सात दिन में वर्तिका को पटाकर चोदा

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हाय दोस्तो, मेरी उम्र 23 साल है और मैं सांवले रंग का हूँ। मेरी लम्बाई 5.7 फुट है, देखने में काफी स्मार्ट हूँ। मैं बहुत ओपन टाइप लड़का हूँ, मेरा लण्ड 7.5 इंच लम्बा और काफी मोटा है।

मैं लगभग एक साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और मेरा भी काफी मन करता था कहानी लिखने का, तो मैं आज अपनी पहली और एकदम सच्ची कहानी लिखने जा रहा हूँ जो आज से आठ महीने पहले घटी थी।

मैं कॉलेज खत्म करके नौकरी की तलाश में नॉएडा जा पहुँचा। वहाँ मैंने एक प्राइवेट कपनी में जॉब करना शुरू कर दिया। मेरे जॉब टाइमिंग दोपहर 3 बजे से रात 12 बजे तक होती थी। जैसा कि आप सब जानते ही होंगे कि नौकरी की शुरुआत में ट्रेनिंग होती है और ट्रेनिंग के कुछ दिनों बाद हमारे सर हम लोगों को ऑन-जॉब ट्रेनिंग के लिए फ्लोर पर ले गए।

वहीं पर मेरे दोस्त ने एक लड़की को देखा जिसका नाम वर्तिका था। वो हम सब में सीनियर थी।

मेरा दोस्त उस लड़की को देखते ही फ्लैट हो गया और जॉब से वापिस आते समय मुझसे बोला- मैं वर्तिका को पटाना चाहता हूँ, चोदना चाहता हूँ।

इस पर मैंने उससे बोला- विचार तो अच्छा है पर तेरे पास केवल 7 दिन का वक्त है क्योंकि 8 वें दिन मैं उसको पटाना शुरू कर दूँगा और केवल 7 दिन के अन्दर उसको चोद दूँगा!

जैसा कि मैंने सोचा था, मेरा दोस्त चूतियों का सरदार ही निकला, वर्तिका को पटाना तो दूर, बात भी नहीं कर पाया था। खैर 8वां दिन शुरू होते ही मैं काम पर लग गया और उस वर्तिका से बात करने की तरकीब सोचने लगा।

मैं जानता था कि वर्तिका की जॉब टाइमिंग सुबह 6 से दोपहर 3 बजे तक होती है, तो मेरे पास कुल मिलाकर 5 से 10 मिनट ही थे उससे बात करने के लिए, क्योंकि मुझे 3:15 तक काम शुरू कर देना होता था।

पहले दिन मैं वर्तिका से बात तो नहीं कर पाया पर मैं जान-बूझकर उसके सामने दो बार आया।

रात 12 बजे जब मैं ऑफिस से घर के लिए निकला तो मेरी गाड़ी खराब हो गई और मुझे ना चाहते हुए भी ऑफिस में रुकना पड़ा। पूरी रात की माँ-बहन हो चुकी थी क्योंकि मैं सो ही नहीं पाया था।

अगले दिन सुबह वर्तिका सबसे पहले ऑफिस में आई, मैंने उसको आता देख लिया था।

तभी मेरी एक और दोस्त भी उसके पीछे पीछे ऑफिस में आई।

मैंने उसको मॉर्निंग विश किया कि तभी वर्तिका ने मुझे देखा और बोला- मैंने तुमको कल ऑफिस में देखा था, 3 से 12 वाली शिफ्ट में.. तुम अब इस समय यहाँ क्या कर रहे हो?

बस मैं तो इसी मौके के इंतज़ार में था, मैंने उसको बोला- मेरी गाड़ी खराब होने की वजह से मुझे कल ऑफिस में रुकना पड़ा, मैं पूरी रात नहीं सो पाया और अब बहुत थक चुका हूँ।

इस पर उसने मुझसे पूछा- अब तुम क्या करोगे?

मैंने जवाब दिया- दस बजे दुकान खुल हो जाएगी तो मैं गाड़ी ठीक करा के घर जाऊँगा और 3 बजे तक वापिस आ जाऊँगा।

इर पर वो बोली- तुम थकते नहीं हो क्या? एक तो पूरी रात सोए नहीं हो और अब तुम नहीं सोए तो सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। तुम चाहो तो मेरी गाड़ी ले जा सकते हो, दोपहर को तो तुम्हें ऑफिस आना ही है।

मैंने थोड़ा मना करते हुए बोला- नहीं.. कोई बात नहीं.. दस बजे दुकान खुल जाएगी और मैं गाड़ी ठीक करा लूँगा..!

