पहला प्यार और पहला सेक्स

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दोस्तो, आप सभी को एक बार फिर से मेरा प्यार भरा नमस्कार। मैं अर्जुन सहगल एक बार फिर से हाजिर हूं. अपनी पहली सेक्स कहानी बॉडी मसाज और चूत की चुदास के बाद मैं आपके लिए अपनी नयी कहानी लेकर आया हूं.

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मैं एक मसाज बॉय या कॉल बॉय हूं, अपने विवेक के अनुसार आप मेरे काम को दोनों में से कोई भी नाम देने के लिए स्वतंत्र हैं.

मैं लुधियाना के एक स्पा सेंटर में काम करता हूँ। मैं पिछले 9 साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं. इस सेक्स स्टोरी साइट पर मेरी यह दूसरी और सच्ची कहानी है. आशा है आप सभी प्रिय पाठकों को पसन्द आयेगी।

मेरी इससे पहली कहानी बॉडी मसाज और चूत की चुदास को लेकर आप लोगों के बहुत से सुझाव और मेल आये. आप लोगों के प्यार के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

यह बात 7 साल पहले की है जब मैं अपनी स्कूल की पढ़ाई खत्म करने वाला ही था. मैं उस समय 18 साल से ऊपर का हो चुका था. मैं अपने परिवार के साथ गांव में रहता था.

उस समय तक मुझे औरत की चूत चुदाई का कोई ज्ञान नहीं था. बस इतना जरूर पता था कि इसमें मजा बहुत आता है. मेरे कई दोस्त इस बारे में बात करते थे. मैं गरीब परिवार से था तो मैं बाहरी दुनिया से अपरिचित ही था।

आप सभी को तो पता ही है कि इस उम्र में सेक्स के मामले में मजा लेने को लेकर लड़कियाँ भी कुछ कम नहीं होती हैं.

फिर भी एक बाहरी जवान लड़की को पटाने की तुलना में क्लास की ही लड़की को पटाना बहुत मुश्किल होता है. इस वजह से मैं क्लास में इस तरह का रिस्क लेने से बचता था.

चूंकि मैं पढ़ाई में काफी होशियार था इसलिए क्लास के बाकी लड़कों और लड़कियों को मुझसे काम पड़ता रहता था. जब भी कोई लड़की मेरे पास किसी काम से आती थी तो मेरा ध्यान उसकी चूचियों की वक्षरेखा पर चला जाता था.

इसलिए मैं लड़कियों के साथ ज्यादा टाइम बिताने की कोशिश किया करता था ताकि उनकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा देख कर ही मजा ले सकूं.

मेरी क्लास में एक जवान लड़की का नाम स्नेहा (काल्पनिक नाम) था. उसकी चूचियां कम उम्र में ही बड़ी हो गयी थीं. उसके चूतड़ों को देख कर तो लगता था कि भगवान ने उसको दो बड़े बड़े खरबूजे दे दिये हैं.

मैं बस इसी इंतजार में रहता था कि कब उसको मुझसे काम पड़े. वैसे मैं आपकी जानकारी के लिए एक बार फिर से बता देता हूं कि मैं भी दिखने में स्मार्ट था और अभी भी मैंने अपनी स्मार्टनेस को बनाकर रखा हुआ है.

उस समय पर मेरा लंड ज्यादा मोटा नहीं था. मगर फिर उभरती जवानी के साथ साथ लंड का साइज भी बढ़ने लगा था. अब चूत चुदाई करते हुए मेरे लंड का साइज 8 इंच का हो गया है. उसकी मोटाई भी 3 इंच हो चुकी है जो चूत को फाड़ कर रखने के लिए काफी है.

जब उस दिन स्नेहा मेरे सामने आई तो मेरी सांसें ही अटक गयी थीं. उसके शरीर से एक भीनी भीनी खुशबू आ रही थी जो मुझे पागल किये जा रही थी. उस दिन जितनी देर तक वो मेरे पास रही मेरी धड़कनें बढ़ी रहीं.

