मेरा गुप्त जीवन- 153

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आप सबको होली की बहुत बहुत मुबारक।

तभी ऐसा लगा कि वहाँ कोई काले कपड़ों में एक साया सा आया है जो मेरे सर के ऊपर आकर खड़ा हो गया था। मैं चौंक गया और आहिस्ता से बोला- कौन है वहाँ? तभी वो साया मेरे सामने आया और धीमी लेकिन कड़क आवाज़ में बोला- सब चुपचाप लेटे रहो, नहीं तो एक एक को भून कर रख दूंगा। इसके साथ ही काले साये के हाथ में एक काली पिस्तौल चांद की रोशनी में चमक गई।

मैं घबरा गया और एकदम हड़बड़ा कर उठने की कोशिश करने लगा लेकिन वो पिस्तौल वाले हाथ ने बिजली की फुर्ती से पिस्तौल को मेरी कनपट्टी पर लगा दिया और फुसफुसाहट में बोला- खबरदार… जो किसी ने हिलने की कोशिश की! लेटे रहो यहीं पर तुम सब!

मैं, डायना और कम्मो एकदम हैरान होकर देख रहे थे कि यह क्या हो रहा था। डायना का हाथ कांप रहा था, मैंने हिम्मत कर के पूछा- तुम हो कौन जो मेरी ही कोठी में मुझ पर हुक्म चला रहे हो? तुम क्या चाहते हो हम से? एक बड़ी ही ज़हरीली हंसी सुनाई दी- मैं कौन हूँ? अभी पता चल जाएगा जब पुलिस यहाँ आएगी और तुम सब को नंगे पंगे देखेगी तो सोचो क्या हाल होगा तुम सबका?

अब मेरा ठाकुरी खून खौला आर मैंने भी कड़कती आवाज़ में पूछा- क्या बिगाड़ लेगी पुलिस हमारा? हम कोई गैर कानूनी काम तो कर नहीं रहे, हमको काहे का डर है? वो आवाज़ बोली- तुम सब एक दूसरे के साथ कुछ कर रहे हो जो गलत है सो तुमको इसकी सजा तो मिलेगी ना!

अब मुझको इस आवाज़ पर कुछ शक हुआ, मुझे ऐसा लगा कि आवाज़ जानबूझ कर बदली हुई लग रही है जैसे कोई लड़की आवाज़ बदल कर मर्दाना आवाज़ में बोलने की असफल कोशिश कर रही हो। मैंने अपनी दाईं तरफ लेटी हुई कम्मो के हाथ को दबाया और उसको इशारे में कहा कि तुम इसको बातों में उलझाओ ताकि मैं इस पर अचानक हमला कर सकूँ।

अब कम्मो बोली- देखो भाई, जो कोई भी हो तुम… हम तो आपस में प्यार मुहब्बत ही कर रहे थे और वो भी अपने घर के अंदर जो किसी तरह भी कानून की नज़र में गलत नहीं है। काला साया बोला- खामोश ऐ बदकारा औरत, नंगी लेटी है गैर मर्द के साथ… जाने क्या क्या किया होगा तुम सबने एक दूसरे के साथ? शर्म भी नहीं आती खुले आम करते हुए यह सब? कम्मो बोली- किस बात की शर्म? क्या अपने घरवालों के साथ नंगा लेटने में कोई मनाही है? बोलो बोलो?

जब ये दोनों बातें कर ही रहे थे तो मैं चुपचाप खिसक कर और अँधेरे की तरफ निकल गया। जब मुझे यकीन हो गया उस साये में छुपे बन्दे ने मुझे नहीं देखा तो फुर्ती से एकदम उठा और उस साये के एकदम पीछे आ गया और झट से आगे बढ़ कर अपनी एक बाज़ू उस साये के गले में डाल दिया। दूसरे हाथ को उसके पिस्तौल वाले हाथ पर रख कर एक झटका मारा और पिस्तौल उस के हाथ से छूट गई और वो कम्मो के पाँव में जा गिरी।

कम्मो ने झट से पिस्तौल अपने हाथ में ले ली और फुर्ती से उठ कर उस साये के ऊपर पड़े हुए काले कपड़े को हटा दिया। कपड़े के हटते ही कम्मो के मुंह से एक चीख निकल गई- तो यह तू है साली… हमको नकली पिस्तौल से डरा रही है। अगर चुदवाने की इच्छा थी तो सामने से आ जाती ना, हम सब तुझको चोद चोद कर हरा कर देते। यह सब क्यों किया री?