इस पर उसने बोला- वो सब तो ठीक है.. पर पता नहीं उस में कितना टाइम लग जाए और तुम्हें तीन बजे तक वापिस ऑफिस में आना ही पड़ेगा तो नींद कब पूरी करोगे? लो ले जाओ मेरी गाड़ी..!

अब मैंने मना नहीं किया और ‘शुक्रिया’ बोलते हुए चला गया।

दोपहर 3 बजे जब मैं वापिस आया तो मुझे पता चला आज तो मेरा ‘वीक-ऑफ’ है, जिसको मैं कल की थकान के चलते भूल ही गया था।

अचानक मेरी आँखों के सामने वर्तिका आ गई और बोली- कैसे हो नींद पूरी हुई कि नहीं?

मैंने उसको बोला- मैं एकदम फ्रेश हूँ, तुम कैसी हो?

उसने झट से बोला- थक चुकी हूँ और मेरा मन ड्राइव करने का बिल्कुल नहीं कर रहा!

मैंने भी झट से बोला- क्या आज मैं आप को घर छोड़ सकता हूँ? उसने बोला- क्या काम नहीं करना आज? मैंने बोला- मेरा ‘वीक-ऑफ’ है! उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया-‘क्यों नहीं, तो चलो।

अब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था और हम वर्तिका के घर की तरफ चल दिए। रास्ते में मैंने उससे उसके ‘बॉय-फ्रेंड’ के बारे में पूछा।

उसने बोला- उसका कोई बॉय-फ्रेंड नहीं है।

और उसने वही सवाल मुझसे भी पूछा- क्या तुम्हारी लाइफ में कोई है?

मैंने मना कर दिया और इस तरह हम लोगों के बीच दोस्ती हो गई।

वर्तिका को घर छोड़ने के बाद मैं उसी की कार वापिस ले आया और अगले दिन मैंने सुबह उसको घर से पिक किया और इस तरह मुझे एक बार और उसके साथ सफर करने का मौका मिल गया।

अब तक हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे।

चौथा दिन था और मैं सुबह 5 बजे ऑफिस पहुँच गया। वर्तिका भी 6 बजे तक ऑफिस में आ गई।

अभी तक पूरी तरह से दिन नहीं निकला था, कुछ रात का माहौल सा था।

मैंने वर्तिका से बोला- मेरे साथ ऑफिस की छत पर चलो.. मैं तुम्हें कुछ देना चाहता हूँ। छत पर आने के बाद उसने बोला- दो.. क्या देना चाहते हो..! मैंने बोला- पहले आँखें बंद करो!

उसने आँखें बंद कर लीं। मैंने झट से उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। दोस्तों मैं बता नहीं सकता कि मेरे अन्दर कितनी जबरदस्त बिजली सी दौड़ गई।

इस पर वो थोड़ा नाराज हो गई और उसने मुझे पीछे धक्का देते हुए बोला- यह क्या कर रहे हो तुम? उसे बहुत गुस्सा आ चुका था, पर सच बोलूँ तो वो गुस्से में तो और भी मस्त लग रही थी।

पता नहीं वो मुझे कुछ कह भी रही थी या नहीं बस मुझे तो उसके वो गुलाबी होंठ चलते हुए नजर आ रहे थे। सच बोलूँ तो मैं नशे में था क्योंकि मैंने उसके होंठों का रस जो पी लिया था।

और एक बार फिर जब वो गुस्से से तमतमाई हुई मुझे खरी-खोटी सुना रही थी, तो मैंने एक बार फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

उसने मुझे फिर से पीछे हटाने की पूरी कोशिश तो की, पर मैंने उसके मुँह को जोर से पकड़ कर अपने होंठों से सटा रखा था।

कुछ देर बाद उसने विरोध करना बंद कर दिया और चुम्बन का मजा लेने लगी।

जब हम दोनों अलग हुए तो मैंने देखा उसके होंठों से खून आ रहा था और मेरे होंठों में अजीब से सनसनाहट सी दौड़ रही थी, जो काफी देर तक चली।

पता नहीं उसका चेहरा गुस्से से लाल था या फिर गर्मी से। जो भी हो, पर वो थोड़ा हँसते हुए वहाँ से चली गई।

पांचवें दिन जब मैं उसके सामने आया तो वो थोड़ी शरमा गई और मुझे कुछ नहीं बोली पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला- कल के लिए मुझे माफ कर दो।

उसने बोला- अगर माफ़ी ही मांगनी थी तो कल वो सब क्यों किया..!

