प्यार सेक्स या धोखा-3

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

मैंने गीत को लिटा दिया और पैन्टी उतार दी। उसने दोनों पैर भींच लिए और अपना मुँह ढक लिया। मैंने उसकी जाँघों को सहलाया और पैरों को अलग कर दिया।

उसकी चूत बिल्कुल गुलाब की कली की तरह लग रही थी जिसकी दोनों पन्खुड़ियाँ चिपकी हुई थीं और ऊपर एक घुण्डी निकली थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैंने पहली बार चूत देखी थी फिल्मों में तो देख चुका था, पर आज मेरे सामने कुँवारी चूत थी।

मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई। मैंने उसकी चूत को छुआ। वो गीली हो चुकी थी। गीत के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आ हा ह सी ई ई..”

मैंने उसकी दोनों फाँकों को अलग किया, बिल्कुल लाल थीं, मुझे नीचे एक छोटा सा छेद दिखा, मैंने उस पर उंगली रखकर अन्दर की तो गीत पागल सी हो गई और अपना सिर इधर-उधर करने लगी अपने होंठ दबाने लगी। मैं उंगली अन्दर-बाहर करने लगा। वो सिसिया रही थी, “आहा हा ई ई सी सि इ ई..”

मैंने अपनी हाथ की रफ़्तार बढ़ा दी। उसकी चूत से पानी सा निकलने लगा। बोली- बस। “क्या हुआ?”

वो शरमा गई और बोली- मेरा काम हो गया। मैं बोला- मेरे लन्ड का क्या होगा?

मैंने अपना लन्ड निकाला तो उसने मुँह पर हाथ रखा और बोली- इतना बड़ा !

मैंने उसका हाथ पकड़ा और लन्ड पर रख दिया उसने शर्माते हुए पकड़ लिया। उसके कोमल हाथ से छुआ तो लन्ड ने झटका मारा। वो बोली- ये क्या? मैं बोला- तुम्हारे हाथों में करंट है।

वो हँसते हुए लन्ड सहलाने लगी। मैं उसे किस करने लगा। चूचियाँ दबाने लगा। वो फिर गर्म हो गई। मुझ से अब रुका नहीं जा रहा था मैंने उसे लिटाया और पैरों के बीच बैठकर लन्ड को चूत पर लगा दिया।

उसने सिसकी ली और बोली- योगी मेरा छेद तो ऊँगली के बराबर है और तुम्हारा तो बहुत मोटा है। ये कैसे अन्दर जाएगा? मैं- यही तो कुदरत की जादूगरी है। तुम्हें पता भी नहीं चलेगा।

मैंने उसकी टांग ऊपर की और लण्ड पकड़ कर चूत पर रखा मेरे सुपाड़े से उसकी चूत की फाँके अलग अलग हो गई। मैंने थोड़ा जोर लगाया। लेकिन चूत ज्यादा टाईट थी। मैं खड़ा हुआ और गीत को बिठाया। गीत चुप लेटी थी क्योंकि उसे डर लग रहा था।

वो बोली- क्या हुआ? मैं बोला- तेरी चूत ज्यादा टाईट है। “तो?” “लन्ड चिकना करना पड़ेगा।” “कैसे?”

मैंने लन्ड उसके होंठों पर लगाया। “ये क्या कर रहे हो?” मैं बोला- इसे मुँह में लेकर गीला करो। वो मना करने लगी।

मैं बोला- प्लीज लो न। तुम्हें ही फायदा होगा। उसने कुछ सोचा और होंठ लण्ड के टोपा से लगा दिए। फिर थोड़ा अन्दर ले लिया और बोली- बस। मैं बोला- जान मजा आ रहा है। थोड़ी देर मुँह में लो ना। वो मुस्कराई और लण्ड पकड़ कर मुँह मैं ले लिया।

वो लोलीपॉप की तरह चूसने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैंने उसका सिर पकड़ा और आगे-पीछे करने लगा। पाँच मिनट तक वो मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने लण्ड निकाला और बैड से नीचे खड़ा हो गया। उसे बीच में आड़ा लिटाया। फिर उसकी टाँगों को फैलाया। चूत पर हाथ लगाया। वो गीली थी, फिर भी मैंने उसकी फाँकों को फैलाकर थूक डाल दिया और लण्ड चूत पर रगड़ने लगा। मैं उसे तड़पाने के लिए ऐसा कर रहा था वो सिसकारियाँ ले रही थी।

