आज दिल खोल कर चुदूँगी-3

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मेरी इस कहानी के पिछले दो भागों में आपने पढ़ा था कि किस तरह मेरे पति ने मुझे रण्डी बना दिया जिसमें मेरी भी सहमति थी।

मेरे पति खाना लेकर आ गए फिर हम दोनों ने खाना खा सोने के लिए बिस्तर पर गए तो मेरे पति ने पूछा- क्यों.. बड़ी चुप हो नेहा..?

तो मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली- बीवी को किसी और को देकर चले गए इतना भी ना सोचा कि वह जोर-जबरदस्ती करता तो मैं क्या करती, मुझे डर लग रहा था।

पति बोले- यार डरने की कोई बात नहीं है, हम तो थे ना और सुनील भी तो मेरे साथ ही था।

ये सब बात करते-करते हम दोनों सो गए।

सुबह सुनील कब आया.. पता ही नहीं चला, सुनील के जगाने पर ही नींद खुली।

फिर मैं फ्रेश होने बाथरूम में चली गई।

मैं बाथरूम से निकली तो सुनील बोला- आकाश तुम फ्रेश हो लो भाई.. मैं आप लोगों के लिए चाय लाता हूँ।

सुनील के चाय लेकर आते ही आकाश यानि मेरा पति भी फ्रेश हो चुका था।

सुनील चाय लेकर भी आ गए फिर हम तीनों ने साथ बैठ कर चाय पी।

सुनील बोला- करीब एक घंटे में मेरे एक मित्र आने वाले हैं, नेहा तुम तैयार हो जाओ।

यह बोलकर सुनील चला गया, फिर मैंने तैयार हो कर जीन्स-टॉप पहन लिया।

सुनील के कहे अनुसार करीब एक घंटे में एक आदमी के साथ सुनील आ गया।

हम लोगों से परिचय करवाते हुए सुनील बोले- यह मेरे खास मेहमान राज शर्मा हैं और राज यह आकाश है और यह नेहा है।

मैं बोली- प्यार से रानी।

सभी हँस दिए।

सुनील बोले- नेहा.. राज भाई का थोड़ा मूड फ्रेश करो… यह तुमको देखने के लिए बेताब थे।

मैं बोली- राज जी.. आपका स्वागत है।

तभी सुनील बोले- आप लोग एन्जॉय करो मैं और आकाश चलते हैं।

उन लोगों के जाने के बाद दरवाजा अन्दर से बंद करके मैं राज के पास आ गई।

राज जी बोले- नेहा तुम्हारी चर्चा जब से सुनी है.. तभी से तुमको पाने की चाहत थी.. आज तुम इन चार घंटों के लिए मेरी रानी बन जाओ।

मैं राज से बोली- जो हुकुम मेरे आका।

राज हँस दिए और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा। मैं कटी पतंग की तरह राज की गोद में जा गिरी।

राज मेरी तरफ एकटक देखने लगे और मैंने कातिल अदा से कहा- कभी आपने लौंडिया नहीं देखी।

वो मुस्कुराने लगे और बोले- बहुत देखी हैं लेकिन आपके जैसी मस्त परी नहीं देखी.. जिसको भी आपका ये रसीला जिस्म मिला होगा वो मर्द भी कितना खुशनसीब होगा।

मैं भी चुटकी लेते हुए बोली- चलिए आज आपको भी मैं नसीब वाला बना देती हूँ।

मैंने देखा कि उनका पजामा तना हुआ था और वो एकटक मेरी फूली हुई चूचियों को निहार रहे थे। मेरी चूत की प्यास भी तेज होने लगी और मेरे मम्मे मसलवाने के लिए मचलने लगे। मैंने जानबूझ कर एक भरपूर अंगड़ाई ली और उनके बिस्तर से उठने का नाटक करने लगी।

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया। वो बिस्तर पर लेटे हुए थे और मैं जानबूझ कर उनके ऊपर गिर पड़ी। मेरे बड़े-बड़े मम्मे उनकी मजबूत चौड़ी छाती में दब गए और उन्होंने मुझे ऊपर से जकड़ लिया। अपने तप्त होंठों को मेरे नाजुक होंठों पर कसकर रसपान करने लगे।

