वो मदहोशी वाली रात

प्रेषक : आकाश अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम आकाश है, देहरादून का रहने वाला हूँ। मैं जामिया विश्वविद्यालय दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई कर रहा हूँ मेरी उम्र 22 साल है। कद 5 फुट 10 इन्च है। दिखने में स्मार्ट और आकर्षक हूँ। मैं आपको अपनी ज़िंदगी की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरे माता-पिता दोनों ही डॉक्टर हैं। हमारा देहरादून दो मंजिल का घर है। उनका क्लीनिक नीचे वाली मंजिल पर है। यह बात एक साल पहले की है जब मैं छुट्टी में घर आया हुआ था। घर में एक नई नौकरानी आई थी, उसका नाम कुसुम था। वो लगभग 20 साल की रही होगी। वो दिन में खाना बनाती थी और रात को अपने घर चली जाती थी। दिखने में वह एकदम ‘माल’ थी। उसका फ़िगर 36-25-36 और गोरा रंग था। उसके स्तन काफी बड़े और आकर्षक थे। पिछाड़ी एकदम गोल और मस्त कर देने वाली थी। मैं जब भी उसे देखता था तो मेरे मन में हमेशा उसे चोदने का ख्याल आता। मैं छुट्टियों में जब घर आया तो मम्मी ने बताया कि यह कल ही आई है। थोड़ी देर बाद मम्मी नीचे क्लीनिक में चली गई। कुसुम ने आकर मुझे पानी दिया। जब वह पानी दे रही थी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, वो हल्की सी मुस्कुराई और हाथ छुड़ा कर चली गई। मैंने सोचा कि यह तो शायद आसानी से ठुकवा सकती है। दिन में मम्मी और पापा दोनों नीचे क्लीनिक पर चले जाते थे और ऊपर घर में मैं अकेला रहता था। 1-2 दिन तक तो कुछ नहीं हुआ, पर तीसरे दिन मैं उसे रसोई में जाकर उसे सैट करने की कोशिश करने लगा। मैंने उससे बस बातें शुरु की। एक बार मैंने बातें करते हुए उसके चूतड़ पर हाथ फेर दिया। उसने कुछ नहीं कहा। मेरी समझ में आ गया कि यह भी चुदना चाहती है। इसके बाद मेरी हिम्मत और बढ़ गई। फिर मैंने धीरे-धीरे उसके चूचों पर हाथ पहुँचाया और फ़िर उनको दबाना शुरु किया। जैसे ही मैंने उसके चूचे दबाए मेरे शरीर में मानो एक करंट सा दौड़ गया। वो भी पूरे मजे लेने लगी। फिर मैंने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया और उसकी चूत को अपनी ऊँगली से सहलाने लगा। अब मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। मैंने उसे चोदने का पूरा मन बना लिया था, पर मेरे साथ एक परेशानी थी। क्लिनिक नीचे होने के कारण मैं कभी यह रिस्क नहीं ले सकता था। कोई भी ऊपर आ सकता था। किचन में चूचे दबाना तो हो जाता पर मैं चोद नहीं सकता था इसलिये मैंने तब कुछ नहीं किया। मैं उसे चोदने के लिये हर उपाय सोचने लगा। बाहर कोई कमरे का इंतजाम करने लगा। मेरे सर पर तो बस उसे चोदने का भूत सवार था। एक दिन मैं घर पर था तो पापा बोले कि वो और मम्मी 3 दिन के लिये चंडीगढ़ एक कॉन्फ्रेंस में जा रहे हैं। मम्मी ने मुझे कहा- तुम घर का ध्यान रखना और कुसुम आकर खाना बना दिया करेगी। इस बात को सुन कर मानो मेरा रोम-रोम खिल उठा हो। अब तो मैं कुसुम को घर पर ही चोद सकता था। अगली सुबह दोनों चंडीगढ़ के लिये निकल गए। दोपहर को जब कुसुम आई तो उसने गुलाबी सूट पहन रखा था। उस सूट में वो एकदम गुलाब का फूल लग रही थी। उसने कहा- मैं अपने घर पर आज रात यहीं रुकने की कह कर आई हूँ। बस फिर क्या था, उस दिन की रात तो मदहोशी की रात होने वाली थी। रात के करीब 8 बजे वो मेरे बैडरूम में आई। मैं अपने पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने शुरु किए। