जीजू ने मेरी कुंवारी चूत की सील तोड़ी

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

मैं एक देसी लड़की हूँ, अभी बारहवीं कक्षा में हूँ मुझे अन्तर्वासना कहानी साईट से जुड़े सिर्फ सात महीने हुए हैं, यह साइट मुझे मेरी सबसे पक्की सहेली वर्षा ने बताई थी. हम दोनों एक दूसरी की हमराज़ हैं मुझे सब पता रहता है कि आजकल उसका कितने लड़कों से चक्कर है किस किस से चुदवाती है और उसको मेरा सब कुछ पता रहता है. हम दोनों दूसरी कक्षा से एक साथ पढ़ती आ रही हैं, तो दोस्तो, जब उसने मुझे अन्तर्वासना डॉट कॉम पर कहानी पढ़वाई तो कहानी पढ़ कर मैं मचल उठी अपनी चूत फड़वाने को!

हम दोनों उसके घर बैठीं थी उसने मुझे अपनी बाँहों में लेकर मेरे होंठ चूमे और फिर मेरे मम्मे दबाने लगी. उस वक़्त मेरी चूत कुंवारी थी लेकिन उसकी नहीं क्यूंकि उसने तो नौंवी कक्षा में ही लौड़े का स्वाद चख लिया था. उसने मुझे चूमा-चाटा, उंगली से मेरे दाने को छेड़ छेड़ कर मुझे स्खलित करवा दिया. उसके बाद मैं रोज़ घर में बैठ अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ती.

जैसे मैंने ऊपर लिखा कि किस तरह अपनी सहेली के साथ मैं लेस्बियन सेक्स का मजा ले लेती थी पर मुझे लड़कों से चक्कर चलाने से संकोच सा था इसलिए जब दाना कूदने लगता तो मैं वाशरूम में जाकर सलवार का नाड़ा खोल इंग्लिश सीट पर टांगें चौड़ी करके बैठती और उंगली गीली कर करके दाने को रगड़ खुद को शांत कर लेती. उंगली करते वक़्त मैं आँखों के सामने लड़कों के लौड़े की कल्पना करती. बोर्ड के पेपर थे और पेपर करवाने के लिए मेरी सहेली ने तो सेंटर के सुपरवाइज़र से बाहर ही बाहर ही खिचड़ी पका ली थी और दोनों ने पेपर अच्छे दिए. उसके बाद हम फ्री थी.

तभी मुझे माँ ने कहा- तेरी दीदी पेट से है और अब उसकी तारीख भी नज़दीक आती जा रही है, उधर समधन जी की घुटनों की तकलीफ बढ़ रही है, बेचारी अकेली क्या-क्या करेगी, तू ऐसा कर कि जितने दिन फ्री है, दीदी के घर चली जा!

मैं पहले भी कभी-कभी वहाँ रुक लेती थी लेकिन अब मैं उस स्टेज में थी जहाँ अब मुझे जाना थोड़ा अजीब सा लगता था. लेकिन मुझे जाना पड़ा, मैंने वहाँ मन भी लगा लिया. जीजू के साथ काफी मैं घुलमिल गई थी.

मेरी छाती उम्र के हिसाब से काफी बड़ी, गोल और आकर्षक थी. मैं भी घर के काम में मदद करने लगी.

एक रोज़ दीदी की सास-ससुर अपने जद्दी गाँव में ज़मीन के चक्कर में गए और वहीं रुक गए.

उस दिन जीजू घर आए और हमें बोले- चलो आज घूम कर आते हैं, वहीं से खाना पैक करवा लेंगे! दीदी बोली- नहीं अखिलेश! मैं रिस्क नहीं लेना चाहती! बहुत नाजुक समय है. जीजू बोले- चल न जान! नया के.ऍफ़.सी खुला है! सुना है बर्गर और पिज़ा बहुत कमाल का मिलता है! दीदी बोली- कामिनी, तुम चली जाओ! मैं बोली- नहीं दीदी! आपके बिना?

