प्रिया भाभी, भाभी नम्बर दो-2

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मैंने कीर्ति भाभी को अपनी गोदी में बिठा कर उनसे कहा- तो जबरदस्त हैं। उनका ओरल करने का अंदाज़ बड़ा धांसू है।

ऐसा मैंने इसलिए कहा कि कीर्ति भाभी को थोड़ा जलन हो और वो अपना ओरल टैलेंट दिखाने को मान जायें, जो कि वो कम ही करती थीं, और ऐसा ही हुआ।

प्रिया भाभी तीनों के लिए दूध लाईं, क्योंकि अभी तीनों ही एक-एक बार झड़ चुके थे। हमने दूध पिया और फिर मैंने कीर्ति भाभी की चूत को चाटना शुरु किया और प्रिया ने नीचे मेरे लंड को फिर से खेलना शुरु किया।

दो मिनट बाद कीर्ति भाभी ने कहा- मुझे मुँह में लंड दो।

तो मैं खड़ा हो गया और कहा- ऐसा करो, मैं दोनों को एक साथ चुसवाना चाहता हूँ।

तो दोनों भाभियों ने चूसना शुरु किया और मैंने उनके सिरों को पकड़ लिया, लंड आगे-पीछे करने लगा। फिर थोड़ी देर बाद कीर्ति के मुँह में दिया और प्रिया को पोतों को चूसने दिया और देखते-देखते लंड फिर से पूरे मूड में आ गया।

कीर्ति भाभी भी पूरे जोश में चूसा चुसाई कर रही थीं।

मैंने कहा- आओ और टैलेंट दिखाने का मौका पहले प्रिया भाभी को दिया जाए।

उनकी गीली और लाल हो गई चूत पर लंड रगड़ कर अन्दर डालना शुरू किया और धीरे-धीरे उनके अन्दर पूरा डाल दिया और चोदना चालू कर दिया।

कीर्ति भाभी ने बगल में लेट कर उनके चूचे दबाते हुए उनको चुम्बन भी कर रही थीं। अभी प्रिया भाभी की चूत बहुत कसी थी, तो मैंने आराम से ही किया और 7-8 मिनट तक किया और फिर कीर्ति भाभी को उनके ऊपर उल्टा लिटा कर उनकी चूत में डाल दिया और वो दोनों एक-दूसरे को किस करने लगीं।

अब स्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं कभी ऊपर कीर्ति भाभी को चोदता तो कभी नीचे प्रिया भाभी की चूत में डाल देता।

थोड़ी देर बाद प्रिया से कहा- अब दोनों टाँगें फैला कर बैठ जाओ!

और फिर मैंने सामने से सुपारा चूत के ऊपर एक झटके में अन्दर डाल दिया तो उनकी चीख निकल गई।

मैंने कीर्ति भाभी को कहा- आप प्रिया को खड़ी होकर चूत चूसाओ।

उस पोजीशन में पूरा लण्ड चूत में फिसलता हुआ आगे-पीछे हो रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

उसके बाद मैंने कहा- प्रिया भाभी, आओ तुमको झूला झुलाता हूँ।

मैं बेड से उतर कर खड़ा हो गया और प्रिया भाभी को गोदी में लेकर उनकी चूत का भोसड़ा बनाना शुरु किया। कीर्ति भाभी को नीचे बिठा कर अपनी गोलियों को चूसने को दिया और जब तक प्रिया की चूत से पानी नहीं छूटा तब तक उन्हें चोदा। वो बहुत थक गई थी तो उनको बिस्तर पर लिटा दिया।

मैं और कीर्ति भाभी अभी भी गर्म थे, तो मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और उनसे कहा- भाभी, आज आपकी गांड मारनी है।

तो उन्होंने कहा- मार तो लो, पर प्यार से करना।

मैंने प्रिया भाभी से कहा- भाभी की गांड पर थूको।

जितना थूक चाहिए था गांड के लिए, उनको नहीं आ रहा था। सो मैंने प्रिया को अपना लंड पूरा अन्दर तक उनका सर पकड़ के चुसवाना चालू कर दिया। कुछ ही समय में काफी थूक बन गया और प्रिया को कीर्ति भाभी के चूतड़ों पर मुँह रखने को बोला और उनकी गांड चाटने को कहा।