कुछ दिन उसके बाद वैसे ही निकल गये. धीरे धीरे उसके साथ मेरी अच्छी दोस्ती होने लगी थी. हम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गये थे. अब मैं उसकी चूचियों को घूरता था तो वो भी इस बात को समझ चुकी थी और केवल मुस्करा कर रह जाती थी. कई बार तो बहाने से मैं उसकी चूचियों को छू भी लेता था और वो कुछ नहीं कहती थी.

एक दिन मैंने उसको किस भी कर दिया और उसने भी मेरा साथ दिया. आग दोनों ही ओर लगी हुई थी. बस अब तो सही मौके का इंतजार था जो जल्दी ही मुझे मिल भी गया.

एक दिन हुआ यूं कि हम दोनों साथ में बैठ कर सवाल हल कर रहे थे. मैंने उसको शाम को मिलने के लिए बुला लिया. उसको जगह का नाम भी बता दिया. वो भी मिलने के लिए हां कहकर चली गयी.

शाम को 8.30 बजे मैं पुराने घरों के पीछे स्नेहा का इंतजार करने लगा. उसने 9 बजे के बाद मिलने का टाइम कहा था क्योंकि उसको बदनामी का भी डर था.

9 बजकर 20 मिनट के करीब वो आ गयी. वो थोड़ी घबराई हुई लग रही थी लेकिन मैंने उसको सहज किया और पूछा कि किसी ने उसको यहां पर आते हुए देखा तो नहीं. वो कहने लगी कि उसको किसी ने नहीं देखा.

फिर मैंने हिम्मत करके उसको बांहों में भर लिया और स्नेहा भी जैसे सब कुछ पहले से ही तय करके आई थी. उसने कोई विरोध नहीं किया और हम दोनों के होंठ आपस में मिल गये.

पहली किस का वो स्वाद सच में बहुत ही निराला था. कुछ देर तक उसको किस करने के बाद मैंने उसके कपड़े उतारना शुरू कर दिये. वो भी कोई विरोध नहीं कर रही थी.

नीचे से उसने एक लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी. उसमें उसकी चूचियों के निप्पल कड़क हो रहे थे जो कि साफ नजर आ रहे थे। उसकी चूचियों को नंगी करके मैंने कसकर भींच दिया तो उसकी सिसकारी निकल गयी.

मुझे उसकी चूचियां दबाने में मजा आने लगा. काफी देर तक मैं उसकी चूचियों को दबाता रहा. फिर मैं उसकी चूचियां पीने लगा. उसके मुहं से सिसकारियां निकलने लगीं।

मेरा लन्ड पैंट में अकड़ चुका था बिल्कुल, जो तनकर 7 इंच पार गया था और उस पर प्रीकम की बूंदों का गीलापन मुझे महसूस होने लगा था. मेरे लंड का सुपारा पूरा चिकना हो चुका था.

धीरे से मैंने अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर डाल दिया और पैंटी के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. पैंटी के अंदर हाथ डाला तो उंगलियां उसकी चूत के रस से चिपचिपी हो गयीं जिसे मैंने मुंह में डालकर उसकी चूत के पानी का स्वाद चखा।

नमकीन सा स्वाद था उसकी चूत के पानी का जो मुझे काफी पसंद आ रहा था. वो भी अब मदहोश होकर मेरे लन्ड पर ऊपर से ही हाथ फिराने लगी थी।

लंड को जैसे ही उसने छुआ तो मेरी एकदम से आंखें बंद हो गयी और मैं फिर से उसकी चूचियों को पीने में लग गया.

फिर स्नेहा ने मुझे अलग कर दिया और उसने मेरी पैण्ट को उतार कर लन्ड मुँह में ले लिया और ऊपर की ओर देखते हुए मेरी आँखों में आंखें मिलाते हुए लंड को चूसने लगी।

शायद उसको सेक्स के बारे में थोड़ी बहुत नॉलेज थी, ऐसी मेरी उस समय की सोच थी. परन्तु मेरा मानना है कि ये सब सेक्स में इंटरेस्ट के ऊपर निर्भर करता है और अपने आप ही सब होता चला जाता है और आपको पता भी नहीं चलता कि ये सब अपने आप ही हो रहा है.