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने उसे मेरे कपड़े उतारने को कहा। अब हम दोनों सिर्फ़ अन्त:वस्त्रों में थे। मैंने फिर उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। मैं थोड़ी देर तक उसके नंगे शरीर को निहारता रहा। उसकी उठी हुई पिछाड़ी देख कर तो मेरा मन मचल उठा। उसकी चूत एकदम साफ़ थी। मैंने पहले मेरा लौड़ा उसे अपने मुँह में लेने को कहा। पहले तो मुझे लगा कि शायद वो मना कर देगी पर उसने मेरा लौड़ा चूसना शुरू कर दिया। वो सुपारे से लेकर पूरे लंड तक बड़े प्यार से जीभ फिरा रही थी। लगभग 10 मिनट तक वो मेरा लौड़ा चूस कर मुझे मजे देती रही। मैं उसे चोदने से पहले पूरा गर्म कर देना चाहता था। मैंने उसके शरीर पर हाथ फेरना शुरु कर दिया। पहले उसकी गर्दन पर हाथ फेरा। फिर सीने शुरु कर नीचे तक हाथ फेरा। फिर मैंने उसके स्तन दबाने शुरु कर दिये। क्या बताऊँ कितना मजा आ रहा था…! फ़िर मैंने उसके चूचों को चूसना और दबाना शुरू किया। उसके चूचुकों पर जीभ फिराई। थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरु कर दिया। उसकी चूत बहुत ही कोमल थी। फ़िर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया। जब मैं उसकी चूत चाट रहा था तो उसकी मादक चीत्कारें ‘इस्सस… आआह्ह्ह.. उम्म’ निकलने लग गई। अब वो गर्म होने लगी थी। फिर मैंने उसे ऊँगली से चोदना शुरु किया। कुछ देर बाद उसकी चूत गीली हो गई। अब वो पूरी तरह से चुदने को तैयार थी। मेरा 7 इंच का लौड़ा उसकी चूत मारने को पूरा तैयार था। वो चुदने को एकदम बेताब हो रही थी। पहले मैंने उसकी चूत पर अपना लौड़ा रगड़ना शुरु किया। फ़िर मैंने अपना लौड़ा पूरा उसकी चूत में ठूँस दिया। ऐसा लग रहा था कि शायद वो पहले भी चुद चुकी है.. पर मुझे क्या ! मुझे तो बस अपनी हवस मिटाने से मतलब था। मैं धक्के लगाए जा रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मुझे चोदते समय स्वर्ग की अनुभूति हो रही थी। मैंने लगभग 5 मिनट तक उसे सामान्य ‘मिशनरी’ पोजीशन में चोदा.. फ़िर मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। फिर मैंने उसे डॉगी स्टाइल में चोदा। वो भी पूरी तरह से चुदाई के मजे ले रही थी। लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा। मैं भी झड़ने वाला था। अब मैं पूरी रफ़्तार से उसे चोद रहा था। थोड़ी देर बाद मैं पूरा झड़ गया। जब मैं झड़ रहा था तो मुझे मदहोशी सी छा गई। मैंने अपना वीर्य एतिहात के तौर पर चूत में न छोड़ कर उसके चूचों पर गिरा दिया ताकि कोई गलती ना हो जाए और लगभग 15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे। उस रात हमने 2 राउन्ड और लिए। अगले दिन सुबह मैंने फ़िर एक बार उसे सोफ़े पर चोदा। इस बार मैंने उसकी गान्ड मारी। पहले तो गान्ड मारने में दर्द हुआ लेकिन बाद में मजे आने लगे। हमने अगले तीन दिन ज़िंदगी के पूरे मजे लिए। तीन दिन बाद मम्मी-पापा दोनों वापस आ गए और मेरी भी छुट्टी भी खत्म हो गई थीं। मैं दिल्ली वापस आ गया। सात महीने पहले उसकी शादी हो गई। लेकिन मुझे वो हमेशा याद आती है। आपको मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी, इस बारे में अपनी राय मुझे भेजें। [email protected]