मदहोशी भरे वो पल-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

Madhoshi Bhare Vo Pal-1 अन्तर्वासना के सभी पाठको को ‘अमन’ का नमस्कार! मेरा नाम अमन गर्ग है, मैं देहली का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 27 साल है, जिन्दगी को बड़ी सरलता से जीना पसंद करता हूँ मैं।

मैं अन्तर्वासना पर नियमित पाठक हूँ पर मुझे कभी रचना भेजने का माध्यम नहीं मिला। मैं बस रचनाएँ पढ़ता और सोचता था कि मैं भी अपनी जिन्दगी की दास्तान शेयर करूँ।

आज एक कोशिश की है, शायद आपको पसन्द आएगी। यह मेरे जीवन की हकीकत है जो मैं आपको एक रचना के माध्यम से पेश कर रहा हूँ।

यह घटना आज से 5 साल पहले की है जब मैंने एक टेलिकॉम कम्पनी ज्वाइन की, पहली जॉब थी तो थोड़ा नर्वस भी था। मेरी जॉब एक टेलिकॉम कम्पनी में थी जिसमें मैं कस्टमर केयर का हेड था। जॉब का पहला दिन और ऊपर से हिचकिचाहट बहुत ज्यादा हो रही थी पर जैसे तैसे कर मैंने अपना पहला दिन पूरा किया।

कॉलेज की लाइफ में लड़कियों से दूर रहा क्यूंकि बॉयज कॉलेज से मेरी शिक्षा हुई है और उस वक्त पढ़ाई ज्यादा जरूरी थी। पर जॉब पर आने के बाद देखा यहाँ तो लड़कियाँ ही लड़कियाँ हैं चारों ओर तो थोड़ी शर्म और झिझक भी थी। धीरे धीरे सब सामान्य होने लगा। मेरे ऑफ़िस में मेरे नीचे बहुत सी लड़कियाँ काम करती थी, उन्हीं में से एक थी अपूर्वा शर्मा (नाम बदला हुआ है) बहुत ही हंसमुख थी वो और शरारती भी! पर उसकी नजरें बार बार मेरे को निहारती थी। मुझे अजीब लगता था और डर भी कहीं फंस ना जाऊँ और कहीं जॉब ना चली जाए।

पर कहते हैं ना जब जो होना होता है, होकर रहता है। एक दिन मैं ऑफ़िस आया तो देखा अपूर्वा रोज की तरह हंस नहीं रही थी बल्कि थोड़ी नर्वस थी।

मैंने हिम्मत की और उसे अपने पास बुलाया, पूछा- क्या बात हैं आज तुम्हारी हंसी कहाँ गई?

वो चुप खड़ी रही और उसकी आँखों में आंसू आ गये।

मैंने उस पर जोर दिया- बोल, क्या बात है?

तो उसने बताया- सर, मम्मी की तबियत खराब है बहुत ज्यादा… और मैंने छुट्टी ली तो जॉब से निकाल देंगे। और मुझे इस वक्त पैसों की सख्त जरूरत है।

मैंने कहा- तो रो क्यों रही है? पहले आँसू पौंछ और चेहरे पर थोड़ी स्माइल ला।

वो बोली- सर, कहाँ से लाऊँ हंसी मैं… मेरी लाइफ में कुछ अच्छा नहीं है, जो हंसती हूँ वो भी सिर्फ दिखावे की हंसी है।

मैंने कहा- चल बाहर कैंटीन में चलते हैं, वही बात करते हैं।

हम दोनों बाहर आ गये। मैं उनका हेड था तो मुझे कोई कुछ कह नहीं सकता और उसे मेरे सिवा कौन कुछ कहता क्यूंकि उनका हेड मैं ही था।

हम दोनों कैंटीन में आकर बैठ गये। मैंने बैठते ही कहा- तुम छुट्टी ले लो कुछ दिन की और अपनी मम्मी का ध्यान रखो।

तो बोली- सर जॉब चली जाएगी मेरी।

मैंने कहा- मैं हूँ ना ! अगर चली भी गई तो नई मिल जाएगी।

‘वो भी सर नहीं मिली तो मेरे घर में गरीबी का आसमान टूट पड़ेगा।’

मैंने उसे दिलासा दिलाया और कहा- मैं हूँ ना, विश्वास कर। मैंने उसके हाथ पर हाथ रखा।

वो मेरी बात से सहमत हुई।

फिर मैंने कहा- चल तुम्हारे घर चलते हैं शाम को, तुम्हारी मम्मी से भी मिल लूँगा और तुम्हारा घर भी देख लूँगा।

पता नहीं कब मैं अपूर्वा को चाहने लगा था, उसके लिए मेरे मन में कोई गलत भावना नहीं थी।

शाम को मैं उसके घर आया और उसकी मम्मी से मिला। वो बिस्तर पर लेटी हुई थी।

मैंने अपूर्वा से पूछा- इन्हें प्रोब्लम क्या है?

