ट्रेन के टॉयलेट में सेक्स, चूत और गांड चुदाई

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

हैलो फ्रेंड्स.. और चूतों की रानियों मैं निखिल उर्फ़ विक्की मेरी उम्र 23 साल है.. मैं एक कॉलेज में पढ़ता हूँ और में कानपुर से हूँ। सेक्स मेरा पैशन है। मेरे लण्ड का साइज़ 6.2 इंच है.. दिखने में हैण्डसम हूँ।

यह कहानी अभी 2 हफ्ते पुरानी ही है.. जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ। यह मेरी ट्रेन में चुदाई की कहानी है।

मैं दीवाली की छुट्टियों में घर जा रहा था.. ट्रेन में काफ़ी भीड़ थी और उस दिन कोई एग्जाम भी था तो भीड़ इतनी ज्यादा थी कि पूछो मत.. मेरा टिकट भी वेटिंग में था.. मैं बाथरूम के पास खड़ा हो गया। वहाँ काफ़ी लोग खड़े थे और मेरे बाजू में एक लेडी खड़ी थी.. वो दिखने में 26 -27 साल की थी और उसके साथ उसकी बेटी और एक बुजुर्ग आदमी भी थे.. शायद उस लेडी के फादर थे।

वो मेरे इतने करीब थी कि उसका जिस्म मुझसे चिपका हुआ था।

उसके बगल वाले का बैग बार-बार गिर रहा था.. तो मैंने उसकी मदद की.. जिससे मेरा हाथ उसके मम्मों में लग गया.. पर उसने कोई विरोध नहीं किया मुझे लगा.. शायद उसे पता नहीं चला होगा। मैंने दुबारा बगल वाले की सहायता की तो उसके मम्मों में जानबूझ कर हाथ लगा दिया.. उसने फिर भी कुछ नहीं कहा.. तो इस बार मुझे पक्का विश्वास हो गया कि उसे भी अच्छा लग रहा है। फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी कमर में हाथ लगाना शुरू कर दिया। मैंने महसूस किया कि उसके मम्मे भी मस्त तरीके से फूल-पिचक रहे थे और उसे भी जोश आ रहा था।

मैंने सोचा कि आज तो मज़ा आ जाएगा.. तो मैंने वहाँ की लाइट कुछ इस तरह से ऑफ कर दी कि वो खराब ही हो गई.. अब कोई उसे ऑन नहीं कर सकता था। अब वहाँ एकदम अँधेरा हो गया था.. जो मैं चाहता था.. उधर बहुत सारा सामान भी ऐसा रखा हुआ था कि आड़ जैसी हो गई थी।

मैं आपको उस लेडी का साइज़ बता दूँ। उसका जिस्म एकदम मस्त था उसके मम्मों का नाप 34 इन्च.. कमर 30 इंच और गाण्ड 32 इंच की थी। मैंने उससे थोड़ी बात की.. उसने भी मुझसे बात करने में रूचि दिखाई। मैं उसकी गाण्ड में हाथ फेरने लगा और उसको मजा आने लगा। वो भी बड़ी मस्त हो रही थी और अब तो वो मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ फेर रही थी।

वो मुझसे बात कर रही थी, उसने बताया कि उसका नाम सानिया है और अपने मायके जा रही है। मैंने देखा कि टाइम कुछ 11 बजे के आस-पास था.. और सबको नींद में ऊंघ रहे थे। मुझे तो सेक्स करने का भूख चढ़ गई थी.. क्यों बगल में मस्त चोदने लायक माल जो था और रात भर का सफर बाकी था।

मैंने देर ना करते हुए उसकी साड़ी पीछे से उठाई और उसकी गाण्ड में हाथ फेरने लगा.. और वो भी काफ़ी मज़े ले रही थी। अब मैं उसकी जाँघ पर हाथ फेरने लगा। तभी मैंने उसे पीछे सामन की आड़ में आने को इशारा किया, इस वक्त तक थोड़ी ठण्ड भी बढ़ गई थी। उसकी बेटी अपने दादा जी की गोद में सो चुकी थी.. तो मैंने उसे कोने में अँधेरे की तरफ आने को कहा और वो आ गई।

अब उसने एक शाल भी निकाल लिया था.. जिससे मेरा काम और आसान हो गया था।

फिर मैंने उसे किस किया और उसे काफ़ी अच्छा लग रहा था, मुझे तो रात की मलिका मिल गई थी। हालांकि मैं वहाँ कपड़े तो नहीं उतार सकता था.. तो मैं नीचे बैठ कर उसकी साड़ी के अन्दर घुस गया। मैंने उसकी पैन्टी खींच कर उतार दी और उसकी चूत चाटने लगा। वो भी मदहोश होने लगी थी.. वो मना कर रही थी.. फिर भी मैं लगा रहा। उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं- सस्स्स्शह.. उउउइइ.. सस्स्शह..

तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया तो मैं उसका सारा पानी चाट गया, उसका रस बिल्कुल हॉट कॉफी जैसा लग रहा था। फिर मैं खड़ा हुआ और उसे किस करने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा वो भी सिस्कार रही थी- मुझे भी लण्ड चूसना है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने अपना लण्ड उसके हाथ में दे दिया.. उसने भी नीचे बैठ कर अँधेरे में देर ना करते हुए मेरा लण्ड चूसना शुर कर दिया और अपने मुँह में मेरे लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगी। वो लॉलीपॉप की तरह मेरे लण्ड को चूस रही थी। मेरा लण्ड तो पहले से ही गीला हो रहा था। कुछ ही पलों में मैंने अपना पानी उसके मुँह में छोड़ दिया.. वो भी पूरा पानी पी गई।

वो चटखारे लेकर कहने लगी- आह्ह.. इट्स सो हॉट.. फिर मैं उसे किस करने लगा और वो भी मुझे पागलों की तरह चूम रही थी। ऐसा लग रहा है कि वो बहुत भूखी है। मैंने उससे कहा- तुम्हारी हवाई चुदाई करता हूँ.. तो वो बोली- जो भी करना है.. जल्दी करो जान.. मेरी चूत तुम्हारे लण्ड के लिए तड़प रही है।

मैं अभी उसकी गाण्ड में उंगली पेल रहा था। तो मैं उसे टॉयलेट में ले गया, उसकी साड़ी को उठा दिया और अपनी पैन्ट उतार दी। उसके पैरों को चौड़ा किया और उसको अपनी कमर में फंसा लिया। उसकी चूत को अपने लण्ड के निशाने पर लिया। वो मुझे किस करते हुए कह रही थी- जान.. अब पेल भी दो.. कितना तड़पाओगे.. मैंने उसकी चूत में अपना लवड़ा डालने लगा.. तो लण्ड बाहर ही अटक गया।

मैंने फिर थोड़ा थूक उसकी चूत और अपने लण्ड पर लगाया और फिर मैंने लोहे जैसा लण्ड उसकी चूत में फंसा दिया.. और जैसे ही थोड़ा अन्दर करने लगा.. तो उसके मुँह से ‘आआअहह..’ की आवाज़ निकलने लगीं। मैं जब पूरा लौड़ा अन्दर पेलने की कोशिश की.. तो ऐसा लगा कि मेरा लण्ड उसकी चूत में कहीं अटक गया है।

तभी घुटी आवाज में वो चीख पड़ी और कहने लगी- उई माँ.. दर्द हो रहा है.. निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है। उसकी चीख ट्रेन के शोर में दब गई। उसे भी दर्द हो रहा था और इस बात का डर भी था कि कोई देख ना ले.. तो वो भी मुझे रो-रो के धीमे स्वर में कह रही थी।

फिर मैं थोड़ा रुका और उसे किस करने लगा। उसने शायद काफ़ी टाइम से कोई बड़ा लण्ड नहीं लिया था.. उसकी चूत अभी काफ़ी टाइट थी। मैंने उसे किस किया ताकि उसकी आवाज़ ना निकले और अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।

वो तड़फ रही थी पर अब मैं उसकी कहाँ सुनने वाला था.. मुझे तो उसकी आवाजें सुन कर और जोश आ रहा था। मैं और तेज़ी से अपना लण्ड अन्दर पेलने लगा।

वो और ज़ोर से चिल्लाई.. लेकिन अब सारी आवाज़ मेरे मुँह में दब गई थी। उधर ट्रेन छुक-पुक कर रही थी.. इधर लण्ड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था।

थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल हुई.. उसे मजा आने लगा। फिर वो कहने लगी- आह्ह.. और ज़ोर से डालो साले.. वो मुझे रंडी की तरह गालियाँ देने लगी- चोद कुत्ते.. और अन्दर घुसा मादरचोद..

यह सब सुनकर मुझे भी और जोश आने लगा। हम लोग अब बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और वो भी अपनी गाण्ड उचका कर मेरा साथ देने लगी। वो मादक आवाजें भी निकालती रही- प्प्प्उच.. प्पउक्च्छ.. लेकिन अब मुझे कोई नहीं देख सकता था.. एक तो अँधेरा और ट्रेन की आवाज़ से अब सब आसान हो गया था।

फिर उसके मुँह से ‘आअहह.. उउउइई.. हहुउऊ..’ जैसी आवाजें आ रही थीं।

काफी देर बाद मैंने उसकी चूत को पूरा फैला दिया था और अपना सारा पानी उसकी चूत में ही गिरा दिया। काफ़ी देर तक हम एक-दूसरे से लगे पड़े रहे।

कुछ देर बाद मेरा फिर से लण्ड खड़ा होने लगा.. तो मैंने उसे गाण्ड मारने के लिए कहा। पहले तो मना करने लगी.. फिर मान गई। उसकी गाण्ड चूत से भी ज़्यादा टाइट थी। उसे मारने में और भी मजा आया। मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से लण्ड डाल दिया। उसकी गाण्ड टाइट थी.. तो थोड़ा थूक लगाया.. और जैसे लण्ड डाला.. उसकी जान सी निकल गई। गाण्ड काफ़ी टाइट थी और उसके मुँह से भयानक आवाजें आने लगीं.. ऐसा लगा मानो वो मरने वाली हो।

थोड़ी देर बाद वो नॉर्मल हो गई और मज़े से गाण्ड चुदाने लगी। ‘आआआआहह.. और चोद साले.. रंडी बना दो मुझे.. जानू.. और डालो..’

और ये सब सुन कर मुझे और जोश आ रहा था.. तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी देर मैंने अपना पानी उसकी गाण्ड में छोड़ दिया। फिर हम ऐसे ही साथ चिपके रहे और मैं उसे किस करता रहा। इस तरह हमारी चुदाई चलती रही और मैंने उसको सुबह तक चोदा और उसका नंबर ले लिया। वापस आने के बाद मैंने उससे मिलने को कहा।

मित्रो, यह थी मेरी ट्रेन में चुदाई की रस भरी घटना। आपको कैसी लगी.. प्लीज़ मेल मी। मुझे फ़ेसबुक में भी ज्वाइन कर सकते हैं। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000