मेरी चालू बीवी-45

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

इमरान रोज़ी तुरंत केबिन से बाहर निकल गई ! मगर हाँ केबिन का दरवाजा बंद करते हुए उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसकी ख़ुशी को दर्शा रही थी।

कुछ देर बाद नीलू भी अपने काम में लग गई। अब ऑफिस का कुछ काम भी करना था।

दोपहर को लंच करने के बाद मैंने सलोनी को फोन लगाया… उधर से मधु की आवाज आई- कौन..?? मैं- अरे मधु तू.. क्या हुआ? सलोनी कहाँ है??

मधु- अरे भैया.. हम स्कूल में हैं… भाभी की जॉब लग गई है… वो अंदर हैं… मैं- क्यों? तू बाहर क्यों है? मधु- अरे अंदर उनका इंटरव्यू चल रहा है… वो कुछ समझा रहे थे ! मैं- ओह… मगर तू उसका ध्यान रख… देख वो क्या कर रही है?

मधु- हाँ भइया… पर क्यों? मैं- तुझसे जो कहा, वो कर ना…

मधु- पर वो अपने कोई पुराने दोस्त के साथ हैं.. वो क्या नाम बोला था? हाँ याद आया… मनोज… वो उनके कोई पुराने दोस्त हैं… वो ही हैं यहाँ बड़े वाले टीचर.. मेरे दिमाग में एक झनका सा हुआ… अरे मनोज वो तो कहीं वही तो नहीं…

मुझे याद आया सलोनी ने एक दो बार बताया था.. उसका फोन भी आया था शायद… मनोज उसके स्कूल के समय से दोस्त था… पर हो सकता है कि कोई और हो…

तभी मधु की आवाज आई- भैया.. ये तो… अंदर… मैं- क्या अंदर? क्या हो रहा है? मधु- व्व्व्व्व्व्वो भाभी अंदर… और व्व्व्वो !!!!!

ऑफिस में ही नीलू और रोज़ी से मस्ती करने के बाद मैं बहुत आराम से फोन पर बात कर रहा था… लण्ड को अपनी खुराक भरपूर मिल गई थी, फिर भी दिल तो बावरा होता है रे…

सलोनी का फोन मधु के पास था… दोनों किसी स्कूल में थी जहाँ सलोनी ने जॉब करने के लिए कहा था… मधु ने के ऐसी बात बताई कि मेरे कान खड़े हो गए…

झूठ नहीं बोलूंगा.. कान के साथ लण्ड भी खड़ा हो गया था…

मधु- भैया… भाभी अंदर कमरे में हैं… यहाँ उनका कोई दोस्त ही बड़ा सर है… वो क्या बताया था… हाँ मनोज नाम है उनका…

मैंने दिमाग पर ज़ोर डाला… उसने बताया था कि कॉलेज में उसके विनोद और मनोज बहुत अच्छे दोस्त थे, दोनों हमारी शादी में भी आये थे। मैंने मधु को कमरे में देखने को बोला..

मधु- व्वव… व्वव… वो भाभी तो मनोज सर की गोद में बैठी हैं…

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैं सारा किस्सा एकदम से समझ गया… दिल चाह रहा था कि भागकर वहाँ पहुँच जाऊँ…

मैंने मधु को निर्देश दिया- सुन मधु फोन ऐसे ही वहीं खिड़की पर रख दे.. स्पीकर उनकी तरफ रखना… और तू वहीं खड़े होकर देखती रह… मधु ने तुरंत ही यह काम कर दिया और मुझे आवाज आने लगी…

मनोज- सच सलोनी.. कसम से तुम तो बहुत सेक्सी हो गई हो… मुझे पहले पता होता तो चाहे कुछ हो जाता.. मैं तो तुमसे ही शादी करता…

सलोनी- हाँ… और जैसे मैं कर ही लेती… मैंने तो पहले ही सोच रखा था कि शादी माँ डैड की मर्जी से ही करूँगी… और यकीन मानना, मैं बहुत खुश हूँ…

‘पुच्छ पुच च च च च च पुच…’

सलोनी- ओह क्या करते हो मनोज… अपना मुँह पीछे रखो ना… जब से आई हूँ, चूमे ही जा रहे हो..

मनोज- अरे यार, कंट्रोल ही नहीं हो रहा… सलोनी- हाँ, वो तो मुझे नीचे पता चल रहा है… कितना चुभ रहा है…

मनोज- हा हा हा… यार, यह तुमको देखकर हमेशा ही खड़ा होकर सलाम करता था मगर तुमने कभी इस बेचारे का ख्याल ही नहीं किया..

सलोनी- अच्छा… तो तुम्हारे दोस्त के साथ दगा करती..?

मनोज- इसमें दगा की क्या बात थी यार? तुम तो हमेशा से खुले माइंड की रही हो… ऐसे तो अब भी तुम अपने पति से दगा कर रही हो…

सलोनी- क्यों ऐसा क्या किया मैंने… ऐसी मस्ती तो तुम पहले भी किया करते थे.. हे… हे… क्यों याद है बुद्धू… या याद दिलाऊँ?