मैं उसका इशारा समझ रहा था और उसी रात एक बजे फोन पर उसने मुझसे बोला कि वो एक बार फिर से उसी तरह छत पर मुझे ‘किस’ करना चाहती हैं और मैंने ‘हाँ’ कर दी।

छठे दिन मैं उसको फिर से ऑफिस की छत पर ले गया और उसको आँखें बंद करने को कहा उसने ऐसा ही किया। मैंने झट से उसका हाथ पकड़ा और अपनी पैंट के अन्दर ले गया, जहाँ उसका हाथ मेरे लोहे जैसे कड़क हो चुके लण्ड पर लग गया।

उसने अपनी आँखें खोल लीं और पैंट से अपना हाथ बाहर निकालने लगी, पर मैंने उसको ऐसा नहीं करने दिया और उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया।

कुछ देर तो वो विरोध करती रही, पर फिर उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपने हाथों में लिया और बोला- मैं तुम्हारा लण्ड तोड़ दूंगी..!

मैंने उससे कहा- जैसा तुम्हारा मन करे वैसा कर लो.. मेरा लण्ड तुम अपना ही समझो, जो तुम चाहो इस से करा सकती हो..!

उसका जवाब सुन कर तो मैं हैरान हो गया उसने बोला- ऐसे कैसे समझ लूँ.. पहले मुझे इसका टेस्ट लेना होगा..!

उसने मेरा लण्ड पैंट से बाहर निकाला और अपने मुँह में लेकर अपने दांतों से जोर से उस पर काटना शुरू कर दिया।

वो जोर से काटती ही चली गई और जब मेरे मुँह से चीख निकली, तब जाके उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाला और बोला- तुम्हारा लण्ड तो बहुत मजबूत है। तुम्हारा लण्ड.. टेस्ट में पास हो गया है..!

उस दिन उसने मुझसे बोला- कल मैं तुम्हारे रूम पर चलूँगी और बाकी के टेस्ट वहीं पर पूरे करूँगी। यह सुन कर तो मेर पप्पू फुफ़कारें मारने लगा।

7वें दिन वो मेरे कमरे पर आ गई। उस दिन उसका ‘वीक-ऑफ’ था और मैंने ऑफिस से छुट्टी मार ली थी।

वो मेरे पास आकर बैठ गई और उसने अपने हाथ में मेरा हाथ पकड़ लिया, उसने मेरा हाथ अपने चूचों पर रख दिया। मैं एकदम चकित रह गया, मेरे तो एकदम शरीर में आग सी लग गई।

फिर क्या था, मैं भूखे शेर की तरह उसके चूचे दबाने लगा और उन्हें सहलाने लगा।

मैंने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए, उन्हें खूब चूसने लगा और अपना एक हाथ नीचे से उसके टॉप में घुसा कर ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा।

मैं इतना सब कर रहा था और वर्तिका की साँसें तेज चल रही थीं, पर उसने अपनी आँखें नहीं खोली हुई थीं।

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसके गालों पर चुम्बन करते हुए उसके कान में कहा- मुझे पता है, तुम क्या चाहती हो…

मेरा इतना कहते ही उसने झट से आँखें खोल लीं और मुस्करा दी।

फिर मैं उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा और अब वो मेरा साथ देने लगी।

काफी देर तक हम दोनों एक-दूसरे को चूमते रहे, उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसका टॉप उतार दिया और फिर उसकी ब्रा भी उतार दी और उसकी चूचियों को चूसने-दबाने लगा।

मेरा ऐसा करने से वर्तिका पागल सी हो रही थी और बोल रही थी- सचिन… और करो.. खा जाओ मेरी इन चूचियों को…!

