पर पुरुष समर्पण-3

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ब्रा और ब्लाउज दोनों का साइज पहले से बड़ा था, वो जानते थे कि मान्या के जन्म के कारण मेरा वक्ष काफ़ी बढ़ गया है। असल में ही मैं मोटी हो गई हूँ।

शचित जी और मैं खुद, हम दोनों बहुत उत्सुक थे यौनानन्द की नई पारी शुरु करने को…

आपने मेरी कई कहानियाँ पढ़ी, मेरी अन्तिम प्रकाशित कहानी थी ‘पर पुरुष समर्पण‘ इसके दो भाग प्रकाशित हुए थे।

इसके आगे की कहानी मैं भेज नहीं पाई थी।

अभी संक्षेप मे बीच में घटित घटनाओं को बता कर आगे नया घटनाक्रम लिखूंगी।

शचित के साथ प्रथम सम्भोग के बाद जैसे मुझे उसकी आदत सी हो गई। अब मैं अवसर पाते ही शचित सन्ग यौन आनन्द लेने लगी थी।

श्रद्धा भी अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने घर जा चुकी थी तो मुझे किसी का डर भय नहीं था, कोई रोकने टोकने वाला भी नहीं था, मेरे पति तो कभी महीने दो महीने में एक बार आते थे।

एक दिन मैंने अपने पति को फ़ोन पर बताया कि श्रद्धा अब जा चुकी है और मेरी रिश्तेदारी में एक युवक हमारे घर पेईंग गैस्ट आना चाहता है।

वैसे तो मेरे पति इसकी अनुमति ना देते कि कोई गैर मर्द हमारे घर पेईंग गैस्ट रहे लेकिन जब मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि शचित मेरे भाई जैसा है तो उन्होंने अनुमति दे दी और इस तरह शचित मेरे घर में ही रहने लगा।

अब तो अवसर की कोई बन्दिश भी नहीं रही। अब तो हर रात मौज मस्ती की रात थी।

मेरे ओनलाइन मित्र की सलाह से अब मैंने सन्तान सुख की इच्छा पूरी करने की योजना बनाई।

इस बार जब मेरे पति घर आए तो मैंने येन केन प्रकारेण उन्हें सम्भोग के लिये राजी कर लिया और उनके दो दिन के ठहराव में मैं उनसे तीन बार सम्भोग करने में सफ़ल रही।

पति के जाते ही शचित ने तीन दिन की छुट्टी ली और हमने उन तीन दिन में 10-12 बार असुरक्षित सम्भोग किया ताकि मैं गर्भ धारण कर सकूँ।

उसके बाद भी हम नियमित सेक्स करते रहे और जब ड्यू डेट पर मेरा मासिक धर्म नहीं हुआ तो मेरे अन्दर खुशी की लहर दौड़ गई।

मैंने तुरन्त अपने ओनलाईन मित्र से आगे की सलाह मांगी तो उन्होंने मुझे 15 दिन के बाद गर्भ जांच कराने की सलाह दी, साथ ही यह हिदायत भी दी कि मैं तुरन्त अपने पति को समय पर माहवारी ना आने की सूचना दे दूँ।

मैंने ऐसा ही किया और 15 दिन बाद जब मैंने गर्भ जांच कराई तो डॉक्टर ने मुझे खुश खबरी सुना ही दी।

मैंने तुरन्त यह खबर अपने पति को फ़ोन करके बताई और उसके बाद शचित जी को भी यह खुशखबरी सुनाई। उसके बाद डॉक्टर और अपने मित्र की सलाह से हमने सम्भोग मे एहतियात बरतनी शुरू कर दी। और जनवरी माह में मेरे घर मे एक नन्ही परी आ गई।

मेरे पति और शचित दोनों बहुत खुश थे, दोनों को ही पिता बनाने की खुशी थी। उस नन्ही परी का नामकरण हुआ, मान्या नाम रखा गया उसका… पिछ्ले 6-7 महीने से मैं इन्टरनेट से दूर रही और फ़िर फ़रवरी के आखिरी सप्ताह में एक दिन मैं ओनलाईन हुई और अपने उस मित्र को मान्या के जन्म की खुशखबरी दी।

