बसंती की सात बार चुदाई

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हाय दोस्तो, मेरा नाम पंकज (बदला हुआ) है और अभी नौकरी कर रहा हूँ। मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैंने अन्तर्वासना की सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, मैं इसका नियमित पाठक हूँ, मैं इससे तीन साल से आनन्द ले रहा हूँ। इस पर आने वाली सारी कहानियाँ मुझे बहुत ही अच्छी लगती हैं।

मेरे भी जीवन में कुछ ऐसी घटना हुई जिससे मुझे लगा कि मैं भी अपनी कहानी अन्तर्वासना पर लिखूँ और आज मेरी कहानी आप लोगों के सामने है। यह बिल्कुल ही सच्ची कहानी है।

मैं जहाँ पर नौकरी करता हूँ वहाँ पर एक बसंती नाम की औरत काम करती थी.. वो बहुत सुंदर थी। वो अपनी गांड हिलाकर चलती थी.. गर्दन हिला कर बात करती थी.. उसके चूचे भी बड़े-बड़े थे।

मैं उस पर पागल था.. मेरा मन करता था कि साली को पकड़ कर चोद दूँ। लेकिन वो किसी और से प्यार करती थी और फैक्ट्री में उससे ही चुदती भी थी।

मेरा मन करता था मैं उस वक्त चोद दूँ.. पर जबरदस्ती से चोदने में मजा नहीं आता। मैंने सोचा कि इसे प्यार में फंसाना पड़ेगा।

मैंने उस पर डोरे डालना चालू कर दिया.. पहले मैंने उसको प्रपोज किया। उसने मना करते हुए कहा- मैं तुमसे प्यार करुँगी तो सभी मुझे रंडी कहेंगे।

मैंने सोचा कुछ तो हो सकता है फिर मैंने उसको उस लड़के के बारे में भड़काना चालू कर दिया- वो तुम से प्यार नहीं करता.. वो तुम्हारी चूत से प्यार करता है.. वो तुम्हारी बदनामी कर रहा है.. तुम उसका साथ छोड़ दो। मैं तुम्हें बहुत प्यार दूँगा.. मैं अभी कुँवारा हूँ.. मैं तुम्हें पत्नी वाला प्यार दूँगा। मुझे तुम्हारी चूत से नहीं तुमसे प्यार करता हूँ.. मुझसे प्यार करो।

उसने इतना कहने के बाद भी ‘हाँ’ नहीं किया.. बस मुस्कुरा कर चली गई।

फिर अगले दिन मेरा मूड खराब हो गया फिर मैंने उसकी जबरदस्ती होंठों की पप्पी ले ली।

वो मस्ता गई.. फिर उसने कहा- कल सोचकर बताती हूँ..

अगले दिन उसने ‘हाँ’ करते हुए कहा कि वो रात भर सो नहीं पाई.. मेरे बारे में सोचती रही।

फिर क्या था नेकी और पूछ..

उसने कहा- अगर तुम मेरे सिवाय किसी के बारे में भी नहीं सोचोगे तो मैं तुम्हें सब कुछ दूँगी।

फिर इतना कहते ही मैंने उस अपनी बाँहों में जकड़ लिया.. उसके मम्मे दबा दिए.. और उसके होंठों को चूसने लगा।

वो गरम हो गई फिर मेरा लंड खड़ा हो गया। वो सहलाने लगी।

अब चूत मारूँ.. तो कैसे मारूँ.. उस वक्त तो सभी लोग फैक्ट्री में थे।

फिर मैं उसे जीने में ले गया.. मैं इस मौके को कैसे छोड़ सकता था।

मैंने अपना लंड बाहर निकाल उसको कड़ा किया.. उसका नाड़ा ढीला किया.. फिर चूत में ऊँगली डाली.. तो देखा.. साली पहले ही पानी छोड़ चुकी थी।

फिर उसकी चुन्नी से उसकी चूत साफ की.. और उसकी चूत में लंड को टिका दिया।

वो तो पूरा बिना आवाज के पूरा लौड़ा ले गई.. लेती भी क्यों नहीं वो दो बच्चों की माँ थी.. चूत का तो भोसड़ा बन ही गया था.. पता नहीं कितनों का लंड ले चुकी होगी साली..

