आज दिल खोल कर चुदूँगी -5

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उसने अपना लन्ड मेरे मुँह में से निकाला और बोला- बोल साली पहले रन्डी किधर डालूँ?

मैं बोली- आज तक मैंने अपनी गाण्ड एक ही बार मरवाई है, आज तू इसको दुबारा चोद दे।

वो बोला- चल मेरी रानी.. कुतिया बन जा।

तो मैं कुतिया की तरह उसके सामने अपनी गाण्ड खोल कर बैठ गई।

उसने ढेर सारा थूक लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया, फिर उसने अपना सुपारा मेरी गाण्ड के छेद पर टिकाया और एक जोर का धक्का मारा।

‘आईईइ..’ मैं जोर से चिल्लाई।

एक ही झटके में उसने अपना पूरा लन्ड मेरी गाण्ड के अन्दर डाल दिया।

मैं रोने लगी,’छोड़ दो मुझे.. आह्ह्ह्ह प्लीज़ उईईईइ.. मैं मर गई।’

वो मेरे चूतड़ों को धीरे-धीरे सहला रहा था। फिर उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और फिर एक और जोर का धक्का दे दिया।

मैं फिर चिल्लाई लेकिन इस बार वो नहीं रुका और धक्के पे धक्का मारने लगा।

मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं रो रही थी, लेकिन वो कमीना नहीं रुका और धक्के पे धक्का लगाता ही गया।

करीब 10 मिनट के बाद मेरा दर्द दूर हुआ।

मेरी गाण्ड में से ‘फ़चक… फ़चक…’ की आवाज आ रही थी।

आख़िरकार दुबारा मुझे मोटे लण्ड से गाण्ड मरवाने का सपना पूरा हुआ था।

अब मेरा दर्द पूरा गायब हो गया था और मुझे बड़ा मजा आने लगा था।

अब मैं मस्ती में चिल्ला रही थी- आह्ह्ह्ह्ह.. मेरे राजा.. फाड़ दे मेरी गाण्ड को.. आहहहह और जोर से आहहहह… मुझे अपनी रन्डी की तरह चोद..उईईईईईई…

तभी उसने अपना लन्ड मेरी गाण्ड में से निकाला और मेरे नीचे आ गया।

मैं समझ गई और उसके ऊपर चढ़ गई, मैंने उसका लन्ड पकड़ लिया और अपनी गाण्ड के छेद पे सैट कर लिया और धक्का दिया।

इस बार उसका लौड़ा बड़े आराम से मेरी गाण्ड के अन्दर चला गया।

अब मैं उसके लन्ड के ऊपर मेरी गाण्ड पटक-पटक कर चुदने लगी। वो भी नीचे से धक्के मार रहा था।

‘फ़चक… फ़चक’ पूरे कमरे में यही आवाज आ रही थी।

मुझे उसकी रन्डी बन कर बहुत मजा आ रहा था।

वो मेरी गाण्ड फाड़ता रहा।

फिर जय बोला- रानी मैं झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?

मैंने कहा- मेरी गाण्ड में ही छोड़ दो।

तो वो जोर-जोर से धक्के मारते-मारते मेरी गाण्ड के अन्दर ही झड़ गया।

फिर मैं उठी और जय के लण्ड को रूमाल से साफ किया फिर अपनी चूत पोंछी। जय के वीर्य से रूमाल पूरा भीग गया था।

वो बोला- तुम थोड़ा आराम कर लो। उसके बाद चूत मारूँगा.. चुदोगी न।

मैं बोली- ऐसे लवड़े से कौन नहीं चुदना चाहेगा.. मेरे जयदीप आज में तेरी रन्डी हूँ.. तू जैसे चाहे मुझे चोद ले।

मेरी ब्रा-पैन्टी तो पहले ही फट चुकी थी। मै वैसे ही नाईटी पहन कर जय के बगल में जा लेटी।

जय भी कपड़े पहन चुका था और उसने फोन करके काफी के लिए बोला।

फिर हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर घन्टी बजी।

जय ने दरवाजा खोला, वेटर काफी ले आया था।

काफी और सिगरेट रख बोला- सर कुछ और? जय बोला- नहीं.. जाओ।

वो चला गया।

जय सोफे पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा और मुझे भी सोफे पर बुला लिया।

मैं जय से सट कर बैठ काफी पीने लगी। कुछ देर बाद जय बोला- चुदोगी.. तैयार हो?

मै बोली- बिल्कुल.. आप का साथ देने को तैयार हूँ।

मुझे बाँहों में लेकर बोला- बहुत हसीन दिख रही हो रानी।

मैंने उसके गले में बाहें डालते हुए उसके होंठों पर होंठ रखते हुए जयदीप के होंठ पीने लगी।

तभी जय ने मेरी नाईटी खोल दी और मेरे मम्मे दबाने लगा। मैं ‘सी..सी’ कर रही थी।

वो मेरा निप्पल चूसने लगा और मैं गर्म होने लगी।

फिर जय ने नाईटी उतार फेंकी, मैं जयदीप के सामने नंगी होकर बिस्तर पर लहराने लगी।

‘हाय मेरी जान नेहा.. बहुत मस्त माल हो.. जी चाहता है.. कच्चा खा जाऊँ’ मेरी चूची चूसते और चाटते हुए नीचे की तरफ जाने लगा। मेरा बदन वासना से जलने लगा। ऐसे कामुक अंदाज़ कभी नहीं अपनाए थे, किसी ने मेरे बदन पर ऐसे खेल नहीं खेला था।