मैं भी सेक्स का पूरा आनंद लेता हूं. अपने क्लाइंट में मैं इतना खो जाता हूं कि उसको पूरा मजा दे देता हूं. बस बीच में एक कॉन्डम वाली मजबूरी आ जाती है वरना मुझे बिना कॉन्डम के ही सेक्स में असली मजा मिलता है.

स्नेहा के साथ पहली बार ये सब हो रहा था. उसके बाद मैंने उसकी पैंटी बिल्कुल नीचे की और उतार दी और हल्के से उसमें उंगली घुसा दी. उसकी चूत एकदम कसी हुई थी और पानी से लबालब भरी पड़ी थी।

फिर मैंने उसके सारे पानी को उंगली से चाट लिया और नीचे बैठकर उसकी चूत चाटने लग गया। क्या मस्त स्वाद था, चूत चाटने का मजा पहली बार मुझे मिला था. तभी से मैं चूत चाटने का दीवाना हूं.

कुछ देर के बाद उसने मेरा लंड फिर से चूसना शुरू कर दिया। शुरू में उसे अजीब जरूर लगा लेकिन फिर वो भी मस्ती में लंड को चूसने लगी. छोटी उम्र से ही मेरी आदत थी कि मैं अपने लंड की साफ-सफाई को लेकर काफी सतर्क था. आज भी मेरी यही आदत है और अधिकतर लेडी मेरे लंड को मुंह में लिये बिना नहीं रह पाती हैं.

थोडी देर लंड को मस्ती में चुसवाने के बाद मैं उसकी चूत को जमकर चाटने लगा. कुछ ही देर में उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मेरे मुंह को चूत पर दबाने लग गयी और उसकी चूत से पानी की धारा बह निकली जिसे मैं आखिरी बूँद तक पी गया।

मेरा लंड भी काफी देर से रो रहा था. इसलिए अब मुझसे रुकना मुश्किल हो गया था. मैंने उठ कर उसकी चूत पर लंड को रख दिया हल्के से धक्का दे दिया. पहली बार में तो मेरा लंड फिसल गया.

दूसरी बार ट्राई किया तो दूसरी बार में भी लंड फिसल गया. इसी तरह से तीन-चार बार लंड फिसला क्योंकि उसकी चूत और मेरे लंड से प्रीकम की धार कम नहीं हो रही थी और लंड बार बार फिसल जा रहा था.

आप इसे मेरी नादानी समझें या ज्ञान की कमी लेकिन यहां पर वही कहावत लागू हो गयी थी- नया नया चोदू, चूत का नाश। या अनाड़ी का चोदना … चूत का सत्यानाश! स्नेहा को मैंने कहा कि वो मेरे लंड को अपने हाथ में थाम ले. उसने वैसा ही किया.

चूत पर लंड लगवाने के बाद उसने लंड को थाम लिया और मैंने एक बार फिर से जोर का धक्का मारा और लंड उसकी चूत में घुस गया.

उसके मुंह से चीख और आंखों से पानी निकल गया. शायद उसकी चूत की झिल्ली फट गयी थी. वो लंड को बाहर निकालने के लिए मिन्नत करने लगी. लंड पर ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसको मुट्ठी में जकड़ लिया हो. मेरे लंड में भी जलन हो रही थी.

कुछ देर के लिए मैं रुक गया और उसको स्मूच करने लगा. अब उसको अच्छा लगने लगा और वो नीचे से कमर को उचकाने लगी. मैंने लंड को हल्का सा बाहर खींचा तो उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… करके दर्द भरी सिसकारी सी निकल गयी.

मैंने मौके की नजाकत को देखते हुए दूसरी बार में जोर के धक्के के साथ पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. वो रोने लगी लेकिन अब मैं थोड़ा बेरहम हो गया था. मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया.