लेकिन मुझे तो जी.बी. रोड के पैसे बचाने थे.. मैं उसे पाँच मिनट तक चोदता रहा फिर मेरा माल झड़ गया।

अगले दिन मेरा मन फिर चुदाई करने का कर रहा था.. उसका भी मन चुदने को कर रहा था।

उसने अपनी सहेली लता को मनाया और कहा- किसी को जीने में नहीं आने देना।

लेकिन वो लड़की लड़कों कैसे रोक पाती.. साला कोई न कोई आता-जाता रहता.. मेरा मूड खराब हो रहा था।

मैंने दिमाग लगाया क्यों न इसे सर के टॉयलेट में ले जाकर चोदूँ।

मैं उसे सर के जाने के बाद टॉयलेट में ले गया.. अन्दर से कुण्डी लगा ली।

मैंने उससे कहा- चल खोल..

वो बोली- आज नहीं हो सकता.. ऊपर से ही काम चला लो।

मैं- क्यों?

बोली- माहवारी आ रही है..

तेरी बहन की चूत.. माथे की पिन हिला दी।

मैं बोला- चल मुँह में ले।

वो पहले तो मना करने लगी- मैंने आज तक अपने पति तक का नहीं लिया..

मैंने कहा- मैं तुमसे प्यार करता हूँ और प्रेमी तो पति से बड़ा होता है।

तो बोली- अच्छा ठीक है तुम्हारा ले लूँगी.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।

फिर वो लौड़ा चूसने लगी।

मैं उसे लवड़ा चुसाता रहा.. पाँच मिनट के बाद मैंने उसके मुँह में ही पानी झाड़ दिया।

वो रंडी न बन जाए हमें छुप-छुप कर चोदा-चोदी करनी थी.. पर ऐसे मजा नहीं आ रहा था।

मैंने सोचा सब को पता लग जाए तभी खुल के चोदने को मिलेगा।

रंडी को क्या रंडी बनाना साली जो अपने पति की नहीं हुई.. मेरी क्या होगी।

पर मुझे भी उससे थोड़ा प्यार हो गया था।

मैं उसे सबके सामने ऊपर गोदाम में ले गया… फिर उसे पूरा नंगा किया और उसके चूचों को चूसने लगा। अपने होंठों को उसके होंठों से चिपकाया।

वो साली इतनी बड़ी चुदक्कड़ थी कि हाथ लगाते ही पानी छोड़ देती थी।

उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में डाल लिया और खुद झटके मारने लगी।

फिर कुछ ही झटकों के बाद मेरा पानी छूट गया।

कुतिया को सौ रूपए की आइपिल देनी पड़ी।

यह सिलसिला लगातर 4 महीने चलता रहा।

फिर उसके पति ने यहाँ से काम छुड़वा दिया.. लेकिन उसे चुदने से कौन बचा सकता था।

मैंने उसको फोन लेकर दे दिया.. और उससे रोज बात करने लगा।

फिर हमने करवाचौथ के एक दिन पहले करवाचोद मनाने का प्लान बनाया।

उस दिन 2 अक्टूबर को हम पहाड़गंज के होटल गए..

700 में 6 घंटे के लिए एक कमरा लिया।

वेटर को 100 रूपए दिए एक माजा मंगवा ली।

फिर मैंने अपने बैग में से रॉयलस्टैग का क्वार्टर निकाला और माजा में मिला कर पिया।

वो काले रंग की साड़ी पहन कर आई थी.. बहुत हॉट एंड सेक्सी लग रही थी।

मैंने जल्दी से उसकी साड़ी खोल दिया और झट से अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

मैं बेताब होकर उसके होंठों को चूसने लगा और हाथों से उसके तने हुए चूचे दबाने लगा।

वो मेरी कमर पर हाथ फेरने लगी.. नाखून मारने लगी।

मुझे दर्द तो हो रहा था.. पर मजा भी आ रहा था।

फिर में उसकी चूत में उंगली डालने लगा.. वो ‘अह आह’ करने लगी।

अब मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया.. अपना लंड निकाला और उसकी चूत पर फेरने लगा।

वो चुदासी होकर तड़प रही थी- डालो अन्दर.. जानू प्लीज़ डालो..