थोड़ी देर बाद बोली- डाल दो न अन्दर, क्यों तड़पा रहे हो? मैं बोला- तुमने भी तो मुझे तड़पाया है। “बदला ले रहे हो?” “हाँ !” “तो लो !” टाँगें फैलाते हुए बोली। मैं बोला- “तैयार हो?” “हाँ, जरा धीरे करना। तुम्हारा ज्यादा मोटा है।” मैं बोला- चिन्ता मत करो।

मैंने लौड़ा उसकी चूत के छेद पर लगाया और झुक कर दोनों बाजुओं को पकड़ लिया। उसे पता था दर्द होगा इसलिए वो साँस रोक कर चुप लेटी थी।

मैंने इशारे से पूछा, उसने भी सिर हिला कर ‘हाँ’ कर दी, मैंने उसके होंठों पर किस किया और एक झटका मारा। मेरा लन्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ 2-3 इन्च अन्दर चला गया। एक बार तो गीत की साँस सी रुक गई, एकदम चीखी “ऊई मैंयाँ मर गई ई ई इ…” चीखने का कोई डर ही नहीं था, क्योंकि वहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं था।

मैं रुका नहीं एक और झटका मारा। अब मेरा आधे से ज्यादा लन्ड अन्दर घुस गया और तीसरे झटके में पूरा लन्ड अन्दर घुस गया। वो अब भी चिल्ला रही थी, “मर गई आह आ अ राज बहुत दर्द हो रहा है नि निकालो इसे।”

वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी, पर मेरी पकड़ के कारण वो बस थोड़ा ही हिल पा रही थी। वो बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी। उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे। मैं बोला- जानू बस हो गया।

मैं उसके ऊपर छा गया और होंठों पर किस और चूचियाँ दबाते हुए लन्ड धीरे-धीरे थोड़ा आगे पीछे करने लगा। उसकी चीख सिसकियों में बदलने लगी।

मैं समझ गया कि उसे मजा आने लगा है। मैंने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी। वो अब आँहें भर रही थी “आ आ अ इ इ ओ हाँ योगी मारो ओ और तेज आ चोदो चोद तेज तेज ज।”

मैंने उसके कन्धों को पकड़ा और तेज-तेज धक्के मारने लगा। वो भी चूतड़ उछाल-उछाल के मेरा साथ देने लगी। पता नहीं क्या बड़बड़ा रही थी “फाड़ दो मेरी चूत आह… आ… बहुत खुजली होती इसे चुदने की… फाड़ दो… और तेज जा… जानू तेज… आह… म… मजा आ रहा है।” उसकी चूत से खून निकल रहा था जिससे लन्ड आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था। मैं पूरी जान लगाकर लगातार धक्के मार रहा था। वो भी पूरा साथ दे रही थी।

अचानक उसने मुझे बाहों में पकड़ लिया और बोली- जानू तेज, बस मेरा काम होने वाला है। मैं बोला- मेरा भी। उसने और मुझे कस कर पकड़ लिया और बोली “हो गया।”

मेरा भी निकलने वाला था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। मैं पूछा- अन्दर छोडूँ? उसने कहा- हाँ।

मैंने उसे अलग किया कन्धे पकड़ कर तेज धक्के मारने लगा। अब उससे सहन नहीं हो रहा। मैं 8-10 झटके मारे और गीत के ऊपर ही लेट गया। मेरा वीर्य उसकी चूत में भर गया। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे।

मैं बोला- लव यू जान। “झूठ बोलते हो। मुझे कितना दर्द हो रहा था। प्यार करते तो रुकते ! बस पेले ही जा रहे थे। धीरे-धीरे भी तो डाल सकते थे।” मैं बोला- जानू दर्द तो होना ही था। तुम्हारी चूत टाईट ही इतनी थी और धीरे करता तो अन्दर ही नहीं जाता। रही दर्द की वो धीरे में भी होता तो मैंने सोचा क्यों न एक साथ ही दर्द दे दूँ। खैर छोड़ो, मजा तो आया न? उसने शर्माकर नजरें झुका लीं।

