मेरी कुंवारी चूत की फ़टन कथा

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हाय दोस्तो, मैं अनामिका वालिया 19 साल की हूँ। मैं एक मैकेनिकल इंजीनियरिंग की स्टूडेंट हूँ। मैं काफ़ी सेक्सी भी हूँ.. छोटी उम्र से ही मेरे चूचे और चूतड़ दोनों ही भारी हैं।

अभी वर्तमान में मेरा फिगर 36-34-41 का है, आप मेरे चूतड़ों के नाप का अन्दाजा लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी होगी। तो एक साधारण सी बात है.. जिसकी गर्लफ्रेंड इतनी हॉट हो.. उसका लंड भला क्यों ना खड़ा हो.. क्यों उसे देख कर चुदाई करने का मन ना करे।

वैसे मैं बहुत पढ़ाकू और सीरीयस टाइप की लड़की हूँ.. पर ना जाने क्यों जब से मैं 18 की हुई.. तब से मुझे बड़ा मन होने लगा कि कोई मेरे होंठ चूसे.. मेरे चूचे दबाए और चूसे चाटे..

लेकिन शुरू से मैं सीरियस थी.. तो मुझे हिचक महसूस होती थी कि किसी लड़के को कैसे नज़दीक आने दूँ।

अब मैंने एक ब्वॉय-फ्रेण्ड बनाया है.. उसका नाम पंकज है। पंकज से मैंने मोहब्बत करके रिश्ता बनाया था.. पर वो बड़ा चोदू किस्म का लड़का था, वो मुझसे सीधी बात करता ही नहीं था।

आख़िर मेरे दिल में भी उसकी बातों से लालच आ गया। मैंने उसके कई बार कहने पर उसे मुझे चूमने की.. मेरे चूचे देखने की और दबाने की इजाज़त दे दी।

हमने तय किया कि उसके दोस्त का एक फ्लैट है.. वहाँ मिलेंगे और मजे करेंगे।

अपने प्लान के अनुसार मैं उससे मिली.. हम दोनों उस खाली फ्लैट में गए.. वहाँ ज़मीन पर दो गद्दे बिछे थे और पूरे मकान में कोई फर्नीचर वगैरह नहीं था। पूरा चुदाई खाना लग रहा था। अन्दर घुसते ही उसने मुझे बाँहों में ले लिया.. मैं कुछ कहती.. उससे पहले ही वो मेरे होंठ चूसने लगा। मुझे लेटा कर वो मुझ पर चढ़ गया।

फिर वो मेरे गले को चाटने लगा.. मजा मुझे भी आ रहा था.. सो मैं भी उसका साथ दे रही थी।

अब उसका हाथ मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर पड़ा और जैसे ही उसने मेरे चूचों को ज़ोर-ज़ोर से दबाना और मसलना चालू किया.. मैं तो मानो जन्नत में पहुँच गई। बस मैं ‘आह्ह.. ऊह्ह..’ करे जा रही थी।

अब उसने मेरा टॉप उतार दिया.. पर वो ब्रा खोल ही नहीं पा रहा था। मैंने उसकी मदद की और मेरे कबूतर बाहर फुदकने लगे।

मतलब अब मेरे मोटे चूचे उसके सामने थे.. वो उन्हें ऐसे घूर रहा था.. मानो उसने पहली बार किसी लड़की के दूध देखे हों।

फिर तो उसने जैसे आटा गूँथते हैं.. ठीक उसी तरह मेरी चूचियाँ भी गूँथ डालीं।

अब उसका हाथ बार-बार नीचे की तरफ जा रहा था। मैं पूरी तरह गीली हो गई थी। ये मेरा पहला अनुभव मुझे पागल कर रहा था.. मैं उसे बार-बार रोक रही थी कि जितना प्लान बनाया था.. बस वही करो..

तो वो बोला- एक बार मेरा लंड छू कर देख.. ऐसे तना पड़ा है.. तू ही बता मैं कैसे रुकूँ..?