मैंने तो उसको पकड़ा हुआ था, मुझे उसका चेहरा दिख नहीं रहा था लेकिन यह महसूस हो रहा था कि वो कोई औरत या फिर लड़की है क्योंकि उसके गोल चूतड़ों से रगड़ लग कर मेरा बैठा हुआ लौड़ा खड़ा हो रहा था। अब मैंने उस की छातियों को टटोला तो वहाँ भी गोल गोल गुम्बद महसूस हुए। अब मैं समझ गया था कि ‘हो ना हो, यह तो रति ही है जो भेस बदल कर हम को तंग कर रही है।’

अब मैंने उसको पलट कर अपनी तरफ किया तो उस साये नुमा लड़की ने मेरे होटों पर अपने होंट चिपका दिए। ‘उफ्फ्फ मौला… यह तो रति ही है।’ और रति हम सबसे चिपक चिपक कर हंस रही थी और हमसे खूब जफ्फी मार रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं गुस्सा होते हुए बोला- रति यह क्या बदतमीज़ी है? ऐसा तुमने क्यों किया? कम्मो बोली- यह बेहूदा हरकत क्यों की रति तुमने? रति बोली- बस मन किया कि आप सबको सरप्राइज दे दूँ और आप लोगों को एकदम चौंका दूँ।

अब मैंने संयत होते हुए पूछा- पर तुम को पता कैसे चला कि हम लोग यहाँ हैं? रति रहस्यमय तरीके से मुस्कराई और बोली- तुम्हारी कोठी और हमारी कोठी की दीवार आपस में जुड़ी हुई है और हमारी साइड में भी एक अच्छा सा लॉन है जिस में फूल और पौधों की क्यारियाँ बनी हुई हैं। मैं शाम को वहाँ टहल रही थी जब मुझे तुम्हारी कोठी वाली साइड से कुछ आवाज़ें सुनाई दी। पहले तो वो साधारण बातें लग रही थी लेकिन जब मैंने ध्यान से सुना तो वो किसी जोड़े की आपस में बातें हो रही लगी। हमारी साइड में दीवार के साथ एक स्टूल पड़ा हुआ मिला, मैं उस पर चढ़ कर आपके बंगले के अंदर झाँकने लगी।

पहले तो मुझे कोई खास कुछ नहीं दिखा लेकिन जैसे ही मैं स्टूल से उतरने लगी तो मुझे एक गोरी लड़की की झलक दिखी और साथ में सोमू को भी देखा। तो मन में यह जानने की इच्छा हुई कि सोमू ठाकुर रात को किस लड़की के साथ लॉन में घूम रहा है। मैं ध्यान से देखती रही और फिर मैंने रात के अँधेरे में सोमू को गोरी लड़की को किस करते हुए देख लिया और फिर मैंने उन दोनों को पेड़ के साथ खड़े हो कर चुदाई करते हुए देख ही लिया।

अब तो मेरा खून खौल उठा और मैंने भाग कर कोठी के अंदर से अपने बचपन के ज़माने की होली की पिचकारी नुमा काली पिस्तौल उठा ली और एक काली शाल को अपने चारों तरफ लपेट लिया और फिर दीवार के साथ आ कर स्टूल पर चढ़ कर खड़ी हो गई और अंदर का दृश्य देखने की कोशिश करने लगी।

