जंगल में मेरी फुद्दी की चुदाई-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

प्रदीप ने मुझे भी खींच कर कार के बाहर किया और कार से एक कुशन को निकल कर कार का गेट लगा दिया और खुद कार के गेट से चिपक कर खड़ा हो गया।

उसने मुझे वो कुशन दिया और कहा- लो इसे अपने घुटनों के नीचे रख कर नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसो।

मैंने वैसा ही किया। मैंने कुशन को नीचे रख कर और उस पर अपने घुटने टेक कर खड़ी हुई और प्रदीप के लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगी। प्रदीप ने अपना एक हाथ मेरे सर में बालों के अंदर किया और मेरे सर को पीछे से आगे धकेल कर अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया।

अब मैं उसके लंड को चूसने लगी और प्रदीप झटके मारने लगा। जैसे वो मेरे मुँह की ही चुदाई कर रहा हो।

10 मिनट तक प्रदीप यूँ ही मेरे मुँह की चुदाई करता रहा और मैं भी बड़े मजे से उसका लंड चूसती रही।

फिर प्रदीप ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और कार के बोनट पर बैठा दिया और फिर से मेरी जाँघ के पास से पैन्टी को खींच कर अलग किया और चूत को चूसने लगा।

फिर उसने अचानक अपने मुँह को मेरी चूत पर से हटाया और मेरी चूत के ऊपर अपना लंड रख कर लंड से चूत को सहलाने लगा और मेरी पैन्टी को चूत पर से खींच कर और साइड में कर दिया।

मैंने उसे कहा- पैन्टी उतार दो, फिर अच्छे से कर सकोगे तुम।

तो उस ने मना कर दिया और कहा- नहीं मुझे ऐसे में ही मजा आ रहा है।

प्रदीप बस अपने लंड से मेरी चूत को सहला रहा था। वो चूत में लंड नहीं डाल रहा था। वो मुझे तड़पा रहा था।

मुझे कार का बोनट गर्म लगने लगने लगा तो मैंने प्रदीप से कहा- प्रदीप मुझे बोनट गर्म लग रहा है। चलो कार के अंदर ही चलते हैं।

तो उसने कहा- ठीक है।

और उसने मुझे फिर से अपनी गोद में उठा कर मुझे कार कि पिछली सीट पर लिटा दिया और वो भी कार के अंदर आ गया।

मेरा एक पैर सीट के नीचे था और दूसरे पैर को प्रदीप ने उठा कर अपने कन्धे के ऊपर रख लिया।

प्रदीप ने भी अपने एक पैर सीट के नीचे रखा और पैर को घुटने के पास ले मोड़ लिया। फिर प्रदीप ने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाया और लंड को जोर से चूत के अंदर धकेला, जिससे मेरे मुँह से के चीख निकली और प्रदीप का आधा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया। प्रदीप ने मेरे स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा।

मेरे मुँह से सिस्कारियाँ निकलने लगी- आआह ऊऊह ह्ह्ह आ आआ आआह !

प्रदीप ने बचा हुआ अपना आधा लंड भी एक और झटके में चूत के अंदर डाल दिया।

मैंने कहा- कमीने थोड़ा धीरे कर, मुझे दर्द हो रहा है।

प्रदीप ने कहा- साली, थोड़ा दर्द हो होगा ही न। अभी कुछ देर में तू खुद ही कहेगी, जोर-जोर से करो।

तो मैंने कहा- कमीने जब मैं जोर से करने का बोलूँ तो जोर से भी कर लेना, पर अभी तो थोड़ा धीरे कर !

तब प्रदीप ने कहा- साली बहुत कमीनी है तू, चल अब तू भी अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ दे।

प्रदीप जोर-जोर से मुझे चोदने लगा और मैंने भी अपनी कमर उछाल-उछाल कर उसका साथ देने लगी। अब मुझे चुदने में मजा आने लगा था, मैं उसे कहने लगी- और जोर-जोर से चोदो प्रदीप !

प्रदीप तो उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और कहने लगा- ले साली ले ! और ले, आज तुझे खूब चोदूँगा।

लगभग दस मिनट तक प्रदीप मुझे यूँ ही धकाधक चोदता रहा, फिर वो कहने लगा- रोमा, मेरा निकलने वाला है।

तो मैंने कहा- तुम चूत के अंदर नहीं छोड़ देना !

उसने अपना लंड जल्दी से चूत से निकाला और अपना सारा वीर्य मेरी चूत के ऊपर छोड़ दिया, जिससे कि मेरी चूत और पैन्टी गन्दी हो गई थी।

उसके वीर्य की कुछ बूँदें मेरे स्तनों तक भी आईं। अब तक प्रदीप में जो जोश भरा था वो थोड़ा कम हो गया, ढीला हो कर मेरे ऊपर ही लेट गया, मेरे होंठो को चूमने लगा।

कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद प्रदीप मुझ पर से हटा तो मैंने उसे कहा- देखो तुमने यह क्या किया, मुझे पूरा गन्दा कर दिया और खुद भी हो गए ! अब इसे कौन साफ करेगा?

प्रदीप ने कहा- तुम चिन्ता मत करो, मैं ये सब साफ कर दूँगा। देखो इस झरने का पानी अपने किस काम आएगा?