कई महीने हो गये थे मुझे शचित जी को अपने बदन का आनन्द दिये लेकिन शचित जी ने भी एक बार मुझसे सम्भोग करने की चेष्टा नहीं की।

इसी बीच वेलेन्टाईन दिवस भी आया और शचित जी ने मुझे फ़िर लाल रंग की साड़ी और उसके साथ मैचिंग ब्लाउज, पेटिकोट और ब्रा पैन्टी गिफ़्ट करके अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी। आपको याद होगा कि जब हम घूमने गए थे तो भी शचित ने मुझे लाल रंग की साड़ी उपहार में दी थी।

पर इस बार ब्रा और ब्लाउज दोनों का साइज पहले से बड़ा था, वो जानते थे कि मान्या के जन्म के कारण मेरा वक्ष काफ़ी बढ़ गया है। असल में ही मैं मोटी हो गई हूँ।

शचित जी और मैं खुद, हम दोनों बहुत उत्सुक थे यौनानन्द की नई पारी शुरु करने को…

मैंने अपने ओनलाइन मित्र से ही इस नई शुरुआत की सलाह मांगी क्योंकि इस बार भी कुछ अनोखा करतब करके ही शुरु करना चाह रही थी।

तब शाम के पांच बजने को थे और शचित जी 6:30 बजे के करीब आते हैं। तब मैं मान्या को दूध पिलाने लगी और उसके बाद घर के काम में लग गई।

उसके बाद मैंने अपने मित्र की बताई सलाह पर काम शुरु किया।

प्रसव के बाद से मेरी योनि के बाद काफ़ी बढ़ चुके थे तो वीट क्रीम लेकर नीचे का धमा चौकड़ी मचाने वाला मैदान साफ़ कर लिया।

पेट बढ़ने की वजह से ये सब करने में कुछ दिक्कत भी हुई लेकिन मन में ठान लिया था कि आज तो करना ही है। झांटें साफ़ करने के बाद मैं गर्म पानी से अच्छे से नहाई, शचित की वेलेन्टाईन वाली साड़ी खोली, अभी तक मैंने उसे नहीं पहना था,

ब्रा पैन्टी और ब्लाऊज एकदम सही आकार के थे, शचित ने मेरे बदन के आकार का एकदम सही अंदाज लगाया था, लेकिन ब्लाउज का गला और पीठ का कट काफ़ी ज्यादा गहरा था, शायद इसके जरिये वो अपनी अन्तर्वासना मुझ पर प्रकट करना चाह रहे होंगे।

मैंने साड़ी पहनी, मेकअप किया, गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगाई।

घर के बगीचे से एक लाल गुलाब लेकर बालों में लगाया, कितने दिनों महीनों बाद आज मैं सज धज कर तैयार हुई थी।

शायद मान्या ले प्यार में मैं शचित को और खुद को ही भुला बैठी थी।

मेरे मित्र के कहने से मेरे मन मे एक नई उमंग भर गई थी, आज मैं फ़िर से शचित को और खुद को रति क्रिया का आनन्द देना चाहती थी।

ठीक 6:30 पर मेन-गेट खुलने की आवाज आई, मैंने खिड़की से देखा कि शचित आ गये हैं।

उनके चेहरे से लग रहा था कि जैसे वे बहुत थके हुये थे।

उन्होंने घण्टी बजाई, मैंने जानबूझ कर दरवाजा नहीं खोला, उन्होंने एक बार फ़िर घण्टी बजाई, मैंने धीमे से जाकर दरवाजे की कुण्डी खोल दी और हट कर खड़ी हो गई।

उन्होंने दरवाजा धकेला तो मैं दरवाजे के पीछे छिप गई, वो सीधे अन्दर चले गये, उन्होंने मुझे आवाज दी, मैं चुप रही।

वो परेशान हो गये, अन्दर गये, वहाँ मान्या सो रही थी, उन्होंने उसे हल्के से थपथपाया और दरवाजा बन्द कर दिया ताकि बाहर का शोर उस तक ना जाये।

फ़िर वो सामने हाल में आये तो उन्होंने मुझे उनकी ओर पीठ किये खड़े पाया। कहानी जारी रहेगी…

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