मैं बोला- अब भी शरमा रही हो? “हाँ, जानू बहुत मजा आया !” वो हँसते हुए बोली- इतना मजा तो मुझे कभी नहीं आया और मेरे गाल पर किस किया।

मैंने भी उसकी चुम्मी ली और अलग हो गया। लन्ड खुद चूत से बाहर आ गया। उसकी चूत से वीर्य निकल रहा था। जो उसके खून से लाल हो गया था। मैंने एक कपड़ा लिया और अपने लन्ड को पोंछा। फिर नीचे बैठ गया। गीत वैसे ही लेटी हुई थी। मैंने उसकी टाँगों को फैलाकर चूत साफ की।

अब उसकी चूत की फाँके कुछ खुली थी और चूत सूजी हुई थी। मैंने उसे खड़ा किया। उसकी चूत मैं दर्द हो रहा था इसलिए उसे खड़े होने मैं परेशानी हो रही थी।

“योगी मुझसे कभी दूर मत जाना नहीं तो मैं मर जाऊँगी !” “गीत तुम पागलों की तरह बातें मत करो। मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाऊँगा।”

मैं उसे किस करने लगा। हमने उस दिन 3 बार समागम किया। फिर नहाकर बाहर घूमने चले गए।

हम जयपुर में 7 दिन रुके। गीत रोज सैक्सी कपड़े पहनती और मैं उसे चोदे बगैर नहीं रह पाता। घर आकर भी हमने खूब मस्ती की। मैं उसके घर के पास ही रहने लगा। कॉलेज टाइम कब निकल गया पता ही नहीं चला।

वे दिन हमारे कॉलेज टाइम नहीं थे। हमारी खुशी के दिन थे।

एक दिन गीत मेरे पास आई और बोली- योगी, घर वाले मेरी शादी कर रहे हैं। “तुमने हमारे बारे में बात की?” “नहीं।” “तो जान तुम अपने घरवालों से बात करो, मैं अपनों से बात करता हूँ।” “वो नहीं माने तो?” “जान पहले बात तो करो।” “मुझे पता है वो नहीं मानेगे।” “अगर नहीं माने तो हम भाग चलेंगे।” “नहीं मैं घरवालों की मर्जी के बिना शादी नहीं करूँगी।” “मतलब?” “अगर घरवाले हमारी शादी करेंगे तो करूँगी वरना…” “वरना क्या? इसलिए ही कहती थी मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।” गुस्से में मैंने पता नहीं क्या-क्या बोल दिया।

गीत रोने लगी। “जान एक बार बात तो करो, फिर देखते है क्या होता है।” “ठीक है मैं करती हूँ।” “बाय !” कहकर चली गई। आज पहली बार गीत ने मुझसे ‘बाय’ की।

मैं घर आ गया और घरवालों से बात की। काफी कहा-सुनी के बाद वो मेरी बात मान गए।

मुझे तो जैसे दुनिया की सबसे बड़ी दौलत मिल गई। मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। मैं सुबह होते ही कमरे पर पहुँच गया और छत पर खड़ा हो गया। पर गीत नजर नहीं आई और उसके घर में बिल्कुल शान्ति थी।

थोड़ी देर बाद गीत की एक सहेली मुझे एक खत देकर चली गई। खत पढ़ा तो मैं पागल सा हो गया और गीत के घर की तरफ भागा। मेरा पैर सीढ़ियों से फिसल गया।

जब मेरी आँख खुली तो अस्पताल में था। मेरे घरवाले चारों तरफ बैठे थे। आँख खुलते ही मेरे मुँह पर गीत का नाम था और मेरे घरवालों की आँखों में आँसू।

गीत अब इस संसार में नहीं थी। वो मुझे धोखा देकर इतनी दूर चली गई की..

मैं अपने आप को गाली देने लगा। और जिस शरीर को मैं सबसे ज्यादा पसन्द करता था आज उसी से नफरत हो रही थी। ना मेरा ऐसा शरीर होता और ना ही मैं किसी से मार-पीट करता।

मेरी मार-पीट की आदतों की वजह से गीत के घर वालों ने मुझे पसन्द नहीं किया और गीत ने आत्म हत्या कर ली। परन्तु मैं गीत से बहुत नाराज हूँ वो मुझे..

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000