मेरा गुप्त जीवन- 15

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और फिर चम्पा एक दिन नहीं आई और फुलवा ने बताया कि उसका पति आ गया है और वो अब शायद नहीं आ पायेगी। मैं चम्पा को बहुत मिस कर रहा था, चाहे फुलवा बाकायदा रोज़ आती थी, मेरी सेवा भी बहुत करती थी लेकिन चम्पा का साथ कुछ और ही रंग का था। फुलवा मुझको रोज़ चम्पा के ख़बरें देती थी।

एक दिन उसने बताया कि चम्पा को उसके पति ने शराब पी कर बहुत मारा और उसके शरीर में बहुत चोटें आई हैं। मैं बहुत व्याकुल हो गया यह सुन कर… लेकिन अपने को कुछ करने में बिल्कुल असमर्थ पाता था। मैंने फुलवा से पूछा- क्यों मारता है वो उसको? वो बोली- सुना है कि वो उस को बाँझ बुलाता है। कह रहा था एक दो महीने में अगर उसके बच्चा होने के आसार नहीं हुए तो वो दूसरी शादी कर लेगा। अब बताओ चम्पा क्या करे?

मैंने कुछ सोचते हुए कहा- अगर चम्पा को मैं चोदू हर रोज़ तो हो सकता है कि चम्पा को गर्भ ठहर जाए जैसे कि तुमको हो गया था। ‘लेकिन आप तो चम्पा को रोज़ ही चोदते थे न? फिर उसके तो बच्चा नहीं ठहरा?’ ‘फुलवा, मैं चम्पा को चोदते टाइम अक्सर बाहर छूटा लेता था, बहुत कम ही अंदर छुटाया था। तुम एक काम करो, चम्पा से पूछो कि उसका पति कब शहर जाता है?’ उसने कहा- आज ही पूछती हूँ! वैसे भी मेरी माहवारी शुरू हो गई है सो तुम्हारे साथ चुदाई तो हो नहीं सकती। कल दोपहर को मिलते हैं।

अगले दिन जब स्कूल से वापस आया तो वो बोली- चम्पा कह रही थी की कल शायद 2-3 दिनों के लिए शहर जा रहा है, चम्पा का पति। अब बोलो, क्या करना है आगे?

मैंने कहा- हमारी एक बड़ी अच्छी छोटी सी कुटिया है जंगल में… जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। कल तुम दोपहर को चम्पा को लेकर आ जाना वहाँ, बाकी बात वहीं करेंगे। और देखो वो जगह यहाँ से सिर्फ 2 मील है और तुमको वहाँ का रास्ता हवेली का दरबान बता देगा। ठीक है?

स्कूल से आकर खाना खाने के बाद मैं अपनी साइकिल पर बैठ कर 10 मिनट में वहाँ पहुँच गया और चाबी से दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गया। कॉटेज बोलते थे हम सब इस सुन्दर सी कुटिया या कॉटेज को, और जिसमें कभी कभी पापा जब अपने मित्रों के साथ ऐश मौज करने की इच्छा होती तो वो इस कॉटेज में आ जाते थे जहाँ सारे इंतेज़ाम पहले से किये रहते थे।

यह बड़ी एकांत जगह थी और पूरे साज़ो सामान से सजी थी। एक ड्राइंग रूम और दो बैडरूम थे जिनमें सुन्दर सोफे और पलंग बिछे थे। पीने के लिए हर किस्म की शराब वहां रखी थी लेमन सोडा और भी कई पीने के शरबत रखे थे। यहाँ दिन रात चौकीदार रहता था जिसको मैंने पटाया हुआ था, उसको 10 रुपये दे देता था यदा कदा और वो उसी में खुश रहता था और मेरे लिए छोटे मोटे काम कर दिया करता था।

उससे मैंने पहले ही थोड़ी सी बर्फ मंगवा के रखी थी आर 3-4 लेमन सोडा की बोतलें ठंडी करने के लिए रख दी थी।

आधे घंटे बाद चम्पा और फुलवा दोनों आई। जैसे ही चम्पा अंदर घुसी और दरवाज़ा बंद हुआ मैंने झपट कर चम्पा को बाहों में बाँध लिया और लगातार उसको चूमता रहा और जल्दी से उसकी धोती उठा दी और अपना लौड़ा जो पूरी तरह से खड़ा था उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा।

