दोस्ती में फुद्दी चुदाई-3

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दोस्तो, मुझे कई मेल प्राप्त हुए.. उनके लिए हृदय से धन्यवाद।

मेरी पिछली कहानी पढ़ कर जरूर आपको अगली के बारे में उत्सुकता हुई होगी, जो इस कहानी के माध्यम से दूर करने की पूरी कोशिश करूँगा।

मेघा के साथ मेरा यह रिश्ता उसी तरह चलता रहा..

मेघा पहले दिन ही अपनी सहेलियों के बीच बोल चुकी थी कि जो मेरा खर्च उठाएगा मैं उसकी..

यह बात मुझे नहीं पता थी, लेकिन इस बात की वजह से मैं अपनी क्लास में बदनाम हो गया।

साथ में पढ़ने वाले लोग जिनमें ज्यादातर लड़कियाँ, हमारी दोस्ती को अलग नजर से देखती थीं… वैसे अलग थी भी हा हा..

इस वजह से मेरा अपनी क्लास की लड़कियों से दूर रहना ज्यादा उचित था।

किसी तरह एक साल बीता और हम सीनियर बन गए और इस बार मुझे एन्टी-रैगिंग का हेड बना दिया गया, जिसका मैंने फ़ायदा भी खूब उठाया।

आइये कहानी पर आते हैं।

काफी जूनियर्स लड़कियाँ मुझसे मदद मांगने आने लगीं.. मैं भी ख़ुशी से उनको नोट्स देकर या किसी सब्जेक्ट में पढ़ा दिया करता। कभी-कभी रात में कुछ लड़कियाँ सवालों के बहाने फ़ोन भी करती थीं।

मैं भी खूब बातें करता।

एक दिन मुझे कंप्यूटर साइंस की एक लड़की साक्षी मिली.. जो मुझसे इलेक्ट्रॉनिक्स पढ़ना चाहती थी।

साक्षी होस्टल में रहती थी.. देखने में खूबसूरत पर थोड़ी सी मोटी भी थी..

उसके नैन-नक्श तो सामान्य थे पर बदन की हर चीज हर अंग ‘प्लस-साइज़’ की थी..

उसको देख कर कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो.. मुझे तो ऐसा नहीं लगता।

मैं… क्योंकि शिक्षकों का चहेता था, तो एक-दो लेक्चर गोल करके लाइब्रेरी में साक्षी को पढ़ाने लगा..

ऐसा लगता साक्षी को पहले से ही सब आता है.. उसे जो भी पढ़ाओ, वो जल्दी ही सीख जाती। कभी-कभी रात में फ़ोन भी कर देती..

एक दिन साक्षी ने बताया उसका एक ब्वॉय-फ्रेंड भी है।

मैंने सोचा इसका भी ब्वॉय-फ्रेंड है। मेरा साक्षी में कोई इंटरेस्ट नहीं था.. तो मैंने कभी ध्यान से उसकी बातें सुनी नहीं..

एक-दो बार साक्षी ने अपने ब्वॉय-फ्रेंड को भी कॉल-कॉन्फ्रेंसिंग पर लेकर मुझसे बात भी कराई..

फिर भी मैंने कुछ ज्यादा सोचा नहीं.. लेकिन साक्षी की कॉल्स मेरे लिए बढ़ती गईं।

उसकी आवाज़ बहुत मादक होती और मुझे लगता कहीं ये बात करते समय अपनी चूत में उंगली तो नहीं कर रही।

कभी-कभी फोन में चूसने की भी आवाजें आती।

एक रात मैंने पूछ ही लिया- पीछे कौन है तेरे?

साक्षी- अरे वो..वो मेरी रूम-मेट हैं.. प्रियंका और प्रीति।

मैंने कहा- तो ये आवाजें कैसी है फिर?

साक्षी फुसफुसाते हुए- अरे कुछ नहीं.. एक-दूसरे से लिपटी हुई हैं सर।

‘तेरे सामने ही..’ मैंने पूछा।

साक्षी- ये गर्ल्स-होस्टल है सर.. यहाँ तो हम कपड़े भी सामने ही बदलते हैं फिर ये दोनों तो हैं ही कमीनी।

‘कमीनी हैं या कामिनी…’

और हम दोनों ही हँसने लगे।

पहले मिड के बाद छुट्टियां हुईं और हम सारे दोस्तों ने ‘बचना-ऐ-हसीनों’ देखने का प्लान बनाया..

एडलैब्स में मैटिनी शो देख कर जब हम सारे लड़के-लड़कियां लंच कर रहे थे.. तब तक कॉलेज से फ़ोन आ गया कि हम सभी को तुरन्त कॉलेज आना पड़ेगा।

कॉलेज पहुँचते ही साक्षी मिल गई। मैंने उससे इंतज़ार करने को बोला और अपना काम खत्म किया।

जब मैं साक्षी से मिला तो कॉलेज के बरामदे के एक कोने में ले गया क्योंकि छुट्टियां थीं, तो कॉलेज बन्द था..

