नादानी में गलत हो गया था

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

मेरा नाम अतुल है.. मैं इंदौर का रहने वाला हूँ, इस साईट का नया-नया पाठक बना हूँ। आप लोगों की कहानियां पढ़ कर मुझे ऐसा लगा कि मुझे भी अपनी कहानी बतानी चाहिए।

मेरे एक मित्र की वाइफ है सोना.. वो मुझे अपने भाई जैसा मानती है.. उसके जन्मदिन की पार्टी थी और उसने अपने बहुत सारे दोस्तों को बुलाया था। मैं बहुत अच्छा गाना गाता हूँ.. तो उसके कहने पर मैंने गाना सुनाया। मेरे गाने को सुन कर सभी ने मेरी तारीफ की।

तभी उसकी एक बहुत ही खूबसूरत सहेली.. जिसका नाम वर्षा था.. उसने मुझसे और गाने को कहा। मैंने सुनाया.. इस तरह हम दोनों एक-दूसरे को अच्छे से समझने लगे.. पार्टी खत्म हुई सभी अपने घर जाने लगे।

तब वर्षा ने मुझसे मेरे बारे में पूछा कि कहाँ रहते हो.. क्या करते हो.. वगैरह.. वगैरह.. और इसके बाद हम दोनों ने आपस में मोबाइल नंबर का आदान-प्रदान किया और घर आ गए।

दिन बीतते गए.. एक दिन अचानक मुझे वर्षा का ख्याल आया। मैंने सोचा चलो उससे बात की जाए। मैंने फोन लगाया.. उधर से मधुर आवाज़ आई- हैलो… और मैं कुछ देर तक बोल ही नहीं पाया.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूँ.. फिर उधर से आवाज़ आई- बोलिए.. कौन बोल रहे हैं?

मैंने धीरे से कहा- अतुल बोल रहा हूँ। वो- ओह्ह.. नील.. कैसे याद किया.. मैं भी सोच रही थी कि तुमसे बात करूँ.. लेकिन क्या करती मेरा मोबाइल गिर गया था और तुम्हारा नंबर उसी में था.. खैर.. कैसे हो? मैंने कहा- मैं ठीक हूँ.. तुम कैसी हो? उसने कहा- ठीक हूँ..

और औपचारिक बात करके फोन बन्द कर दिया। फिर धीरे-धीरे लगभग रोज़ ही बात होने लगी.. फिर दिन में कई बार और रातों में भी बातें होने लगीं। फिर हम दोनों एक अच्छे दोस्त बन गए।

एक दिन उसका फोन आया और वो बोली- कल 6 फरवरी है.. और तुम्हें मेरे घर आना है। मैंने पूछा- कोई खास बात है क्या? ‘हाँ है.. बस तुम्हें आना है..’ वर्षा बोली।

‘ठीक है.. समय भी बता दो.. कब आऊँ?’ ‘शाम 6 बजे मैं तुम्हारा इंतजार करूँगी..’ ‘ओके.. मैं आ जाऊँगा..’ मैंने कहा। और उसने फोन बन्द कर दिया..

मैं ठीक समय पर पहुँच गया.. चूंकि पहली बार जा रहा था.. तो रास्ते से एक गुलदस्ता भी लेकर गया.. वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई और गुलदस्ता देख कर आश्चर्य से बोली- क्या तुम्हें मालूम था कि आज मेरा जन्मदिन है? मैंने कहा- नहीं.. लेकिन पहली बार किसी खूबसूरत लड़की ने मुझे घर बुलाया है.. तो उस दिन को यादगार बनाने के लिए मैं ले आया हूँ।

मैंने उसे जन्मदिन की शुभकामनाएँ भी दीं। उसने ‘थैंक्स’ बोल कर उसे ले लिया और अन्दर बुला लिया।

उसके घर में उसके मम्मी-पापा और तीन भाई थे। वर्षा दूसरे नंबर की थी.. बाकी दो उससे छोटे थे। उसने मेरा परिचय सबसे करवाया। घर वालों को मेरा व्यवहार अच्छा लगा। देर रात तक रुकना हुआ.. खाना-पीना हुआ और मैं आने लगा..

उसकी मम्मी बोलीं- बहुत रात हो गई है.. अब ऐसा करो.. यहीं रुक जाओ.. सुबह चले जाना। मैंने कहा- नहीं.. मैं चला जाऊँगा आप मेरी चिंता ना करें.. वैसे भी मैं कार से आया हूँ.. दिक्कत नहीं आएगी। और मैं बाहर निकल गया.. कार के पास आया तो देखा वो पंचर है.. स्टेपनी चैक की तो वो भी पंचर थी।

अब इतनी रात को पंचर बनता नहीं और हार कर मैं वहीं रुक गया। ज़ब मैं ऊपर आया.. तब तक वर्षा अपने कपड़े चेंज कर चुकी थी और सोने जा रही थी।

मैंने उसे सारी बात बताई.. तब उसने कहा- मम्मी पहले ही कह रही थीं कि रुक जाओ.. बड़ों की बात टालते नहीं.. इस तरह मैं वहाँ रुक गया।

उसने मेरा बिस्तर छत पर लगा दिया.. गर्मी के दिन थे.. चाँदनी रात थी.. उसके मम्मी-पापा भी छत पर ही सोते थे। वर्षा ने भी छत पर ही अपना बिस्तर लगा लिया।

एक घंटे तक मेरे गाने का लोगों ने आनन्द लिया और हम सब सो गए।

लगभग 2:30 बजे का समय होगा.. मेरी नींद खुल गई.. शायद नई जगह होने से कुछ अटपटा लग रहा था। मैंने करवट बदली तो देखा कि वर्षा भी जाग रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ.. तुम्हें भी नींद नहीं आ रही है क्या? ‘हाँ..’ और हम बातें करने लगे।

तब मैंने पूछा- वर्षा क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है? उसने कहा- हाँ एक लड़का था.. सौरव नाम था उसका.. मैं उसे बहुत चाहती थी.. शायद अब तक उससे शादी भी हो गई होती.. लेकिन किस्मत को मंजूर नहीं था। मैंने प्यार में अपनी नादानी की हक़ीकत उसे बता दी.. तो उसने शादी से मना कर दिया। मैंने पूछा- कौन सी ऐसी बात थी.. जिसे जानने के बाद उसने ऐसा किया?