आज न जाने जीजू का ध्यान मेरी छाती पर था क्यूंकि मेरा कमीज गहरे गले का था और थोड़ा जालीदार भी था और नीचे काली ब्रा साफ़ दिख रही थी. “नहीं तुम जाओ!” दीदी बोली- तब तक मैं बैठ कर पाठ करुँगी! आने वाले बच्चे के लिए अच्छा होता है! “अच्छा मैं अभी कपड़े बदल कर आई!” “ठीक है! मैं कार निकाल लूँ!”

मैं कमरे में चली गई, जीजू बाहर वाले दरवाज़े से कमरे में आये और बोले- रहने दो ना! इसमें कौन सी कम लग रही हो! “अच्छा जी क्या ख़ास है इसमें?” जीजू बोले- इसमें से तेरी जवानी साफ़ साफ़ दिखती है! “कैसी जवानी?”

मेरी तरफ से सामान्य बर्ताव देख जीजू बोले- तुम्हारी छाती! गोरा बदन! “जाओ आप! अब मैं कपड़े बदल लूँ!” “रहने दो ना! ऐसे ही चलो!” “हटो! दीदी ने सुन-देख लिया तो खैर नहीं होगी मेरी और आपकी!” “ओह साली साहिबा! बदल लो कपड़े!” “आप जाओ!” “मेरे सामने कर लो ना! क्यूँ शर्माती हो? अपने बॉय फ्रेंड के सामने नहीं उतारती हो क्या?” “हटो जीजू! आप भी ना!”

“तेरी सारी खबर रखता हूँ!” क्या खबर है मेरी? “चलो बदल लो ना!” जीजू मेरे पास आए, पीछे से मुझे अपनी बाँहों में लेकर मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए. (यह लड़की को गर्म करने की सबसे महत्त्वपूर्ण जगह होती है) “यह सब क्या जीजू?” “क्या करूँ! तुम तो दया करो इस गरीब पर! तेरी दीदी का आजकल रेड सिग्नल है! ऊपर से जिस दिन से आई हो इस बार, तेरे बदलाव देख कर रोक नहीं पा रहा हूँ अपने आप को!” “अब जाओ जीजू! इस वक़्त समय और जगह सही नहीं है!”

जीजू ने बिना कहे मेरी कमीज़ उतार दी और ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगे. मेरी आग बढ़ने लगी. मैं उनसे लिपटने लगी, उनका लौड़ा खड़ा होने लगा था. मैं झटके से उनकी बाँहों से निकली, कपड़े उठाए और बाथरूम में घुस कर कुण्डी लगा ली. जीजू अब बाहर इन्तज़ार कर रहे थे. “बहुत खूबसूरत बन कर आई हो साली साहिबा?” “हाँ, जब जीजा का दिल आ गया है तो मेरा भी कुछ फ़र्ज़ है!” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

“हाय मेरी जान!” जीजू ने कार सिटी के बजाये बाई पास की ओर मोड़ ली. “जीजू कहाँ जा रहे हैं?” “स्वीट हार्ट! फार्म हाउस जा रहे हैं!” “जीजू वहाँ क्यूँ?” बेशर्मों की तरह बोले- तेरी जवानी मसलने! तुझे अपनी बनाने के लिए! “लेकिन खाना?” बोले- रूको! उन्होंने मोबाइल लगाया- बृजवासी कॉर्नर से बोल रहे हो? प्लीज़ एक दाल मखनी, कड़ाही पनीर, मिक्स वेजी टेबल, बटर-नान ठीक एक घंटे बाद तैयार करवाना! अभी नहीं! “लो बेग़म साहिबा! आपका खाना!” जीजू ने मेरा हाथ पकड़ लिया, सहलाने लगे और एकदम से शैतानी से मेरा एक चूची दबा दी, मेरा हाथ पकड़ अपने लौड़े पर रख दिया. मेरा हाथ खुद-ब-खुद चलने लगा.