वहाँ हम दोनों बात करने लगे।

साक्षी- आप पी कर आये हैं?

मैंने कहा- बड़ा पता है तुझे.. बस दो कैन बियर के पिए हैं ..क्यों?

साक्षी- आज तो मूवी देखने गए थे ना आप लोग.. तो बियर कहाँ से पी और मैम भी तो साथ थीं।

‘यार सब साथ ही पीते हैं.. बियर ही तो है.. तूने कभी नहीं पी।’

साक्षी- नहीं.. आज तक नहीं.. वैसे कैसी है मूवी?

ना जाने ये बियर का नशा था या मेरा इरादा.. मैंने बोला- मूवी कहाँ देख पाए यार ठीक से.. बगल में एक दोस्त बैठ गई थी.. बार-बार वही सब।

साक्षी- क्या वही सब?

मैं बोला- किस वगैरह यार.. बार-बार हाथ पकड़ रही थी।

साक्षी- आप इतने लोग गए थे.. उनके साथ ही.. पक्का झूठ… ये हो ही नहीं सकता..

मैं बोला- अच्छा.. आजा बताता हूँ तुझे..

मेरे दिमाग में था कि इसके गालों पर चुम्मी करूँगा.. साली को बुरा भी लगेगा तो ‘सॉरी’ कह कर बात खत्म कर दूँगा।

मैंने साक्षी को अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ साक्षी के गालों की तरफ बढ़ाए ही थे.. कि साक्षी ने अपना चेहरा मोड़ा और अपने गालों की जगह अपने होंठ मेरी तरफ बढ़ा दिए।

हमारे होंठ मिले।

मैंने साक्षी का चेहरा पकड़ा और एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे.. कुछ देर बाद मुझे ध्यान आया कि इस खुली जगह तो हमें कोई भी देख सकता है।

साक्षी को चुम्बन करते हुए मैं उसे पीछे धकेलते हुए दीवार की ओट में ले गया।

मैं और साक्षी जोर-जोर एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।

मैंने अपना हाथ साक्षी की बड़ी-बड़ी चूचियों पर रखा और जोर-जोर से दबाने लगा।

हमारी आँखें बन्द थीं और साक्षी के हाथ मेरी जैकेट के अन्दर घूम रहे थे।

मेरा लण्ड पहले से खड़ा था.. मैंने साक्षी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया।

साक्षी जोर-जोर से मेरा लण्ड मसलने लगी।

मैं साक्षी की चूचियों को उसके कुर्ते से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा, लेकिन कुर्ते का गला छोटा था और चूचियाँ बड़ी थीं।

मैं कुछ ज्यादा ही क्रूर हो चला था.. साक्षी को दर्द हुआ तो उसने अपनी ब्रा के हुक खोल कर चूचियाँ आज़ाद कर दीं।

अपना कुरता थोड़ा नीचे करके मैं एक चूची को चूसने लगा। साक्षी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मैंने फिर से उसके हाथ को अपने लण्ड पर रख दिया। मैं चूचियाँ मसलते हुए चूस रहा था.. वो लण्ड मसलते हुए सिसक रही थी।

‘आह.. आह.. सैम.. आह..’

ऐसी आवाज़ों से मेरा जोश और बढ़ गया था।

मेरे साथ ऐसा पहली बार हो रहा था कि बस सोचा और आग उधर भी लग गई।

इस वक़्त मैं और साक्षी दोनों ही गरम थे।

मैंने अपने जीन्स के अन्दर साक्षी का हाथ डाल दिया। साक्षी एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह लण्ड मसल रही थी।

मैंने भी चूस-चूस कर उसके चूचे लाल कर दिए थे।

थोड़ी देर बाद मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी.. साक्षी के हाथ में ही पूरा वीर्य लग गया.. साक्षी बाथरूम चली गई।

ऐसा मेरे साथ वास्तविकता में पहली बार हो रहा था.. इसके बाद भी लगभग रोज हम दोनों उसी जगह मिलते और यही घटनाक्रम दोहराया जाता।

आज भी साक्षी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है लेकिन उसकी वजह से मुझे कॉलेज में चुदाई-लीला बढ़ाने का रास्ता पता लग गया था।

साक्षी के साथ इसके बाद क्या हुआ और मैंने कहाँ और किस तरह साक्षी की चुदाई की.. आपके साथ अगली कहानी में साझा करूँगा।

आप मेरी कहानी के बारे में विचार लिखें।

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