काफी देर उसकी चूचियों को चूसने के बाद मैंने अपनी शर्ट और लोअर भी उतार फेंका और उसके सामने खाली अंडरवियर में हो गया। फिर मैंने उसकी भी कैपरी उतार दी, अब वो भी मेरे सामने पैंटी में थी।

हम फिर से एक-दूसरे को चूमने लगे और मैं साथ-साथ उसकी चूचियों को भी दबा रहा था। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में जैसे ही घुसाया, तो मैंने महसूस किया कि उसकी पैंटी एकदम गीली थी।

मैं उसकी चूत को सहलाने लगा, फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो मेरे सामने एकदम नंगी थी। उसे बिना कपड़ों के देख कर मेरा पप्पू अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब था। तो मैंने झट से अपना अंडरवियर भी उतार दिया।

अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, मैंने झट से उसे अपने शरीर से चिपका लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसे लेटाया और उसकी चूत को चूमने लगा। मैं पहली बार सेक्स कर रहा था तो पहले मुझे थोड़ा अजीब सा लगा फिर मुझे भी मजा आने लगा और फिर मैं उसकी चूत को चाटने भी लगा।

और मेरा ऐसा करने से वर्तिका पागल सी होने लगी और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी और पागलों की तरह मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकालने लगी।

उसकी इन आवाजों से मुझे और जोश आने लगा और मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उससे अपना लण्ड को चूसने के लिए बोला। मैंने सोचा था कि वो मना कर देगी लेकिन उसने मना नहीं किया और मेरे लण्ड को चूसने लगी।

उफ्फ्फ्फ़… क्या मजा आ रहा था…!

‘तू तो एकदम मस्त चुसाई करती है… कहाँ से सीखा?’ वो चुपचाप चूसती रही…

अब उसने मेरे अण्डों को भी मुँह में डाल लिया और चूसने लगी…! ऐसा लग रहा था मानो वो गुलाब-जामुन को चूस रही है…!

मैंने अपना लण्ड फिर से उसके होंठों पर रख दिया और अपने लण्ड से उसके होंठ सहलाने लगा। उसने फिर मेरा लौड़ा मुँह में डाल लिया और ‘सुड़प…सुड़प…’ करके चूसने लगी ! उसके लण्ड चूसने के तरीके से लग रहा था कि वो पहले भी ये सब कर चुकी है।

थोड़ी देर लण्ड चूसने के बाद वो बोली- डार्लिंग, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, प्लीज़ जल्दी से अपना लण्ड मेरी इस चूत में घुसा दो।

मैंने भी देर ना करते हुए तुरंत उसे लेटाया और उसकी टांगों को फ़ैलाते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत पर टिका दिया और उसकी चूत पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा।

मेरे ऐसा करने से वो और पागल हुए जा रही थी, बोल रही थी- प्लीज़, जल्दी डालो अन्दर !

मैंने भी तुरंत एक जोर का झटका मारा और मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से जैसे ही आवाज निकलने को हुई, मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए जिससे उसकी आवाज मेरे मुँह में ही दबी रह गई। फिर मैं उसके होंठों को चूसने लगा। फिर मैंने एक ओर जोर का झटका मारा ओर मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।

वर्तिका का चेहरा दर्द के मारे एकदम लाल हो गया था।

फिर कुछ देर रुक कर मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिए। कुछ धक्कों के बाद वर्तिका का दर्द भी एकदम खत्म हो गया और अब वो नीचे से अपनी गांड उठा कर चुदाई में मेरा साथ देने लगी।

मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसे खूब जोर-जोर से चोदने लगा।

वर्तिका सिसकार रही थी- फाड़ डालो सचिन आज मेरी इस चूत को.. और जोर से सचिन..!

उसके मुँह से ऐसी आवाजें सुन कर मुझे और जोश चढ़ रहा था और मैं खूब जोर-जोर से उसे चोद रहा था।

करीब दस मिनट के बाद वर्तिका का शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ने लगी। मैं फिर भी कहाँ रुकने वाला था, मैं उसे तब भी चोदता रहा। करीब बीस मिनट के बाद मुझे भी लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए और जैसे ही मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँचा तो मैंने तुरंत अपना लण्ड बाहर निकाला और वर्तिका के मुँह पर रख दिया।

वो तुरंत मेरा सारा माल पी गई और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर एकदम साफ़ कर दिया।

मैं वहीं उसके पास लेट गया और फिर उस रात मैंने और वर्तिका ने दो बार और चुदाई की।

फिर जब तक मैं उस कम्पनी में रहा, मैं हर वीक-ऑफ को वर्तिका की चुदाई करता था।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी यह सच्ची कहानी? मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा। [email protected]

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