तो उसने कहा- सर, डॉक्टर ने कैंसर बताया है।

मैंने कहा- कहाँ दिखाया?

तो अपूर्वा बोली- सर दिखाया तो पर हमारे पास इतना पैसा नहीं हैं कि मैं माँ की किमियो थेरेपी भी करवा पाऊँ।

बस यह कहकर वो रोने लगी।

मैंने कहा- रो मत।

मेरे अंदर इंसानियत थी, मैंने कहा- मैं तुम्हें पैसे दे दूँगा, तुम अपनी मम्मी का इलाज करवा लो और जब स्वस्थ हो जाएँ तब ऑफ़िस आ जाना। मैं सब सम्भाल लूँगा।

मैंने उसे कहा- कल तुझे बीस हजार रुपये दे दूंगा। और फिर जितने चाहिएँ, मुझसे ले लेना, बस रोना मत।

मेरे दिल में अपूर्वा के लिए प्यार और ऊपर से इंसानियत जाग गई।

धीरे धीरे में अपूर्वा को दो लाख रुपये दे चुका था और दो महीने भी कैसे बीत गए पता ही नहीं लगा।

हमारे बीच कुछ नहीं था।

एक दिन उसने फ़ोन किया- सर, मुझे आपका घर देखना है, मैं आपसे मिल सकती हूँ?

मैंने कहा- जरूर आ जाओ। मैंने उसे अपना पता दिया और कहा- शाम को आना या फिर रविवार को।

उसने कहा- सर रविवार को ही आऊँगी।

दो दिन बाद रविवार को वो मेरे घर आई। उस दिन वो बहुत अलग दिख रही थी, बहुत ज्यादा सज संवर कर आई थी, ऐसा लग रहा था कोई हिरोइन हो। लग नहीं रहा था यह वही गरीब अपूर्वा है?

उसे देखकर मेरे जिस्म में आग सी लगने लगी, उसे आज तक मैंने गलत नजर से नहीं देखा पर उस वक्त मैं उसे देख कर खुद के होश गंवा बैठा। वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी उस दिन, जो कपड़े पहने थे वो बहुत कसे हुए थे, इससे उसके उरोज बहुत ज्यादा उभरे लग रहे थे। देखने से लग रहा था कि उसके बूब्ज़ का आकार 32 या 34 होगा।

और उसका फिगर क्या बताऊँ, देखकर मेरा तो सब कुछ हिल चुका था, उसकी कमर 30 थी।

मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा, और मैंने कहा- मैं नहा लेता हूँ तब तक तुम इंतज़ार करो।

उसने कहा- सर, बाद में नहा लेना, अभी बैठ जाओ।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं उस वक्त पजामे और टीशर्ट में था।

वो मेरे सामने बैठी थी और मेरी नजर बार बार उसे देख रही थी।

मैंने उसे कहा- चल कुछ खाने को बना लाता हूँ।

तो उसने कहा- चलो सर, मैं आपकी मदद कर देती हूँ।

मैंने कहा- ठीक है।

हम दोनों रसोई में आ गए। वो बार बार मेरे से छू रही थी, छू वो रही थी और यहाँ वाइब्रेशन हो रहा था।

मेरा लण्ड एकदम तम्बू की तरह खड़ा हो गया था अब मैं बार बार उसे छुपा रहा था, सोच रहा था कि यह देख लेगी तो गलत समझेगी पर शायद उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ चुकी थी इसलिए बार बार मेरी तरफ स्माइल दे रही थी।

वो अब जानबूझकर और मेरे पास आ रही थी पर मेरी हालत ख़राब हो रही थी।

दोस्तो, मेरा लण्ड 6 इंच का है, मैं झूठ नहीं बोल सकता कि मेरा लण्ड 8 इंच का है, या 9 इंच का है क्यूंकि लण्ड 6 से 7 इंच का ही होता है, इससे बड़ा लण्ड सिर्फ अफ़्रीकी देशों में पाया जाता है। मेरा लण्ड पर किसी से कम नहीं हैं पर उस वक्त मेरी हालत एकदम ख़राब हो रही थी इसलिए लण्ड पर गुस्सा आ रहा था कि कमबख्त हर जगह खड़ा हो जाता है, माहौल भी नहीं देखता।

अपूर्वा ने मेरे कान में कहा- सर बाथरूम जा आइये, कब तक बेचारे को परेशान करोगे? कहानी जारी रहेगी। मेरी कहानी पर अपनी राय मुझे जरूर मेल करें।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000