मैं फिर भी सोच में थी.. इधर चुदास मुझे भी चढ़ चुकी थी.. मन तो मेरा भी चुदने का था.. पर दिल में एक अनजाना सा डर था.. जिसकी वजह से मैं इन्कार कर रही थी।

आख़िर वो लड़का था.. उसकी ताक़त के आगे मैं क्या थी.. मेरे मौन को देख कर उसे मेरी जीन्स और मेरी पैंटी उतार फेंकने में दो मिनट भी नहीं लगे।

मुझे थोड़ा अजीब सा लगा क्योंकि मेरी चूत शेव्ड नहीं थी.. उधर घना जंगल उगा हुआ था। मैंने उसका लंड जब पकड़ा तो वो 8″ लंबा मोटा चूसने लायक लंड था और लौड़े की अकड़न उसकी तड़प बता रही थी।

उसका लंड पकड़ने के बाद तो मेरे भी छेद में आग लग गई थी। अब बस उसने मेरे अन्दर अपनी एक उंगली डाली फिर दो.. फिर तीन.. और मैं दर्द से चिल्ला उठी- ओह्ह.. पंकज.. आज फाड़ दोगे क्या? वो बोला- हाँ मेरी रंडी.. आज तो तेरी चूत फाड़ ही दूँगा..

अब उसने उंगलियां निकालीं.. जो खून से लाल हो चुकी थीं.. उसने मेरी सील तोड़ दी थी।

अब उसने अपना लंड मेरी चूत के मुहाने पर रखा और ऐसा धक्का मारा कि एक बार में पूरा लौड़ा अन्दर जड़ तक चला गया।

मैं ज़ोर से चिल्लाई- ओह्ह.. उई.. मर गई.. आहह.. मम्मी.. रे..

मगर उस हरामी पर कोई फर्क नहीं पड़ा.. और वो धड़ाधड़ मुझे तेज़-तेज़ चोदता रहा.. ऐसा लगा कि आज तो वो मेरी चूत फाड़ ही देगा.. उसको गुफा बना देगा। उसने 15 मिनट बाद मेरे अन्दर अपना रस छोड़ दिया। हाय.. क्या गरम रस था.. अब मैं भी मजे में आ गई थी।

कुछ देर मजा लेने के बाद उसने कहा- तेरी गाण्ड भी मारनी है। मैंने डर कर कहा- नहीं.. बहुत दर्द होगा..

पर उसने मेरी बात कहाँ सुननी थी, उसने मुझे कुतिया की तरह मोड़ा और दो झटको में ही मेरी गाण्ड के अन्दर अपना लंड घुसा दिया। मुझे जो दर्द हुआ.. तो मैं रो पड़ी.. पर फिर भी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर चुदवा ली। मैं कराहते हुए मस्ती में बोल रही थी- मुझे चोदो.. आज फाड़ दो मेरी..

फिर कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए.. अब वो भी थक गया था और मेरे बगल में पड़ा था। मैं उठी और मैंने कहा- आज इस 8″ के लंड ने मुझे जन्नत दिखा दी है.. मेरा इसे चूसने का मन है।

वो मुझे बिना पूरा बोलने दिए.. अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल चुका था। अब वो मेरा सिर पकड़ कर लौड़े को मुँह के अन्दर-बाहर किए जा रहा था, अब तो लौड़ा मेरे गले तक घुस गया था.. और वहीं उसने अपना रस भी निकाल दिया। उसने मुझसे मेरी दोनों चूचियों को दबाने को कहा.. बीच में अपना लंड फंसा कर उसने मेरे चूचों को भी चोद दिया।

हम बहुत अधिक थक गए थे.. किसी तरह उठे.. चूमा-चाटी की.. अपने-अपने कपड़े पहने और उससे मैंने आँख मार कर कहा- जा भोसड़ी के अपने घर.. वो हँस कर बोला- जा रंडी.. अपनी भोसड़ी में मूली ले ले घर जाकर..

यह थी मेरी चूत कथा। आप बस अपने फीडबैक भेजें। [email protected]

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