है। मैंने अब उसको लेटाया और उसकी फुद्दी पर अपने होंठ रख दिए। उसकी फुद्दी में जैसे करेंट लगा।

मैं उसकी फुद्दी को खूब देर तक चाटता रहा था।

फिर मैंने कहा- मेरा लंड चूसो !

उसने थोड़ी ना नुकर करने के बाद मेरे लंड को चूम लिया।

उसने जैसे ही मुँह खोला, मैंने उसके मुँह के अंदर लंड पेल दिया।

उसकी आँखें फटी की फटी रह गई और साँस भी रुकने लगी।

मैंने अब देर ना करते हुए मैंने उसको लिटाया और उसकी टाँगे अपने कंधों पर रखी उसकी फुद्दी पर अपना लंड टिकाया और रगड़ने लगा।

उसके बाद मैंने धीरे धीरे अंदर करना शुरू किया तो उसकी चीखें निकलने लगी।

मैं समझ गया ‘अनिल बाबू… यह तो अभी तक अनछुई चूत है।’

सच में मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया, यहाँ मैंने कभी सेक्स नहीं किया था, उधर से उसने भी कभी सेक्स नहीं किया था।

मैंने उसके दाएँ मोम्मे को पकड़ा और एक ज़ोरदार झटका मारा, जिससे उसकी चीख निकल गई।

मैं घबरा गया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

उसने मुझे धक्के मारना शुरू कर दिया।

इस पर मैंने उसे और ज़ोर से पकड़ लिया, एकदम मैंने एक और झटका मारा तो मेरा पूरा लंड उसकी संकरी चूत में पूरा पूरा उतर चुका था।

उसकी आँखों से पानी आने लगा। मैं डर गया और अंदर ही रख कर खड़ा रहा। उसका थोड़ा दर्द कम हुआ तो वो अपनी गाण्ड उठाने लगी।

मैं समझ गया कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है। मैंने अब उसे पेलना शुरू कर दिया। धक्के पर धक्का… पूरा कमरा उसकी मनमोहक सिसकारियों से गूँज रहा था।

आख़िर हम 20 मिनट की चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गये। मैंने पूरा का पूरा माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया।

फिर जब मैं उससे हटा तो देखा कि पूरी चादर खून से लथपथ हुई पड़ी है।

यह देख कर वो मुझ से बोली- अनिल, देखो मैंने तुम्हें अपना सारा कुछ दे दिया है, मुझे छोड़ कर कभी मत जाना।

मैंने उसे चूमा और उसे कपड़े पहनाए।

उसने चादर को बाथरूम लेजकर धोया और फिर हम कॉफी पीने के लिए पास के रेस्टोरेंट में चले गये।

फिर तो जैसे यह रोज का ही काम हो गया था।

लेकिन पहली चुदाई मुझे सब से मज़ेदार लगी और दर्दनाक भी।

अब हमने अपने घर पर एक दूसरे के बारे में बता दिया है और घर वाले हमारी पढ़ाई के बाद हमारी शादी कर देंगे।

हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।

उम्मीद है आपको मेरी यह कहानी बहुत अच्छी लगी होगी, आप मुझे मेल करना मत भूलना।

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