तब उसने मुझ पर बहुत भरोसा करके अपने बचपन की बात बताई।

मैं तब थोड़ी नादान थी, मेरे मम्मों के उभार भी बाहर निकल आए थे और माहवारी भी आने लग गई थी। मैं अपने नाना के यहाँ रहती थी.. मेरा कमरा चौथे फ्लोर पर था.. लेकिन पढ़ने के लिए मुझे नीचे हॉल में आना पड़ता था और पढ़ते-पढ़ते अक्सर मैं वहीं सो जाती थी..

तब जब रात में मेरे मामा जिन्हें घर में सब गब्बू मामा कह कर बुलाते थे.. उन्हें कह कर मेरी नानी मुझे ऊपर भेज देती थीं और मामा मुझे ऊपर ले जा कर मेरे कमरे में मुझे सुला देते थे। लेकिन जब वो सीढ़ियों से ऊपर ले जाते.. तो मेरे जांघिए में हाथ डाल कर मेरी बुर में उंगली डाल देते थे..

इस तरह रोज-रोज ऐसा करते-करते मेरी बुर की साइज़ बड़ी हो गई थी और एक दिन मौका देख कर उन्होंने अपना ‘वो’ निकाल कर मेरी बुर में लगा दिया.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है.. लेकिन कुछ अजीब सा लग रहा था। ऐसा काफ़ी समय तक चला और एक दिन गब्बू मामा अपने काम में सफल हो गए.. फिर नाना ने हम लोगों के लिए अलग मकान.. जो मेन रोड पर था लेकर दे दिया।

हम लोग वहीं रहने लगे। कुछ समय बाद मेरे ताऊ जी का लड़का दिनेश भी पढ़ने के लिए राजस्थान से दिल्ली आ गया और मेरे कमरे में जगह थी.. तो उसमें ही रहने लगा और धीरे-धीरे मेरे करीब आ गया। चूंकि मुझे बचपन से ग़लत आदत पड़ गई थी.. तो उसका साथ अच्छा लगने लगा। वो धीरे-धीरे सबके सोने के बाद मेरे बिस्तर पर आ जाता और मुझसे चिपक कर सो जाता। फिर वो धीरे से मेरी बुर सहलाता.. चाटता.. और चुदाई भी करने लगा।

महीने दो महीने पर मेरी झांटें भी ब्लेड से बना देता था। एक बार बच्चा भी ठहर गया.. तो मुझे हॉस्पिटल ले जा कर मेरी सफाई भी करा लाया।

यह सिलसिला काफ़ी समय तक चला.. उसकी पढ़ाई पूरी हुई और वो वापिस चला गया। फिर सौरव तुम मेरी जिंदगी में आए हो। यह सुन कर सौरव ने मुझसे शादी से मना कर दिया।

वर्षा इतना सब बता कर रोने लग गई। तब मैंने कहा- वर्षा तुम्हारे साथ जो हुआ उसमें तुम्हारी कोई भी ग़लती नहीं थी। पर वो रोती ही रही।

मैंने उसे समझाया और कहा- वर्षा तुम्हारे घर वाले मुझसे तुम्हारी शादी नहीं करेंगे.. वरना मैं तुम जैसी खूबसूरत लड़की से शादी करके अपने आपको ख़ुशनसीब समझता। मैंने उठकर उसे गले से लगा लिया और धीरे-धीरे बाँहों में समेट लिया। कमैंने कहा- आई लव यू जान..

और वो भी मुझमें सिमट गई। मेरे हाथ खुद ब खुद कब उसके मम्मों पर चलने लगे और मेरा 7″ लंबा और 3″ मोटा लंड खड़ा हो गया.. मालूम ही नहीं पड़ा।

धीरे-धीरे मैंने उसकी सलवार में हाथ डाल दिया और पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी बुर को सहलाने लगा.. वो एकदम गरम हो गई और उसने नीचे चलने का इशारा किया। हम लोग नीचे आ गए और बिना एक पल गंवाए उसने सलवार उतार दी।

मैंने उसकी बुर में अपनी जुबान लगा दी, वो मस्त हो गई और 69 करने को कहा। हम लोग काफ़ी देर तक एक-दूसरे का आइटम चाटते रहे। फिर मैंने उसकी खूबसूरत बुर में अपना लंड पेल कर चुदाई की। दोनों एक साथ झड़ गए.. फिर कपड़े पहने और एक बार फिर एक-दूसरे को चूमा और ऊपर आ गए।

यह सिलसिला खूब चला.. हम दोनों को जब भी मौका लगता.. एक-दूसरे को चोदते हैं..

आप सभी के सामने मैंने अपनी यह आपबीती मैंने रखी.. जिसको मेरी कहानी पसंद आई हो.. वो मुझे रिस्पॉन्स जरूर करें। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000