“अब आई ना लाइन पर साली साहिबा!” जीजू, क्या यह सब ठीक है? हम दोनों जवानी के नशे में दीदी को भूल रहे हैं! दोनों धोखा दे रहे हैं दीदी को! क्या करूँ? बहुत प्यासा हूँ! मैं तेरे ऊपर पहले से फ़िदा था!

इतने में हम फ़ार्म हाऊस पहुँच गए. चौकीदार ने सल्यूट मारा, एक लड़का आया और कार का दरवाज़ा खोला. हम कमरे में पहुंचे. उसी वक़्त दो मग, ठंडी बीयर, बर्फ़ मेज़ पर थी, साथ में कुरकुरे का पैकट था. जीजू बोले- आओ बीयर लो! “नहीं जीजू! कभी नहीं पी!” “जान थोड़ी सी पी!”

पूरा मग पिलवा दिया, खुद इतने में दो-तीन मग खींच गए. मुझे उतना काफी था, जीजू ने वहीं बैठे बैठे ही मुझे उठा लिया बाँहों में और आलीशान बेडरूम में ले गए. खुशबूदार कमरा था, जीजू ने पहले मेरा टॉप उतारा, फिर मेरी जींस उतारी. साथ साथ मेरे होंठ भी चूमते रहे. मैं नशे में थी, इतने में उन्होंने मुझे एक मग बीयर और पिला दिया. मैं खुद जीजू से लिपटने लगी, उनकी शर्ट उतारी, फिर उनकी जींस का बटन खोला और नीचे सरका दी. बहुत सेक्सी फ्रेंची पहनी थी जीजू ने, जिसमें उनका लौड़ा काफी बड़ा लग रहा था. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं. सहलाओ ना! वक्त कम है ना! उन्होंने सीधे 69 पर आते हुए अपना लौड़ा चुसवाया और मेरी चूत चाटी. मुझे बहुत मजा आया.

उन्होंने मेरी टाँगें फैलाई और बीच में आकर बैठ गए और अपना लौड़ा चूत पर टिका कर बोले- इसको ज़रा सही जगह पकड़ कर रखना! उन्होंने मुझे पूरा जकड़ लिया. जैसे ही चोट मारी, मेरी हिचकी निकल गई, सांस अटक गई. आँखों में आंसू थे, आवाज़ निकल नहीं रही थी. एक और झटका लगा और पूरा लौड़ा मेरी चूत की तंग दीवारों में फंस चुका था.

“छोड़ दो जीजू!” बोले- बस बस! जीजू ने पूरा लौड़ा बाहर निकाल लिया. उनके लौड़े को खून से भीगा देख कर मैं रोने लगी. उन्होंने साफ़ किया और फ़िर से अन्दर धकेल दिया.

इस बार दर्द कम था लेकिन पहली बार की टीसें निकल रही थी. लेकिन दर्द कुछ कम था. फिर तो आराम से दीवारों को रगड़ता हुआ अन्दर बाहर होने लगा. एकदम से मुझे सुख मिला- मानो स्वर्ग मिला! होश खोये! दिल कर रहा था कि जीजू कभी बाहर न निकालें! “जीजू मजा आ रहा है! और करो ना!” जीजू ने मेरे मम्मों को पीते हुए तेज़ धक्के मारे और फिर कुछ देर के तूफ़ान के बाद कमरे में सन्नाटा छ गया, सिर्फ सांसें थी, सिसकी की आवाजें थी. जीजू मुझे चूमने लगे, बोले- बहुत मजा दिया है तूने! मुझे भी अच्छा लगा जीजू!

उसके बाद मैं वहाँ एक महीना रुकी और जब मौका मिलता हम एक हो जाते. तो दोस्तो, जीजू ने मेरी सील तोड़ दी. जब मैं वापस आई तो मैंने लड़कों को हाँ कहनी शुरु की. दूसरा किसका डलवाया, यह अगली बार बताऊँगी.

मेरी देसी कहानी कैसी लगी? [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000