चम्पा मेरे उतावलेपन को समझती थी, वो स्वयं ही पलंग पर लेट गई और अपनी धोती ऊपर उठा दी और अपने मम्मे ब्लाउज से निकाल दिए और मैंने बिना देरी के लंड उसमें डाल दिया और तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा।

उस वक्त मैं कम्मो के सिखाये हुए सारे सबक भूल गया और चम्पा को चोदने में एकदम लीन हो गया और जब चम्पा का पहली बार छूटा तब मुझ को होश आया और मैंने अपनी स्पीड नार्मल कर दी और जब चम्पा दूसरी बार छूटी तो मैं उसके ऊपर से उतर कर उस के पलंग पर लेट गया।

तब चम्पा मुझको बेहद प्यार से चूमने लगी। जब हम दोनों थोड़ा संभले तो मैंने बात छेड़ी- चम्पा, अब क्या करें तुम्हारे पति का? वो रोने लगी और अपने पति को बहुत बुरा भला कहने लगी।

तब मैंने उसको रोका और कहा- देखो चम्पा, रोने से काम नहीं चलेगा, हमको यह सोचना है कि इस मुश्किल का हल क्या है। सच बताओ क्या तुम अपने पति को छोड़ना चाहती हो? वो बोली- छोड़ कर जाऊँगी कहाँ और कैसे जिऊँगी? यह नहीं हो सकता। ‘अगर तुम्हारे बच्चा पैदा हो जाता है तो?’ ‘तो शायद मेरा पति बदल जाए और मेरी इज़्ज़त करने लगे?’ ‘तो प्रश्न है तुम्हारा बच्चा कैसे पैदा हो? क्या कभी तुमने डॉक्टर को दिखाया है?’

चम्पा बोली- डॉक्टर? वो क्यों? ‘अरे यह देखने के लिए कि क्या तुम्हारे अंदर कोई खराबी तो नहीं? जिसके कारण तुमको बच्चा नहीं हो रहा।’ ‘नहीं कभी नहीं दिखाया डॉक्टर को।’ ‘अच्छा कल चलो मेरे साथ, 4 बजे के बाद मैं तुम्हें एक अच्छी सी लेडी डॉक्टर को दिखाता हूँ, वो बता देगी कि तुमको क्या कमी है, बोलो मंज़ूर है?’

‘अच्छा जैसा तुम कहते हो सोमू… फुलवा भी जायेगी मेरे साथ!’ ‘ठीक है, कल 4 बजे मुझको बस स्टैंड पर मिलना, ठीक है?’ दोनों ने सर हिला दिया और ठंडी लेमन का मज़ा लेने लगी।

अगले दिन मैंने एक टैक्सी का अरेंजमेंट कर दिया और हम तीनों पास के कसबे में गए जहाँ डॉक्टर का नाम मेरे स्कूल के दोस्त ने पहले ही बता दिया था। डॉक्टर की फीस देने के बाद वो दोनों तो डॉक्टर के पास चली गई और मैं बाहर बैठा रहा।

एक घंटे बाद वो दोनों बाहर आई और चम्पा और फुलवा दोनों मुस्कराते हुई आई और दोनों एक साथ बोली- डॉक्टर साहिब कहती हैं कि सब ठीक है, चम्पा में कोई खराबी नहीं। और बच्चा कैसे हो इसका भी तरीका बता दिया है। यह भी कहा है कि इसका पति भी अपनी जांच करवाये, हो सकता है उसमें कुछ खराबी हो?

चम्पा बोली- मुझको पक्का यकीन है कि उसमें ही खराबी है। साला घाट घाट का पानी पीने की आदत है उसको तो वो ही ठीक नहीं है।

हम तीनों ख़ुशी ख़ुशी वापस घर आ गए। चम्पा अपने घर चली गई और फुलवा मेरे साथ हवेली में आ गई। रात को जब फुलवा मेरे कमरे में आई तो उसने खुल कर सारी बात बताई। फुलवा ने बताया- डॉक्टर साहिबा ने यह भी बताया है की माहवारी के शुरू होने के बाद 10-18 दिन में अगर चुदाई की जाए तो बच्चा अक्सर ठहर जाता है। उन दिनों के पहले और बाद में बच्चा नहीं होता। छोटे मालिक यह बात तो बहुत अच्छी बताई उसने, आगे से हम चुदाई करते हुए इन दिनों में अंदर नहीं छुटाएँगे और बाकी दिनों में अंदर छुटा सकते हैं। वो बड़ी खुश लग रही थी तो उस रात हमने सारी चुदाई के दौरान अंदर ही छुटाया।

फिर मैं बड़ी बेसब्री से चम्पा की चुदाई का उसके पति द्वारा करने का इंतज़ार करने लगा और फिर फुलवा ने बताया- चम्पा अब ख़ुशी ख़ुशी उसको चूत देती है जिससे वो बड़ा प्रसन हो गया है।

दो महीने गुज़र जाने के बाद भी जब चम्पा गर्भवती नहीं हुई तो हमको यकीन हो गया कि उसके पति में ही खराबी है। लेकिन चम्पा को कैसे गर्भवती बनाएं ताकि उसका पति उसको छोड़ने का विचार छोड़ दे?