मैं उनकी मजबूत बाँहों में कसमसाते हुए बोली- मैं आपकी बीवी नहीं हूँ।

तो वो मेरा टॉप उतारते हुए बोले- बन जाओ न.. कुछ समय के लिए।

मैं बोली- बीवी बनूँगी तो मजा नहीं आएगा।

मैं उनके ऊपर अपना सारा बोझ डाले हुए थी, उनका लंड मेरी दोनों जाँघों के बीच गड़ रहा था। मैं अपनी दोनों चूचियों को उनके सीने पे रगड़ने लगी, मु्झ पर भी चुदाई की खुमारी छाने लगी थी और मेरी दोनों चूचियाँ कठोर होने लगीं।

मैंने कहा- आज मुझे जी भर करके चोदो, मेरी चूत बहुत दिनों से लंड का दीदार करने के लिए तड़प रही है.. इसकी तड़प शान्त कर दो प्लीज।

राज ने मेरे चूचुकों को अपनी चुटकी में भर कर मसल दिया।

मैंने सिसकारी लेते हुए पूछा- क्या आप की बीवी अच्छे से नहीं चुदती?

तो बोले- एक ही चूत में पेलते-पेलते बोर हो गया हूँ और वैसे भी आपकी तुलना में तो वो जीरो है।

मुझ पर नशा छा रहा था और मैं अपनी फूली हुई बड़ी-बड़ी छातियों को उनके छाती पर रगड़ने लगी।

मैंने कहा- आज आप मुझे इतना चोदो कि मुझे आपकी चुदाई हमेशा याद रहे।

तो वो बोले- आपके इस गदराए जिस्म को मैं भी कहाँ भूल पाऊँगा.. आपको कौन मर्द नहीं चोदना चाहेगा.. आपको चोदकर तो मैं निहाल हो जाऊँगा।

उन्होंने अपनी हाथों का दबाव और बढ़ा दिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।

अब हम दोनों ही अपने आपे में नहीं थे। उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया और फिर मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगे। मेरे मम्मों को मसलते-मसलते कहने लगे- रानी, आज तो मैं इन्हें पूरी तरह चबा जाऊँगा।

वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर उसका दूध पीने लगे और मेरी मक्खनी चूचियों में अपने दांत गड़ाने लगे।

उन्होंने मेरी जीन्स निकाल दी और अब मेरे शरीर पर केवल एक पैन्टी थी।

मैंने भी उनके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और उनका अंडरवियर भी उतार कर उनके काले फ़नफ़नाते लंड को आजाद कर दिया।

बाहर आते ही उनका मोटा लंड तन कर खड़ा हो गया और उसे मैं अपने दोनों हाथों से पकड़ कर सहलाने लगी।

उनके मुँह से सिसकारी निकलने लगी। करीब दो मिनट तक सहलाने के बाद मैंने उनका लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

उनका लंड बहुत बड़ा था और जितने लौड़ों से मैं अभी तक चुदवा चुकी हूँ उन सबसे शायद अब तक का सबसे बड़ा लौड़ा था।

मैंने कहा- इतने बड़े लंड को मेरी मुलायम सी चूत कैसे झेलेगी.. पता नहीं दीदी की चूत का क्या हाल हुआ होगा।

तो उन्होंने कहा- जरा सब्र करो रानी, एक बार चुदवाने के बाद आपको कोइ दूसरा लंड पसन्द नहीं आएगा।

काफी देर तक लंड को चूसने के बाद मैंने अपने चूचियों को उनके मुँह के हवाले कर दिया और वो बेकरारी से उन्हें चूसने लगे और हौले-हौले कट्टू करने लगे और उँगलियों को मेरी पैन्टी के अन्दर डालकर ऊपर-नीचे करने लगे।

मैं अब बहुत गरम हो चुकी थी मैंने उनसे जल्दी चोदने के लिए कहा।

मैं उनके नीचे आ गई और वो मेरे ऊपर चढ़ गए और फिर मेरी पैंटी उतार फेंकी। मैंने उनके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर टिकाया, उन्होंने एक झटका दिया और मेरी चिकनी बुर में उन्होंने अपने बड़े से लण्ड का सुपारा पेल दिया और झटके पे झटके देने लगे। मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मेरी चूत चुदवाते-चुदवाते काफी फ़ैल चुकी थी। उन्होंने मेरी दोनों जाँघों को उठाकर चोदना शुरु कर दिया। उनका काला मोटा लंड मेरी बुर में घुसने-निकलने लगा और मुझे अपूर्व आनन्द की प्राप्ति होने लगी।