जब जय ने मेरी नाभि चाटी, मैं कूल्हे उठाने लगी।

उसने मेरी चूत के पास अपनी जीभ घुमाई और बोला- वाह.. कितनी प्यारी फ़ुद्दी है.. कितनी चिकनी की हुई है।

वो मेरी फ़ुद्दी चाटने लगा तो मुझे लगा कि मैं वैसे ही झड़ जाऊँगी, पर मैंने उसको नहीं रोका।

वो मुझे उल्टा लिटा कर मेरे पीठ कमर और चूतड़ों को चाटने लगा।

मैं वासना से सिसकार उठी, ऐसे मर्द के साथ पहली बार थी जो औरत को इतना सुख देता हो।

अब वो अपना मोटा लंड मेरे होंठों पर फिरा कर बोला- चल अब लौड़ा चाट।

मैं भी पूरी रंडी बन कर दिखाना चाहती थी।

उसकी आँखों में देखते हुए मैं नीचे से उसके लौड़े को जुबान से चाटते हुए सुपारे तक गई, वहाँ से जीभ घुमा कर लौड़ा चूसा।

‘हाय मेरी रानी.. मजे से चाट-चूम.. जो तेरा दिल आए कर.. इसके साथ।’

उसका आठ इंची लौड़ा सलामी दे देकर मेरे अरमान जगा रहा था। मैं खूब खेल रही थी।

फ़िर बोला- चल एक साथ करते हैं।

69 में आकर मैं उसके लौड़े को चूसने लगी, वो मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगा।

उंगली से फैला कर दाने को रगड़ते हुए बोला- वैसे काफी ठुकवाई है तुमने।

‘आपको किसने कह दिया जनाब?’

‘तेरी फ़ुद्दी बोल रही है..हम भी बहुत बड़े शिकारी हैं नेहा रानी।’

मैं कुछ बोलने के बजाय मुस्कुरा दी, कुछ देर एक-दूजे के अंगों को चूमते रहे। फिर जय ने मेरी टांगें उठा दीं और अपने मोटे लौड़े को धीरे-धीरे से चूत में घुसेड़ने लगा।

मुझे सच में दर्द हुआ, काफी मोटा था।

‘कैसी लगी फ़ुद्दी? खुली या सही?’

‘नहीं.. नहीं..सही है रानी।’

उसने एकदम से पूरा झटका दिया, मेरी सिसकारी निकल गई- आ आऊ ऊऊऊउ छ्हह्ह्ह।

वो जोर जोर से पेलने लगा, मैं सिसक सिसक कर उसका पूरा साथ दे रही थी।

जयदीप ने मेरी टांगों को हाथों में पकड़ लिया और वार पर वार करने लगा। इससे पूरा लौड़ा घुसता था। कभी मुझे घोड़ी बनाता, कभी टांगें उठा-उठा कर मेरी लेता रहा।

बहुत देर बाद जब उसका निकलने वाला था तो उसने पूछा- कहाँ निकालूँ रानी.. जल्दी बोलो?

मैं बोली- रुको मत.. जो करना है..करो मेरे राजा.. हाय.. जोर-जोर से करो ना..।

उसने अपना पूरा बीज मेरे पेट में बो दिया, मैंने उसका गीला लौड़ा चाट-चाट कर पूरा साफ़ कर डाला।

‘मजा आया..?’

‘हाँ.. बहुत मुझे आज तक किसी ने नहीं ऐसा नहीं चोदा था।’

‘बहुत मस्त माल है तू.. नेहा मुझे बहुत पसंद आई.. तेरे चूतड़ बहुत मस्त हैं।’ मेरी गाण्ड पर थपकी लगाते हुए बोला।

एकदम से दोनों चूतड़ फैला कर गाण्ड देखने लगा, ‘इसमें भी एक बार फिर से करने का मन है।’

‘आपको जो ठीक लगा.. करो, आज मैं सिर्फ आप की हूँ।’

उसने मेरे चूतड़ों को थपकी देते हुए फैलाया, छेद पर थूका और पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया।

उसका लौड़ा फिर से खड़ा था।

उसने जोर से लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और पेलने लगा।

‘हाय फट गई मेरी.. मत करो।’

लेकिन उसने पूरी मर्दानगी मेरी गाण्ड पर उतार दी.. जोर-जोर से गाण्ड मारी और झड़ गया।

पूरी रात जयदीप ने मुझे जम कर चोदा और मेरे बदन का पोर-पोर हिला दिया, मेरा अंग-अंग ढीला कर दिया।

फिर मुझे नींद आ गई। मुझे पता ही न चला कि कब सुबह के 6:30 बज गए।

सुनील मुझे लेने आया था, तब पता चला। मैं उठी गुसलखाने जाकर फ्रेश हो कर बाहर आई।

सुनील ने पूछा- रात कैसी थी?

मैं क्या कहती.. बस ‘हँस’ दी।

आप से उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी कहानी अच्छी लग रही होगी। यह मेरे जीवन की सच्ची कहानी है और अभी भी मेरे जीवन की धारा बह रही है, मैं आपसे बार-बार मुखातिब होती रहूँगी।

आपके प्यार से भरे ईमेल के इन्तजार में मैं आपकी नेहा रानी।

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