सोमू की कोठी के लॉन में उस वक्त वहाँ मुझे 3 जने हल्के से दिखाई दिए लेकिन वो तीनों मिल कर एक दूसरे को चोद रहे हैं ऐसा मुझे आभास हुआ जब कि साफ़ कुछ नहीं दिख रहा था। मैं अपने स्टूल से उतर कर दीवार के अंतिम कोने पर गई जहाँ से मुझे सोमू की कोठी में कूदने में काफी आसानी हुई। सोमू की कोठी में जब मैं अंदर पहुँच गई तो अपने शरीर को अच्छी तरह से शाल में लपेट कर मैं उस तरफ बढ़ी जिस तरफ चुदाई चल रही थी।

उनके नज़दीक पहुँच कर देखा कि सोमू एक गोरी लड़की को चोद रहा है और कम्मो दीदी भी नंगी हुई उनके साथ रास लीला में शामिल है। यह देख कर मेरा गुस्से का पारा एकदम सातवें आसमान पर पहुँच गया।

जब सोमू ने गोरी को चोदने के बाद कम्मो दीदी की चुदाई शुरू की तो मैंने सोचा कि अब हल्ला बोल देती हूँ लेकिन फिर सोचा कि कम्मो दीदी को भी मज़ा ले लेने दो फिर हल्ला बोलूँगी। उसके बाद क्या हुआ, वो तो आप सब जानते ही हो।

कम्मो को एकदम बड़ा गुस्सा आया और वो रति की तरफ झपट ही रही थी कि मैंने उसको रोक दिया और उसको कस कर अपने आलिंगन में बाँध लिया। अब मैं बोला- रति ने बड़ा ही घोर अपराध किया है, उसने हम सबकी दोस्ती पर एक बहुत कड़ा आघात लगाया है जिसकी सजा उसको मिलनी ही चाहिए। अब तुम सब फैसला करो कि क्या सज़ा मिलनी चाहिए? क्यों डायना? तुम क्या कहती हो इस बारे में?

डायना पहले तो चुप रही और फिर बोली- यह आप लोगों का अपना मामला है क्यूंकि आप सब आपस में दोस्त भी हो और सेक्स भी करते हो, आप लोग फैसला करो कि क्या सजा मिलनी चाहिए इस पागल लड़की को? अब मैंने कम्मो की तरफ देखा और उससे पूछा- क्यों कम्मो, तुम्हारा क्या विचार है?

कम्मो बोली- मेरी राय तो यह है कि रति के साथ हम सब सारे रिश्ते नाते तोड़ दें और आगे से उसका पूरा बायकाट करें। मैं कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला- तुम्हारे कहने पर चलने से रति को कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा। हमारे साथ रिश्ते ना रखने से रति को कोई ख़ास परेशानी भी नहीं होगी।

फिर मैंने कम्मो को अपने पास बुलाया और उसके कान में कुछ कहा और उससे पूछा- क्यों यह ठीक रहेगा क्या? कम्मो का चेहरा एकदम से खिल उठा और बोली- हाँ, यही ठीक रहेगा, इसकी यही सजा सबसे उत्तम रहेगी। अब मैं बोला- देखो रति, तुमने काम ही ऐसा किया है कि तुमको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इस लिए हमने यह फैसला किया है कि मैं तुमको हर प्रकार से चोदूँ यानि चुदाई में तुम्हारे शरीर के सारे अंगों में लंड डाल कर तुम को आनन्द प्रदान करूँ।

रति बहुत खुश होते हुए बोली- वाह, यह यह तो बड़ी अच्छी सजा है। मैं बोला- तो यह सजा तुम को मंज़ूर है? सोच कर बताना सब अंगों का मतलब है सब अंग? रति अब हँसते हुए बोली- इसमें सोचना क्या है, मुझे मंज़ूर है।