उसने मुझे कार से बाहर निकाल कर अपनी गोद में उठाया। फिर झरने के पास लेकर गया झरने से जो पानी बह रहा था, वो सिर्फ पैरों के टखने तक ही था।

प्रदीप ने मुझे ले जाकर एक चौड़े पत्थर के ऊपर लिटा दिया और पहले मेरी पैन्टी को उतार कर उसे धोने लगा फिर पैन्टी को अलग एक पत्थर पर रख दिया और अपने हाथों से पानी ले कर मेरी चूत के ऊपर जो उसका वीर्य था, उसे साफ करने लगा। उसने मेरा सारा बदन पानी से गीला कर दिया था।

मैंने उससे कहा- तुम भी तो अपने आप को साफ कर लो।

‘तुम साफ कर दो रोमा ! मैंने तुम्हें साफ किया है, तुम मुझे साफ कर दो।”

मैंने कहा- ठीक है, अब तुम यहाँ लेट जाओ।

उसके पत्थर पर लेटने के बाद मैंने भी उसका सारा बदन साफ किया।

मैंने कहा- प्रदीप मुझे ठण्ड लग रही है और देखो, अँधेरा भी हो रहा है। अब हमें यहाँ से चलना चाहिए।

तब वो कहने लगा तुम्हारी ठण्ड को मैं अभी दूर कर दूँगा। मेरा हाथ पकड़ कर उसने खींचा और अपने ऊपर मुझे लिटा लिया और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया- इससे तुम्हारी ठण्ड दूर हो जाएगी।

कुछ देर मैं और प्रदीप वहाँ ऐसे ही लेटे रहे।

प्रदीप ने कहा- रोमा तुम मेरा थोड़ा सा लंड चूसो, इससे तुम्हारी ठण्ड और दूर हो जाएगी।

मैंने प्रदीप की छाती को चूमते हुए नीचे उसके लंड के पास आई, प्रदीप का लंड छोटा था, वो खड़ा नहीं था। मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और अपने मुँह में लेने लगी तो उस का लंड अब खड़ा होने लगा। मैं लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।

प्रदीप के लंड को एक मिनट भी नहीं लगा और उसका लंड एकदम खड़ा हो गया। मैं जोर-जोर से उसका लंड चूसने लगी, मुझे काफी मजा आने लगा लंड चूसने में।

5 मिनट लंड चुसवाने के बाद प्रदीप ने कहा- रोमा, मैं तुम्हें एक बार और चोदना चाहता हूँ। पता नहीं तुम फिर कब मिलोगी?

मैंने प्रदीप को पत्थर पर से उठने को कहा और खुद उस पत्थर पर लेट गई और प्रदीप से कहा- लो आज जो करना है, कर लो।

तो उसने थोड़ी सी भी देर ना करते हुए मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपने दोनों कन्धों पर रख लिए और अपने लंड को चूत के ऊपर रख कर एक जोर का झटका मारा जिससे उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया।

मैं एक बार फिर जोर से चिल्लाई- कमीने, थोड़ा धीरे डाल !

पर वो अब मेरी नहीं सुन रहा था, वो मुझे चोदने में लगा हुआ था, जोर-जोर से लंड मेरी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था।

मैं ‘आआह ऊउह आअह’ करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी।

मैं बहुत गर्म हो गई थी, जिससे मेरा निकलने वाला था।

मैंने बताया कि मेरा निकलने वाला है, तो उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया, ‘आह आअह उह’ करते हुए मैं झड़ गई।

प्रदीप मेरा वो सारा पानी पीने लगा। उसने चाट-चाट कर मेरी चूत को साफ किया और फिर उसने मेरे पैरों को फैला कर अपना लंड मेरी चूत रख कर उसे अंदर डाला और फिर से मेरी चुदाई करने लगा।

मैं फिर से गर्म हो गई, वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा। कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़े और प्रदीप ने मुझे फिर से अपनी बाँहो में भर लिया और मुझे चूमने लगा।

हम दोनों उठे और हमने झरने में नहाया। वहाँ से जब जाने लगे तो मैंने पत्थर पर से अपनी पैन्टी उठाई।

वो अभी गीली थी, तब मैंने प्रदीप से कहा- देखो, ये तुमने क्या किया था। मेरी पैन्टी गीली हो चुकी है। अब मैं क्या पहनूँगी?

प्रदीप हँस कर बोला- मुझे पता था ऐसा कुछ होगा इसलिए मैंने इसका इंतजाम पहले से ही कर रखा था। जब मैं आ रहा था, तब ही मैंने मार्किट से तुम्हारे लिए एक ब्रा और पैन्टी खरीदी थी, चलो, कार में रखी है। मैं ही तुम्हें आज अपने हाथ से वो ब्रा और पैन्टी पहना देता हूँ।

हम कार के पास आए तो प्रदीप ने कार से वो ब्रा पैन्टी निकाली और मुझे पहनाई। फिर मैंने अपने कपड़े पहने और प्रदीप ने भी अपने कपड़े पहने और हम वहाँ से निकल पड़े।

प्रदीप और मैंने सिटी के बाहर ही एक ढाबे में खाना खाया। फिर प्रदीप ने मुझे घर छोड़ दिया और वो चला गया।

तो यह थी दोस्तो, मेरी आज की कहानी उस कार में और जंगल के बीच झरने के पास मुझे चुदने में अपना ही एक अलग मजा आया। उम्मीद करती हूँ, आप सभी को मेरी कहानी पसंद आई होगी। आपको यह कहानी कैसी लगी, आप मुझे बताइयेगा जरूर !

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000