मनोज- अरे उस मस्ती के बाद ही तो मैं पागल हो जाता था… फिर पता नहीं क्या क्या करता था… तुम तो हाथ लगाने ही नहीं देती थी… तुम्हारे लिए तो बस विनोद ही सब कुछ था…

सलोनी- अरे नहीं यार… तुम ही कुछ डरपोक किस्म के थे…

मनोज- अच्छा मैं डरपोक था…?? वो तो विनोद की समझ कुछ नहीं कहता था…वरना न जाने कबका.. सब कुछ कर देता…

सलोनी- अच्छा जी क्या कर देते??? बोल तो पाते नहीं थे.. और करने की बात करते हो…

मनोज- बड़ी बेशरम हो गई है तू…

सलोनी- मैं हो गई हूँ बेशरम… यह तेरा हाथ कहाँ जा रहा है… चल हटा इसको…

मनोज- अरे यार, बहुत दिनों से तेरी ये चीजें नहीं देखी.. शादी के बाद तो कितना मस्ता गई है.. जरा टटोलकर ही देखने दे…

सलोनी- जी बिल्कुल नहीं… ये सब अब उनकी अमानत है… तुमने गोद में बैठने को बोला तो प्यार में मैं बैठ गई… बस इससे ज्यादा कुछ नहीं… समझे बुद्धू… वरना मैं तुम्हारे यहाँ जॉब नहीं करुँगी…

मनोज- क्या यार?? तुम भी न…ऐसे ही हमेशा के एल पी डी कर देती हो..

सलोनी- हा हा हा हा… मुझे पता है तुम्हारे के एल पी डी का मतलब… और ज्यादा हिलाओ मत… कहीं यन मेरी जींस में छेद ना कर दे…

मनोज- हा हा… तो दे दो ना इस बेचारे का छेद इसको.. फिर अपने आप ढूंढ़ना बंद कर देगा…

सलोनी- जी नहीं, यहाँ नहीं है इसका छेद… इसको कहीं और घुसाओ…

मनोज- अरे यार, कम से कम इसको छेद दिखा तो दो… बेचारा कब से परेशान है…

सलोनी- अच्छा जैसे पहले कभी देखा ही नहीं हो… अब तो रहने ही दो…

मनोज- अरे यार तब की बात अलग थी… तब तो मैं दोस्त का माल समझ कुछ ध्यान से नहीं देखता था..

सलोनी- हाँ हाँ मुझे सब पता है… कितना घूरते थे… और मौका लगते ही छूते और सहलाते थे.. वो तो मैंने कभी विनोद से कुछ नहीं कहा… वरना तुम्हारी दोस्ती तो ही गई थी… हे हे…

मनोज- अच्छा तो यह तुम्हारा अहसान था?

सलोनी- और नहीं तो क्या…

मनोज- तो थोड़ा सा अहसान और नहीं कर सकती थीं…पता नहीं था क्या कि मैं कितना परेशान रहता था…

सलोनी- वैसे सच बोलूं… तुमने कभी हिम्मत नहीं की… तुम्हारे पास तो कई बार मौके थे… और शायद मैं मना भी नहीं करती…

मनोज- अच्छा इसका मतलब.. मैं बेबकूफ था…ऐं ऐं ऐं ऐं…

सलोनी- हा हा… हा हा… हा हा… ओह… रहने दो न.. बहुत गुदगुदी हो रही है… अहा… ये क्या कर रहे हो…?? अरे छोड़ो न इन्हें…

मनोज- यार सच बहुत जानदार हो गए हैं तुम्हारे बूब.. कितना मजा आ रहा है इनको पकड़ने में… सलोनी- देखो मैं अब जा रही हूँ ओके.. तुम बहुत परेशान कर रहे हो…

मनोज- अरे यार तुमने ही तो कहा था… अब कोशिश कर रहा हूँ तो मना कर रही हो… सलोनी- ये सब उस समय के लिए बोला था… अब मैं किसी और की अमानत हूँ…

मनोज- अरे यार, मैं कौन का अमानत में ख़यानत कर रहा हूँ.. जैसी है वैसी ही पैक करके पहुँचा दूंगा… सलोनी- हाँ मुझे पता है.. कैसे पैक करोगे… मेरे मियां को दाग पसंद नहीं है समझे बुद्धू…

मनोज- कह तो ऐसे रही हो जैसे अब तक बिल्कुल साफ़ और चिकनी हो… न जाने कितने दाग लग गए होंगे… सलोनी- जी नहीं… मेरी उस पर एक भी दाग नहीं है.. जैसे तुमने पहले देखी थी.. अब तो उससे भी ज्यादा अच्छी हो गई है…

ओह माय गॉड ! इसका मतलब विनोद तो उसका बॉय फ्रेंड था ही.. फिर यह मनोज भी क्या उसको नंगी देख चुका है… मैं और भी ध्यान से उनकी बातें सुनने लगा…

कहानी जारी रहेगी। [email protected] hmamail.com

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000