सचमुच चुदवाने में कितना आनन्द आता है, मैं बता नहीं सकती और अगर आपको मोटा-ताजा, लम्बा और कठोर लण्ड मिल जाए तो वो आनन्द दुगुना हो जाता है।

उनके लण्ड में ये सारी खूबियां थीं।

मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं आप सबको बता नहीं सकती।

मैं उनसे कहने लगी- राज आपके इस मोटे काले लंड का सचमुच कोई जबाब नहीं।

उन्होंने मुझे नए-नए आसनों में चोदना शुरु किया और मैं आनन्द के मारे ‘उई-उई’ करने लगी।

एक साथ बुर और चूची का मजा लेने के लिए वो मेरे ऊपर छा गए, उनका लण्ड मेरी बुर में धंसा हुआ था, वो एक हाथ मेरे एक मम्मे को नोंच रहे थे और मेरे दूसरे मम्मे को मुँह लेकर से चूसे जा रहे थे, साथ ही अपने चूतड़ को उछाल-उछाल कर बुर को पेले भी जा रहे थे।

मैंने कहा- वाह राज जी.. आपको तो लड़की चोदने का पूरा अनुभव है… मैं तो आपकी चुदाई की कायल हो गई।

तो उन्होंने कहा- मैं भी आपकी बुर और इन मुलायम रस भरी चूचियों का दीवाना हो चुका हूँ… अब बिना आपको चोदे बिना कैसे रहूँगा।

‘मेरी चूत चोदने आते रहिएगा…’ मैं हँसने लगी।

वो भी हँसने लगे।

वो फिर से मेरी चुदाई पर ध्यान देने लगे।

मैंने कहा- जोर-जोर से चोदिए न राज जी.. मेरी बुर बहुत प्यासी है इसकी आग ऐसे शान्त नहीं होगी। उन्होंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी और जोर-जोर से लौड़े को अन्दर-बाहर करने के साथ ही अपने लंड को मेरी प्यासी चूत में धकेलने लगे और मैं चिल्लाने लगी- हाँ.. ऐसे ही.. आह..आह उई.. माँ.. मर गई.. आह चोदते रहिए.. बिल्कुल ऐसे ही आह.. राज जी आह..।

अपने दोनों हाथों से मैं अपनी चूचियाँ मसलने लगी और वो मेरी चुदाई करते रहे। मुझे चुदवाने में इतना मजा पहले कभी नहीं आया था।

उन्होंने मुझे जी भरके चोदा और अन्त में अपना सारा वीर्य मेरी चूत में डाल दिया। कहने लगे- शायद आज मेरा लंड इतनी मस्त बुर को चोद कर पहली बार संतुष्ट हुआ है।

यह कहते राज मेरे ऊपर से उठ गए फिर मैं उठकर बाथरूम गई और जब वहाँ से निकली तो राज जी नंगे ही बैठे थे। मैं बोली- क्या इरादा है जनाब का?

तो बोले- यार तुम साथ दो.. तो एक बार फिर महफिल जमाएँ!

मैं बोली- आपकी इच्छा है।

बोले- यार तू चीज ही ऐसी है कि मन मानता ही नहीं.. यह लो 1000 का नोट रख लो.. मेरी तरफ से अलग से…

मैं उनकी बात मान कर बोली- आज तो आप भी मुझे खुश कर दिया है, इस लिए मैं ये पैसे नहीं लूँगी।

फिर राज ने जबरन मुझे रूपए दे दिए और अगले दिन आने के लिए कहा फिर वे बाथरूम में चले गए।

तब तक मैं कपड़े पहन तैयार हो गई। राज बाथरूम से निकले और तैयार हुए फिर उन्होंने सुनील को फ़ोन लगा कर बोला- यार कहाँ चले गए.. आ जाओ।

फ़िर राज मुझसे बात करने लगे।

आपसे उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी कहानी अच्छी लग रही होगी। यह मेरे जीवन की सच्ची कहानी है और अभी भी मेरे जीवन की धारा बह रही है, मैं आपसे बार-बार मुखातिब होती रहूँगी।

आपके प्यार से भरे ईमेल के इन्तजार में मैं आपकी नेहा रानी।

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