उस रात मैंने फुलवा को तरह तरह से चोदा। हर बार से वो पूरी तरह से सखलित हो जाती थी। उसका छूटना अब काफी आम बात हो गया था। वो लंड को डालते ही छूटना शुरू हो जाती थी और थोड़ी देर धक्के मारने के बाद ही वो ढेर सारा पानी छोड़ते हुए ढीली पड़ जाती थी। लेकिन जब मेरा लंड उसके अंदर ही पड़ा रहता था तो वो शीघ्र ही दुबारा तैयार हो जाती थी। यह बात ख़ास तौर से उन दिनों में ज्यादा दिखाई देती थी जब उसके गर्भवती होने के दिन होते थे, वो उन दिनों कुछ ज्यादा ही बेशरम हो जाती थी और बार बार लंड अपने अंदर डालने की कोशिश करती थी। यह देख कर मेरे मन में एक सवाल उठा- क्या चम्पा के साथ भी ऐसा ही होता होगा।

अगली बार जब चम्पा का पति शहर गया तो मैंने चम्पा को कॉटेज में बुला लिया और उसके आते ही उससे पूछा कि माहवारी के बाद कौन सा दिन है उसका? वो बोली- शायद 10वाँ या 11वा दिन है। मैंने कुछ कहा नहीं और फ़ौरन उसके कपड़े उतारने लगा और अपना भी पायजामा उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया और उसको भी नंगी कर दिया और फिर मैंने उसको बड़े कायदे से पूरी तरह गरम कर दिया और जब तक उसने हाथ नहीं जोड़े कि अब अंदर डालो लंड को… और नहीं सहा जाता, तब तक मैंने चूत में लंड नहीं डाला।

और जब वो पूरी तरह से गीली हुई चूत को उठा उठा कर मुझ को लंड डालने के लिए कहने लगी, तभी मैंने लंड को चूत के मुँह पर रख कर उसके दाने पर रगड़ा और थोड़ा सा अंदर डाला और चम्पा ने अपने चूतड़ उठा कर पूरा का पूरा अपने अंदर ले लिया और लगी ज़ोर से नीचे से धक्के मारने। तभी मेरे लंड को महसूस हुआ कि उसके गर्भाशय का मुँह खुलने और बंद होने लगा तो मैंने भी अपनी पिचकारी उसके गर्भ के मुख पर रख पूरी तरह से छोड़ दी और ऐसा लगा कि मेरा लंड उसके गर्भ के मुख में अंदर तक फव्वारा छोड़ रहा है।

चम्पा की आँखें पूरी बंद थी और उसका शरीर ज़ोर ज़ोर से कांप रहा था और उसके चेहरे पर एक मंद मंद मुस्कान छाई हुई थी। मैंने मन ही मन सोचा कि आज चम्पा ज़रूर पर ज़रूर गर्भवती हो जायेगी।

थोड़ी देर वो ऐसे ही लेटी रही और फिर उसकी टांगें अपने आप ऊपर उठने लगी और एक हाथ चूत के ऊपर रख दिया ताकि वीर्य सारा का सारा अंदर ही रहे और बाहर न निकले। आधे घंटा तक वो ऐसे ही पड़ी रही।

मैंने पूछा- पति कब वापस आ रहा है? वो बोली- शायद 2 दिन बाद आयेगा? क्यों पूछ रहे हो? ‘कल भी आ जाना क्यूंकि मुझको लगता है कि तुम आजकल में ज़रूर गर्भवती हो जाओगी और जब पति आ जाए तो रात उससे भी चुदवाना ताकि उस को शक न हो! ठीक है?’

उसने खुश होते हुए सर हिला दिया और लेमन पीकर अपने घर चली गई।

उसके अगले दिन भी चम्पा आ गई और इस तरह चोद कर उसको निहाल कर दिया। मुझको यकीन था कि चम्पा ज़रूर गर्भवती हो जायेगी। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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