डायना और कम्मो ने आगे बढ़ कर रति के कपड़े उतारने शुरू कर दिए और जब वो बिल्कुल नंगी हो गई तो कम्मो और डायना ने उस को लॉन पर बिछी चादर पर लिटा दिया और खुद दोनों उसके एक एक तरफ लेट गई। अब दोनों उसके लबों पर चूमने में लग गई और फिर बारी बारी से वो उसके स्तनों को चूसने और चाटने लगी।

दोनों के होंट रति के मुम्मों के साथ खेल कर फिर उसके शरीर की नाभि को चूमते हुए उसकी चूत पर आ पहुंचे। कम्मो बड़ी निपुणता से रति की चूत की चुसाई कर रही थी और डायना उसके उभरे हुए चूतड़ों को किस कर रही थी।

इस सारी कार्रवाई से रति अति कामुक हो चली थी और बार बार अपनी चूत को ऊपर उठा कर यह घोषणा कर रही थी कि कोई इस की भी तो सुनो।

जब रति की चूत बहुत अधिक रसीली हो गई तो कम्मो ने मुझे इशारा किया और मैंने आते ही उसको घोड़ी बना दिया और उसकी गीली चूत पर अपने लौड़े को रगड़ा। जब लौड़ा चूत के रस से पूरी तरह से भीग गया तो मैंने उसकी टाइट चूत में अपना लौड़ा डालने के बाद थोड़ा रुक गया और लंड को रति की चूत में गोल गोल घुमाने लगा।

फिर मैंने रति को घोड़ी के पोज़ में बड़ी तेज़ी से चोदना शुरू किया और अब जब रति को चुदाई में बहुत अधिक मज़ा आने लगा था, मैंने लंड को पूरा निकाल कर रति की सूखी गांड में अपने लंड को घुसेड़ दिया। रति की कुंवारी गांड में लंड के जाते ही रति एकदम से उछल पड़ी और लंड को बाहर निकालने के लिए अपनी चूत और गांड को तेज़ी से इधर उधर करने लगी और इस उथल पुथल में मेरा पूरा लंड रति की गांड में घुस चुका था।

मैं भी लंड को अंदर डाल कर दोनों हाथों से रति की कमर को थाम कर बैठा हुआ था ताकि रति मेरे लंड को बाहर ना निकाल सके। रति की आँखों से आंसुओं की झड़ी लग चुकी थी लेकिन हम सब दयाहीन हुए उसके दर्द का आनन्द ले रहे थे।

मेरे लंड के धक्कों से थोड़ी देर बाद रति को गांड मरवाई में आनन्द आने लगा, उसके आंसू थम गए और अब कम्मो और डायना दोनों ही रति के होटों को बारी बारी से चूमने लगी और उसके मुम्मों को भी टीपने लगी। फिर कम्मो ने रति की चूत में हाथ डाल कर उसकी भग को भी रगड़ना शुरू कर दिया और इस दोहरे हमले के कुछ देर बाद ही रति का बहुत ही ज़ोरदार स्खलन हो गया और वो कांपते हुए चादर पर पसर गई।

कम्मो ने अपने साथ लाये हुए तौलिये से उसकी गांड और चूत को साफ़ किया। कम्मो ने रति को अपनी बाहों से उठा कर उसको एक कोक की बोतल पीने को दी और उसके शरीर पर आये पसीने को साफ़ किया।

फिर कम्मो और डायना ने मिल कर उसको खड़ा किया और थोड़ा चलाया तो रति काफी संयत हो गई। अब मैं मुस्कराते हुए बोला- क्यों रति, यह सजा कैसी लगी? कुछ तो बोलो। कैसा रहा हमारा बदला?