और अब मैंने गांड में लंड डालना शुरू किया। अभी बस सुपारा ही डाला था कि वो रोकने लगीं, पर मैं रुका नहीं और सुपारा अन्दर जाते ही कीर्ति भाभी के हाथों को पीछे मोड़ कर पकड़ लिया। प्रिया भाभी को पीछे से गोलियाँ चटाने में लगा लिया और झुक कर खड़ा हो कर एक तगड़ा झटका दिया तो पूरा लंड अन्दर समा गया।

मैंने उन्हें शुरू में धीरे-धीरे किया और स्पीड बढ़ा कर भयंकर चोदा, और बीच-बीच में निकाल कर प्रिया भाभी को भी चुसाया। फिर उनकी गांड के ऊपर दुबारा झड़ गया।

प्रिया भाभी ने सारा माल पहले खुद गांड से मुँह में लिया और फिर कीर्ति भाभी को मुँह में चूमते हुए दिया।

कीर्ति भाभी बोलीं- बस? इतने में मेरा क्या होगा?

मैंने कहा- रुको अभी मेरी भूख शांत नहीं हुई और दोनों को एक के ऊपर एक लेट कर किस करने को कहा और नीचे उनकी चूतों को काफी देर तक चाटा।

फिर लंड बीच में डाल के रगड़ने लगा, अब लंड पूरे विकराल रूप में था तो मैंने कहा- अब मैं लेट जाता हूँ और आप दोनों मेरे ऊपर बारी-बारी से बैठो और मुझे चोदो।

पर अब लंड को और टाइट जगह चाहिए थी सो मैंने प्रिया भाभी को अपने मुँह पर गांड चटाने के लिए बिठाया और उनकी गांड में ऊँगली और जीभ से उनकी गांड चोदने लगा। कीर्ति भाभी मेरे ऊपर बैठ कर चुद रही थीं।

मैंने सोचा कि पहले इनको भी स्खलित करूँ, उसके बाद प्रिया भाभी को देखता हूँ।

तो कीर्ति भाभी को बेड से किनारे पर, सहारे से सर के बल लिटाया और प्रिया भाभी से उनकी कमर को पकड़ कर सपोर्ट लिया।

मैंने खड़े होकर उनकी हवा में लहराती टांगों को अपनी छाती पर सटाया और लंड 90 डिग्री के एंगल पर चूत में डाला और काफी स्पीड से उनको चोदा। कुछ मिनट बाद वो झड गईं। मैंने और प्रिया भाभी ने वो माल पिया।

फिर मैंने उन दोनों को थोड़ी देर तक लंड चुसाया और प्रिया भाभी को भी उसी पोजीशन में लिया और उनके मुँह पर कीर्ति भाभी को बिठाया। वैसे ही टांगों को पकड़ कर लंड उनकी तंग चूत में डाला और चोदना चालू रखा।

लंड के पर्याप्त गीले होते ही गांड पर थूका और गांड में डाला। धीरे से सुपारा अन्दर और ऊँगली से उनके चूत को चोदना चालू किया कि उनको दर्द का एहसास न हो, और फिर एक तगड़ा झटका और पूरा लंड अन्दर पेल दिया। वो थोड़ा कसमसाई पर लंड को आराम से झेल गई और करीब दस मिनट के बाद वो और में दोनों साथ में झड गए। मैंने झड़ते हुए पूरा माल कीर्ति भाभी के मुँह में डाल दिया और वो पी गईं। प्रिया भाभी का भी माल मैंने और कीर्ति भाभी ने चाट के साफ़ किया।

उस दिन के बाद से मेरी चाँदी हो गई और हर दिन होली और कभी जब घर में भाभियाँ और बस मैं ही रहते तो रात को दिवाली होती।

पर मेरे इंजीनियरिंग कॉलेज में जाते ही यह सब बंद हो गया और वहाँ पर नया हिसाब-किताब शुरू हो गया। लेकिन उसके बारे में और अगली चूत के अनुभव के और मेरे टेम्पररी जिगोलो बनने के बारे अगली बार बताऊँगा।

मुझे मेल करके जरूर बताइए कि आपको यह कहानी कैसी लगी।

तब तक के लिए नमस्कार, आदाब और शुक्रिया। मुझे आप अपने विचार मेल करें। [email protected]

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