वो पानी छोड़ चुकी थी, फिर मैंने रुमाल से उसकी चूत साफ की फिर लंड डाला।

लवड़ा डालते समय मैंने सोचा कि आज साला टाईट कैसे घुस रहा है.. साली ने चूत को भींच रखा था।

मैंने अपने आपसे कहा कि कोई बात नहीं मजा तो मुझे ही आ रहा है।

दस मिनट बाद मेरा पानी निकल गया.. मैं उसके ऊपर लेटा रहा।

कुछ देर बाद वो मेरे लंड को हिलाने लगी और चूसने लगी.. मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

मैंने बोला- जानू तेरी गांड मारूँगा।

‘नहीं जानू बहुत दर्द होगा.. जानू चूत से ही मजा ले लो न!’

मैं- नहीं जानू.. एक बार तो गांड में लेकर देख।

‘नहीं जानू तुम मुझसे प्यार नहीं करते.. क्या मुझे दर्द होगा तो तुम्हें अच्छा लगेगा..?’

‘नहीं जानू.. दर्द में ही तो मजा है..’ मैंने उसको पलटा और लण्ड कड़ा किया.. उसकी गांड के छेद में टिका दिया।

अब लौड़े के नखरे.. साला घुस ही नहीं रहा था.. इधर-उधर भाग रहा था।

फिर मैंने लंड को उसके मुँह में दिया तो थोड़ा चिकना हो गया।

उसकी गांड के छेद पर थूका.. फिर एक ही झटके में घुसेड़ डाला।

वो चिल्लाई- अह आह हु… मेरी गांड फट गई।

उसकी आँखों से आसू निकल रहे थे। मुझे मजा आ रहा था। मैंने झटके तेज कर दिए.. वो और जोर से चिल्लाने लगी- उइ माँ.. मर गई.. आहह.. अह उफ़ आ आह अह..

मैं उसके होंठों को चूसने लगा.. वो थोड़ी देर बाद पूरा लंड का पानी उसकी गांड में ही डाल दिया।

फिर हम दोनों फ्रेश होने बाथरूम में गए।

दोनों एक-दूसरे को नहलाने लगे।

फिर हम नंगे ही कमरे में बैठे.. लंच करने लगे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! लंच के साथ ड्रिंक भी की.. फिर चुदाई का मूड बन गया।

फिर वो मेरे लंड से खेलने लगी.. चूसने लगी।

मैं मस्त हो गया और बोला- चूस मेरा लौड़ा.. चूस.. चूस.. मेरे टट्टे चूस.. चूस ले.. आज जितना मन है चूस ले.. चूस मेरा लौड़ा चूस..

यह सब कहते-कहते मैं झड़ गया.. पूरा माल उसके मुँह में ही छोड़ दिया। वो पूरा माल गटक गई।

मेरी ऊर्जा ख़त्म हो रही थी।

मैं बादाम किसमिस घर से ही ले गया था.. उसको खाया फिर मेरी दम बढ़ने लगी।

इस तरह मैंने उसको 6 घंटे में 7 बार चोदा.. कुछ देर आराम करके फिर हम ऑटो पकड़ कर अपने-अपने घर आ गए। ये चुदन चुदाई के बारे में मैंने अपने दोस्तों को बताया.. उन्हें विश्वास नहीं हुआ।

फिर मैंने उससे फोन पर बात करते वक़्त लाऊड स्पीकर खोल दिया.. और दोस्तों को सुनाने लगा। उन्हें विश्वास हो गया।

वो फोन पर बोली- तुमने तो मेरे पति को भी फेल कर दिया.. तुम्हारे अन्दर बहुत दम है.. मेरा पति ने तो सुहागरात वाले दिन 5 बार ही चोदा था.. तुमने तो 7 बार चोद दिया.. बहुत खूब।

मैं बोला- जानू ये सब लड़कियों को ताड़ने से बना है.. जिसको भी देखता सोचता मिल जाए और मुठ नहीं मारता था.. इसीलिए मेरे लौड़े में बहुत जान है। अगली बार का प्रोग्राम बना तुझे दर्जन बार न चोदा तो मेरा नाम बदल देना।

वो बोली- ठीक है, देखूँगी।

यह थी मेरी चुदाई की सच्ची कहानी। कहानी कैसी लगी जरूर बताना… मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा।

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