रति एक फीकी मुस्कान के साथ बोली- मुझे नहीं मालूम था कि गांड मरवाई इतने दर्दभरी और आनन्दभरी भी है। थैंक यू सोमू यार! मैंने आगे बढ़ कर रति को आलिंगन में ले लिया और उसके होटों पर एक भाव भीनी चुम्मी जड़ दी।

अब डायना ने भी आगे बढ़ कर मुझे आलिंगन में ले लिया और मेरे लबों पर एक बड़ी हॉट चुम्मी दे दी। फिर डायना बोली- सोमू मुझे यह देख कर बड़ी ख़ुशी हुई की रति को गांड मरवाई में कोई तकलीफ नहीं हुई। यह मेरी बड़ी पुरानी इच्छा थी कि कभी कोई मेरी भी गांड मारे। अब रति को देख कर मेरा भी दिल कर रहा है कि मेरी भी गांड तुम मारो अगर तुमको कोई प्रॉब्लम ना हो तो? ओह डिअर फ़क माय ऐस… ओह माय गॉड आई विल लव इट!!!

मैंने कम्मो की तरफ देखा और उसने हल्के से सर के इशारे से हाँ कह दी। मैंने डायना को हॉट जफ़्फ़ी मारी और उसके होटों को चूमते हुए उसके मोटे चूतड़ों को सहलाने लगा।

डायना मुझसे अलग होकर अपने बैग में से कुछ ढूंढने लगी और फिर मुस्कराते हुए उसने एक क्रीम की शीशी बैग से निकाली और मुझे और कम्मो को दिखाई। कम्मो ने कहा- वाह, डायना तुम तो पूरा इंतेजाम करके चलती हो। अब क्रीम लगाने के बाद तुमको काफी आसानी हो जायेगी गांड मरवाने में!

कम्मो ने डायना से शीशी ले ली और उसमें से ढेर सारी क्रीम निकाल कर डायना की गांड के अंदर और बाहर लगा दी और फिर डायना को घोड़ी बना कर मैंने अपने खड़े लंड को डायना के गांड के मुंह पर रख दिया और आहिस्ते से एक धक्का मारा।

पहले धक्के में ही लंड काफी सारा अंदर चला गया और डायना ‘ऊओह्ह्ह अहाहा…’ करती हुए अपनी गांड को हिलाने लगी। मैंने भी डायना की गांड को दोनों हाथों से पकड़ रखा था और धीरे धीरे धक्कों की स्पीड तेज़ करते हुए पूरे लंड को निकाल कर फिर उस की गांड में डाल दिया जिस कारण डायना को अब बहुत ही अधिक आनन्द आने लगा।

उधर कम्मो और रति भी डायना की चूत में ऊँगली डाल कर उसकी भग को छेड़ रही थी और डायना अब हाय हाय… करते हुए गांड मरवाई का पूरा लुत्फ़ उठा रही थी।

थोड़ी देर में डायना एकदम से ज़ोर से चिल्लाई और अपनी गांड को मेरे लंड के साथ जोड़ कर कांपने लगी और फिर वो चादर पर बेसुध होकर पसर गई। मेरा लंड डायना की एकदम टाइट गांड से वाइन बोतल से निकले कॉर्क की तरह पॉप की आवाज़ में निकला।

कम्मो ने झट से लंड को तौलिये से पौंछ लिया और मेरे शरीर पर चमक रहे पसीने को भी उसने पौंछ दिया। इतनी देर से चुदाई में लगे होने के कारण मैं भी काफी थकान महसूस कर रहा था, मैं भी डायना के साथ लेट गया और दूसरी तरफ रति भी लेट गई।

डायना ने कम्मो से पूछा- दीदी, तुमको क्या गांड मरवाना अच्छा नहीं लगता है? कम्मो बोली- हाँ डायना, मुझे कुछ ख़ास मज़ा नहीं आता गांड मरवाई में… वैसे मेरी चूत ही इतनी टाइट है कि गांड की मरवाई में किसी किस्म का किसी को आनन्द नहीं आता है! क्यों छोटे मालिक ठीक है ना? मैं भी मुस्कराते हुए बोला- हाँ कम्मो ठीक कह रही है, बड़ी ही टाइट है इसकी चूत!

फिर कम्मो रति को दीवार कूद कर उसके घर तक छोड़ आई और मैं और डायना बैठक में आकर बैठ गये।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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