रात के अंधेरे में चूत से पच-पच और फच-फच की आवाज होने लगी. हम दोनों के बदन पसीने में भीग चुके थे लेकिन पहले सेक्स का मजा भी इतना मदहोश करने वाला था कि कुछ भी होश नहीं रह गया था.

दस मिनट तक मैं उसकी चूत को चोदता रहा और वो इस दौरान दो बार झड़ गयी थी. अब मेरा भी वीर्य निकलने के करीब हो गया था. मैं पूरे जोश के साथ उसकी चूत को चोद रहा था.

दो मिनट के बाद ही मैंने धक्के लगाते हुए उसकी चूत को गर्म वीर्य से भर दिया. हम 20 मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे के आगोश में गुम से होकर पड़े रहे।

उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे। मैंने उसकी चूत को देखा तो उसकी चूत में से अभी भी वीर्य और लहू के मिश्रण का रिसाव हो रहा था. उसकी चूत सूज गयी थी.

मेरे लंड की मोटाई के आधे के लगभग उसकी चूत का द्वार खुल गया था जो करीबन डेढ़ इंच के पास था. मैं जेब से रुमाल निकालकर चूत को साफ करने लगा तो अब उसका शरीर ऐंठने की वजह से उसको चूत में दर्द महसूस हो रहा था।

सफेद रुमाल लाल रंग में बदल चुका था जो कि मेरे प्यार और पहली चुदाई की निशानी के तौर पर आज भी मैंने सम्भाल कर रखा हुआ है। खैर ऐसा करते करते लन्ड महाराज फिर से सलामी देने लग गया था जो कि उसको भी नजर आ रहा था। धीरे धीरे मैंने उसकी ना-नकुर को नजरअंदाज करते हुए चुम्बन क्रिया शुरू कर दी।

थोड़ी देर में वो फिर से गर्म होने लग गयी और इस तरह हमारा सेकंड राउंड 35 मिनट तक चला। 7 इंच का लन्ड बस 2 बार झेलने के बाद स्नेहा से चला भी नहीं जा रहा था।

उसके बाद उसे मेरे लन्ड की आदत हो गयी और हम सप्ताह में 2 या 3 बार ताबड़तोड़ चुदाई करते रहे।

आज वो शादीशुदा है क्योंकि एक ही गांव के होने के कारण हम शादी नहीं कर सकते थे।

मौका मिलते ही हम आज भी मिलते हैं और मिलकर तूफानी सेक्स करते हैं। पहला प्यार खोने की वजह से मैंने जिंदगी भर शादी न करने का फैसला कर लिया है। मेरे कॉलब्वॉय और मसाज ब्वॉय होने के बारे में उसको भी पता है. वो मेरे शरीर की जरूरत को भी समझती है. इसमें मुझे और उसको कोई बुराई नहीं दिखती है.

मन से मैं आज भी उसका हूं, जहां तक शारीरिक सुख की बात है तो वो बाहर से पूरा हो जाता है. इसलिए उसको भी इस बात से कोई शिकायत नहीं है.

स्नेहा के जाने के बाद मैंने न जाने कितनी ही औरतों की चूत की प्यास बुझाई है. कई लेडीज ने तो मुझे परमानेंट कॉल ब्वॉय बना लिया है. यह कहानी लिखने का मेरा इरादा आपको किसी गलत दिशा में निर्देशित करने का नहीं है. इस बारे में आप अपने विवेक से काम लें.

यदि आपका प्यार आपके साथ है तो उसी के बनकर रहें. यदि प्यार किसी और की अमानत है तो सेक्स की प्यास आप कहीं भी बुझा सकते हैं. हां इतना जरूर कहना चाहता हूं कि अपने घर की इज्जत का ख्याल जरूर रखें.

जवान लड़की की चूत चुदाई कहानी को अपना समय देने के लिए धन्यवाद. मुझे आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा. [email protected]

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